कहानी // बुद्धन काका // डॉ. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज

SHARE:

“बुद्धन! मेरे भाई...., मेरी दाहिनी बाँह...! तू मुझसे ....वादा कर ...,कभी तू मेरे परिवार को ....न छोड़ेगा। ” टूटती साँसों के मध्य प्रभुदयाल ...

“बुद्धन! मेरे भाई...., मेरी दाहिनी बाँह...! तू मुझसे ....वादा कर ...,कभी तू मेरे परिवार को ....न छोड़ेगा। ” टूटती साँसों के मध्य प्रभुदयाल अपने नौकर का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे वादा करवाना चाहता था।

“ नहीं मेरे मालिक, आपको कुछ न होगा। आप एकदम से ठीक हो जाएँगे। ”बुद्धन एकदम से घबरा गया था। वह वेग से आ रही रुलाई को भरसक रोकने का प्रयास कर रहा था। उसका हाथ एकदम से काँप रहा था। बगल में सिर के पास बैठे प्रभुदयाल की पत्नी जार -बेजार रो रही थी, वहीं उसका दस वर्षीय बेटा राहुल और तेरहवर्षीया बेटी सोनी का भी रोते-रोते बुरा हाल था। वे ‘बाबूजी- बाबूजी’ कहकर पछाड़ मार रहे थे।

“नहीं रोते बच्चों, अरे मैं न हुआ तो क्या हुआ, तेरी प्यारी- प्यारी माँ है..., तेरा बुद्धन काका है। चुप हो जा बेटा। सोनी ... पहले तू चुप हो। ” प्रभुदयाल अपने बच्चों को चुप कराना चाहते थे, पर बच्चे और दहाड़ मार कर रोने लगे।

“शांति !मैंने बुद्धन को ..एकदम नजदीक से जाना है... यह हमारे लिए हमसे.. तनिक कम नहीं है। इसे कभी तकलीफ.. मत पहुँचाना। तू ही रोएगी तो ...इन बच्चों का क्या होगा?”

“ भगवान के लिए आप चुप हो जाइए। आपको कुछ न होगा। ”शांति अपने पति को समझाने लगी।

“मरा घोड़ा.. घास नहीं खा सकता। शांति ,मुझे.. संतोष है कि तू मेरी ..एक अच्छी धर्मपत्नी है। ”

“ मालिक !हम अभी डॉगडर को बुलाए लाते हैं। आप अभी चंगा हो जाइएगा। ”बुद्धन जाने को उठ खड़ा हुआ ,पर उसके पहले जोर से रो दिया।

“देख..,तू भी जानता है ..मैं मरने वाला हूँ..,रो दिया न..। पर ऐसे करोगे.. तो मेरा परिवार कौन सँभालेगा? किस पर भरोसा करूँ.. मुझे चैन से.. मरने दो सभी। सभी चुप हो जाओ...। ” और उसी समय उसे एक जोर की हिचकी आई और वह हमेशा के लिए शांत हो गया। सभी उसकी लाश पर दहाड़ मारकर रो पड़े- रोते रहे, रोते रहे। बुद्धन भी। पर थोड़ी देर बाद उसने अपने आप को सँभाला। प्रभुदयाल द्वारा दी गई जिम्मेदारी का एक जबरदस्त भान हुआ। अपने आँसू पोंछे और बच्चों को सीने से लगा कर पुचकारने और शांत कराने लगा।

“राम नाम सत्य है” पड़ोसियों और परिचितों ने अर्थी उठा ली थी। चल पड़े सभी श्मशान घाट।

प्रभुदयाल की काम -क्रिया के बाद बुद्धन उस घर को प्रभुदयाल की तईं चलाने लगा। बच्चों की पढ़ाई- लिखाई ,खेती-बाड़ी सब पर पूरे मनोयोग के साथ ध्यान देता। प्रभुदयाल की पत्नी शांति अपने पति का गम कैसे भूल सकती है। आखिर पति पति होता है। पर घर -गृहस्थी की चिंता जाती रही थी। वह इन दो वर्षों में एकदम से समझ गई थी कि बुद्धन उसका घर -परिवार आजीवन अच्छी तरह से चला लेगा।

