अजय वर्मा स्वतंत्रता अलगाव के बहुत अहसास है धर्म की आड़ है पंथों के दर्शन है मान्यताओं के भेद है वादों के सिद्धांत हैं अलगाव के बहुत...
अजय वर्मा
स्वतंत्रता
अलगाव के बहुत अहसास है
धर्म की आड़ है
पंथों के दर्शन है
मान्यताओं के भेद है
वादों के सिद्धांत हैं
अलगाव के बहुत अहसास है
उम्र के बंधन है
रिश्तों के नाम है
साधनों के जश्न हैं
अभावों के दर्द हैं
अलगाव के बहुत अहसास है
आस पाने की है
डर खोने का है
हकों की मांग है
हितों का सवाल है
अलगाव के बहुत अहसास है
अज्ञान का अंधेरा है
ज्ञान का प्रकाश है
विचारों का अंतर है
विश्वासों का प्रश्न है
अलगाव के बहुत हैं अहसास
भाषा की दूरी है
नस्ल की मजबूरी है
परंपरा की कहानियाँ
अतीत की दुहाई है
अलगाव के बहुत अहसास है
जाने है अनजाने है
दोस्तों की बात है
गुरू का कहना है
रहना इनके ही साथ है
बहाने अलगाव के
बहुत सारे है
आओ
अलगाव के अहसासों
के साथ
सीखें जीना
मिलकर रहेंगे
स्वतंत्र रहेंगे
हम भी दूसरे भी रहे
स्वतंत्र ऐसा
करे संकल्प
आओ
मिलकर करे
तिरंगे को नमन
अजय वर्मा
ई-101/9,
शिवाजी नगर
भोपाल 462016
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"अंकुर" :डाक्टर चंद जैन
मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
१
मैं साक्षी हूँ हर युग का और वसुधा की पुण्य धरा हूँ
मैं रघुकुल रघुवंश राम का राष्ट्र भूमि हूँ
अश्वमेघ से एक राष्ट्र का मैं निर्माण करूँ
रामसेतु हूँ शौर्य जगाने मैं अभियान करूँ
राम राज्य में मातृभूमि का मैं अभिनन्दन हूँ
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
२
मैं वेदों और जिन वाणी ,का एक ,एक अक्षर हूँ
मैं तीर्थंकर के पावन रज़ का समग्र चेतना हूँ
मैं परम ज्ञान और जिन दर्शन का बोधि वृक्ष हूँ
मैं गुरुद्वारा और सनातन संस्कारों की नाभि सूत्र हूँ
मैं सूफ़ी संतों और फकीरों का सम्मान करूँ
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
३
मैं ऋषि वैज्ञानिक के अन्वेषण की ज्ञान पिपासा हूँ
आर्य भट्ट और कणाद की ,सांख्य पताका हूँ
रामानुज के ज्ञान चक्षु की मैं अभिलाषा हूँ
मैं गुरुओं की मातृभूमि
मैं विकसित मानव की परिभाषा हूँ
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
४
मैं कृष्ण का पांचजन्य हूँ और सुदर्शन हूँ
अर्जुन और एकलव्य का गुरु आराधन हूँ
मैं वाल्मिकी और तुलसी की रामायण हूँ
मैं कबीर के दोहे का शब्द बाण हूँ
मैं सूर के कृष्ण भक्ति की दृश्य प्राण हू
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
५
मैं चाणक्य के कूटनीति का धर्म धरा हूँ
श्री रामदास के शिष्य शिवा का मातृ वंदना हूँ
मैं राणा के चेतक का स्वामी भक्ति हूँ
मैं झाँसी की रानी का अपूर्व शक्ति हूँ
मैं पूर्वज के गुणसूत्र की पावन धारा हूँ
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
६
विवेकानन्द के युवा क्रांति का मैं संचालक हूँ
आज़ाद ,भगत सिंह और खुदी का इंकलाब हूँ
गाँधी ,सुभाष और पटेल का मैं आभारी हूँ
अशफाकउल्ला और बिस्मिल का राष्ट्र इबादत हूँ
मैं आज़ादी के दीवानों की रक्तिम आभा हूँ
मैं बंकिम की वन्देमातरम , दिव्य गान स्वर हूँ
मैं भारत हूँ,हिंदूनाद हूँ एक सनातन हूँ
७
मत बांटों मैं राष्ट्र भूमि हूँ
मत बंट जावो तुम मेरे वंशज हो
मत बांटो तुम रक्त एक हो
एक तिरंगा को मत छेड़ो
गद्दारों के कारण मैंने अब तक जो भी खोया है
जागो यौवन जागो तुमको ,सब कुछ वापस लाना है
मैं न रहूँगा तो क्या ?तुम रह पावोगे
वक्त आ गया अब तो जागो
जागो जनपथ मिटटी में मिला दो राष्ट्र विरोधी नारों को
मेरे टुकड़े जो करने को आतुर उनको यौवनहीन करो
राष्ट्र प्रेम से स्पंदित होकर समृद्ध -ज्ञान ,विज्ञान रचो
