आरोप-प्रत्यारोप व अन्य लघुकथाएँ // डॉ. शैल चन्द्रा

SHARE:

लघुकथाएँ डॉ. शैल चन्द्रा आरोप - प्रत्यारोप राजू जोर-जोर से पिंटू के बारे में अनाप-शनाप कह रहा था। पिंटू को बीच -बीच में गालियाँ भी दे रहा था...

लघुकथाएँ

डॉ. शैल चन्द्रा

image

आरोप - प्रत्यारोप

राजू जोर-जोर से पिंटू के बारे में अनाप-शनाप कह रहा था। पिंटू को बीच -बीच में गालियाँ भी दे रहा था।

अचानक किसी कार्य से राजू की मम्मी वहाँ आ गईं। सदैव शांत सा रहने वाला राजू का यह नया रूप देखकर वे हैरान रह गईं।

उन्होंने राजू से पूछा-"राजू बेटे, तुम और पिटूं तो बहुत अच्छे दोस्त हो । सगे भाई की तरह तुम लोग रहते हो ।फिर क्या हो गया कि तुम उसके बारे में अनाप- शनाप कह रहे हो?"

राजू ने हंस कर कहा,"ओह मम्मी, यह तो हमारा खेल चल रहा है। मैं और पिंटू बड़े होकर नेता -मंत्री बनना चाहते हैं। इसी की हम लोग अभी से प्रैक्टिस कर रहे हैं।"

पिंटू ने उत्साहित होकर कहा,"जी हां,आंटी जी,अब मैं राजू के बारे में अनाप-शनाप बोलने वाला था कि आप आ गईं। हम लोग रोज टी.वी.पर देखते हैं कि दो विरोधी पार्टी के नेता आपस में एक दूसरे को अनाप-शनाप कहते हैं। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं। हम लोग भी आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रहे हैं।"

मम्मी जी यह सुनकर अवाक् रह गईं।

-----.

"बिजूका"

       " आरती, मेरा मोजा कहाँ है?"

आरती रसोईघर से दौड़ती हुई आई और पति का मोजा ढूंढने लगी। तभी मुनिया की आवाज आई।

   "मम्मी, मेरी टाई कहाँ है?"

आरती मोजा ढूँढना छोड़ कर टाई ढूंढने लगी। तभी ससुर जी ने पुकारा-"आरती बेटा, मेरी छड़ी कहाँ है? मुझे टहलने जाना है। "

अब वह छड़ी ढूंढने लगी।

यह सब देखकर सास ने मुँह बनाते हुए बेटे से कहा,"देख लो बेटा, महारानी न जाने दिन भर क्या करती है?एक चीज भी सही जगह पर नहीं रखती है।"

बेटे ने आरती को डांटते हुए कहा," माँ सच ही तो कह रही है। आखिर तुम दिन भर घर में पड़े-पड़े क्या करती हो? घर का सारा काम अधूरा पड़ा रहता है।"

आरती यह सब चुपचाप सुनती हुई उन सबको उनकी चीजें यथावत देकर क्षण भर के लिए गहरी सांस लेकर बैठ गई।

सुबह- सुबह रोज यही भागमभाग घर में मची रहती है। सुबह पांच बजे से रात ग्यारह बजे तक वह घरेलू कार्यों में मसरूफ रहती है। फिर भी वह आखिर करती क्या है? यह प्रश्न चिन्ह उसके माथे लगा रहता है।

उसे याद आया कि उसके गांव में खेतों में बिजूका(काग भगौड़ा)रखा जाता था। उसे खेतों में खड़ा करके पशु - पक्षियों से फसल को बचाया जाता था। वह दिन-रात खेतों की देखभाल किया करता था। इसके बावजूद उसे केवल एक निर्जीव पुतला मात्र समझा जाता है। उसे अहमियत नहीं दी जाती । क्या वह भी अपने घर के लिए केवल एक बिजूका मात्र है?

उसने एक गहरी साँस ली और अपनी सासु माँ के लिए चाय बनाने लगी।

           -----.

फ्री स्टाइल

ट्रान्सफर से आये उस विभाग के उच्च अधिकारी ने ज्वाइन करते ही पहला काम शुरू किया कि उन सारे कर्मचारियों के ट्रान्सफर की लिस्ट बना दी जो कर्मचारी उनके पहले कार्यरत अधिकारी के कार्यशैली के प्रशंसक और समर्थक थे तथा उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहते थे।

उन सारे कर्मचारियों का तबादला हो गया। अब उस विभाग में कोई भी कर्तव्यनिष्ठ, और ईमानदार कर्मचारी नहीं है।

बड़े साहब अब बड़े खुश हैं। उनका विभाग अब फ्री स्टाइल में कार्य कर रहा है।

---.