आज बुद्धन राहुल को देख कर डर, भय और गुस्से के मारे थरथराने लगा था। यह क्या देख रहा है वह। राहुल को उसने सिगरेट पीते पकड़ लिया था। हाय राम! इतना छोटा लड़का अभी से ...। उसने माथे पर का रखा बोझा पटक दिया और पूछ बैठा ,”ई आदत कहाँ से सीख गया? एक दिन और तो और मुँह महक रहा था। बोल ,कहाँ से सीख गया ई आदत? आज तक तोर बाबूजी ई सबसे दूर रहा। ” बुद्धन ने राहुल से डाँटकर पूछा।

कुछ देर चुप रहा राहुल। उसे बुद्धन की बात बहुत बुरी लगी। उसे लगा कि उसे घर का एक नौकर डाँट रहा है। “बोल, बोलते काहे न हो ?फिर करेगा ऐसा गलती?” राहुल कुछ बोलना ही चाहता था कि बुद्धन का उस पर दूसरा प्रहार पड़ा।

“हम जो करें उससे आपको क्या? आप होते कौन हैं मुझे डाँटने वाले?” राहुल ने यों प्रतिक्रिया प्रकट की।

‘तड़ाक!’ और एक थप्पड़ जड़ दिया बुद्धन ने राहुल को। राहुल अब गुस्से से पागल था। उसने उसका हाथ पकड़ लिया और मारने के लिए उस पर थप्पड़ तक उठा लिया।

“हाँ मारो ,रुका क्यों? यही न तोर बाप संस्कार दिया है ?”आज तक याद न है कि कभी प्रभुदयाल मालिक डाँटे भी हैं। ”बुद्धन के मनोबल को राहुल के व्यवहार ने मायूस कर दिया था। वह लगभग अंदर- ही- अंदर रो पड़ा था।

“तो आप मुझे एक नौकर होकर मार बैठिएगा। कह दिया यही कम था क्या?” राहुल पुनः प्रतिक्रियास्वरूप बोला।

“ तुम्हें एक नौकर ने मार दिया रे राहुल ?”

“ तुम्हें अपनी औकात का पता है रे बुद्धन ? तूने एक मालिक के बेटे पर हाथ छोड़ दिया?” बगल वाले खेत में काम कर रहे दो किसानों ने उसके सामने आकर क्रमशः कहा।

“ मालिक,बौआ सिगरेट पी रहे थे। आखिर यह बुरा बात है न। ” बुद्धन डर के मारे गिटपिटा पड़ा।

“ सिगरेट पिए ,चाहे शराब .. तुम्हें मारने- डाँटने का क्या हक है? तुमने गलती की है,चलो पाँच बार कान पकड़कर इसके सामने उठक - बैठक करो। ” एक ने सजा फरमाई।

“ मालिक !हम पाँच का दस बेर उठक-बैठक कर लेंगे, बाकी इनको आप समझा दीजै कि अब से अइसा गंदा काम नकरें। आखिर ई आपके गोतिया हैं न। ” बुद्धन ने अपनी बात कही।

“ठीक है ,तुम हमको मत सिखाओ। कान पकड़ो और करो पाँच बार उठा-बैठी। ” व्यक्ति ने सजा फौरन दोहराई।

“हाँ- हाँ और इसके साथ तुमको हाथ पर थूक गिराकर चाटना भी पड़ेगा। ” दूसरे ने उसे इस अपराध की ऐसी सजा सुनाई।

“गोर पड़ते हैं मालिक, जितना बेर चाहते हैं उठक -बैठक करवा लीजै, बाकी थूक मत चटवाइए ?” बुद्धन दोनों व्यक्तियों के आगे हाथ जोड़े गिड़गिड़ा रहा था।

