अधखुली आँखें (कहानी) // रवि सुमन

SHARE:

अधखुली आँखें (कहानी) रवि सुमन 1. मिठनपुरा, जुब्बा सहनी पार्क के पास, मिस्कॉट लेन नंबर- 6.. उस हलचल भरी भयानक सुबह को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।...

अधखुली आँखें (कहानी)

Screenshot_20180617-191855

रवि सुमन

1.
मिठनपुरा, जुब्बा सहनी पार्क के पास, मिस्कॉट लेन नंबर- 6.. उस हलचल भरी भयानक सुबह को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। उस सुबह फिर एक आत्महत्या... नहीं- नहीं एक हत्या को अंजाम दिया गया था।
रस्सी का दबाव गर्दन के जिस हिस्से पर था, गर्दन वहाँ से टेढ़ा हो गया था। दोनों होठ फूल के अपने वास्तविक आकार के दोगुने दिख रहे थे और उसका मोटा जीभ दोनों होंठो के बीच फँसा था। चेहरा सूख गया था और आँखें.. आँखें अभी भी आधी खुली हुई.. शायद किसी के इंतजार में..


उसकी अधखुली आँखों ने मुझे अपनी ओर खींचा.. उन अधखुली आँखों में एक बार झाँक लो तो सारी सच्चाई का पता चल जाए। अब भी हर आते- जाते लोगों में उसकी अधखुली आँखे किसी को ढूंढ रही थी.. उसकी आँखें सिसक- सिसक कर कह रही थी.. किसी ने उसे खबर दी क्या.. अरे जल्दी करो उसे बताओ कि मैं मर गया हूँ.. जब उसे पता चलेगा न तो वो दौड़ते हुए आएगी और मेरे सीने पर मुक्के मार- मार कर मुझे जगाएगी.. उसे अंतिम बार देख भर लूँ तो.. मरना सफल हो जाएगा.. जल्दी करो उसे बताओ कि कोई उसके सपनों के साथ आज खुद एक सपना हो गया है..
अब कौन समझाए इन अधखुली आँखों को.. और राकेश जैसे उन हजारों लड़कों को जो अपने सपनों को बेरंग होता देख बावला हो जाते हैं और लटक जाते है फंदे से ऐसे ही लेन नंबर- 6 जैसी किसी गली के किराए के छोटे- से कमरे में..
देश में इनके जैसे सैकड़ों लड़के रोज ऐसे ही कहीं बन्द कमरे में नसें काट लेते हैं, सल्फास चाट जाते हैं या किसी ऊंची इमारत से छलांग लगा देते हैं..
अब कौन समझाए इन्हें या कौन समझाए मुझे कि इनके मरने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.. एक दिन स्थानीय समाचार- पत्र के कोने में परिवर्तित नामों के साथ थोड़ी- सी जगह.. और लोगों के लिए हप्ते भर के मसाले का जुगाड़.. इस से ज्यादा कुछ नसीब नहीं होता इनकी अधखुली आँखों को। तरह- तरह की कहानियाँ बनाई जाती हैं पर इनका पक्ष जानने की किसी को भी जरूरत महसूस नहीं होती..
कौन समझाए इस अधखुली आँखों को.. जिसके लिए वो शांत और ठंडा पर गया है.. वो आज मन- ही- मन अपनी आजादी मना रहा है। अरे, तुम उसकी नई जिंदगी के लिए बस एक तनाव थे और अब नहीं हो.. उसके लिए इस से अच्छी बात क्या हो सकती है।


चलो मान लिया कि तुम बहुत बड़े आशिक ठहरे और उसकी नई जिंदगी को खुश देखना चाहते थे पर उनकी खुशी का क्या जिन्होंने कल ही अपने एक दोस्त को बड़े गर्व के साथ बताया था कि उनका बेटा अब बड़ा समझदार हो गया है.. कल सुबह जब तुमने फ़ोन पर उनसे पूछा.. 'पापा तबीयत कैसी है' तो उन्हें लगा कि उनका बेटा अब उनकी चिंता करने लगा है और तुम्हारी आवाज सुनने मात्र से बुढ़ापे की उनकी सारी बीमारी दूर हो गई पर.. उन्हें क्या पता था कि ये आवाज अब वो दुबारा नहीं सुन पाएंगे.. और
उनकी खुशी का क्या जिनके लिए तुम्हारी सफलता- असफलता कोई मायने नहीं रखती थी, जिसे तुम तुम्हारी सारी गलतियों के साथ भी स्वीकार थे.. जिनके लिए तुम बस एक बेटे थे.. और
जो तुम्हें ऐसे टंगा देख खुद भी मर जायेंगे.. रोते हुए जिनकी साँसे अटकेगी.. बेहोशी आएगी.. दिल के दौरे पड़ेंगे.. और पूरी जिंदगी जिनकी आँखें तुम्हारे इंतजार में पत्थर हो जाएगी.. पर..
तुम नहीं आओगे..


