बड़ा अंडू और छोटा अंडी // अफ्रीका की लोक कथाएँ // सुषमा गुप्ता

SHARE:

देश विदेश की लोक कथाएँ — अफ्रीका की लोक कथाएँ–1 अफ्रीका, अंगोला, कैमेरून, मध्य अफ्रीका, कौंगो, मोरक्को संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता 5 बड़ा अंडू और...

देश विदेश की लोक कथाएँ —


अफ्रीका की लोक कथाएँ–1

अफ्रीका, अंगोला, कैमेरून, मध्य अफ्रीका, कौंगो, मोरक्को

clip_image004

संकलनकर्ता

सुषमा गुप्ता

5 बड़ा अंडू और छोटा अंडी[1]

एक गाँव में एक आदमी रहता था जिसके दो पत्नियाँ थीं। इत्तफाक से दोनों पत्नियों ने एक ही दिन दो बेटों को जन्म दिया। एक ने सुबह को, और दूसरी ने तीसरे पहर को।

सुबह पैदा हुए बेटे का नाम रखा गया अंडू बाबा, और तीसरे पहर में पैदा हुए बेटे का नाम रखा गया अंडी करामी।

जन्म के दिन से ही वे दोनों बिल्कुल एक जैसे लगते थे और एक साथ ही रहते थे। जब वे जवान हो गये तो उनके पिता ने उनके लिये दो अलग अलग मकान बनवा दिये।

अंडू बाबा के मकान के आगे लगा डुरूमी का पेड़, और अंडी करामी के मकान के आगे लगा चेदिया[2] का पेड़।

कुछ दिनों के बाद अंडी करामी की माँ मर गयी तो उसके पिता ने उसको अंडू बाबा की माँ की देखभाल में रख दिया। उस दिन से तो वे दोनों हर समय एक साथ ही रहने लगे। यहाँ तक कि कोई एक दूसरे के बिना खाना भी नहीं खाता था।

जब वे कुछ और बड़े हो गये तो उनके पिता ने उन दोनों की शादी कर दी, और वह भी एक ही दिन। जब शादी की रस्में खत्म हो गयीं तो अंडी करामी बातें करने के विचार से अंडू बाबा के घर गया।

वे दोनों रात गये तक बातें करते रहे। बाद में अंडू बाबा बोला — “अंडी, अब काफी समय हो गया है अब तुम अपने घर जाओ। चलो, मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आता हूँ। ”

अंडी करामी बोला — “कमाल है, हम और तुम इतनी बढ़िया बातें कर रहे हैं और तुम कहते हो कि मैं घर चला जाऊँ। ”

अंडू बाबा बोला — “बुरा न मानो अंडी, मैं तो तुम्हारी पत्नी के बारे में सोच रहा था। ंमैं नहीं चाहता कि वह तुमसे रूठ कर मेरे बारे में यह कहे कि मैं फालतू आदमी तुमको उससे दूर रखता हूँ। इसलिये चलो, घर चलो। ”

अंडी को यह बात समझ में आ गयी और वह जाने के लिये तैयार हो गया। अंडू बाबा अंडी को घर तक छोड़ने गया, मगर वह खुद अंडी के घर बैठ गया और फिर वहाँ वे दोनों रात भर बातें करते रहे। सारी रात बीत गयी थी परन्तु उनकी तो बातें हीं खत्म होने पर ही नहीं आ रही थीं। लग रहा था जैसे वे बरसों बाद मिले हों।

अंडी करामी ने अपनी पत्नी से कहा — “ंमुझे थोड़ा पानी दो, मैं हाथ मुँह धो कर अंडू बाबा के घर जा रहा हूँ। ” अंडी करामी की पत्नी ने उसको पानी ला दिया और अंडी करामी हाथ मुँह धो कर अंडू बाबा के साथ उसके घर चला गया।

लेकिन जब वे अंडू बाबा के घर आ गये तो अंडू बाबा ने फिर उसे चेतावनी दी — “देखो, औरतों को अक्ल कम होती है, उनके दिमाग में सन्तुलन की भी कमी होती है इसलिये तुमको घर पर ही अधिक समय बिताना चाहिये नहीं तो तुम्हारा अपनी पत्नी से झगड़ा हो जायेगा। ”

उस दिन के बाद से अंडी करामी सोता तो अपने घर में था परन्तु सुबह शाम अंडू बाबा के घर जरूर जाता था और वे दोनों साथ ही खाना खाते थे। पर अंडू बाबा की पत्नी को भोजन का यह हिस्सा बाँट अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन उसने अपने पति के लिये एक खास पकवान बनाया और जैसे ही अंडू बाबा उसे खाने बैठा कि अंडी करामी आ गया। अंडू बाबा बोला — “आओ आओ, बड़े मौके से आये हो, आओ तुम भी मेरे साथ ही खाना खा लो। ”