“ न-न चटवाइए थूक विनय जी। रार होकर असराफ के बेटे को मार देगा। इसको तो माथ मुड़कर कालिख-चूना पोंत गदहा पर चढ़ा कर पूरे गाँव घूमाना चाहिए। ” पीछे से एक व्यक्ति ने और आकर अपनी तईं सजा सुनाई।

“अरे आप लोग गिटिर-पिटिर का किए हुए हैं? पहले तो इसको यहीं पर बाँध के मारिए ,बाकी बाद में जो होगा सो किया जाएगा। टूअर –टापर पर मोह नहीं आता है हरामी को और मारने के लिए बाप बन गया। ” भनक पाकर एक जाहिल और दबंग किस्म का आदमी आकर बुद्धन पर आग -बबूला था।

“हाँ- हाँ, बाप बनेगा यह आदमी। एक नहीं हजार बार, बार -बार। और किसकी मजाल है जो इनको छूकर भी देख ले। “ घर से दौड़ी- दौड़ी आई थी सोनी और बीच में घुसकर बुद्धन के आगे पीठ करके खड़ी हो गई थी। प्रभुदयाल की पत्नी शांति को इस बात की जानकारी एक मजदूर द्वारा मिल गई थी और उसने फौरन वहाँ पर अपनी बेटी सोनी को भेजा था।

“तुमको पता नहीं है सोनी, इसने तुम्हारे भाई पर हाथ छोड़ दिया है। ”उनमें से एक बोला।

“हाथ... अरे इसका तो हाथ तोड़ देना चाहिए। (राहुल को पीटते हुए) सिगरेट पीता है रे लोफर। बाप का नाम खिलाएगा, चुल्लू भर पानी में डूब मर। और आप लोगों को शर्म नहीं आती है ? जिसे धन्यवाद देना चाहिए ,उसे सजा फरमाते हैं। ” सोनी राहुल और उन लोगों पर गरज रही थी।

“तुम समझ नहीं रही हो सोनी। ” भींगी बिल्ली बनी भीड़ से एक आदमी बोला।

“हाँ, पहले आप सब की बात नहीं समझती थी। पर अब समझने लगे हैं हम। झूठ-मूठ की सहानुभूति जता आप सब हमें गर्त में डालना चाहते हैं। आप सबकी हमारे घर- परिवार पर बुरी और गलत निगाह रहती है। नाम के हैं सिर्फ आप लोग गोतिया और पड़ोसी। हम अब आप सब के झाँसे में नहीं आ सकते। हमारे लिए बुद्धन काका ही सब कुछ है। चलिए बुद्धन काका, ये आपका बाल- बाँका भी नहीं कर सकते, आपको माँ बुला रही है। ” कहती एक हाथ बुद्धन का और एक हाथ राहुल का पकड़े उस भीड़ से निकल पड़ी। सभी खिसियानी बिल्ली बने एक दूसरे का मुँह देख रहे थे।

शांति बुद्धन का और अपने बच्चों का दरवाजे पर खड़ी होकर बेचैनी से घर आने का इंतजार कर रही थी। राहुल उधर से ही माँ के डर के मारे रोता आ रहा था। आते ही वह माँ से माफी माँगने लगा। बुद्धन और अपनी दीदी से भी कई बार माफी माँगी। बुद्धन ने उसे अपने सीने में समा लिया - तब “बुद्धन काका, बुद्धन काका ” कहकर खूब रोया। माँ और दीदी भी रो पडीं।

