देवेन्द्र कश्यप 'निडर' की कविताएँ

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कविताएं (चिंतन)          1-- कश्यप-निषाद गान मैं ही कश्यप कुली और मैं ही निषाद पुत्र हूँ । शत्रुओं का विकट शत्रु दोस्तों का सच्चा मित्र हूँ ...

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कविताएं (चिंतन)


         1-- कश्यप-निषाद गान


मैं ही कश्यप कुली और मैं ही निषाद पुत्र हूँ ।
शत्रुओं का विकट शत्रु दोस्तों का सच्चा मित्र हूँ ।।
मैं ही धनुर्धर एकलव्य के लगन का गन्तव्य हूँ ।
द्रोण जैसे गुरुओं को बेनकाब करने वाला शिष्य हूँ ।।
मैं ही कालू बाबा की योग्यता का गुरुत्व हूँ ।
जिसका फैला देश-दुनिया में व्यापक महत्व हूँ ।।
मैं ही पृथु निषाद हूँ जिससे पृथ्वी का अस्तित्व है ।
मैं ही देवर्षि नारद का गुरु हूँ जिनका पौराणिक महत्व है ।।
मैं ही बाबा मच्छेन्द्र नाथ गोरखनाथ का उस्ताद हूँ ।
जनहितैषी नाथ सम्प्रदाय का मैं ही सच्चा नाथ हूँ ।।
मैं ही रानी रासमणि देश धर्म की आन हूँ ।
काली कलकत्ता वाली के मन्दिर की शान हूँ ।।
मैं ही कश्यप........


श्रंग्वेपुरी नरेश की मित्रता का अक्स हूँ ।
विपदा में मित्र की मदद वाला सख्श हूँ ।।
मैं ही महर्षि कश्यप सृष्टि का निर्माता हूँ ।
हिरण्यकश्यप से लेकर होलिका जैसी माता हूँ ।।
राम जी को गंगापार कराने वाला मैं ही नत्थालाल केवट हूँ ।
बकाया उतराई पाने की प्रतीक्षा करने वाला मैं ही सच्चा सेवक हूँ ।।
धोखा देकर सताया मारा गया वही जरा एकलव्य हूँ ।
अरि से प्रतिशोध लेने वाला मैं ही भील एकलव्य हूँ ।।
मैं ही वेदव्यास चारों वेदों का सर्जक हूँ ।
भारत का भाल ऊंचा करने वाला मैं श्रेष्ठ अर्जक हूँ ।।
मैं ही महारानी सत्यवती महाभारत की कर्णधार हूँ ।
वेदव्यास महाज्ञानी की जन्मदायिनी व देश की खेवनहार हूँ ।।
मैं ही कश्यप.........


मैं ही निषद् देश का वासी महाराजा नल निषाद हूँ ।
प्रजा पालक मैं ही राष्ट्र का हरने वाला हर सन्ताप हूँ ।।
मैं ही सबसे पहले गोरों से टक्कर लेने वाला तिलका मांझी हूँ ।
यातनाएं सहकर फांसी का फन्दा चूमने वाला मैं ही असली राष्ट्रवादी हूँ ।।
मैं ही मल्लाह लोचन - समाधान की शान हूँ ।
जंगे आजादी 1857 के विद्रोह की आन हूँ ।।
मैं ही माउण्टेनमैंन दशरथ माझीं हूँ ।
गिरि की छाती चीरने वाला मैं ही सच्चा राही हूँ ।।
मैं ही जुब्बा साहनी अमर राष्ट्र भक्त हूँ ।
फिरंगी थाने को फूंकने वाला राष्ट्रप्रहरी सख्त हूँ ।।
मैं ही गढ़मण्मडला की रक्षिणी रानी दुर्गावती हूँ ।
दोस्तों का रक्षक दुश्मनों के लिए असली अरिवादी हूँ ।।
मैं ही कश्यप........


