अध्ययन सामग्री - कहानी – कब्र का मुनाफा - तेजेंद्र शर्मा // डॉ. जयश्री सिंह

SHARE:

डॉ. जयश्री सिंह सहायक प्राध्यापक एवं शोधनिर्देशक, हिन्दी विभाग, जोशी - बेडेकर महाविद्यालय ठाणे - 400601 महाराष्ट्र कहानी – ७ कब्र का मुनाफा...

डॉ. जयश्री सिंह

सहायक प्राध्यापक एवं शोधनिर्देशक, हिन्दी विभाग,

जोशी - बेडेकर महाविद्यालय ठाणे - 400601

महाराष्ट्र


कहानी – ७ कब्र का मुनाफा - तेजेंद्र शर्मा

लेखक परिचय :- तेजेंद्र शर्मा द्वारा लिखी गई कहानी ‘कब्र का मुनाफा’ दो पाकिस्तानी परिवारों की कथा है। ये इंग्लैंड में अपने अपने परिवार के साथ रहते हैं। खलील और नजम दोनों में गहरी दोस्ती है। खलील को सिगरेट की बुरी लत है तो नजम को शराब की। लेकिन इन दोनों की यह आदतें दोनों के दोस्ती के कभी आड़े नहीं आती। खलील की बीवी नादिरा है जो फिल्मी सितारों और उनके फिल्मों की बहुत शौकीन है लेकिन पाकिस्तानी फिल्मों नहीं बल्कि भारतीय फिल्मों की। क्योंकि वह दिल्ली में पली बढ़ी है। खली की पत्नी नादिरा है जो शादी से पहले हिंदुस्तान में रहती थी। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए.पास है। वह नौकरी करना चाहती है लेकिन खलील बिल्कुल कट्टर मुस्लिम पंथी पाकिस्तानी मुसलमान है। जिसके कारण वह नादिरा को इस काम की इजाजत नही देता है।

कहानीकार ने यह प्रस्तुत किया है कि दोनों विदेश हैं उनके पास अपना खुद का मकान तथा गाड़ी है उन्हेंखाने पीने की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें खुद का कारोबार करना है। वह अपना सब कुछ पहले से ही व्यवस्थित करके रखना चाहते हैं। यहां तक कि दफन होने के लिए कब्र भी। इसी कथ्य को आधार बनाकर यह कहानी प्रस्तुत है।

कहानी की कथावस्तु :- ‘कब्र का मुनाफा’ इंग्लैंड में रहने वाले दो पाकिस्तानी परिवारों की कहानी है। कहानी का परिवेश बिल्कुल विदेशी है। क्योंकि कहानी के सारे पात्र इंग्लैंड में रहते हैं। सभी पात्र पढ़े लिखे हैं। दोनों पात्र खलील और नजम यूरोप की कंपनियों में काम करते हैं। खलील जब इस कंपनी में आया था तो बिल्कुल युवा अफसर बनकर। खलील और नजम ने अपने-अपने घरों में अपना दबदबा बनाकर रखा है। वे अपनी बीवियों को किसी मामले में बोलने नहीं देते। खलील अपनी पत्नी नादिरा को इतने दबाव में रखता है कि वह बिल्कुल शांत और चुप सी रहती है। खलील और नजम दोनों ने अभी से ही अपनी बीवियों के लिए कब्रें बुक कर रखीं हैं। नादिरा को जब इस बात का पता चलता है तो वाज नाराज हो कर करती है कि “घर को कब्रिस्तान बना रखा है यह कम था क्या जो बाहर भी कब्र बुक कर आये।“ नादिरा और आबिदा दोनों भी उनकी इन हरकतों से परेशान है लेकिन आबिदा को इस खबर से इतना फर्क नहीं पड़ता जबकि नादिरा कब्रों की अडवांस बुकिंग की बात से परेशान हो जाती है।

नजम और खलील दोनों 33 साल से यूरोप की कंपनियों में काम करते हैं। खलील ने अपनी मेहनत और अपने से कंपनी को यूरोप की फाइनेंसियल कंपनियों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।

वे चाहते हैं कि उनकी खुद की कोई कंपनी हो या काम हो जिससे लोग उन्हें मरने के बाद भी याद करें। मरने की बात सुनकर नजम, खलील से कहता है “भाई! आपने कब्र बुक कर ली है या नहीं? देखिए उस कब्रिस्तान की लोकेशन, उसका लुक और माहौल एकदम यूनिक है…. अब जिंदगी भर तो काम, काम और काम से फुर्सत नहीं मिली। कम से कम मरकर तो चैन की जिंदगी जिएंगे।”

