अमिताभ वर्मा की कविताएँ - क्यों रोता है मन

SHARE:

चाहत-सी बात शाम और भी उदास हो जाती है तेरे तस्सवुर में मैं खो जाता हूँ रोशनी गुल कर, आँखें मींच कर तनहाई में खो जाता हूँ। बंद आँखों मे...

चाहत-सी बात


शाम और भी उदास हो जाती है
तेरे तस्सवुर में मैं खो जाता हूँ
रोशनी गुल कर, आँखें मींच कर
तनहाई में खो जाता हूँ।

बंद आँखों में रोशनी नहीं आती
तेरा चेहरा फिर भी उभरा आता है
जैसे तू रोशनी की हद से बाहर हो
जैसे फ़रिश्ता अँधेरे में चला आता है।

भूलने की कोशिशें नाकाम हुई जाती हैं
सोग में डूबी हर शाम हुई जाती है
तुझको चाहा तो नहीं, पर ऐ ख़ुदा
ये चाहत-सी बात क्यों हुई जाती है?


क्यों रोता है मन


दीपक किसके पथ में जलता है
कौन यहाँ आहें भरता है
किसे ढूँढ कर रोता है मन
जब चाँद बादलों में छुपता है?

कहने को एक झलक थी
चूड़ी की एक खनक थी
हो गया मगर मन चंचल
उफ़् कितनी अजब तड़प थी!

वह हुस्न फ़िज़ाँ में बिखरा
तो सारा आलम महका
वो पलक ज़रा-सी काँपी
प्याला मदिरा का छलका।

मिल नहीं सकेंगे तुम-हम
ये बात जानता है मन
फिर क्यों आहें भरता है
फिर क्यों रोता है ये मन?


कवि की व्यथा


एक बार इक कवि गए इक कवि सम्मेलन में
सूट-बूट में, हैट लगा कर, बनठन कर के
बनठन कर के गए, मगर थी किस्मत खोटी
भूल गए थे कवि बाँधना कमर पे पेटी।

बिन पेटी पतलून खिसकती जब भी नीचे
उसे खींचते ऊपर कविवर हो कर खीझे
थे खीझे-से कवि, तभी इक श्रोता चीखा
इस ऐक्शन के साथ गीत लगता है रूखा।

लगता गीत है रूखा, कविवर! बस भी करिए
या तो करिए बंद गीत, या पतलून न धरिए
मत धरिए पतलून, कि लगता नहीं है अच्छा
करता नहीं ठिठोली, हूँ मैं वचन का सच्चा।

बोले कवि ये माना है तू वचन का सच्चा
व्यथा मगर थोड़ी सुन मेरी भी, ओ बच्चा
बंद करूँगा गीत तो पैसा नहीं मिलेगा
आने जाने का बिल भी तब कौन भरेगा?

और अगर पतलून छोड़ दी मैंने अपनी
तो फिर सबको और भी अच्छा नहीं लगेगा
नहीं लगेगा अच्छा, पड़ेगा जेल में सोना
क्योंकि है अपराध भीड़ में नंगा होना।


हैप्पी दीवाली


सुबह-सुबह इक झपकी आयी, फिर इक सपना आया
सपने में जो कुछ दीखा वह हमको इक न भाया
हमको इक न भाया, भाता भी तो कैसे
दृश्य हमारे सपने के थे हॉरर फ़िल्मों जैसे

घुप्प अँधेरे जंगल में हम राहें खोज रहे थे
बदहवास था हाल, खुपड़िया नोच रहे थे
चमगादड़ थे कहीं लपकते और कहीं कंकाल
घबराहट के मारे भैया बुरा था अपना हाल

बुरा था अपना हाल, न था कुछ समझ में आता
सिर्फ़ अँधेरा ही होता तो शायद कम घबराता
पर यहाँ तो जैसे कोई छाती पर बैठा जाता था
साँसें नहीं हमारे अन्दर सिर्फ़ धुआँ आता था