मैं ही लौहपुरुष जमुना निषाद की दृढ़ इच्छा शक्ति हूँ ।
कर्मशील संघर्षशील त्यागशील ऐसा प्रवाहित मैं रक्त हूँ ।।
मैं ही बिलासा केवट बिलासपुर को आबाद करने वाली हूँ ।
छत्तिसगढ़ की छाती को बरबाद होने से मैं ही बचाने वाली हूँ ।।
मैं ही मुम्बा देबी मुम्बई को बसाने वाली हूँ ।
दुनिया में भारत को नयी पहचान दिलाने वाली हूँ ।।
लोहा लिया हूँ मैं ही देश के दुश्मनों से अत्याचारियों से ।
मैं ही प्रेम करता रहा सदा सदाचारियों के ब्यवहार से ।।
देश के दुश्मनों को क्षत-विक्षत करने वाला मैं ही सच्चा राष्ट्रवादी हूँ ।।
अविरल प्रगति देश के खातिर समता कायम करने का हरदम आदी हूँ ।।
मैं ही राय साहब रामचरन मल्लाह की वकालत की वाक् हूँ ।
वंचितों को हक दिलाने वाला हर वक्त की ताक हूँ ।।
मैं ही कश्यप......


मैं ही जयपाल सिंह कश्यप के नेतृत्व की आग हूँ ।
मिलकर रहने की सीख देने वाला ब्यक्तित्व बेदाग़ हूँ ।।
मैं ही बीरबल साहनी बनकर विश्व को पूरा वनस्पति का ज्ञान दिया हूँ ।
दयाराम साहनी बनकर सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किया हूँ ।।
मैं ही 'निडर' सांसद वीरांगना फूलन देवी हूँ ।
शत्रुओं का वध करने वाली न्याय की सच्ची वेदी हूँ ।।
मैं ही दुनिया को झूम खेती सिखाने वाला हूँ ।
हल हंसिया खुरपा का प्रयोग बताने वाला हूँ ।।
मैं ही विश्व का पथप्रदर्शक तब रहा जब मार्ग न था ।
केवल जल के रास्ते थे आवागमन भी सुगम न था ।।
मैं ही मांझी पथिकों को अपनी कश्ती से नदी के उस छोर पहुँचाया हूँ ।
महराजा से लेकर महरा तक तय सफर किया हूँ ।।
मैं ही नयी दुल्हन के आबरू की हर बिपदा में सुरक्षित किया हूँ ।
भीमा भोई से लेकर भवानी भी बनकर देश की रक्षा किया हूँ ।।
मैं ही समुन्दर की लहरों को 'निडर' चीरने वाला हूँ ।
डूबते हुए हर इंसां को मैं ही जान बख्शने वाला हूँ ।।
मैं ही कश्यप...........


    2 -- भारतीय

           
जब-जब देश बना हिन्दू-मुस्लिम ,
राष्ट्र का रक्त बहा है सड़कों पर ।
जब भारत आगे आकर हुआ एक ,
तब जग में सुख-शान्ति बही है द्वारों पर ।।
कटुता फैलाने वाले करते रहे मौज ,
चाहे देश रुदन करे हर चौराहे पर ।
भारत का भला चाहने वालों ,
अब ऐसे दुष्टों की पहचान करो ।
उनके झांसों में बिल्कुल मत फंसना ,
जो सिंह वेष में छिपे हुए झट से पर्दाफाश करो ।
जो राष्ट्रभक्त बन कर रहे राष्ट्र प्रचार ,
इतिहास में मिली कहीं नहीं उनकी खुद्दारी ।
मुस्लमां से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण मांगने वालों ,
बताएं ! क्यों तारीख में देश से की है गद्दारी ।
देश के असली दुश्मन है वह ,
जो स्वार्थ खातिर कटुता फैलाते हैं ।
ऐसे अरि को ढ़ंग से समझाओ और बताओ ,
सच्चे सपूत मुल्क का मान नहीं गिराते हैं ।
जब जब मुल्क एक बना इसका भव्य विकास हुआ ।
तब नहीं कोई दुत्कार सका इसका प्रबल निखार हुआ ।
रहनुमाओं ने अमरबेल बना लिया मुद्दा हिन्दू-मुस्लिम ,
जिसने पेड़पर चढ़कर पेड़ को ही तहस-नहस किया ।
सियासतदां बाज आये अपनी काली करतूतों से ,
दम्भी राष्ट्रवादी क्यों अमरबेल सरीखे देश को बरबाद किया ।
आजादी के अन्दोलन में जो रहा देश का दीवाना हो ।।
उस कौम ने बढ़चढ़ कर जान का दिया नजराना हो ।।
उस पर वतनपरस्ती का सवाल उठाना ।
देश के लिए है गन्दी हिमाकत करना ।।
राजनीतिक लाभ के लिए वोटों के ध्रुवीकरण के लिए ,
हिन्दुओं को मुस्लिमों के विरुद्ध भड़काया जाता है ।
निजी लाभ के लिए मुख्यमन्त्री प्रधानमन्त्री बनने के लिए ,
मानव को मानव के मध्य मानवीय मकड़जाल में फंसाया जाता है ।।
यह कुटिल चाल अरि की समझो भाई
हिन्दू-मुस्लिम का छोड़ो मसला ,
इसमें ही है हम सबकी भलाई ।
तब कहीं नहीं होगी भारत की जगहंसाई ।
जब हिन्दू-मुस्लिम बन जायेंगे अच्छे भाई-भाई ।।
न तुम मुस्लिम हो और न मैं हिन्दू हूँ ,
केवल भारतीय हूँ , केवल भारतीय हूँ ।
हम सब भारत की सन्तानें हैं केवल देश के दीवाने हैं ।
इसलिए देश में रहने वाला हर कोई केवल भारतीय है ।।
देश में अमन चैन से विश्व फलक पर छा रहा भारत का दस्तूर है ।
भोले भाले समाज को तनिक भी न सताएं इसमें इनका क्या कसूर है ।।


