हिन्दू पानी - मुस्लिम पानी साम्प्रदायिक सद्भाव की कहानियाँ असग़र वजाहत लेखक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल सम्पादक भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 |...
हिन्दू पानी - मुस्लिम पानी
साम्प्रदायिक सद्भाव की कहानियाँ
असग़र वजाहत
लेखक
डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल
सम्पादक
भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 || भाग 4 || भाग 5 || भाग 6 ||
-- पिछले अंक से जारी
भाग 7
गुरुगुरु-चेला संवाद
एक
चेला : गुरु जी, क्या हमारे देश के मुसलमान विदेशी हैं?
गुरु : हां, शिष्य, वे विदेशी हैं।
चेला : वे कहां से आए हैं?
गुरु : वे ईरान, तूरान और अरब से आए हैं?
चेला : लेकिन अब वे कहां के नागरिक हैं?
गुरु : भारत के।
चेला : वे कहां की भाषाएं बोलते हैं?
गुरु : भारत की भाषाएं बोलते हैं।
चेला : उनके रहन-सहन तथा सोच-विचार का तरीका किस देश के लोगों जैसा है?
गुरु : भारत के लोगों जैसा है।
चेला : तब वे विदेशी कैसे हुए गुरुजी?
गुरु : इसलिए हुए कि उनका धर्म विदेशी है।
चेला : बौद्ध धर्म कहां का है गुरुजी?
गुरु : भारतीय है शिष्य
चेला : तो क्या चीनी? जपानी, थाई और बर्मी बौद्धों को भारत चले आना चाहिए?
गुरु : नहीं...नहीं शिष्य! चीनी, जपानी और थाई का यहां आकर क्या करेंगे?
चेला : तो भारतीय मुसलमान ईरान, तूरान और अरब जाकर क्या करेंगे?
दो
गुरु : चेला, हिन्दू-मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते।
चेला : क्यों गुरुदेव ?
गुरु : दोनों में बड़ा अंतर है
चेला : क्या अंतर है?
गुरु : उनकी भाषा अलग है...हमारी अलग है।
चेला : क्या हिंदी, कश्मीरी, सिंधी, गुजराती, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, उड़िया, बंगाली आदि भाषाएं मुसलमान नहीं बोलते...वे सिर्फ उर्दू बोलते है?
गुरु : नहीं...नहीं, भाषा का अंतर नहीं है...धर्म का अंतर है।
चेला : मतलब दो अलग-अलग धर्मों के मानने वाले एक देश में नहीं रह सकते?
गुरु : हां...भारतवर्ष केवल हिंदुओं का देश है।
चेला : तब तो सिखों, ईसाइयों, जैनियों, बौद्धों पारसियों, यहूदियों को इस देश से निकाल देना चाहिए।
गुरु : हां, निकाल देना चाहिए।
चेला : तब इस देश में कौन बचेगा?
गुरु : केवल हिंदू बचेंगे...और प्रेम से रहते हैं।
चेला : उसी तरह जैसे पाकिस्तान में सिर्फ मुसलमान बचे हैं और प्रेम से रहते हैं।
तीन
गुरु : शिष्य मुसलमानों से घृणा किया करो।
चेला : क्यों गुरुदेव ?
गुरु : क्योंकि वे गंदे, अनपढ़ और अत्याचारी होते हैं
चेला : समझ गया गुरुदेव, आपका मतलब है, गंदे, अनपढ़ और अत्याचारी लोगों से घृणा करनी चाहिए।
गुरु : नहीं...नहीं। ये नहीं...दरअसल मुसलमानों से इसलिए घृणा करनी चाहिए क्योंकि वे बड़े कट्टर धार्मिक होते हैं।
चेला : मैं कट्टर धार्मिक लोगों से घृणा करता हूं गुरुदेव?
गुरु : नहीं...नहीं। तुम समझे नहीं...वास्तव में मुसलमान से घृणा इसलिए करनी चाहिए कि उन्होंने हमारे ऊपर शासन किया था।
चेला : तब तो ईसाईयों से भी घृणा करनी चाहिए।
गुरु :नहीं...नहीं, शिष्य...मुसलमानों से घृणा करने का मुख्य कारण यह है कि उन्होंने देश का बंटवारा कराया था।
चेला : तो देश का बंटवारा करने वालों से घृणा करनी चाहिए?