इंसान जब तक जिंदा रहता है वह जीवन के हर ऐशो आराम ढूंढता है। वह सोचता है कि ऐसा क्या करूं की आलीशान जिंदगी जीने के लिए मुझे हर चीजें मिले। लेकिन यहां तो खलील और नज़म को मरने के बाद भी कब्रिस्तान का सारा माहौल एकदम यूनिक चाहिए। अब मरने के बाद क्या होगा यह कौन जानता हैं? खलील एकदम कट्टर शिया मुसलमान है। उसके मरने के बाद भी उसके आस-पास में कोई सुन्नी और ना ही कोई टोपी वाला गुजराती चाहिए। बल्कि वह सोचता है कि शिया लोगों के लिए कोई अलग से कब्रिस्तान हो। अचानक नजम खलील को किसी नई स्कीम के बारे में बताता है। कार्पेण्डर्स पार्क जिसमें 10 पाउंड महीने की प्रीमियम पर इंसान को शान से दफनाने की अपनी पूरी जिम्मेदारी ली जाती है। खलील को लगता है जो वह सोचता है वो सही है बाकी सब गलत इसलिए दोनों इस स्कीम का फायदा उठ कर अपनी बीवियों को बिना बताए कब्रें बुक करवा लेते हैं। खलील, नजम से पूछता है “उनकी कोई स्कीम नहीं है जैसे बाई वन गेट वन फ्री।” वह कहता है अगर ऐसा है तो हम अपने बेटों को भी शामिल कर सकते हैं। खलील जो बेटे को बिजनेस के लिए पैसे नहीं देना चाहता वही अपनी कट्टर विचारधारा के चलते बेटे के जीते जी उसके लिए कब्र बुक करवाने की सोचता है।

खलील की बीवी नादिरा भारत से है इसलिय खलील नादिरा से बहुत चिढ़ता है। नजम को भारत को कोई चिढ़ नहीं। वो कहता है कि उसे हिंदुस्तान छोड़े 40 साल हो गये लेकिन लाहौर अब भी उसे अपना नहीं लगता। जबकि खलील के मन में भारत व हिन्दुओं के प्रति इतनी चिढ़ है कि उसका बस चले तो हिंदुओं को एक कतार में खड़ा करके गोली मार दे।

आबिदा और नादिरा सोचती है कि उनके पतियों के पास उनको देने के लिए समय नहीं है। वह उन्हें घर के खर्चे के लिए पैसे देते हैं लेकिन उसका पूरा पूरा हिसाब किताब रखते हैं। आबिदा तो अपने नादिरा आपा के पास अपना सारा रोना रो लेती है लेकिन नादिरा अपना हर दुख दर्द अपने सीने में दबाए रखती है।

खलील के साथ रोज की गाली गलौज और कभी कभार तो मारपीट पर भी। किन्तु नादिरा पर इसका कोई असर नहीं होता। इस तकलीफ को वो एक स्थायी हंसी के पीछे छुपाए रखती है। खलील को नादिरा की इस बात से भी परेशानी होती थी।

एक घटना का जिक्र करते हुए लेखक लिखते हैं कि नादिरा और खलील एक दिन किसी महफ़िल में गए। वहां डेमोक्रेसी की बात छिड़ी और नादिरा ने भारत के प्रजातंत्र की तारीफ कर दी। खलील उस पर गुस्से से वही फट पड़ा। उसने नादिरा को तलाक तक देने को कह दिया। महफिल में कब्रिस्तान जैसी चुप्पी छा गई। घर पर भी कब्रिस्तान पहुंच चुका था। वैसे नादिरा खलील के पत्र छूती नहीं क्योंकि वह जानती है कि उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लेकिन पत्र पर श्री एवं श्रीमती लिखा था तो उसे लगा ये निमंत्रण पत्र होगा और पत्र खोला तो दंग रह गई। पहले से ही कब्रिस्तान बुक करने का मतलब वह कुछ समझ नहीं पाई। क्या उसका घर एक जिंदा कब्रिस्तान नहीं।