        3 -- असली राष्ट्रवाद

          
निर्भय माहौल सृजन करके , भंयकर सब हुंकार भरे ;
नहीं रहे कोई जन पीड़ित , 'निडर' बन ललकार करें ।
सदा सर्वदा भारत की मिलकर सब जय जयकार करें ।।
राष्ट्रवन्दना न करने वाले दुष्टों का मिलकर सब संहार करें ।।
भारत के शेरों का अब सिंहनाद होगा ,
कायरता के बीजों का तब विनाश होगा ।
बीरों का जोश एक बार फिर जागेगा ,
तब देखोगे अरि सर पर पांव उठाकर भागेगा ।।
भारत के वीरों तुम्हें भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ना होगा ,
भूखे प्यासे नंग-धडंगों की खातिर तुमको ही भिड़ना होगा ।
यह कर्म है सबसे बड़ा पुण्य और है सबसे बेहतर सबाब ,
मिलकर मिटाओ सब कुरीति जो फैलाती है भेदभाव ।
राष्ट्रवाद का दम भरने वाले मानो यह भी है राष्ट्रभक्ति ,
मजलूमों में भर दो उजियारा मिल जायेगी तुमको परमशक्ति ।
सिसकती लोचन के दृग को तुमको ही पोंछना होगा ,
भारत के दुखदायी जीवन को तुमको ही रोकना होगा ।
राष्ट्रभक्ति की नई परिभाषा अब तुमको ही गढ़ना होगा ,
महरूमों-मजलूमों को तुमको ही अधिकार दिलाना होगा ।।
तब राष्ट्रशक्ति बढ़ जायेगी भारत का माथा भी ऊंचा हो जायेगा ,
प्रणाम घोष चहुंओर सुनायेगा फिर असली राष्ट्रवाद जिन्दा हो पायेगा ।
आन्तरिक शान्ति होते ही मुल्क के सरहद की बेहतर रक्षा होगा ,
दाखिल शत्रु नहीं हो पायेगा जब राष्ट्रप्रहरियों का बेहतर पहरा होगा ।
गर कोई बात करे सीधी साधी भाषा में सम्मान करो उसका ,
मधुर बात करके फैला दो जीवन को आशा में मान बढ़ा दो उसका ।।


                 

4 -- कवि की निजी बात


गिरवी रखकर कलम से लिखना , यह मुझको है स्वीकार नहीं ।
सिद्धान्तों से हटकर समझौता करना ,  यह भी है स्वीकार नहीं ।
राज समाज पर निर्भय लिखना 'निडर' को लगता है प्यारा ,
सत्ता चारण रहकर चाटुकार बनना , कतई मुझको मंजूर नहीं ।।
कलम चलेगी जब तक मेरी , निर्भय चेतन चिनगारी उगलेगी ,
नहीं हिलेगी सत्ता जब तक तेरी , जब तक तू न सुधरेगी ।
जन रक्षक हो हर सत्ताधारी खबरदार खुद्दार बने 'निडर' ,
नहीं रुकेगी कलम दिलेरी , बेईमान व्यवस्था जबतक न बदलेगी ।।
मैं केवल कवि नहीं , पिछड़ी-बिछड़ी बातों का रक्षक हूँ ,
मैं केवल जीव नहीं , वंचित जीवों का प्रबल संरक्षक हूँ ।
हाड़ तोड़ हक हीनों का प्रतिपल प्रेरक 'निडर' पुजारी हूँ ,
मैं केवल कलमकार नहीं , जग की कुरीति का भक्षक हूँ ।।
कलम उठेगी जब कवि की क्रान्ति देश में आयेगी ,
वंचित संचित बन जायेगा भ्रान्ति देश से जायेगी ।
सच को झूठ झूठ को सच ऐसा फन कमाल है कवियों का ,
मजलूमों का जब कवि प्रतिनिधि होगा शान्ति देश में आयेगी ।।
मेरी कवित्व की कल्पनाओं से देश-दुनिया का उद्धार हो ,
सबका सुन्दर सुधार हो खत्म व्यवस्था व्यभिचार हो ।
न कोई किंचित भयभीत हो न कोई अधीर हो 'निडर'
कविता में रवानी रहे भारत की आबाद जवानी रहे ।।