तभी भयानक उस जंगल में कुछ प्रकाश-सा आया
हुआ भयंकर शोर एक, हम समझे परलय आया
भालू चीता हाथी बन्दर सभी जानवर भागे
एक गधे के पीछे थे हम, वह था थोड़ा आगे

पस्त हो गई हालत जल्दी, जलते थे दोनों पहलू
ठोकर खा कर गिरे, तो देखा शाख के ऊपर उल्लू
शाख के ऊपर के उल्लू ने किया हमें हैरान -
’’सचमुच, उल्लू ही है! इसको नहीं प्रलय का ज्ञान

’’रत्ती-भर भी अक़्ल जो होती तो यह भी उड़ जाता
’’दूर गगन की ऊँचाई में अपने प्राण बचाता’’
इसी तरह हम तरस थे खाते उल्लू की बुद्धि पर
तभी वो बोला, ’’देख, एक तो हूँ मैं ड्यूटी पर

’’दूजे, परलय नहीं है, ये हड़कम्प मचा है
’’बम-फोड़ू दीवाली का तो यही मज़ा है!’’
उल्लू के ड्यूटी पर होने से मैं थोड़ा चकराया
वर्दी देखी उसकी तो फिर अपनी समझ में आया

बड़े अक्षरों में लिखा था ’लक्ष्मी की सेवा में’
होंगे देवी के दर्शन! - हम बैठ गये आशा में
हाथ जोड़ कर पूछा हमने ’’कहाँ तुम्हारा है पैसेंजर’’
बोला उल्लू ’’अभी तो मैडम खड़ी हुई थीं उसी मोड़ पर’’

’उसी मोड़’ पर किया ग़ौर तो दिखी हमें इक कंकालिन
गहने तो पहने थे लेकिन काया थी उसकी बड़ी मलिन
मुँह के ऊपर जड़ा मास्क था, कानों में थे ईयर प्लग
ग्लास चढ़ा था आँखों पर, चलती थी वह डगमग-डगमग

विश्वास न होता था लक्ष्मी की ऐसी हालत होगी
हमने सोचा शायद माताजी डायटिंग पर होंगी
नए ज़माने में देवी भी तो मॉडर्न ही होंगी
यही सोच कर शेक-हैण्ड की हमने युक्ति सोची

हाथ मिलाया देवी ने, बोलीं ’’हाँ, मिस्टर वर्मा?
’’मिस्टर ही कहलाते हैं अब भल्ला हों या शर्मा
’’’श्री’ का स्वर अब देश में अपने देता नहीं सुनाई
’’क्यों ’श्री’ की आशा करते हो व्यर्थ में मेरे भाई

’’पुस्तक पढ़ कर ज्ञान-प्राप्ति कर लेना फिर से सीखो
’’व्हाट्स ऐप और ट्विटर के अंधे जाल में यूँ न उलझो
’’त्योहारों के नाम पे क्यों इतनी बारूद उड़ाते हो
’’पूजा करते हो या मृत्यु का कर्कश बिगुल बजाते हो

’’फाड़े कान के पर्दे और आँखों से ज्योति छीनी
’’दमे और दिल के रोगी की कैसी हालत कीन्ही
’’नासमझी में मानव ऐसे कब तक प्राण गवाँएगा
’’लाभ नहीं होगा बेटा कुछ, सर्वनाश हो जाएगा’’

सिहर गये हम सोते-सोते, सपना अपना टूटा
होश उड़ गये जब कमरे में ज़ोरों से बम फूटा
गली में कोई चिल्लाया ’’अंकल, हैप्पी दीवाली’’
डरे-डरे से हम बोले, ’’बेटा, हैप्पी दीवाली’’



पिताजी


मेरे प्रिय पिताजी,
आज आपकी बरसी पर
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!
 