खलील को इस बात का गर्व रहता है कि उसने अपने परिवार वालों को जमाने भर की सुविधाएं मुहैया करवाई है। वह चाहता है कि नादिरा इसके लिए उसकी कृतज्ञ रहे। नादिरा नें खलील से पूछा आपने अभी से कब्रे क्यों बुक करवा ली है? और वह भी इतनी दूर? “ भई एक बार लाश रॉल्स राइस में रखी गई तो हैम्पस्टैंड क्या और कार्पेण्डर्स पार्क क्या। यह कब्रिस्तान जरा पॉश किस्म का है फाइनेंसियल सेक्टर के हमारे ज्यादातर लोगों ने वहीं दफन होने का फैसला लिया है। खलील कहता है कम से कम मरने के बाद अपने स्टेटस के लोगों के साथ रहेंगे।”

नादिरा का कहना था कि मरने के बाद तो शरीर मिट्टी ही है फिर उस मिट्टी का नाम चाहे अब्दुल (कामवाला) हो नादिरा या फिर खलील। नादिरा का कहना था कि मरने के बाद तो सब को दफन होना ही है तो इसमें अपने जैसे क्या और मोची या पलंबर क्या? सब को तो एक ही मिट्टी में मिलना है।

नादिरा, खलील से कहती है कि वह न उसे किसी फाइव स्टार कब्रिस्तान में दफन होने देगी और ना खुद होगी। आप ऐसी सोच से बाहर आइए। दूसरे दिन नादिरा, आबिदा को फोन करती है और उसका हाल लेती है। इतने में आबिदा फिल्मी हीरो की खबरें उसे सुनाने लगती हैं। नादिरा उसे कहती है- तुम फिल्मी दुनिया से बाहर आओ और हकीकत की दुनिया देखो। क्या तुम्हें कार्पेण्डर्स पार्क के कब्रिस्तान की बुकिंग के बारे में पता है? आपा हमें क्या फर्क पड़ता है वह एक के बदले चार-चार बुक करें और चारों में रहे। जब जीते जी उन्हें साथ-साथ बेडरूम का घर कम पड़ता है तो क्या मरने के बाद 2 गज जमीन काफी होगी इन के लिए।

आबिदा अपने और नजम के रिश्ते के बारे में बताते हुए कहती है वह 4 साल से बुश्रा के साथ वक्त बिता रहे हैं। और हमारा रिश्ता तो भाई-बहन जैसा हो गया है। नादिरा का जी धक्क से कर गया कि पिछले 5 साल से ऐसा ही रिश्ता उसका और खलील का है। वह कहती है कि क्या यह जो कर रहे हैं वह ठीक है।

आबिदा कहती हैं आपा मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता। मरने के बाद कौन कहां दफन होता है लेकिन नजर मुझसे पहले मरे तो उन्हें गरीब कब्रिस्तान में ले जाकर दफन करूंगी। अगर मैं पहले मर गई तो फिर बचा ही क्या?

लेखक कहते हैं कैसी सोच लेकर यह जीते हैं। इंसान अभी जिंदा है लेकिन उनके लिए कब्रे पहले से आरक्षित हैं। इस बात को बीते साल भर हो चुके थे। अब दोनों फिर से किसी नए धंधे के बारे में सोचने में जुट गए और इस विषय को भूल गए।

लेकिन कार्पेण्डर्स पार्क को नहीं भूला था। चिट्ठी आई जिसमें लिखा था मुद्रा स्फीति के साथ-साथ मासिक किस्त में भी पैसे बढ़े हैं। इतना देखते ही नादिरा का खून खौल उठता है। खलील और नजम बेडरूम में शराब के घुट और सिगरेट के कश के साथ अपने नए काम के बारे में सोचते विचारते रहते हैं। इतने में नादिरा भुनभुनाते हुए कमरे में जाती है और खलील से फोन करके कैंसिल करने को कहती है, तो वह कहता है कि कैंसिलेशन चार्ज अलग से लगेंगे। क्यों नुकसान करवाती हो? वह कहती है तो ठीक मैं ही फोन करती हूं। उसकी भरपाई मैं खुद कर दूंगी नादिरा गुस्से में नंबर मिलाती है। सिगरेट का धुआं कमरे में एक डरावना माहौल पैदा करता है। फोन लग जाता है और वह अपना रेफरेंस नंबर देकर बात करती है।