5 -- ऐसा हो भारत

       
अखण्ड अदम्य अतुल्य हो भारत ,
अविरल अक़लमन्द असीम हो भारत ।
कभी झुके न इसका माथा ,
अडिग अमिट अनुपम हो भारत ।।
भव्य भाल हो भारत का ,
सभ्य समाज हो भारत का ।
विश्व उदाहरण भारत बनकर ,
जग में वन्दन हो भारत का ।।
समता की लहर चले भारत में ,
विषमता की जड़े जले भारत में ।
बने आदर्श भारत दुनिया का  ,
करें तरक्की सब भारत में ।।
स्वच्छ सुन्दर अपना देश बन जाए ,
शिक्षित संस्कारिक हम आप बन जाए ।
विश्व गुरु का दर्जा फिर से कर ले वापस ,
यह सद् संकल्प सबके मन में ठन जाए ।।
हक वंचित हक लेने वाले हों ,
हर इंसां हर इंसां को इंसाफ दिलाने वाले हों ।
यही ख्वाब महापुरुषों ने था देखा ,
विश्व फलक पर डटे देश सब इच्छा रखने वाले हों ।।
आडम्बर पाखण्ड मुक्त वाला भारत बने ,
विधि विज्ञान युक्त वाला भारत बने ।
न फंसे न कोई अन्धविश्वास के मकड़जाल में ,
ऐसी सुन्दर सोच वाला भव्य भारत बने ।।

  6 -- आंचलिक प्रतिभाएं

                  
आंचलिक प्रतिभाएं निखर कर , देश का मान बढ़ा रही है ,
हमारे आपके बीच से बढ़कर , प्रगति की पताका फहरा रही है ।
गाँव-गेराव की मेधाएं सितम कर , विदेशी प्रज्ञा पर सितम ढ़ा रही हैं ।
जग को भारत नई दिशा दिखाकर , दुनिया को नया आयाम दे रही है ।
प्रतिभाओं को प्रणाम करो जो प्रणम्य हैं ,
नन्हीं मेधाओं को नमन करो जो सुनम्य हैं ।।
यही है भारत के असली भाग्य विधाता ,
गाँव को कोटिशः वन्दन जो प्रतिभाजनी सुभग्य है ।।
आंचलिक बच्चों का हौसला बढ़ा दीजिए , गाँव स्वयं ही बदल जायेंगे ।।
खेती-धन्धे को समुन्नत बना दीजिए , किसान स्वयं ही बदल जायेंगे ।।
खेत-खलिहान को सुविधा सम्पन्न बना दीजिए , ग्रामीण धन्धे खुद बढ़ जायेंगे ।।
बस यूँ ही गांव की प्रज्ञाओं का करते रहिए सम्मान , भारत के भाग्य बदल जायेंगे ।।
यह सम्मान नहीं है महज बच्चों का , भारत का अभिनन्दन है ।
मानो महज एहतराम नहीं प्रतिभाओं का , यह भारत का भी वन्दन है ।।
आओ हौसला बढ़ायें प्रज्ञाओं का , देश का नवनिर्माण करें ।
देश बने महापुरुषों के सपनों का , निश्छल 'निडर' नवल प्रयास करें ।।