लेकिन अंडी करामी को यह देख कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि अंडू बाबा उसके बिना ही खाना खा रहा था। उसने बहाना बनाते हुए कहा — “ंमैंने अभी दवा खायी है इसलिये मैं अभी कुछ नहीं खा सकता, तुम खाओ। ”

अंडी करामी वहाँ कुछ देर बैठ कर जल्दी ही अपने घर वापस चला गया और अपने एक नौकर से अपना घोड़ा सजाने को कहा।

जब सब कुछ तैयार हो गया तो वह घोड़े पर बैठ कर अंडू बाबा के घर गया और बोला कि वह यात्र पर जा रहा है।

अंडू बाबा ने पूछा — “लेकिन तुम जा कहाँ रहे हो?”

अंडी करामी बोला — “मुझे खुद ही नहीं पता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ, पर जिस दिन भी मेरे चेदिया के पेड़ की पत्तियाँ झड़ें तो तुम समझ लेना कि मैं इस दुनिया में नहीं हूँ। ”

अंडू बाबा बोला — “क्या सचमुच ऐसा है?”

अंडी करामी बोला — “हाँ सचमुच ही ऐसा है। ” और यह कह कर अंडी करामी ने अपने घोड़े की लगाम सँभाली और अपनी यात्र पर चल दिया।

clip_image002अंडी करामी और उसका नौकर अभी कुछ ही दूर गये थे कि उनको एक आलूबुखारे का पेड़[3] दिखायी दिया जिस पर दो आलूबुखारे लगे हुए थे।

वह अपने नौकर से बोला — “तुम वह दो आलूबुखारे देख रहे हो न? उनमें से एक आलूबुखारा तुम तोड़ लो और दूसरा उसके लिये छोड़ दो, शायद वह कभी इधर आ निकले। ”

नौकर ने उनमें से एक आलूबुखारा तोड़ लिया। अंडी करामी ने आधा आलूबुखारा खुद खाया और आधा अपने नौकर को दे दिया।

चलते चलते रात हो गयी थी इसलिये रात बिताने के लिये वे लोग एक शहर में रुके। वहाँ एक शीनट[4] का पेड़ लगा हुआ था।

उसमें दो शीनट लगे थे। सोे उसमें से उसने एक शीनट तोड़ लिया, आधा खुद खाया और आधा अपने नौकर को दे दिया, और दूसरा शीनट अंडू बाबा के लिये उसी पेड़ पर छोड़ दिया।

शहर में जिस घर में उन्होंने खाना खाया उस घर के मालिक ने शाम के खाने के लिये चार मुर्गे मारे थे।

जब वह उनको अंडी करामी के पास लाया तो उसने उन मुर्गों में से दो मुर्गे उसे वापस कर दिये और कहा — “आप मेहरबानी कर के इन्हें मेरे लौटने तक बचा कर रखें। ”

अगले दिन अंडी करामी अपनी यात्र पर फिर से निकल पड़ा। दूसरे दिन वे जिस घर में रुके वहाँ उनके लिये एक भेड़ मारा गया।

वहाँ भी उसने आधा भेड़ वापस करके घर के मालिक से कहा — “मेहरबानी करके आप इसे मेरे लौटने तक बचा कर रखें। ”

तीसरे दिन वे जिस शहर में रुके वहाँ एक कुँए में एक आदमी खाने वाला राक्षस रहता था। वहाँ के लोग उसे खुश करने के लिये साल में एक बार खाने के लिये एक लड़की दिया करते थे।

इस शहर में वे एक बुढ़िया के घर ठहरे। अंडी करामी ने घोड़े को खोल कर उसे एक पेड़ से बाँध दिया और बुढ़िया से एक बालटी माँगी ताकि वे अपने घोड़े को कुँए से ला कर पानी पिला सकें।

बुढ़िया बोली — “बेटा, तुम नहीं जानते कि तुम क्या कह रहे हो। उस कुँए में तो एक आदमखोर राक्षस रहता है। हर साल हम लोग उसको एक लड़की खाने के लिये देते हैं।

अगर हम ऐसा न करें तो हमें पानी नहीं मिल सकता और इस समय तो हम लोग घर से बाहर बिल्कुल भी नहीं निकल सकते। ”

अंडी बोला — “माँ जी, आप मुझे बालटी तो दीजिये। उस राक्षस को मैं देख लूँगा। ”

अंडी करामी बुढ़िया से बालटी ले कर कुँए की ओर चल दिया। उस दिन उस राक्षस को देखने की गाँव के सरदार की बेटी की बारी थी सो सरदार की बेटी वहाँ बैठी उस राक्षस का इन्तजार कर रही थी।

