देश विदेश की लोक कथाएँ — अफ्रीका की लोक कथाएँ–1 अफ्रीका, अंगोला, कैमेरून, मध्य अफ्रीका, कौंगो, मोरक्को संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता उत्तरी अफ्रीक...
देश विदेश की लोक कथाएँ —
अफ्रीका की लोक कथाएँ–1
अफ्रीका, अंगोला, कैमेरून, मध्य अफ्रीका, कौंगो, मोरक्को
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
उत्तरी अफ्रीका की लोक कथाएँ
6 countries of Northern Africa
(1) Western Sahara (2) Morocco (3) Algeria (4) Tunisia (5) Libya (6) Egypt
Egypt’s folktales are not given here.
10 चतुर सँपेरा[1]
यह लोक कथा उत्तरी अफ्रीका के मोरक्को देश की लोक कथाओं से ली गयी है।
खुदा सुलतान जादी[2] का भला करे कि एक बार उसका अपने महल में मन नहीं लग रहा था सो उसने अपने एक बाजा बजाने वाले को जिसका नाम मुहम्मद था बुलाया।
कुछ दिन उसने उस बाजा बजाने वाले के संगीत का आनन्द लिया और फिर अपने अच्छे मूड में आ गया। उसने फिर से हँसना शुरू कर दिया और सबसे हँसी मजाक करना शुरू कर दिया।
पर इस बात को बहुत दिन नहीं बीते थे कि वह अपने बाजा बजाने वाले से थक गया और उसने उस बदकिस्मत का सिर कटवा दिया।
फिर उसने अपने हार्प[3] बजाने वाले को जिसका नाम जोसेफ था उसको बुलाया। पर कुछ दिनों में उसके हार्प का संगीत भी उसके कानों में चुभने लगा और उसने उस हार्प बजाने वाले का सिर भी कटवा दिया।
और भी बहुत सारे लोग सुलतान का दिल बहलाने के लिये आये पर हर बार वह केवल कुछ ही दिनों के लिये खुश होता उसके बाद वह फिर बेचैन और गुस्सा सा हो जाता। सो वह फिर अपने सिपाहियों को बुलाता और उनके सिर काटने का हुकुम दे देता।
ये हालात इतने बिगड़े कि अब उसके राज्य में हर आदमी बैठा बैठा काँपने लगता। हर आदमी यही सोचता कि पता नहीं कब सुलतान उसको बुला ले और फिर कुछ दिन बाद उसको तलवार से मारने का हुकुम दे दे।
जल्दी ही हर आदमी उस सुलतान के शहर को छोड़ छोड़ कर जाने लगा — कहानी कहने वाले, गाने बजाने वाले, नाचने वाले, मदारी आदि आदि।
लेकिन एक सुबह सेल्हम[4] नाम का एक सँपेरा महल में आया और उसने बड़ी बहादुरी से यह ऐलान किया कि वह सुलतान का दिल बहलायेगा।
सुलतान के नौकर उसको सुलतान के पास ले आये। सुलतान ने भी उस सँपेरे की तरफ बड़े शौक से देखा जो अपनी बाँसुरी की धुन पर साँपों को खिलाता था। वह जब बाँसुरी बजाता था तो वे साँप उसके थैले, टाँगें और गरदन के चारों तरफ लिपट जाते थे।
उसने भी कुछ दिन सुलतान का दिल बहलाया पर बहुत दिन बीतने से पहले ही सुलतान का उससे भी दिल भर गया। वह अब उस सँपेरे को साँपों के साथ खेलते देखना नहीं चाहता था।
उस शाम सेल्हम जब अपनी बाँसुरी बजाने बैठा और उसके साँप इधर उधर घूमने लगे तो सुलतान बोला — “दोस्त, अब तुम्हारी यह बाँसुरी और तुम्हारे ये साँप काफी हो गये अब मैं अपने नौकरों को तुम्हारा सिर काटने का हुकुम दूँगा। ”
सेल्हम डर कर बोला — “जहाँपनाह, जैसे आपकी मरजी होगी वैसा ही होगा। पर आप मुझे एक मौका और दें। अगर आप मुझे एक मौका और देंगे तो यह आप ही के भले के लिये होगा। ”
सुलतान ने कहा — “ठीक है। मैं खुशी से तुमको एक मौका और दूँगा पर तुमको यह मौका मुझसे लेना पड़ेगा। तुमको यह मौका तब मिलेगा जब तुम कल मेरे सामने एक सवार और एक पैदल दोनों के रूप में एक साथ आओगे।
यह मेरा हुकुम है। और जो मेरा हुकुम नहीं मानते मैं उनको तलवार से मरवा दिया करता हूँ। ”
सेल्हम ने सुलतान को सिर झुकाया और चला गया। अगले दिन सुबह सवेरे उस सँपेरे को देखने से पहले सुलतान अपने छत पर खड़ा हुआ था।
जब महल के दरवाजे खुले तो सुलतान की आँखें तो फटी की फटी रह गयीं। वह कुछ बोल ही नहीं सका। सेल्हम एक बहुत ही छोटे से गधे पर चढ़ा दरवाजे में से हो कर अन्दर आ रहा था। इतना छोटा गधा सुलतान ने पहले कभी नहीं देखा था।
यह गधा इतना छोटा था कि कि सेल्हम के उस पर बैठने के बावजूद उसके दोनों पैर जमीन को छू रहे थे। सो जब वह सुलतान के सामने आया तो वह एक सवार भी था क्योंकि वह गधे पर सवार था और वह एक पैदल चलने वाला भी था क्योंकि उसके दोनों पैर जमीन से छू रहे थे।
सुलतान यह देख कर बहुत खुश हुआ और बोला — “बहुत अच्छे। तुमने वही किया जो तुम्हें करना था। पर अभी तुमने अपना काम पूरा नहीं किया है।
अगर तुम यह चाहते हो कि मैं तुमको तलवार वाले आदमी के हवाले न करूँ तो तुमको मेरे तीन सवालों के जवाब भी देने होंगे। मेरा पहला सवाल है – आसमान में कितने तारे हैं?”