हाँ, अब तुम नहीं आओगे...
अरे जिसके लिए मरे हो उसे तो लाखों मिल जाएंगे पर
उनका क्या जिन्हें खुद के मरने के दिन तक तुम्हारे मरने का भरोसा नहीं हो पाएगा..
अधखुली आँखों से मेरा सवाल- जवाब चल ही रहा था कि तभी हलचल बढ़ी.. सैकड़ों सवाल थे जो मैं अब भी उन अधखुली आँखों से चिल्ला- चिल्ला के पूछना चाहता था.. पुलिस ने कमरे की तलाशी लेनी शुरू की..

2.
सुसाइड नोट-
मम्मी.... पापा.... आई एम सॉरी...
मैं आपका अच्छा बेटा नहीं बन पाया... मैंने आपको हर मौके पर निराश ही किया है। आई एम सॉरी... पापा...
पापा मैं किसी लायक नहीं बचा हूँ.. मुझे पता है अगर मैं चाहता तो कुछ भी बन सकता था पर.. अब.. मन नहीं है.., पापा और अब तो दिमाग भी काम नहीं करता.. दिल और दिमाग के हर कोने पर तो रौशनी का बस हो गया है..
जब तक आप इसे पढोगे तब तक... आई एम सॉरी..


मुझे पता है, मैं मर के भी आपको बदनामी के अलावे कुछ नहीं दे पाउँगा.. मुझे ये भी पता है कि ये सब पढ़ के आपको बहुत बुरा लगेगा और आपको गुस्सा भी आएगा.. पर.. पापा.. मैं ऐसा ही हूँ.. मैं बाकियों जैसा नहीं हूँ..
मेरे बाद दुनिया मेरे बारे में जो भी समझे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन पापा मैं बुरा नहीं हूँ.. मैंने किसी की जिंदगी खराब नहीं की है और ना ही मैंने किसी को ब्लैकमेल किया है..
सॉरी, पापा मेरे कारण आपको पुलिस स्टेशन आना पड़ा.. लेकिन आप मुझे गलत समझो उस से पहले मैं आपको सब कुछ बता देना चाहता हूँ..
हमारा प्यार फिल्मी नहीं था। हमने काफी सोच- समझ के प्यार किया था। मैंने पहले ही दिन उससे बोल दिया था कि अगर पूरी जिंदगी साथ दे पाओगी तभी मेरी जिंदगी में आना.. नहीं तो प्लीज मुझे अकेले ही रहने दो..
मैं बहुत बड़ा ज्ञानी नहीं हूँ.. मेरे लिए प्यार का बस एक ही मतलब है किसी भी हाल में एकसाथ रहना.. बस.. इसके अलावे मुझे कोई प्यार समझ में नहीं आता।
उसने वादा भी किया था कि चाहे जो हो जाए, वो सब को छोड़ देगी पर मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगी..


चार साल से हम दोनों प्यार में थे.. या प्यार से कुछ ज्यादा... हम दोनों को एक दूसरे की आदत थी। सुबह उठो तो उसी से शुरू होता था और रात को उसी पे खत्म हो के सो जाता था.. मेरी तो पूरी दुनिया ही उसी पे शुरू और उसी पे खत्म हो जाती थी.. हम हर रोज मिलते थे.. इसी बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर पर उसका रूम है.. हर रोज प्रॉब्लम पूछने के बहाने वो मेरे कमरे में आ जाती थी फिर हमलोग खूब बातें करते थे..
मैं पूरी दुनिया से कट गया था.. मेरे लिए अब कुछ था ही नहीं रौशनी के अलावे। मैं अपना एक- एक पल रौशनी के नाम कर चुका था.. मैं अपने दोस्त, रिस्तेदार, अपने परिवार, सबसे दूर हो गया था.. रोम- रोम में बस रौशनी... रौशनी... बस रौशनी...