काट डाले हैं वो जाल
जो मकड़ी न जाने कब बुन गयी थी
पोंछ दी है धूल की वह पर्त
जो पता नहीं कैसे जम गयी थी
उखाड़ फेंकी हैं वह अगरबत्तियाँ
जो पिछले साल अधजली रह गयी थीं

धुएँ की एक ज़िद्दी लक़ीर, बस
रह गयी है फ्ऱेम पर
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!

आपके जाने के अगले दिन ही तो
इस तस्वीर का ऑर्डर दिया था
हलवाई और तम्बूवाले के पास भी
उस दिन मैं ख़ुद ही गया था
चार दिनों में सब निपट जाए
सबसे इसका तक़ाज़ा किया था

उस लाल साग का स्वाद
अब भी बचा है जीभ पर
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!
 
घर छोड़ जाना आसान न था
पर पाँचवे दिन मैं चल दिया था
विदा ली थी सबसे, पर फिर भी
दो कदम धर कर वापस मुड़ गया था
निहारा था आपकी तस्वीर को
आँख में आँसू भरे फिर बढ़ गया था

बन चुके हैं आप, बस
इक याद भर
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!

गणित का सवाल हो
तो आप अंग्रेज़ी सही करवाते थे
नम्बरों में न उलझो - कह कर
बुनियादें सही करवाते थे
शिक्षक न थे, गुरू थे मगर
जीवन दर्शन समझाते थे

फिर टीस-सी उठती है दिल में
आँख फिर आती है भर
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!

धूल के जमने और जालों के बुनने
से क्या फ़र्क पड़ता है
विछोह का घाव बाहर भर भी जाए
पर अन्दर हरा रहता है
रिश्ते तो कई होते हैं दुनिया में
पर पिता तो पिता ही रहता है

छाया मलिन है आपकी
पर स्नेह-सिन्धु है अमर 
बहुत काम किया है मैंने
आपकी तस्वीर पर!


पिता की मौत


मेरे निस्पन्द शरीर के गिर्द
मेरे बच्चे फुसफुसा रहे थे
कभी मेरे गुण गा रहे थे
तो कभी आँसू बहा रहे थे

मेरा हृदय भर आया
मैंने अंतिम ज़ोर लगाया
कलेजा मुँह को आया
पर फिर नज़र आया

बेटा-बहू, बेटी-दामाद
सभी कर रहे थे मुझको याद
मृत्यु दो, पर कुछ पल बाद
- की ईश्वर से मैंने फ़रियाद

मौत दे रही थी मीठी थपकी
मेरी साँसें थीं अब भी अटकी
लेकिन पलकें ज़रा-सी झपकीं
भीड़ यह देखते ही लपकी

इन्होंने बेकार ही डरा डाला था
हमने भी क्या-क्या सोच डाला था
कितना ज़रूरी काम टाला था
- बच्चों ने झट से कह डाला था

एक नज़र डाल सभी चल दिए
मैंने भी दुनिया को हाथ जोड़ दिए
बच्चों को आशीश दे दिए
और बुझा लिए अपनी आँखों के दिये

नया साल


कैलेण्डर बदलने से नहीं आता है नया साल, ऐ दोस्त
करो ऐसा, कि कैलेण्डर न बदले, पर साल बदल जाए!

मन्दिर-मस्जिद के चढ़ावों से ख़ून की बू हो रुख़सत
क़ातिलों, दरिन्दों, हैवानों की वहशी चाल बदल जाए!

बन्द हो बेबस लड़कियों की अस्मत लूटने का रिवाज
हमें इस साल हर अबला में माँ की सूरत नज़र आए!

उड़ा न सके अब कोई जम्हूरियत-जनतन्त्र का मज़ाक़
हमारा अवाम झूठे नेताओं की गन्दी चाल समझ पाए!

’अमिताभ’ अब उकता चुके हैं ख़ादिमों के ज़ुल्म से
अस्पतालों-अदालतों-पुलिस सबका रवैया बदल जाए!