कश्मीर से कन्या कुमारी तक वन्दे मातरम् गूंज उठो
वन्दे sssssssssssssमाँ ssssssssss
रचनाकार : "अंकुर" :डाक्टर चंद जैन
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शिव कुमार
मैं बन्दा सीधा सादा था, जीवन में लक्ष्य को साधा था।
कुछ अनजान से लोगों ने, उसमें
उसमें सेंध लगाया था।
मुझको बहला फुसला करके, मीठे सपने को सजा करके,
आशा की किरण दिखा करके, अपने देश में लाया था।
सबसे परिचय करवाया था, आकाओं से मिलवाया था,
जितने भी शिविर थे उनको ले जा जा कर दिखलाया था।
हालात को देख के सन्न हुआ, जो सोचा उससे भिन्न हुआ,
हाय मैंने ये क्या कर डाला,
अरमानों को ही कुचल डाला।
जब देश की याद सताने लगी, बेचैनी सी दिल मे होने लगी,
आकाओँ से बिनती करने लगा, स्वदेश जाने को कहने लगा।
बोला तेरा जात न धरम हुआ, अब यही तुम्हारा शरण हुआ,
आतंकी तुम कह लाओगे, यही तेरा नामकरण हुआ।
फूलों का दर्द
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कलियां पौधों पर लगती है, जैसे हो त्रिशूल।
अवलोकित नहीं किया किसी ने, कली से बनते फूल।
गुप्त रुप से पाला पोसा, पौधा उसका नाम।
ऐसी माताओं को मेरा शत शत तुझे प्रणाम।
मन्द पवन के झोंकों के संग, मस्ती से खेला करता।
अपने भाई और बहनों को, झूम झूम चूमा करता।
जब तूफान का झोंका आया, पडो़सियों ने साथ निभा्या है।
अपने आगोश में ले कर के, गिरने से मुझे बचाया है।
प्यार हुआ पडो़सियों के संग, कभी न होगा इसका एन्ड,
चुना एक को उनमें से, और बना लिया अपना गर्लफ्रेन्ड।
एक दिन प्रातः के दृश्यों ने, अचम्भित और असहाय किया।
कुछ अनजाने से लोगों ने, साथियो का किडनैप किया।
पृथक किया भाई बहनों से, रहते थे माँ की गोद में,
लाज न आई तुझे जरा, जो लड़ न सका प्रतिरोध में।
सारी जीवन शैली दे दी, दिया ना हाथ, मुंह और पैर।
इसीलिये दिल में रखता प्रभु, तेरे प्रति मैं सदा ही बैर।
ये तीनों यदि पास में होते, 100 नम्बर पे डायल करता।
बुला पुलिस को और सभी किडनैपों को धरवाता।
घटित न हो फिर ऐसी घटना, बुला लिया एक एसेम्बली,
नियम पास हो गया बिन संसद के, सर्वसम्मत से सब ने मान ली।
फूल बाग की शोभा है, कृपया इन्हें मत तोड़िये,
अन्जाम बुरा होगा इसका, ये नियम जो तोडा़ जान लीजिये।
शिव कुमार
114/75 रामबाग
इलाहाबाद (उ. प्र.)
पिन कोड- 122003
shivksrivastava09@gmail.com
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अभिषेक शुक्ला
1:-शीर्षक:-शिक्षक है युग निर्माता
शिक्षक युग निर्माता कहलाते हैं,
वे सच्चे पथ प्रदर्शक कहलाते हैं
शिक्षक शिक्षा की अलख जगाते हैं ,
संसार से अज्ञानता को दूर भगाते हैं,
वह ज्ञान दीप को प्रज्जवलित कर,
निज शिष्यों को महान बनाते हैं।
सत्य व नैतिकता का सबक सिखाकर,
वह सबके जीवन को उन्नत बनाते हैं।
क्या उचित-अनुचित यह शिक्षक हमें बताते हैं,
शिक्षक इसीलिये ईश्वर से बढकर माने जाते हैं ।
2:-शीर्षक:-आजादी के मतवाले
"आजादी के मतवाले हँसकर फंदे पर झूल गये,
बोलो उन वीर सपूतो को हम सब कैसे भूल गये।
मंगल पांडेय ने देखो आजादी का बिगुल बजाया था,
टोली संग अपनी अंग्रेजों को खूब मजा चखाया था।
रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये,
अपनी तलवार से जाने कितने दुश्मन मिटा दिये।
आजादी की परिभाषा चंद्रशेखर आजाद सिखा गये,
अल्फ्रेड पार्क में न जाने वह कितनी लाशें बिछा गये।
ऊधमसिंह सबको स्वाभिमान से रहना सिखा गये,
जलियावाले का ले बदला डायर को मजा चखा गये।
सुभाष चन्द्र बोस शान से 'जय हिंद'का नारा लगा गये,
सम्पूर्ण विश्व को सेना का अनुशासन व महत्व सिखा गये।
भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु के भी अंदाज निराले थे,