सँपेरा बोला — “जहाँपनाह, आसमान में उतने ही तारे हैं जितने कि मेरे गधे के शरीर पर बाल हैं, उसकी पूँछ के बालों को छोड़ कर। आप चाहें तो गिन सकते हैं। ”
सुलतान उसकी तारीफ करते हुए बोला — “बहुत अच्छे। अब मेरा दूसरा सवाल है – हम धरती के कौन से हिस्से में हैं?”
सँपेरा बोला — “हम लोग धरती के बीच के हिस्से में है जहाँपनाह। ”
यह सुन कर सुलतान फिर हँस दिया और फिर बोला — “मेरा तीसरा और आखिरी सवाल। मेरी दाढ़ी में कितने बाल हैं?”
सँपेरा बोला — “आपकी दाढ़ी में उतने ही बाल हैं जितने बाल मेरे गधे की पूँछ में हैं। आप अपनी दाढ़ी कटवा दें और मैं अपने गधे की पूँछ कटवा देता हूँ फिर हम उनको साथ साथ गिन सकते हैं। ”
आखीर में सुलतान बोला — “नहीं नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं। तुम बहुत चतुर हो। ऐसा कोई सवाल नहीं जिसका जवाब तुम नहीं दे सकते। ”
उसने अपने एक दरबारी को बुलाया और उसको कुछ लाने के लिये कहा। कुछ ही देर में दरबारी वापस आया और उसने सेल्हम के हाथों में सोने के सिक्कों की एक थैली रख दी।
सँपेरे ने काफी झुक कर सुलतान को सलाम किया और बाहर खड़े अपने गधे के पास चला गया।
सुलतान एक बार फिर उस चतुर सँपेरे को अपने महल के दरवाजे से बाहर उस गधे पर सवार होते हुए और उसी समय पैदल चलते हुए देखने के लिये अपनी छत पर गया।
सेल्हम अपने उस छोटे से गधे पर सवार होते हुए और पैदल चलते हुए अपने घर की तरफ चलता चला जा रहा था।
देश विदेश की लोक कथाओं की सीरीज़ में प्रकाशित पुस्तकें —
36 पुस्तकें www.Scribd.com/Sushma_gupta_1 पर उपलब्ध हैं।
Write to :- E-Mail : hindifolktales@gmail.com
1 नाइजीरिया की लोक कथाएँ–1
2 नाइजीरिया की लोक कथाएँ–2
3 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1
4 रैवन की लोक कथाएँ–1
नीचे लिखी हुई पुस्तकें ई–मीडियम पर सोसायटी औफ फौकलोर, लन्दन, यू के, के पुस्तकालय में उपलब्ध हैं।
Write to :- E-Mail : thefolkloresociety@gmail.com
1 ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ — 10 लोक कथाएँ — सामान्य छापा, मोटा छापा दोनों में उपलब्ध
2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1 — 45 लोक कथाएँ — सामान्य छापा, मोटा छापा दोनों में उपलब्ध
नीचे लिखी हुई पुस्तकें हार्ड कापी में बाजार में उपलब्ध हैं।
To obtain them write to :- E-Mail drsapnag@yahoo.com
1 रैवन की लोक कथाएँ–1 — इन्द्रा पब्लिशिंग हाउस
2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1 — प्रभात प्रकाशन
3 इथियोपिया की लोक कथाएँ–2 — प्रभात प्रकाशन
नीचे लिखी पुस्तकें रचनाकार डाट आर्ग पर मुफ्त उपलब्ध हैं जो टैक्स्ट टू स्पीच टैकनोलोजी के द्वारा दृष्टिबाधित लोगों द्वारा भी पढ़ी जा सकती हैं।
1 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/08/1-27.html
2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–2
http://www.rachanakar.org/2017/08/2-1.html
3 रैवन की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1.html
4 रैवन की लोक कथाएँ–2
http://www.rachanakar.org/2017/09/2-1.html
5 रैवन की लोक कथाएँ–3
http://www.rachanakar.org/2017/09/3-1-1.html
6 इटली की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1_30.html
7 इटली की लोक कथाएँ–2
http://www.rachanakar.org/2017/10/2-1.html
http://www.rachanakar.org/2017/10/3-1.html
9 इटली की लोक कथाएँ–4
http://www.rachanakar.org/2017/10/4-1.html
http://www.rachanakar.org/2017/10/5-1-italy-lokkatha-5-seb-wali-ladki.html
11 इटली की लोक कथाएँ–6
http://www.rachanakar.org/2017/11/6-1-italy-ki-lokkatha-billiyan.html
http://www.rachanakar.org/2017/11/7-1-italy-ki-lokkatha-kaitherine.html
12 इटली की लोक कथाएँ–8
http://www.rachanakar.org/2017/12/8-1-italy-ki-lokkatha-patthar-se-roti.html
13 इटली की लोक कथाएँ–9
http://www.rachanakar.org/2017/12/9-1-italy-ki-lok-katha-do-bahine.html
14 इटली की लोक कथाएँ–10