खलील और नज़म बेबस और परेशान है। नादिरा थैंक्स कहकर फोन रख देती है। वह खलील से कहती है कि हमने कैंसिलेशन का ऑर्डर दे दिया है। उनका कहना है कि आपने साढ़े तीन सौ पाउंड एक कब्र के लिए जमा कराए हैं और यानी कि दो कब्र के सात सौ पाउंड और अब इन्फ्लेशन की वजह से उन कब्रो की कीमत बढ़कर 1100 पाउंड यानी कि आपको कोई 400 पाउंड का लाभ हो रहा है।

खलील चौंक जाता है – “चार सौ पाउंड का फायदा, बस साल भर में….” कब्र के इस नए धंधे की बात तुरंत उसके दिमाग में कौंध जाती है उसकी उसकी आँखें चमक उठती है क्योंकि अब उन्हें नया धंधा मिल गया है।

निष्कर्ष :- तेजेंद्र शर्मा द्वारा रचित कहानी “कब्र का मुनाफा” कब्र की अडवांस बुकिंग से प्रारंभ होती है और वही समाप्त भी होती है। खलील और नजम गहरे मित्र हैं और दोनों पाकिस्तानी है, लेकिन इंग्लैंड के रहने वाले हैं।

खलील का स्वभाव ऐसा है कि वह शिया मुसलमान के अलावा हर धर्म के इंसान से चिढ़ता है इसीलिए उसने अपने मरने से पहले ही कब्रे अपने स्तर के लोगों के साथ बुक की हैं, ताकि उसके पास मोची प्लंबर की कब्रे न हों। खलील सब कुछ अपने कंट्रोल में रखना चाहता है, चाहे उसके बीवी-बच्चे हो या फिर कंपनी के क्लर्क। उसे अपनी पत्नी से भी चिढ़ है क्योंकि वह हमेशा हिंदुस्तान के पक्ष ने बात करती है। खलील को ऐसा लगता है जो वो करती है वही सही है। अचानक जब नादिरा कब्रे कैंसिल करने को कहती है तो खलील कहता है कैंसिलेशन से नुकसान हो जायेगा। लेकिन यह कहकर कब्रे कैंसिल करती है कि उसकी भरपाई वह खुद कर देगी। जब बाद में कैंसिलेशन के बाद पता चलता है कि अब इन्फ्लेशन की वजह से कब्रो की कीमत सात सौ पाउंड से बढ़कर ग्यारह पाउंड हो गयी है यानि कि कुल चार सौ पाउंड का मुनाफा हो गया है।

सन्दर्भ सहित व्याख्या : -

“देखिए मैं पाकिस्तान में कोइ धंधा नहीं करूँगा. एक तो आबिदा वहाँ जाएगी नहीं, दूसरे अब तो बुश्रा का भी सोचना पड़ता है, और तीसरा यह कि अपना तो सारा मुल्क ही कर्प्तिओं का मारा हुआ है इतनी रिश्वत देनी पड़ती है कि दिल करता है सामने वाले को चार जूते लगा दूँ ऊपर से नीचे तक सब करप्ट अगर हम दोनों को मिल कर कोइ काम शुरू करना है तो यहीं इंग्लैंड में रह कर करना होगा।“

संदर्भ :- प्रस्तुत गद्यांश बी.ए.भाग प्रथम के पाठ्य पुस्तक “कब्र का मुनाफा” नामक कहानी से लिया गया है। इसके लेखक “तेजेंद्र शर्मा जी” हैं। इस कथा में लेखक ने विदेश में रहने वाले दो मुसलमान परिवारों के बारे में वर्णन किया है। विदेश में होते हुए भी इनके पास वह सब कुछ है जो अच्छा जीवन जीने के लिए चाहिए होता है, लेकिन इन्हें अपना खुद का कारोबार करना है, ताकि मरने के बाद भी इन्हें सब याद करें।

प्रसंग :- लेखक ने यह कहानी भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भारत से पाकिस्तान जाकर बसने वाले दो मुसलमान परिवारों के बारे में लिखी है, जो अब विदेश (इंग्लैंड) में रहते हैं। खलील और नजम ने अपने जीवन के 33 साल यूरोप की कंपनियों में होम कर दिया। लेकिन अब वे चाहते हैं कि उनका खुद का कोई कारोबार हो। इसी का वर्णन इस कहानी में किया गया है।