ये सब वीर सपूत भारत की आजादी के सच्चे दीवाने थे।
अशफाक खाँ ,राजनरायन मिश्र आजादी की राह दिखा गये,
कर आहुत अपने प्राण वो भी शान से तिरंगा फहरा गये ।
मोहम्मद इकबाल इस देश की शान से शौर्य गाथा गा गये,
'सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' ये सबको बता गये।
ये देश प्रणाम उन वीर सपूतो को आज भी प्रतिपल करता है,
जो आजादी दिला गये उनको नमन "अभिषेक" यह करता है।
अभिषेक शुक्ला सीतापुर
जय हिंद
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डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
छोटे से दिमाग़ में बसा ली है दुनियाँ
चारों और कौन देखता है
चौतीस हो गयीं बर्बाद
मुजफ्फरपुर कौन देखता है
उन्नाओ, सूरत, मणिपुर, दिल्ली
कौनसा हिस्सा बचा मेरे हिन्दुस्तान
अब रोना आता है मुझको
बच्चियाँ लाचार, कौन देखता है
जब तक बीते न ख़ुद पे
बड़े व्यस्त हैं हम
चलो प्रार्थना ही करलें
पुकारें बेटियाँ कौन देखता है
विनती हैं पीड़िताओं के लिये अपने अपने ईश्वर, भगवान, मालिक, ख़ुदा जिसे भी मानते है से इक बार प्रार्थना/दुआ जरूर करे
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
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लोकनाथ साहू ललकार
शहीदों के सवाल-
कहॉं वो हिन्दुस्तान है ?
तिरंगा आन-बान है, तिरंगे से ही शान है
तिरंगे की आन-बान पर हर फौजी कुर्बान है
कुर्बानी रंग लाई, लहू से आज़ादी आई
पर इसने की बेवफ़ाई, महलों की जानेजान है
दुःखों को लोग खा रहे हैं, ऑंसुओं को पी रहे हैं
गुलामों-सा जी रहे, आज़ादी से अनजान हैं
जिसके लिए हमने, अपनी जानें लुटा दीं
बताओ हिन्दुस्तानियों, कहॉं वो हिन्दुस्तान है ?
भारत आज़ाद हुआ, भारतीयता गुलाम है
राज-काज, भाषा-बोली, खेलों में गुलामी है
अंगरेजों का विधान यहॉं, अंगरेजी परिधान है
अंगरेजी के रूआब पर हिन्द की सलामी है
स्वराज तो मिला, पर सुराज मिला नहीं
भारत का पतन, इण्डिया का उत्थान है
जिसके लिए हमने अपनी जानें लुटा दीं
बताओ हिन्दुस्तानियों, कहॉं वो हिन्दुस्तान है ?
घर आज लुट रहा, घर के लुटेरों से ही
ताज धारे बैठे हैं जो, गजनी-सिकंदर हैं
चील, गिद्ध, बाज, कौए समाजवादी हो गए
मिल-बांट खा रहे, लुटेरों का मुकद्दर है
लुटेरों ने लोकतंत्र को लूटतंत्र बना दिया
संसद-विधानमंडलों में डाकू मलखान हैं
जिसके लिए हमने अपनी जानें लुटा दीं
बताओ हिन्दुस्तानियों, कहॉं वो हिन्दुस्तान है ?
करगिल, कश्मीर, संसद या ताज हो
हमने लहू से विजयश्री इतिहास लिखा
परिंदे भी जहॉं परवाज नहीं कर पाते
वहॉं मौत से मनुहार किया और मधुमास लिखा
शहादत पाई तो बदज़ुबानों ने इनाम दिया
कायरों ने सर काटा तो सत्ता हुई बेज़ुबान है
जिसके लिए हमने अपनी जानें लुटा दीं
बताओ हिन्दुस्तानियों, कहॉं वो हिन्दुस्तान है ?
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लोकनाथ साहू ललकार
बालकोनगर, कोरबा (छग)
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अनुभव मिश्रा
सबका प्यारा देश हमारा,
सबसे अलग सबसे न्यारा,
इस माटी के जन्में हम हैं,
यह तिरंगा जान से भी प्यारा,
सबका प्यारा देश हमारा....
हर जगह सर्वश्रेष्ठ रहें हम,
हार न कभी मानना काम हमारा,
धरती माँ के लाड़ले हम हैं,
यह तिरंगा जान से भी प्यारा,
सबका प्यारा देश हमारा...
शीश झुका कर नमन है आपको,
प्यारी धरती माँ,
आपके लिए हम सब पूर्ण समर्पित,
प्यारी धरती माँ,
सबका प्यारा देश हमारा...
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अनुभव मिश्रा
लखनऊ
Class 9th
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