माँ तुमने बहुत रुलाया है


माँ तुमने बहुत सताया है, माँ तुमने बहुत रुलाया है।

गोदी में था मैं, आँचल से तुमने माथा मेरा पोंछा था
मुझे निहारती मुस्काई थीं, फिर न जाने क्या सोचा था
एक उबासी ली थी मैंने, नींद में आँखें मूँदी थीं
चिल्ला कर जागा था, सपने में इक बिल्ली कूदी थी
‘शेर है तू, बिल्ली से डरता है!’ तुमने ललकारा था
कभी नहीं भूलूँगा माँ जो उस दिन रूप तुम्हारा था

बड़ा हुआ तो देखा, माँ, तुम औरों-जैसी ना थीं
स्कूल के बाक़ी बच्चों की तो कितनी सुंदर माँ थीं
उनके मँहगे कपड़ों से कितनी ख़ुश्बू आती थी
इंगलिश में गिटपिट करती थीं, गाड़ी में जाती थीं
तुम तो बस उस एक-ही कपड़े में अक्सर आती थीं
इंगलिश क्या, हिन्दी बातों से भी तुम सकुचाती थीं

हुई पढ़ाई, मिली नौकरी, जब मैं घर पर आया
ख़ुशी से तुमने चूमा लेकिन नैन नीर भर आया
‘भगवान ने मेरी सुन ली,‘ धीरे से बोली थीं तुम
बाबूजी की फ़ोटो के आगे फिर रोई थीं तुम
‘रोना-धोना छोड़-भी माँ, पहली तनख़्वाह आने दे
ढेर लगा दूँगा तेरे आगे कपड़े-गहनों के‘

शान से बोला था मैं, ‘माँ, जब तू सज कर आएगी
तेरी सकुचाहट भी अपने-आप निकल जाएगी
क्या बतलाऊँ जब तू सादे कपड़ों में आती है
अपने पर और तुझ पर मुझको बड़ी शर्म आती है
कई बार तुझको ले कर यारों ने बड़ा चिढ़ाया है
तूने अनजाने में माँ मुझको बहुत सताया है‘

सन्न रह गई थीं तुम, कुछ देर तो कुछ न बोलीं
फिर अपराधी जैसे स्वर में तुमने गुत्थी खोली
हृदय फट गया ग्लानि से जब सारा क़िस्सा जाना
तेरी तपस्या के आगे हर दर्द हुआ बचकाना
अपनी नासमझी पर मुझको उस दिन रोना आया
भाग्यवान हैं वो जिन पर रहता है माँ का साया

समझ गईं तुम मेरी हालत, बोलीं, ‘ये क्या पगले?
आज का दिन है बड़ी ख़ुशी का, आज तो जी भर हँस ले
मैं क्या पशुओं की भी माँ, बच्चों की ख़ातिर जीती है
यही जगत् का सच है बेटा, यही जगत् की रीति है‘
माँ से लिपट गया मैं, बोला ‘सब तूने सच बतलाया है
माँ मैंने बहुत सताया है, माँ मैंने बहुत रुलाया है।‘

बुढ़ापे की होली


बचपन की होली में तन भीगता था!
रंग की बौछार का
पानी की फुहार का
कीचड़ की मार का
मज़ा उन दिनों हर तरफ़ दीखता था
बचपन की होली में तन भीगता था!

जवानी की होली में मन भीगता था!
उसकी मुस्कान के
ग़रीब दास्तान के
दुनिया-जहान के
नशे की ख़ुमारी में दिन बीतता था
जवानी की होली में मन भीगता था!

बुढ़ापे की होली में भीगी हैं पलकें!
अपनों की विदाई के
बच्चों की जुदाई के
वक़्त की ढिढाई के
घाव भरते भी हैं तो बहुत हल्के-हल्के
बुढ़ापे की होली में भीगी हैं पलकें!