और इतना प्यार करता भी क्यूँ नहीं मैं.. वो भी तो मेरे बिना एक पल भी नहीं रह पाती थी। खाना खाया की नहीं.. पढ़ रहे हो या नहीं.. तबीयत ठीक है कि नहीं....
हल्का- सा सर में दर्द बोल देता तो पागल हो जाती थी.. लड़की तो दूर वो मुझे किसी लड़के के साथ भी देख लेती तो उसे बुरा लगता.. वो मुझे एक पल के लिए भी किसी और से बाँटना नहीं चाहती थी..
हमने सारी योजनायें बना ली थी.. उसने पहले ही बताया था कि शादी के लिए उसके घर के लोग नहीं मानेंगे तो हमलोग कोर्ट में शादी कर लेंगे..
एक पल के लिए भी हम दोनों एक दूसरे से दूर हो जाते तो लगता कि बेचैनी से मर जायेंगे..


तेरह तारीख को उसका भाई अचानक आया और उसे बिना कुछ बताए अपने साथ संतोषी माता के मंदिर ले गया जहाँ उसे देखने लड़के वाले आए थे..
मैं बिस का था और वो सत्रह की.. हम दोनों को शादी के लिए बालिग होने में अभी एक साल बाकी था.. इसलिए हमने अभी तक शादी नहीं की थी.. और अपने बालिग होने का इंतजार कर रहे थे ताकि हम अदालत तक जा सकें।
लड़के वालों ने रौशनी को पसंद कर लिया.. और उसी दिन रिश्ता पक्का हो गया..
मंदिर से आते ही रौशनी बिना कुछ बताये अपने भाई के साथ घर चली गयी.. फ़ोन भी बंद आने लगा..
दो दिन में ही मैं पागल- सा हो गया.. कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था.... पर मुझे पूरा भरोसा था कि वो जरूर आएगी..
फिर तीसरे दिन उसका फ़ोन आया.. उसने खुद मुझे उस लड़के का नंबर दिया और कहा कि मैं उससे बात करूँ और उससे बोलूँ की रौशनी मुझसे प्यार करती है इसलिए वो इस शादी के लिए मना कर दे और उसी ने कहा था कि अगर उसे भरोसा नहीं हो तो मैं उसे हमदोनो का साथ वाला कुछ फोटो दिखाऊँ और कॉल रिकॉर्डिंग सुनाऊँ..
और इस बात की कॉल रिकॉर्डिंग भी है.. जिसे मैंने पेन ड्राइव में स्टोर कर के इस नोट के पास ही रखा है।


साथ वाली दो तस्वीर और एक कॉल रिकॉर्डिंग के साथ एक छोटा- सा मैसेज मैंने उस लड़के के व्हाट्सएप्प पर भेज दिया... रौशनी का फोन फिर से ऑफ आने लगा और उस लड़के का भी कोई जवाब नहीं आया।
दो दिन बाद मेरे पास रौशनी के भाई का कॉल आया.. उसने मुझे भद्दी- भद्दी गालियाँ दी और धमकी भी.. मैंने उसे बहुत समझाया कि मैंने कोई जबरदस्ती नहीं की है बल्कि मैं और रौशनी एक- दूसरे से प्यार करते हैं और ये सब मैं अपने प्यार को बचाने के लिए कर रहा हूँ और रौशनी भी यही चाहती है..
उसी दिन शाम को रौशनी और उसका भाई एक पुलिस वाले के साथ आए.. डेरा मालिक के कमरे में मुझे बुलाया गया.. मैं वहाँ गया तो उस पुलिस वाले और उसके भाई ने मुझे धमकियाँ देनी शुरू कर दी.. उसने कहा कि मैं एक लड़की को ब्लैकमेल और बदनाम कर रहा हूँ..
जब मैंने बताया कि मैं और रौशनी चार साल से एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी भी करना चाहते है तो वे बौखला गए और मुझे मारना शुरू कर दिया.. मैंने रौशनी की ओर देखा और बोला की तुम बताती क्यों नहीं की तुम भी मुझसे प्यार करती हो..