व्याख्या :- खलील और नजम दोनों ड्राइंग रूम में बैठकर योजना बनाते हैं कि क्या काम और कहां किया जाए। पूरे लंदन में एक नजम ही है जो खलील के घर शराब पी सकता है और एक खलील ही है जो नजम के घर सिगरेट पी सकता है। लेकिन दोनों अपना-अपना नशा खुद साथ लाते हैं- सिगरेट भी और शराब भी।दोनों अपने बीवी बच्चों को अपना समय देने के अलावा सब कुछ देते हैं।

नजम, खलील से कहता है कि देखिए भाई साहब मैं पाकिस्तान में काम नहीं करुंगा। क्योंकि उसकी पत्नी भारत में पढ़ी-लिखी और वही की रहने वाली है, तो वह पाकिस्तान में बिल्कुल नहीं रहेगी। और दूसरी तरफ वह दूसरी औरत बूश्रा है जिससे उसका (नजम) का संबंध है, वह इंग्लैंड में रहती है। नजम, खलील से यह भी कहता है कि दूसरा हमारा मुल्क भी तो करप्शन से भरा हुआ है। वह गुस्से में यह भी कहता है कि इतनी रिश्वत देनी पड़ती है, दिल तो करता है सामने वाले को चार जूते लगा दूँ। ऊपर से लेकर नीचे तक सब के सब करप्ट।

नजम का स्वभाव खलील से अलग है वह अगर कुछ गलत है तो निष्पक्ष बोलता है चाहे वह उसके ही मुल्क के बारे में क्यों ना हो। लेकिन खलील, नजम से बिल्कुल अलग है। वह रहता जरूर इंग्लैंड में है लेकिन वह बिल्कुल अपने मुल्क के ही पक्ष में रहकर बोलता है।

फिर नजम सब कुछ सोचने, बताने और समझने के बाद कहता है कि अगर हमें कोई काम करना है तो मिलकर यही करना होगा।

विशेष:- कहानी का पूरा वातावरण विदेश का है। पात्रों के बोलचाल की भाषा में उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग हुआ है। कहीं-कहीं पर खलील द्वारा अभद्र शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। कहानी प्रारंभ ही होती है कब्र से और अंत भी कब्र पर होता है। धर्म और धंधा दोनों के प्रति खलिल के विचार प्रस्तुत करना कहानी का उद्देश्य है।

बोध प्रश्न :-

१) ‘कब्र का मुनाफा’ कहानी के परिवेश पर प्रकाश डालिए।

२) कहानी के माध्यम से खलील और नजम के संवादों की चर्चा कीजिये।

एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-

१) खलील जैदी और नजम जमाल कहाँ रहते हैं?

उत्तर :- खलील जैदी और नजम जमाल इंग्लैंड में रहते हैं।

३) खलील और नजम को कौन सी बुरी लत थी?

उत्तर :- खलील को सिगरेट और नजम को शराब पीने की बुरी लत थी।

४) खलील और नजम ने कब्रें कहाँ बुक करवायीं थीं?

उत्तर :- खलील और नजम ने कब्रें कार्पेंड्स पार्क में बुक करवायीं थीं।

५) कब्रें कैंसिल करवाने पर उन्हें कितने पाउंड का फायदा हुआ?

उत्तर :- कब्रें कैंसिल करने पर उन्हें कुल चार सौ पाउंड का फायदा हुआ।

६) ‘कब्र का मुनाफा’ कहानी के रचनाकार का नाम लिखिए।

उत्तर :- ‘कब्र का मुनाफा’ के रचनाकार तेजेंद्र शर्मा जी हैं।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अध्ययन सामग्री - कहानी – कब्र का मुनाफा - तेजेंद्र शर्मा // डॉ. जयश्री सिंह
अध्ययन सामग्री - कहानी – कब्र का मुनाफा - तेजेंद्र शर्मा // डॉ. जयश्री सिंह
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEscQs67-xMh9USPAnGCIJon9Go7IXuO46aoiPwQCve3Xl4atzqkv6_NJman_OSPcjpr0DPfhCNbwSsBrFd6i8BIk-WRQP10ziG_Qh1OkJw8HkLeLBLQxXQgqFcoZxpYt5LBFh/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEscQs67-xMh9USPAnGCIJon9Go7IXuO46aoiPwQCve3Xl4atzqkv6_NJman_OSPcjpr0DPfhCNbwSsBrFd6i8BIk-WRQP10ziG_Qh1OkJw8HkLeLBLQxXQgqFcoZxpYt5LBFh/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_16.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_16.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content