अंडी करामी ने अपनी बालटी पानी निकालने के लिये कुँए में डाली तो उसे लगा कि किसी ने उसकी बालटी पकड़ ली है।

अंडी करामी बोला — “जो कोई भी कुँए के अन्दर हो वह मेरी बालटी छोड़ दे और यदि वह मुझसे लड़ना चाहता है तो बाहर आ कर लड़े। ”

कुँए में राक्षस था। वह वहीं से बोला — “ठीक है, तुम अपनी बालटी खींच लो। पर यह सोच लो कि बालटी के पीछे पीछे मैं भी बाहर आ रहा हूँ। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम यहाँ से चले जाओ। ”

अंडी करामी ने अपनी बालटी ऊपर खींच ली और तलवार निकाल कर राक्षस से लड़ने को तैयार हो गया। जैसे ही राक्षस का सिर कुँए के बाहर आया तलवार के एक ही झटके से उसने उसका सिर काट दिया।

राक्षस का सिर कटा शरीर तुरन्त कुँए में गिर पड़ा। उसका शरीर कुँए में गिरने से कुँए में एक ज़ोर की आवाज हुई और कुँए का पानी उछल कर सारे शहर में बिखर गया।

राक्षस को मारने के बाद अंडी करामी ने उसकी पूँछ भी काट ली। उसने सरदार की बेटी को वापस उसके घर भेज दिया।

नौकर को पानी ले कर बुढ़िया के पास भेज दिया और वह खुद राक्षस का सिर व पूँछ ले कर घर चल दिया। सुबह होने पर लोगों ने देखा कि सारे शहर में तो पानी फैला पड़ा है।

इतने में सरदार की बेटी ने भी अपने पिता को इस अजनबी के बारे में सब कुछ बता दिया।

सरदार बोला — “तुमको छोड़ कर वह अजनबी फिर कहाँ चला गया?”

सरदार की बेटी बोली — “वह तो बुढ़िया के घर ठहरा है। ”

सरदार ने अपने नौकर से कहा कि वह उसको तुरन्त ही उसके घर ले कर आये।

अंडी करामी ने सरदार के नौकर से पूछा — “मैं तो कल रात ही यहाँ आया हूँ, सरदार को कैसे मालूम हुआ कि मैं यहाँ हूँ?”

नौकर बोला — “यह न सोचिये। सरदार ने आपको बुलाया है सो मेहरबानी करके आप हमारे साथ चलें। ”

इधर अंडी करामी सरदार के घर जा रहा था और उधर सरदार के घर में शादी की तैयारियाँ हो रही थीं।

जैसे ही वह सरदार के घर पहुँचा, सरदार बोला — “अपनी बेटी की जान बचाने के लिये मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूँ और इसके लिये मैं तुमको “यारीमा”[5] का “खिताब”[6] देता हूँ। ”

और फिर उसने अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में दे दिया। दोनों की शादी हो गयी और वे दोनों सरदार के दिये हुए एक घर में रहने लगे।

कुछ समय बाद एक खास तरह की चिड़िया का एक झुंड उस शहर में आया तो यह समाचार सरदार के महल में पहुँचा। सरदार ने अपने लोगों को हुकुम दिया — “जल्दी जाओ और उन चिड़ियों को उड़ा दो। ”

अंडी करामी ने जब यह सुना तो वह भी दूसरे घुड़सवारों के साथ वे चिड़ियें उड़ाने चल दिया।

उन सबके आते ही चिड़ियों का वह झुंड पहाड़ी की तरफ उड़ चला। अंडी करामी भी उनके पीछे पीछे चल दिया। पहाड़ी के पास पहुँचते ही वहाँ एक रास्ता खुल गया और वे चिड़ियाँ उस रास्ते में से हो कर पहाड़ी के अन्दर उड़ चलीं।

अंडी करामी घुड़सवारों में सबसे आगे था। वह भी उसी रास्ते से उनके पीछे पीछे चलता गया। उसके अन्दर जाते ही पहाड़ी में बना वह रास्ता अपने आप ही बन्द हो गया।

दूसरे घुड़सवार उससे बहुत पीछे थे। वे जब तक पहाड़ी के पास तक पहुँचे पहाड़ी वाला रास्ता बन्द हो चुका था। वे नाउम्मीद हो कर घर वापस लौट आये। घर पर भी उन्होंने अंडी करामी को कहीं नहीं देखा तो वे बोले “यारीमा मर गया, यारीमा मर गया”।

इसी समय अंडी करामी के घर के सामने लगे चेदिया पेड़ की शाख से एक पत्ती गिरी। अंडू बाबा उधर से ही जा रहा था। उसने चेदिया के पेड़ की पत्ती गिरती देखी तो बोला — “लगता है अंडी करामी अब नहीं रहा, जल्दी से मेरा घोड़ा तैयार करो। ” और तुरन्त ही वह भी यात्र पर चल दिया।