आज बुद्धन बड़ा मस्त होकर खेत जोत रहा था – ‘आ ठामे,चल पट्ठा,आज पूरा खेत जोत देना है। पता है न कल सोनी बिटिया का लड़का देखने हमको अगुवाई में जाना है ? सवेरे में ही दुन्नो बखत का भोजन दे देंगे बेटा, बदमाशी किया तो बड़ी मार मारेंगे। ’ बुद्धन अपने बैलों से बतियाते हुए उन्हें ललकार रहा था और बैल भी जैसे उसकी बात सुन रहे थे। अब उसने एक गीत छेड़ दिया, “आई गइले बरखा बहार मोर धनियाँ तब तो झूमे लागल मनमाँ हमार...। जियो बेटा, गाना सुनकर तुमको भी ताव आ गया न। अरे खेती - गिरहस्ती चीजे अइसा है। देखो तो कैसा सुहाना मौसम किए हुए है। ‘हथवा में खइया लेके मथवा पे पनिया कि...। ” बुद्धन का बेदाग़ स्वर दूर-दूर तक हवा में उड़ कर जा रहा था। कुछ दूरी पर खेत जोत रहा एक मजदूर दिल्लगी छेड़ता है, “का हो बुद्धन कक्का आज मलकिनिया कुछ विशेष खिआ दिया है का ? अरे तोरे तो मजा है कि नौकर से ...। ” स्पष्ट बात नहीं सुन पाया उसकी बुद्धन, पर उसका ध्यान अवश्य उस पर खींचा गया, “ का रे करीमना, अभी केतना बाकी है जोतना ? आओ न जरा एक नंबर के खैनी खिलाते हैं। ”

करीमना ने उसी समय बैलों को ‘हौ रह’ कहा और बैल रुक गए। उसने अपने पास वाले मजदूर को आवाज दी, “ चल लगना, तनी खैनी - वैनी खाया जाए, बुधन कक्का एक नंबर के खैनी के लिए बुला रहे हैं। ” “अरे तो बुद्ध कक्का न एक नंबर के खैनी खाएँगे तो और कौन ? उनके तो राज है। ” जवाब दिया और वह भी बैलों को रोक चल पड़ा। दोनों पहुँच गए बुद्धन के पास।

“गोर लागी बुद्धन क्का, करीमना बताया कि आप एक नंबर के खैनी खिलाने वाले हैं ? “लगना बोला।

“हाँ-हाँ रे लगना, एकदम मस्त कर देगा। बस एक खिल्ली खाओ और पूरा खेत जोत डालो। ” बुद्धन पुरानी खुशी में ही बोला।

“अरे जेक्कर मलकिनिए एतना मस्त है, ओक्कर हाथ के देल खैनी काहे नहीं मस्त होगा। ” करीमना ने अपना पुराना भाव ही जारी रखा। बुद्धन का दिल करैला हो गया, उसकी भृकुटि चढ़ गई, “का बोला, एक बार और बोल के देखो तो ...?”

“ही! ही !ही! मजा आया न बुद्धन क्का ? अरे हम तोर मलकिनिया के बारे में बोल रहे थे। खूब मजा उड़ा रहे हैं न?” करीमना ने

बुद्धन का भाव न समझा था और अपने पहले वाले भाव में ही बोल दिया था। बस क्या था- तेजी पूर्वक उठ बुद्धन और करीमना की गर्दन पकड़ ली ,”हरामी! उनके बारे में आगे एक शब्द भी बोला तो खून पी जाएँगे। देवी जैसा औरत को ऐसा बात बोलते तेरी जीभ न गिर जाता है। मोह नहीं आता है बेचारी मोसमात पर। अरे ऊ तो मुझे बेटा जैसन मानती है। ”

करीमना ने किसी तरह करके अपनी गर्दन छुड़ाई। लगना भी लड़ाई छुड़ाने में साथ था। वह भी काफी डर गया था। साँस नियंत्रित हुई तो करीमना बोला ,”आखिर एतना ताकत कहाँ से आ गया रे बुढ़वा। दूध -मलाई खा -खाकर ओक्कर मरद बन गया है और दू बात हम बोल दिए तो मिचाई लग गया। हम का, ई बात तो पूरा गाँव कहता है। ”