      7 -- बलिदानियों-वन्दन

                
शहीदों तुम्हारा अभिनन्दन तुम पर देश को अभिमान है ।
न करे कोई तुम्हारा वन्दन समझो देश का अपमान है ।
देश खातिर जिन अमर सपूतों ने दिया सम्पूर्ण न्योछावर ,
ऐसे अमर शहीदों को हृदय से वन्दन जो अस्मिता की आन है ।।
देश धरा पर हुए फ़िदा जो उनको शीश झुकाता हूँ ।
राष्ट्र सुरक्षा के साधक जो उनको याद दिलाता हूँ ।।
जिनके बल पौरुष से होती सम्पूर्ण सरहद की रक्षा ,
ऐसे राष्ट्र बलवानों को प्रतिदिन वन्दन कर इतराता हूँ ।।
जिला जौनपुर के बेटे ने शान्ति कायम करने खातिर खूब संघर्ष किया ।
राष्ट्र सुरक्षा की उत्कण्ठा ने प्राणों का नजराना पेश किया ।।
धोखा देकर राजेश बिन्द को दुश्मन ने शहीद बनाया है ।
नाम तेरा हो अमिट-अमर तूने भी तो अरि के अगणित शीश उड़ाया है ।।
ऐसे अमर जवान राजेश बिन्द की गौरव कथा सुनाता हूँ ।
शहीद हुए जो राष्ट्र सुरक्षा की खातिर 'निडर' श्रद्धा पुष्प चढ़ाता हूँ ।।
                  

  8 -- शौचालय संकल्प


गन्दगी से मुक्त हो अपना देश , स्वच्छता से युक्त हो अपना वेष ।
फैला दो जनता में सन्देश , फैला दो........
मिलकर ऐसा कर दे काम , स्वच्छ हो जाये शहर औ गॉव ।
ऐसा फैला दो जन जन में पैगाम , ऐसा ..........
कस्बे गन्दगी के कब्ज से हो मुक्त , गॉव भी शौचालय से हो युक्त ।
ऐसा सब भर दो हुंकार , ऐसा सब ...........
न बच्चे न बूढ़े न नर न नारी , न जाये खुले में शौच किसी की महतारी ।
ऐसा जनजन में जय घोष कर दो , ऐसा ......
शौचालय से बताओ नफा-नुकसान , शौचालय बनवाओ
शर्म के मारे नव दुल्हन खाना खाती है कम , सोचती है रात में घर से निकलना पड़े कम ।
इस संकट से दुल्हन को बचा लो , इस संकट.....
गर घर में बना हो शौचालय , खाना खाने कोई टेन्शन नहीं चाहे रात हो या दिन ।
शौचालय बनवाकर अपनी शान बढ़ा लो , शौचालय..
शौचालय मर्द की मूंछ है , सभ्य समाज में इसके बिना न तुम्हारी पूँछ है ।
यह बात घर-घर बतायी जाये , यह बात........
शौचालय न बनने से सामाजिक समस्याएं न कम हो रही है ,
बलात्कार व्यभिचार ज्यादती सर्प दंश से नारियां मार झेल रही है ।।
शौचालय बन गयी शान का प्रतीक , मानो इज्जत मेरुदण्ड का बन चली हो सटीक ।
इज्जत की दुहाई देने वालो , अब तो अपने चक्षुओं को खोलो ।।
अब यह बात बतायी जाये , शौचालय न होने की व्यथा सुनायी जाये ।।
हो सके किसी का जमीर जगे , शौचालय बनवाने के लिए फिर कमर कसे ।।

  9 -- परेशान सीतापुर

               
कहीं लोग कपि तो कहीं भुजंग से परेशान हैं ,
कहीं किसान छुट्टा सांड़ से तो कहीं गाय से हलाकान है ।
तो कहीं भेड़िया सियारों ने लोगों को जीना किया हैं मुहाल ,
सीतापुर में नरभक्षी कुत्तों के आतंक से हाकिम-हुक्काम हैरान हैं ।।
कहीं लोग ज्यादा जल से परेशान हैं ,
तो कहीं लोग खारे पानी से हलाकान हैं ।
तो कहीं गन्दे पानी ने लोगों को जीना कर रक्खा है मुहाल ,
पर सीतापुर के भूड़वासी वाटर लेबल कम होने से हैरान हैं ।।
कहीं के विधायक राज्यमन्त्री बनने को परेशान है ,
तो कहीं विधायक जी कैबिनेट मन्त्री बनने को हलाकान है ।
तो कहीं कहीं के विधायक कई मन्त्रालय पाने को है आतुर ,
पर सीतापुर के विधायक मन्त्रालय से ज्यादा अवामी हक दिलाने को हैरान हैं ।।
कहीं लोग ध्वनि प्रदूषण से परेशान हैं ,
तो कहीं लोग वायु प्रदूषण से हलाकान हैं ।
कहीं-कहीं व्यवस्था प्रदूषण से लोगों की जिन्दगी पर घिर गया है संकट ,
पर सीतापुर के गांजरवासी पानी की तबाही से हैरान हैं ।।
कहीं लाठी डण्डा तो कहीं अंकुश मुसिक्का से मवेशी परेशान हैं ,
कहीं-कहीं खेतों की फसल से किसान भी बहुत हलाकान हैं ।
फसल अच्छी पैदावार न होने से गॉव में आ रहा भुखमरी का आलम ,
गॉव की समस्या के चलते सीतापुर शहर भी हैरान है ।।