http://www.rachanakar.org/2017/12/10-1-italy-ki-lok-katha-teen-santre.html
15 ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ
http://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_54.html
16 चालाक ईकटोमी
http://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_88.html
नीचे लिखी पुस्तकें जुगरनौट डाट इन पर उपलब्ध हैं
https://www.juggernaut.in/authors/2a174f5d78c04264af63d44ed9735596
1 सोने की लीद करने वाला घोड़ा और अन्य अफ्रीकी लोक कथाएँ
2 असन्तुष्ट लड़की और अन्य अमेरिकी लोक कथाएँ
3 रैवन आग कैसे लेकर आया और अन्य अमेरिकी लोक कथाएँ
4 रैवन ने शादी की और अन्य अमेरिकी लोक कथाएँ
5 कौआ दिन लेकर आया और अन्य अमेरिकी लोक कथाएँ
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Updated on May 27, 2018
लेखिका के बारे में
सुषमा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में सन् 1943 में हुआ था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र् और अर्थ शास्त्र् में ऐम ए किया और फिर मेरठ विश्वविद्यालय से बी ऐड किया। 1976 में ये नाइजीरिया चली गयीं। वहाँ इन्होंने यूनिवर्सिटी औफ़ इबादान से लाइबे्ररी साइन्स में ऐम ऐल ऐस किया और एक थियोलोजीकल कौलिज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहाँ से फिर ये इथियोपिया चली गयीं और वहाँ एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी के इन्स्टीट्यूट औफ़ इथियोपियन स्टडीज़ की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात इनको दक्षिणी अफ्रीका के एक देश, लिसोठो के विश्वविद्यालय में इन्स्टीट्यूट औफ़ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज़ में 1 साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से 1993 में ये यू ऐस ए आ गयीं जहाँ इन्होंने फिर से मास्टर औफ़ लाइब्रेरी एँड इनफौर्मेशन साइन्स किया। फिर 4 साल ओटोमोटिव इन्डस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में इन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और अपनी एक वेब साइट बनायी – www.sushmajee.com। तब से ये उसी वेब साइट पर काम कर रहीं हैं। उस वेब साइट में हिन्दू धर्म के साथ साथ बच्चों के लिये भी काफी सामग्री है।
भिन्न भि्ान्न देशों में रहने से इनको अपने कार्यकाल में वहाँ की बहुत सारी लोक कथाओं को जानने का अवसर मिला – कुछ पढ़ने से, कुछ लोगों से सुनने से और कुछ ऐसे साधनों से जो केवल इन्हीं को उपलब्ध थे। उन सबको देख कर इनको ऐसा लगा कि ये लोक कथाएँ हिन्दी जानने वाले बच्चों और हिन्दी में रिसर्च करने वालों को तो कभी उपलब्ध ही नहीं हो पायेंगी – हिन्दी की तो बात ही अलग है अंग्रेजी में भी नहीं मिल पायेंगीं।
इसलिये इन्होंने न्यूनतम हिन्दी पढ़ने वालों को ध्यान में रखते हुए उन लोक कथाओं को हिन्दी में लिखना पा्ररम्भ किया। इन लोक कथाओं में अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के देशों की लोक कथाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों की भी कुछ लोक कथाएँ सम्मिलित कर ली गयी हैं।
अभी तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी है। इनको “देश विदेश की लोक कथाएँ” क्रम में प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है। आशा है कि इस प्रकाशन के माध्यम से हम इन लोक कथाओं को जन जन तक पहुँचा सकेंगे।
विंडसर, कैनेडा
मई 2018
[1] The Clever Snake Charmer (Story No 26) – a folktale from Morocco, Northern Africa, Africa
Adapted from “Favorite African Folktales”, edited by Nelson Mandela.
[It is like the Beginning story of Arabian Nights, read it here http://sushmajee.com/shishusansar/stories-arabian-nights/prolog.htm ]
[2] King Zaadee
[3] Harp is a western kind of string musical instrument – see its picture above.
[4] Selham – the name of a Muslim snake charmer
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.
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