“लुच्चन के और करना ही का है? अपन घर में तो झाँक के देखेगा नहीं और दूसरा के घर में झूठ-मूठ के हुलकते रहेगा। जो रे भठियारा, गलती किए, जो तोरा आवाज दे दिए। कर लिए हम सब कुछ गुर- गोबर। ”क्षुब्ध दिल से उठा बुद्धन और पिनपिनाते हुए बैलों को खोलकर चल दिया। धीरे-धीरे गलियाते अब बुद्धन के कुछ दूर चले जाने पर उसे करीमना और लगना जी भर जोर-जोर से गलियाने लगे। कुछ डर भी लग रहा था कि ऐसा न हो गाली सुनकर बुद्धन फिर पलट बैठे। बुद्धन इधर हल्का भी न ताका।

बैल पहले से ही नाँद पर आ गए थे। वे नाँद में बचे थोड़े -बहुत भूसे को उलट-पुलट कर खा रहे थे। बुद्धन भी अब पहुँच गया था। वह लोगों के चरित्र पर बड़ा दुखी था। हल- बैलों को कंधे से उतारकर दालान के बाहर रख दिया। फिर सानी चलाने वाली हाँड़ी लेकर घर के अंदर की ओर बढ़ा। वह ड्योढ़ी में पहुँचा ही था कि उसे आँगन से कुछ औरतों का हल्ला- गुल्ला सुनाई पड़ा। कभी-कभी मालकिन का भी। वह वहीं ठिठककर सुनने लगा।

“भतार रखे हुए हो ?यही सब कारण से भाईजी ई दुनिया छोड़ चले। ”एक पड़ोसिन की आवाज थी।

“ठीके कह रही हो बसमतिया के माय। इहे हुक से बेचारा मर गया। फिर भी ई सुधर नहीं रही। नौकर को मरद बनाए हुए है। ” यह एक अन्य पड़ोसन थी।

“आ उसमें भी इस नौकर की हिम्मत तो देखो कि एक मालिक के बेटे को थपड़ा दिया। ”येह एक पढ़ी-लिखी महिला बोली थी।

“ई सबसे रार सबका मन बढ़ेगा और उ सब असराफ को कुछ न समझेगा। हम सबको कुछ- न -कुछ तो करना ही पड़ेगा। ” यह एक मौगा किस्म का पड़ोसी आदमी था।

“हाँ, करना इहे पड़ेगा कि बुधना को कइसहूँ ई घर से निकाल दें। अगर अइसा न हुआ तो हम सब पर भी इसका असर पड़ेगा। ” एक अन्य महिला का फरमान था। इन सब आवाजों के बीच बुद्धन को अब सिर्फ उसकी मालकिन का रोना सुनाई पड़ रहा था। वह ड्योढ़ी में ही हाँड़ी पर हाथ रखे नीचे सिर कर रोने लगा। तब से चुप लगाए और मात्र सिसकती सोनी अब दुर्गा बन गई थी। वह लोगों पर दहाड़ पड़ी, “ और भी कहना है आप लोगों को कुछ ? कहते लाज - शर्म नहीं आती। जले पर नमक छिड़कते हैं। आग लगे पर पेट्रोल डालते हैं। सुन लीजिए सभी कान खोलकर बुद्धन काका इस घर के मालिक थे और मालिक रहेंगे। उनका कोई बाल - बाँका भी नहीं कर सकता। मैं अनपढ़ नहीं हूँ। ज्यादा कीजिएगा तो आप सबका पुलिस से बहुत कुछ भी करवा सकती हूँ। ख़ैरियत चाहते हैं तो अभी निकलिए सब लोग मेरे घर से। ” सोनी की यह बात लगभग लोगों को सहमा देती है, पर एक हिम्मत करके बोलती है ,“ रंडी का बेटी और का होगी। इसको भी तो ...। ” वह आगे कुछ बोलना ही चाहती थी कि घर में पड़ी लाठी उठाकर सोनी मारने को तैयार हो जाती है, “ हाँ- हाँ , हम सब कुछ हैं, हमें तुम्हारे सिंबल की जरूरत नहीं। निकलो, भागो सब अभी यहाँ से...। ” और आपस में फुसफुसाते स्वयं को बचाते धीरे-धीरे सब खिसक पड़ते हैं। उनके चले जाने के बाद शांति फूट-फूट कर रोने लगती है। सोनी को भी उसके गले लिपट दहाड़ मारकर रोने का जी होता है, पर अपने को घोर काबू में करती है , “माँ! अब पहले वाला समय सिर्फ रोने का नहीं रहा। हमें मुकाबला , प्रतिकार और संयम की जरूरत है। ये कुत्ते -कुतियाँ हैं ,सिर्फ भौंकने वाले। ”और अपार बल पा माँ उठकर सोनी को गले लगा लेती है। अब माँ के साथ सोनी भी रोने से नहीं बची। और, इधर न जाने कब बुद्धन ड्योढ़ी से कहीं के लिए लापता हो गया था।