मुझे नहीं पता रौशनी के साथ क्या हुआ था.. उसने कहा कि नहीं मैं आप से प्यार नहीं करती हूँ.. ये सब झूठ है.. आप मुझे बदनाम क्यों कर रहे है.. मुझे कुछ भी समझ नहीं आया और मैंने अपनी बात साबित करने के लिए सबको हम दोनों के साथ वाला फोटो दिखाया और कॉल रिकॉर्डिंग सुनाया और सबको बताया कि रौशनी सच में मुझसे प्यार करती है.. अभी वो झूठ बोल रही है शायद कोई दवाब हो उसके परिवार वालों की ओर से..
इस पर झट- से रौशनी ने कह दिया कि ये सारे फोटोज मैंने उसके साथ जबरदस्ती खिंचवाए हैं और फोन पर भी वो मुझसे बात करती थी क्योंकि मैं उसे धमकी देता था..
एक पल में उसने मुझे अपराधी बना दिया.. उन लोगों ने फिर से मुझे धमकी दी कि अगर मैंने फिर किसी को फोटो दिखाया या कॉल रिकॉर्डिंग सुनाया तो वे लोग मुझ पर केस कर के अंदर कर देंगे..
मैं पागल हो गया.. मेरे लिए सारे रास्ते बंद हो गए.. मैंने दुबारा उस लड़के को मैसेज किया और सारे फोटोज दिखाया और कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनाया ताकि उसे पता चल सके कि इतना कुछ कोई किसी के साथ जबरदस्ती या धमकी देकर नहीं कर सकता.. पर बात नहीं बनी और आपको पुलिस स्टेशन बुलाया गया..


मेरा मकसद किसी को ब्लैकमेल करना या बदनाम करना नहीं था, मैं तो बस रौशनी को खोना नहीं चाहता था.. ऐसा करने से रौशनी दुनिया की नजर में बदनाम जरूर हुई.. पर मैं किसी भी कीमत में बस अपने प्यार को मुक्कमल करना चाहता था..
अगर हम किसी के साथ उसकी मर्जी से कुछ करते हैं तो वो प्यार कहलाता है.. लेकिन जब इस में जबरदस्ती या धमकी शब्द जुड़ जाए तो ये रेप या अपराध कहलाता है.. मेरे सर पे एक रेपिस्ट और एक अपराधी का टैग लग गया था..
मैं अपने- आप में घुटने लगा था.. मैं जब बाहर निकलता तो मुझे लगता कि सारे लोग मुझे ही घूर रहे है और मन- ही- मन मुझे भद्दी-भद्दी गालियाँ दे रहे हैं.. मैं किसी भीड़ में जाता तो मुझे लगता कि सब मुझ-से डर के अलग भाग रहे हैं..
पापा, हमने इस जिंदगी की सारी प्लांनिग कर ली थी.. रौशनी के बिना अगर पूरी दुनिया भी जीत लेता तो भी उसका कोई मतलब नहीं होता क्योंकि सच यही था कि मैं खुद को हार चुका था.. रौशनी के बिना इस जिंदगी का कोई मतलब ही नहीं था..


एक रेपिस्ट या एक अपराधी के टैग के साथ सब कुछ फिर से शुरू करने और दर्द के उसी दौर से गुजरने से बेहतर लगा कि भाग जाऊँ.. और इस तरह मैं हार गया.. और भाग गया..
लेकिन पापा आप रौशनी से नफरत मत करना इन चार सालों में रौशनी ने मुझे जिंदगी के सारे रंग दिखाए हैं..
अपने मम्मी-पापा की नजरिए से अगर उसने खुद को एक अच्छी लड़की साबित करने की कोशिश की तो इसमें गलत क्या है.. देखना जब उसे पता चलेगा न कि मैं मर गया हूँ तो वो दौड़ते हुए आएगी और चिल्ला-चिल्ला के सब को सच बताएगी.. फिर पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि रौशनी भी मुझसे प्यार करती है..
काश, उस सच वाली रौशनी और उस दिखावे वाली रौशनी में सच वाली रौशनी जीत जाती तो आज ये नौब्बत न आती..
मुश्किल है पापा, अब मेरे लिए एक भी पल जीना मुश्किल हो गया है.. रात-रात भर सो नहीं पाता.. कभी- कभी लगता है कहीं मैंने सच में किसी के साथ जबरदस्ती तो नहीं की है..
अब मैं जा रहा हूँ पापा, अपना और मम्मी का ख्याल रखना और .. बस एक अंतिम बार मुझपे भरोसा करना पापा की बेशक मैं कमजोर नहीं था पर.. भरोसा करो इस बात का की मेरे पास कोई दूसरा उपाय न था... जिंदगी मतलब रौशनी..