अपंग की होली


होली है परसों, फिर माँ को जल्दी उठना होगा
सेठ दुअन्नीमल के घर पर फिर एक जलसा होगा

सुबह की निकली माँ जब अपने घर वापस आएगी
उसके मैले कपड़ों से मेहनत की बू आएगी

घर के टूटे छप्पर में से चाँद झलकता होगा
ढिबरीवाला आला फिर से धुआँ उगलता होगा

माँ खोलेगी डब्बा, देगी जूठा भात, कढ़ी, सब्ज़ी,
टुकड़ा एक पुए का जिसमें रमता होगा देसी घी

पाँव घिसटता मैं चौकी के कोने तक आऊँगा
माँ की आँखों में देखूँगा, उसके हाथों से खाऊँगा

अगर हाथ चलते मेरे तो मैं भी माँ कुछ करता
और नहीं कुछ तो माँ आख़िर अपना पेट तो भरता

पाँव सलामत होते तो मैं भी कुछ कर पाता
वज़न उठाता, हाँक लगाता, कारीगर बन जाता

रंगों की दो पुड़ियाँ होली पर चुपके से लाता
पीछे से आ कर माँ मैं तुझको सराबोर कर जाता

अपनी भी होली में अम्मा होती ख़ूब ठिठोली
मन मसोस कर न रहता कि ये होली भी हो ली

--


अमिताभ वर्मा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रौद्योगिक संस्थान से खनन अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र की विभिन्न कम्पनियों में पैंतीस वर्ष कार्यरत रहने के बाद 2016 में अवकाश ग्रहण किया। वे आकाशवाणी से बतौर समाचार सम्पादक और समाचार वाचक सम्बद्ध रहे हैं। उनके तेरह-तेरह एपिसोड के दो धारावाहिक नाटक - बाल-श्रम के विरुद्व ’अब ऐसी ही सुबह होगी’ तथा कन्या-संरक्षण पर ’नन्ही परी’ - आकाशवाणी पर प्रसारित हुए। वे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के टेलिविज़न तथा रेडियो कार्यक्रमों में अभिनय तथा पटकथा लेखन द्वारा योगदान करते रहे है। उनकी रचनाओं का संकलन, ’कृतिसंग्रह’, बहुत सराहा गया। उन्होंने एक अंग्रेज़ी पुस्तक, ’स्टेइंग इन्सपायर्ड’, भी लिखी है। अभी हाल में उनकी ई-बुक - कहानी-संग्रह ’उसने लिखा था’ - प्रकाशित हुई है। 

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. माँ मैंने बहुत सताया है, माँ मैंने बाहर रुलाया है,
    अमिताभ वर्माजी दिल छूने वाली कविता है, मैं वैसे बड़ा
    कठोर दिल का इंसान हूँ लेकिन इस कठोर दिल को
    भी पिघला दिया माँ तुमने बहुत रुलाया है !
    बधाई देता हूँ आपकी कलम को !

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी6:37 pm

    आदरणीय हरेन्द्रजी,
    पढ़ते तो बहुत हैं, पसन्द भी कई करते हैं, किन्तु रचनाओं को पढ़ कर प्रतिक्रिया व्यक्त करनेवाले विरले ही होते हैं। अनेक धन्यवाद! आप जैसे पाठकों का प्रोत्साहन ही अनजाने लेखकों को लिखते रहने की प्रेरणा देता है।
    भवदीय,
    अमिताभ वर्मा

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अमिताभ वर्मा की कविताएँ - क्यों रोता है मन
अमिताभ वर्मा की कविताएँ - क्यों रोता है मन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjROUjBoJCRZ0dOjPf8FgXrZH8coEWWSzkMwnte7KtDerAd4oVF-fnh8_p9_Sezi-tk_q1GFtx6tXdoZpX6zZwWZG1EWkHfi8fBdhoW-hTYMulfb0epf8lmIx_Hq_FhebV-qdM0/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjROUjBoJCRZ0dOjPf8FgXrZH8coEWWSzkMwnte7KtDerAd4oVF-fnh8_p9_Sezi-tk_q1GFtx6tXdoZpX6zZwWZG1EWkHfi8fBdhoW-hTYMulfb0epf8lmIx_Hq_FhebV-qdM0/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_96.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_96.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content