गुरु : हां...बिलकुल। देश को बांटने वालों से घृणा करनी चाहिए।
चेला : और देशवासियों को बांटने वालों से क्या करना चाहिए,
चार
चेला : गुरुजी, सांप्रदायिक दंगों में कौन लोग मरते हैं?
गुरु : सांप्रदायिक दंगों में बड़े-बड़े पंडित, मौलवी, बड़े-बड़े सेठ-साहूकार और बड़े अधिकारी मरते हैं।
चेला : और कौन लोग कभी नहीं मरते?
गुरु : मामूली लोग, कारीगर, दस्तकार, रिक्शे वाले, झल्ली वाले, नौकरी-पेशा आदि नहीं मरते।
चेला : तो गुरुजी, दंगे न रुकने का कारण क्या है?
गुरु : साफ है शिष्य...आम लोग दंगे रुकवाने में कोई रुचि नहीं लेते।
चेला : और बड़े-बड़े लोग?
गुरु : बड़े-बड़े लोग तो बेचारे दंगे रुकवाने की कोशिशें करते हैं...पंडित-मौलवी दंगे रुकवाने के लिए धर्म की दुहाई देते हैं। राजनीतिक दलों के नता दंगे रोकने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं...सेठ-साहूकार दंगे रुकवाने के लिए चंदे देते हैं...सरकारी अधिकारी दंगे रोकने की भरसक कोशिश करते हैं
चेला : इसके बाद भी दंगे क्यों नहीं रुकते?
गुरु : यही तो रहस्य है बेटा...इसे समझ जाओगे...और किसी दंगे में मार दिए जाओगे।
पांच
चेला : गुरुजी, सांप्रदायिक दंगों में हत्याएं आदि करने वालों को कानून कोई सजा क्यों नहीं देता?
गुरुः यह हमारे कानून की महानता है शिष्य...
चेला : कैसे गुरुजी?
गुरु : हमारी अदालतें दंगों से हत्याएं करने वालों की भावनाओं को समझती हैं।
चेला : क्या समझती है।?
गुरु : शिष्य, सांम्प्रदायिक दंगे में जो मरता है वह सीधे स्वर्ग जाता है न?
चेला : हां, जाता है।
गुरु : तो उसे स्वर्ग भेजने का उपकार कौन करता है?
चेला : हत्या करने वाला।
गुरु : बिलकुल ठीक...तो शिष्य, हमारा कानून इतना बेशर्म तो नहीं है कि उपकार करने वालों को फांसी पर चढ़ा दें।
छः
चेला : गुरुजी, दंगे कैसे रोके जा सकते हैं?
गुरु : शिष्य, इस सवाल का जवाब तो पूरे देश के पास नहीं है। राष्ट्रपति के पास नहीं है, प्रधानमंत्री के पास नहीं है। पूरे मंत्रिमंडल के पास नहीं है। बुद्धिजीवियों के पास नहीं हे।
चेला : गुरुजी...मनुष्य चांद पर पहुंच गया है, प्रकृति पर विजय पा ली है...असंभव संभव हो गया है...वैज्ञानिकों को यह खोजने का काम क्यों नहीं सौंपा गया कि दंगे कैसे रोके जा सकते हैं?
गुरु : शिष्य, वैज्ञानिकों को इस काम पर लगाया गया था...पर उनका कहना है कि यह धार्मिक मामला है।
चेला : फिर धार्मिक लोगों को इस काम पर लगाया गया?
गुरु : हां, धार्मिक लोग कहते हैं यह सामाजिक मामला है।
चेला : समाजशास्त्री क्या कहते हैं?
गुरु : उन्होंने कहा कि राजनीतिक मामला है।
चेला : फिर राजनैतिज्ञों ने क्या कहा?
गुरु : उन्होंने कहा कि यह कोई मामला ही नहीं है।
सात
चेला : सांप्रदायिक दंगों की जिम्मेदारी क्या प्रधानमंत्री पर आती है गुरु जी?
गुरु : नहीं।
चेला : मुख्यमंत्री पर आती है?
गुरु : नहीं।
चेला : गृहमंत्री पर आती है?
गुरु : नहीं।
चेला : सांसद या विधायक पर आती है
गुरु : नहीं।
चेला : जिलाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों पर आती है?
गुरु : नहीं।
चेला : फिर सांप्रदायिक दंगों की जिम्मेदारी किस पर आती है?
गुरु : जनता पर।
चेला : मतलब...?
गुरु : मतलब हम पर...
चेला : मतलब?
गुरु : मतलब किसी पर नहीं।
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क्रमशः अगले अंकों में जारी....
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