      "फाइल चल रही है"

संस्कृति विभाग से उस लेखक ने अपनी एक किताब के प्रकाशन हेतु पच्चीस हजार रूपये की सहायता राशि हेतु आवेदन दिया था। उस लेखक ने उस राज्य की सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित महत्वपूर्ण किताब लिखी थी।

आज उनकी फाईल को जमा हुए पूरे एक वर्ष हो चुके थे। लेखक महोदय हर महीने राजधानी आते और अपनी फाईल के बारे में जरूर पता लगाते।

आज वे उस विभाग के संचालक से कह रहे थे,"महोदय, मुझे पच्चीस हजार की सहायता राशि प्राप्त होगी की नहीं?अब तक तो मेरी किताब को छप जाना चाहिए था।"

संचालक महोदय ने कहा,"देखिये लेखक महोदय, आपकी फाइल चल रही है न।"

लेखक ने क्रोधित स्वर में कहा,"आज बारह महीने हो गए । यही सुन रहा हूँ की फाईल चल रही है। आखिर ये फाईल कब तक चलती रहेगी? ये कभी रुकेगी की नहीं ? थकेगी कि नहीं?"

यह सुनकर संचालक महोदय ने हँसते हुए कहा,"लेखक महोदय,आप तो इतने पढ़े-लिखे हैं। आप इतना जरूर जानते हैं कि सरकारी काम आज आवेदन दो और कल हो जाये । ये संभव ही नहीं है। अरे भई, कई बार हमारे देश के मुकदमे में कई पीढ़ियां मर-खप जातीं हैं । मुकदमा तब तक चलता ही रहता है। अब आपकी फाईल कितने वर्ष और चलेगी? ये मैं तो क्या भगवान भी नहीं बता सकता।"

यह सुनकर लेखक महोदय अपनी किस्मत को कोसते हुये वहाँ से निकल पड़े।

     "जवाब'

: गांव में अपनी बेटी के साथ रहने वाली माँ की तबीयत बिगड़ने पर शहर में रहने वाले बेटे को मजबूरन माँ के इलाज हेतु घर लाना पड़ा। चूंकि बीमारी गंभीर थी ।अतः माँ को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। बहु को सास की तीमारदारी करनी पड़ रही थी। जैसे -तैसे दो माह बीत गए। अब माँ अस्पताल से घर आ गईं थीं । अब तो बहु को सास की सेवा करने में अधिक अड़चन महसूस होने लगी।

एक दिन उसने अपने पति से कहा," जाने माँ जी यहाँ कब तक रहेंगी?मुझे तो उन्हीं की तीमारदारी से फुर्सत नहीं मिलती और माँजी पूरे समय खांसती रहती हैं। घर पर कोई आता है तो उनकी वजह से मुझे बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है। उन्हें वापस गांव क्यों नहीं भेज देते? ननद तो है ही । देखभाल वो कर लेगी।"

बेटे ने कहा, "अरे, धीरे बोलो, माँ सुन लेगी। कुछ दिन और सब्र करो। मैंने वकील को वसीयत के पेपर तैयार करने को कहा है। बस उसमें माँ के सिग्नेचर भर हो जाये फिर उन्हें गांव छोड़ आऊंगा।"

बहु ने यह सुना तो उसकी बांछें खिल गई।

अभी कुछ दिन ही बीते थे की माँ का स्वर्गवास हो गया। जैसे-तैसे तेरहवीं का कार्यक्रम हुआ ही था कि दूसरे दिन बहु खूब सज-धज कर कहीं जाने के लिए निकली। बेटी ने यह देखा तो उसने भाभी से पूछा,"भाभी जी

,अभी दुःख का यह पल ठीक से बिता भी नहीं है और आप ऐसे में इतना सज-धज कर कहाँ जा रहीं हैं?"

बहु ने कहा,"अरे, ऐसी बात नहीं है। मुझे तो माँजी के जाने का बहुत दुःख है इसलिए तो मैंने सोचा है कि माँजी को जो-जो पसन्द थे मैं वही सारे काम करुँगी।"

ननद ने आश्चर्य से पूछा,"परन्तु भाभी , माँ तो आपके पास मात्र डेढ़ महीने ही रही हैं फिर आप उनकी पसन्द-नापसन्द कैसे जानती हैं?"

बहु ने कहा," किसी की पसन्द जानने के लिये इतना समय काफी होता है। माँजी को मेरा सज संवर कर रहना पसंद था। वो खुद भी सुबह-शाम बालों में कंघी करवातीं थीं। उन्हें अच्छा -अच्छा खाना-पीना पसन्द था और

उन्हें बाहर घूमने का भी बड़ा शौक था। अब मैंने उनके सारे पसन्द अपना लिए हैं।'

ननद ने यह सुना तो दंग रह गईं। उसने कहा,"भाभी जी,आप एक चीज भूल रहीं हैं। माँ को बेटी भी बहुत पसंद थी। अब मैं हमेशा आपके साथ ही रहूंगी।"

बेटी का यह जवाब सुनकर बहु अवाक् रह गई।

---

    "उसका पिता होना"

राकेश का विवाह हुए लगभग दो साल हो चुके थे।वह अभी भी गैर जिम्मेदार ,बेपरवाह और मनमौजी ही था। उसके पिता आये दिन उसे समझाते कि अब वह विवाहित है ।उसकी अपनी जिम्मेदारी है परन्तु राकेश पर पिता की बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

गर्भवती पत्नी का ध्यान रखने उसे माँ हमेशा कहती पर वह टाल जाता। आज उसे खबर मिली कि वह पिता बन गया है। यह खबर सुनकर वह खुश तो हुआ पर दूसरे ही क्षण उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उसे चिंतित और परेशान देखकर उसके मित्र ने पूछा,"क्या हुआ भई, बेटा हुआ है और तुम खुश होने की बजाय दुःखी दिख रहे हो?"