10 -- वंचित चेतना

                  
सामाजिक क्रांति का बिगुल फूंकने आया हूँ ।
हक अब तक जो पा न सके उन्हें जगाने आया हूँ ।।
उठो कमर कसो अपने अधिकारों को छीनो तुम ।
वंचित जन जग जाओ अधिकारों को बीनों तुम ।।
होशियार हो दिमाग़ी बन्धक बनाने वाले से ।
तमाशबीन मत बन जाना भेड़ियों की खालों से ।।
रहो 'निडर' जीवन में मत बिगड़ ।
हौसला रख उम्मीद का दामन पकड़ ।।
जिन्दगी में चाहे जितनी पीड़ा हो ।
बस सामना करने का वीणा हो ।।
समझ चाल अरि की तनिक न डर ।
कदम उठा जीवन में साहस भर ।।
शारीरिक गुलामी वाले समझ गए ।
दुश्मन से भीषण प्रतिशोध लिए ।।
दिमाग़ी गुलामी वालों तुम कब जागोगे ।
भेदज व्यवस्था से तुम कब भागोगे ।।
जिस व्यवस्था ने धोखा देकर तुम्हें दुत्कार दिया ।
दिमाग़ी बन्धक वालों तुम्हें लगता है खूब सत्कार किया ।।
तरक्की मिले आपको जीवन में अरि से खबरदार बनाने आया हूँ ।।
सामाजिक क्रांति.........
अब चल निकल सामाजिक संग्राम में ।
मंजिल की ओर बढ़ मत ठहर विश्राम में ।।
युद्ध के विरुद्घ बुद्ध के शान्ति सन्देश में ।
गोरा कुम्हार जगदेव कुशवाहा के विशेष में ।
उठ जाग एकलव्य के मान में ।
मण्डल-फुले अवन्ती की शान में ।।
पेरियार नायकर ललई की आन में ।
मल्लाह रामचरन ऊधम की बान में ।।
मुहिम चला रामस्वरूप वर्मा के विचार से ।
गाडगे अम्बेडकर के कालजयी सुधार से ।।
फातिमा शेख के शैक्षिक योगदान से ।
सावित्री बाई के जो न थमी भीषण अपमान से ।।
क्रिमनल ट्राईब्स के विरुद्घ हुई हुंकार से ।
पासी मसुरियादीन के जंगी ललकार से ।।
समाज को जोड़ता चल ।
विषमता को तोड़ता चल ।।
संकीर्ण सोच की मत चलो डगर ।
कर्तव्य पथ पर डटे रहो ' निडर' ।।
महापुरुषों का ख्वाब पूरा करता चल ।
इंकलाब का दीप 'निडर' जलाता चल ।।
सोते हुए को उठाता चल ।
मंजिल पूरी तय करता चल ।।
सदियों सताए गए , सदा सहते रहे ।
अब होशियार बन , जुल्म-ज्यादती न सहे ।।
गर कोई सर उठे गुनहगारी का निडर भांजता चल ।।
मन में पल रही मन की भ्रांति उसे मिटाता चल ।।
ऐसे इंकलाब का घोष सुनाने आया हूँ ।।
सामाजिक क्रांति..............

रचनाकार -- सामाजिक चिंतक देवेन्द्र कश्यप 'निडर'
ग्राम -- अल्लीपुर
पत्रालय -- कुर्सी
तहसील -- सिधौली
जनपद -- सीतापुर
राज्य --उत्तर प्रदेश
पिन कोड - 261303

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देवेन्द्र कश्यप 'निडर' की कविताएँ
देवेन्द्र कश्यप 'निडर' की कविताएँ
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