बुद्धन जब खुद से दुखी होता है अपने एकमात्र मिट्टी के टूटे- फूटे घर में आकर सो जाता है। आज भी जब अपने घर में निराश होकर लेटा था तो टॉर्च की रोशनी पाकर उठ बैठा। सामने सोनी और उसकी माँ को पाया। “काका! चलिए, अभी तक आपके कारण हम भी भूखे हैं। ”सोनी बुद्धन का हाथ पकड़कर उठाने लगी। प्यार में भरकर बुद्धन भक्ति सुबकते- सुबकते रोने लगा। एक बेटी की तरह चुप कराने लगी सोनी। फिर सोनी द्वारा ले चलने पर बुद्धन यंत्रवत चल पड़ा।

आज सोनी का विवाह हो रहा है। वातावरण में उल्लास है। सभी तैयारी में व्यस्त नजर आ रहे हैं। एक- दो पड़ोसियों को छोड़कर सब लगे -भिड़े हैं , हित - संबंधी भी। बुद्धन को तो नाक में दम है। पूरी जिम्मेदारी और व्यवस्था उसी पर। रुपए - पैसों से लेकर सारी लेन-देने वही देख- समझ रहा है। बारात आई। दरवाजा लगा। नाश्ता -पानी -भोजन सब अच्छा से और चकाचक से चल रहा था। इधर पंडित जी विवाह करवा रहे थे। जब बात कन्यादान करने की आई ,तो मंडप में सन्नाटा पसर गया। सभी की नजरें लड़की की माँ पर टिक गईं।

मौसा- फूफा सभी खुद को देखने लगे। पर एक मिनट भी विलंब न किया लड़की की माँ ने। सोनी की कसम दे तुरंत तैयार करवा लिया बुद्धन को। और बुद्धन एक बाप की तरह रोता हुआ, रोती हुई अपनी सोनी बिटिया का कन्यादान कर रहा था।

डा. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज

शेखपुरा,खजूरी,नौबतपुर,पटना -801109

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी // बुद्धन काका // डॉ. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज
कहानी // बुद्धन काका // डॉ. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZzq3Q13MnBvH0jbBZaBR84JYNi4uUT-C73QM0ASTxE-V3Kml7QBlFTqssD7O8F2UZB94EoBvB8_Vltak0JBbQUWx4TUyY0MpnZ8LgfY6vbhOIRJDiY-VOoPv6jcOuj1YRWNPv/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZzq3Q13MnBvH0jbBZaBR84JYNi4uUT-C73QM0ASTxE-V3Kml7QBlFTqssD7O8F2UZB94EoBvB8_Vltak0JBbQUWx4TUyY0MpnZ8LgfY6vbhOIRJDiY-VOoPv6jcOuj1YRWNPv/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_68.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_68.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content