चलते चलते वह भी उसी आलूबुखारे के पेड़ के पास आया जिस पेड़ पर अंडी करामी ने अंडू बाबा के लिये एक आलूबुखारा छोड़ा था। उसने देखा कि आलुबुखारा सूख गया था। उसने समझ लिया कि अवश्य ही वह आलूबुखारा अंडी करामी ने उसके लिये छोड़ा होगा।

आगे चलने पर उसे एक शीनट का पेड़ मिला। वहाँ से भी उसने अंडी करामी का छोड़ा हुआ एक शीनट तोड़ा और बोला — “लगता है कि यह शीनट भी अंडी करामी ने मेरे लिये ही छोड़ा होगा। ”

अब अंडू बाबा पहले गाँव में उसी घर में रुका जिसमें अंडी करामी रुका था। दोनों की सूरत बहुत मिलती जुलती थी सो घर के मालिक को लगा कि अंडी करामी वापस आ गया।

घर का मालिक बोला — “अजनबी, तुम वापस आ गये? हमने तुम्हारे लिये अभी भी वे दोनों मुर्गे रख छोड़े हैं। ” कह कर वह दोनों मुर्गे ले आया जो अंडी करामी छोड़ गया था।

अगले शहर में भी यही हुआ। अंडी करामी की रखी आधी भेड़ भी अंडू बाबा को मिल गयी।

अन्त में अंडू बाबा उस शहर में पहुँचा जहाँ अंडी करामी ने राक्षस मारा था। उसको देखते ही लोग बोले — “यारीमा आ गया, यारीमा आ गया”।

सरदार ने सुना तो अपने नौकरों द्वारा उसे अपने घर बुलवाया। अंडू बाबा का “यारीमा” के रूप में उस महल में स्वागत किया गया।

अगले दिन वे चिड़ियाँ फिर आयीं। सरदार ने फिर घुड़सवारों को उन चिड़ियों के पीछे भेजा। इस बार अंडू बाबा भी उनके साथ चल दिया।

चिड़ियाँ जब पहाड़ी के पास पहुँचीं तो वहाँ उस दिन की तरह फिर से रास्ता खुल गया और वे उस रास्ते से अन्दर चली गयीं और रास्ता बन्द हो गया।

यह देख कर अंडू बाबा ने पहाड़ी पर अपनी तलवार से वार किया और पहाड़ी में रास्ता खुल गया। लो, उस पहाड़ी में से तो अंडी करामी बाहर निकल आया।

बाहर निकल कर अंडी करामी बोला — “मैं अंडी हूँ राक्षस को मारने वाला। ”

उधर अंडू खुशी से चिल्लाया — “और मैं अंडू हूँ पहाड़ी को खोलने वाला। ” दोनों भाई एक दूसरे से लिपट गये और खुशी खुशी सरदार के महल को वापस आये।

सरदार ने जब दोनों को देखा तो बोला — “यह तुम्हारा भाई होगा। ”

अंडी बोला — “जी हाँ, यह मेरा बड़ा भाई है। ”

सरदार बोला — “यदि ऐसा है तो मैं इसको “गलाडीमान गारी”[7] का खिताब देता हूँ। और यारीमा, तुम घर जा कर अपनी पत्नी से मिलो वह कबसे तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है। ”

फिर वे दोनों भाई वहीं रहने लगे और अपने घर ही नहीं गये।

clip_image006




[1] Elder Andee and Younger Andoo – a folktale from Africa

[2] Both Durumi and Chedia are the trees of Africa.

[3] Translated for the word “Plum” – see the picture of a plum tree above.

[4] Shea Nut tree is found in Africa. Its nut is used to extract cooking oil. See its picture above.

[5] Yarima – a title in that society

[6] Translated for the word “Title”

[7] Galadiman Gari

---

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के  लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.

***

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बड़ा अंडू और छोटा अंडी // अफ्रीका की लोक कथाएँ // सुषमा गुप्ता
बड़ा अंडू और छोटा अंडी // अफ्रीका की लोक कथाएँ // सुषमा गुप्ता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHhnl_VxmUl8vj5OZW3eUczKm5fQCJgzpdpsag89POMJabwaNCtRqB4Ww77MPRg1LhpvX8j0kt48X42ReUuUf0B2KgBDa9aiMhnB1ryIXVBc7d_vFt6xsruMuFP3pu_oBSLbJh/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHhnl_VxmUl8vj5OZW3eUczKm5fQCJgzpdpsag89POMJabwaNCtRqB4Ww77MPRg1LhpvX8j0kt48X42ReUuUf0B2KgBDa9aiMhnB1ryIXVBc7d_vFt6xsruMuFP3pu_oBSLbJh/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_98.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_98.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content