राकेश ने कहा,-" अरे नहीं यार, मैं तो बहुत खुश हूँ पर अब मुझे कोई ढंग का काम खोजना पड़ेगा। ताकि मैं अपने बेटे की अच्छी परवरिश कर सकूँ। उसकी हर जरूरतों को पूरा कर सकूँ। "यह कहते हुए वह किसी जिम्मेदार पिता की तरह घर की ओर चल पड़ा।

-----------

   "आक्रोश"

पी.एस. सी.का रिजल्ट आ चुका था। राजेंद्र मिश्रा सिर पर हाथ रखे निराशा के गहरे गर्त में डूब रहा था।

उसका मित्र शोभाराम बड़ा ही प्रसन्न था। इस बार एस. टी.केटेगरी से उसका चयन पी. एस. सी. में हो गया था। उसका डिप्टी कलेक्टर बनना तय था। राजेंद्र मिश्रा क्या कहे ? शोभाराम उसका परम मित्र है ।उसे मित्र की सफलता पर हर्षित होना चाहिए पर--?

यह प्रश्न चिन्ह ही जैसे समाज के लिए खाई बन चुकी है। शोभाराम का रैंक 620 है और राजेंद्र मिश्रा का 110 है । शोभाराम कल डिप्टी कलेक्टर बन जायेगा और राजेंद्र मिश्रा शोभा राम से अधिक अंक लाने के बावजूद पांचवीं बार भी पी.एस. सी.की परीक्षा में असफल रहा।क्या पता कल डिप्टी कलेक्टर शोभाराम का चपरासी राजेंद्र मिश्रा हो।

यह सब सोचकर राजेंद्र मिश्रा आरक्षण की नीति और पद्धति पर आक्रोशित होने लगा।

----.

     "लिफाफा"

शुभदा और उनका परिवार एक विवाह समारोह में जाने के लिए तैयार था। शुभदा ने अपनी सासु माँ से पूछा,"मांजी, लिफाफे में कितना पैसा डालना है?"

मांजी ने कहा,"सौ रुपए डाल दो।"

        "बस केवल सौ रुपये ही?" शुभदा ने पुनः पूछा।

         "हाँ बाबा, हाँ, हम लोग एक क्लर्क के यहां शादी में जा रहे हैं। कोई कलेक्टर के यहां नहीं ? वे बेचारे तो जैसे-तैसे ही अपनी बेटी की शादी कर रहे हैं। वहाँ सौ रुपये ही पर्याप्त है।"

आज वे पुनः किसी विवाह समारोह में जाने हेतु तैयार थे। शुभदा ने मांजी से कहा,"मांजी मैं लिफाफे में सौ रूपये डाल रहीं हूँ । ठीक है न?"

मांजी ने झल्लाते हुए कहा," तुमसे किसने कहा सौ रुपये ही डालने को?"

शुभदा ने झेंपते हुए कहा,"मांजी, उस दिन आपने लिफाफे में सौ रुपए डालने के लिए कहा था। बस इसीलिए मैं कह रही थी।"

मांजी ने कहा,"हाँ, पर आज हम खन्ना साहब के यहाँ शादी में जा रहे हैं। जानती हो वे बहुत बड़े बिजनेस मेन हैं। उनका करोड़ों का कारोबार है। अब उनका और हमारा भी तो इमेज देखना है। ऐसा करो तुम लिफाफे में एक हजार रुपये डाल दो।"

शुभदा अपनी सास को भौंचक सी देखती रह गई ।

---


डॉ.शैल चन्द्रा

रावण भाठा, नगरी

जिला- धमतरी


सम्प्रति

प्राचार्य

हाई स्कूल, टांगा पानी

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आरोप-प्रत्यारोप व अन्य लघुकथाएँ // डॉ. शैल चन्द्रा
आरोप-प्रत्यारोप व अन्य लघुकथाएँ // डॉ. शैल चन्द्रा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjdm5MjTNvdlLQYdkuWpn-HdLIBhh3j5BhTjblw8CSgZsnbqOdIQgqGgC-aQD0QUOdetvownCftGFNvsg3Mk6Yv3MYZ06AHcfAZU0ti0C0oEx0Ezx_IMOQSZ5npIZfLP1_EcpJ9/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjdm5MjTNvdlLQYdkuWpn-HdLIBhh3j5BhTjblw8CSgZsnbqOdIQgqGgC-aQD0QUOdetvownCftGFNvsg3Mk6Yv3MYZ06AHcfAZU0ti0C0oEx0Ezx_IMOQSZ5npIZfLP1_EcpJ9/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_40.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_40.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content