3.
तीन महीने बाद (मैं- लेखक)
उस दिन राकेश की अधखुली आँखों से सैकड़ों सवाल पूछना चाहता था.. पर आज जब मैंने खुद राकेश को जिया है.. हर आँखें अधखुली लगती हैं..
मैंने खुद को आईने में देखा और पाया कि मेरी आँखें अधखुली हो गयीं हैं, वो सैकड़ों सवाल मर गए हैं.. और बस एक बात दिलो- दिमाग में है कि 'हाँ, हमारे पास कोई उपाय नहीं था, सब कुछ फिर से शुरू करने और दर्द के उसी दौर से गुजरने से बेहतर था भाग जाना'..


अस्पताल से आए कई दिन हो गए हैं.. कमरे से निकलना अजीब लग रहा है.. फेसबुक पर रौशनी का प्रोफाइल देखा.. रिलेशनशिप स्टेटस- मैरिड..
बैग उठाया और किसी से बिना कुछ बोले निकल गया..
वो रही.. उस खिड़की के पास खड़ी रौशनी.. उसकी आँखें.. अधखुली.. कई सवाल खुद से अपनी अधखुली आँखो में बयाँ करती हुई..
'काश, मैंने दुनिया को अपने नजरिए से देखा होता और उस दिन खुद को एक चरित्रवान लड़की साबित करने की कोसिस ना कि होती तो आज जिंदगी कुछ और होती.. वो सपने सच होते जो कभी हमने साथ में देखे थे.. कम- से- कम एक बार यही बोल देती की हाँ ये सब सच है.. मैं प्यार करती हूँ राकेश से तो शायद आज वो जिंदा होता..' रौशनी की अधखुली आँखें आत्मग्लानि से सिसक रही थी.. पर जो भी हो.. जिस हाल में भी हो.. उसकी अधखुली आँखें कम- से- कम जिंदा तो थी.. पर राकेश.. वो तो अब न था.. और ना ही उसकी अधखुली आँखें..


मोतिहारी जिले का एक छोटा- सा गांव.. राकेश का गांव.. एसबेस्टस वाली छत.. घर के अगले भाग में छोटा- सा बरामदा..
कुर्सी पर पीठ टिकाये.. जमीन की ओर देख रहे राकेश के पापा.. और वहीं जमीन पर बैठे रास्ता निहार रही उसकी माँ.. इनकी आँखें भी अधखुली.. शायद किसी के इंतजार में.. शायद इस उम्मीद में की ये कोई सपना हो और कुछ ही पल में सुबह हो जाए और लौट आए उनका बेटा और तब शुरू हो उनकी यथार्थ की दुनिया..


उनकी नजर मुझ पर पड़ी.. उन्होंने पहचान लिया मेरी अधखुली आँखों को.. उनकी पथराई हुई अधखुली आँखों ने मेरी अधखुली आँखों से संपर्क साधा और.. पूछा.. उस दिन तो तुमने कई सवाल पूछे थे राकेश की अधखुली आँखों से तो फिर क्या हुआ.. आखिर तुम राकेश क्यों हो गए.. मैंने देर नहीं की कह दिया उनकी अधखुली आँखों से.. राकेश ने खोया रौशनी और मैं खो बैठा अपनी रागिनी..
लौटते हुए मैं थक गया था.. सोच ही रहा था कि उस पेड़ के छांव में सुस्ता लूँ तभी एक अजीब सी आवाज आई और फिर.. उसी पेड़ से लटका पड़ा मिला एक और राकेश.. फिर से अपनी अधखुली आँखों में एक और अनकही और अनसुलझी कहानी लिए..


और अब भी जारी है मेरा सफर.. जिस सफर में हर मोड़ पर मिल जाता है मुझे कोई-न -कोई राकेश अपनी अधखुली आँखों में ये कहते हुए की 'भरोसा करो हमारे पास कोई उपाय न था, सब कुछ फिर से शुरू करने और दर्द के उसी दौर से गुजरने से बेहतर था भाग जाना'..

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अधखुली आँखें (कहानी) // रवि सुमन
अधखुली आँखें (कहानी) // रवि सुमन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjV6I_ce_XU5189OhFSMFbIImtJZNPZbOTYFE3EB62fu4ATiC4sOgPZKZ3mWjr72RPaVw3UuSIgC-6EmXJMWRd28QuciKbKuFl6VIVV4PE9Jb3EwVOB9Q5GgMe6X9NAbzljWWwc/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjV6I_ce_XU5189OhFSMFbIImtJZNPZbOTYFE3EB62fu4ATiC4sOgPZKZ3mWjr72RPaVw3UuSIgC-6EmXJMWRd28QuciKbKuFl6VIVV4PE9Jb3EwVOB9Q5GgMe6X9NAbzljWWwc/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_83.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_83.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content