याददाश्त की चोरी // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018

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याददाश्त की चोरी विज्ञान-कथा विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी बी. एस-सी. अन्तिम वर्ष का परीक्षा परिणाम देखकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी व प्राध्यापक...

याददाश्त की चोरी

विज्ञान-कथा

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विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी

बी. एस-सी. अन्तिम वर्ष का परीक्षा परिणाम देखकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी व प्राध्यापक चौंक गए थे। अतुल के विश्वविद्यालय में प्रथम आने की आशा की जा रही थी मगर वह साधारण श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था। इससे भी अधिक चौंकने की बात रवि का परीक्षा परिणाम था। रवि के साधारण श्रेणी में उत्तीर्ण होने की आशा थी। रवि ने विश्वविद्यालय में टॉप किया था।

परीक्षा परिणाम किसी के गले नहीं उतर रहा था। बी. एस-सी. अन्तिम वर्ष का परीक्षा परिणाम विश्वविद्यालय परिसर ही नहीं पूरे जयपुर शहर में चर्चा का विषय बन गया था।

अतुल साधारण मध्यम वर्ग परिवार का बच्चा था। रवि के पिता राजस्थान सरकार के एक बड़े अधिकारी थे। विरोधी दलों को, सरकार को घेरने का, घर बैठे अच्छा मुद्दा मिल गया था।

विरोधी दल सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने लगे थे।

राजनैतिक दलों ने अपने-अपने छात्र संगठनों को कह दिया था। छात्र संगठनों ने परीक्षा में धांधली होने का आरोप लगा कर आन्दोलन शुरु कर दिए थे। आन्दोलनकारियों की मांग थी कि सम्पूर्ण प्रकरण की न्यायिक जाँच कराकर दोषियों का दण्डित किया जावे। आन्दोलन के कारण परिसर में शिक्षण कार्य लगभग ठप्प था।

राजस्थान सरकार परीक्षा परिणामों को लेकर पूर्ण सतर्कता बरत रही थी। सरकार को शिक्षा क्षेत्र में ऐसी परेशानी उत्पन्न होने का कोई अनुमान नहीं था। कुछ माह पूर्व ही विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चिकित्साशास्त्र की प्री.पीजी परीक्षा में जोरदार घोटाला सामने आया था। उच्च शिक्षा मंत्री ने कड़ी मेहनत कर घोटाले को उजागर किया था। अपराधियों के विरुद्ध मुकदमें चल रहे थे। इस कारण सभी अधिकारी सचेत थे। ऐसे में एक नए परीक्षा घोटाले ने उच्च शिक्षा मंत्री को परेशान कर दिया था।

प्री पीजी परीक्षा में घोटाला सामने आने पर परीक्षा विभाग से संदिग्ध लोगों को अन्य विभागों में स्थानान्तरित कर दिया गया था। छाँट-छाँट कर ईमानदार लोगों को परीक्षा विभाग में लाया गया था। परीक्षा में नकल रोकने के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। एक सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में नकलरोधि दल गठित किया गया था। यही कारण था कि विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाएं उच्च मानदण्ड के साथ सम्पन्न हुई थी। एक दो आकस्मिक घटनाओं को छोड़ कर कहीं से भी कोई विपरीत समाचार नहीं आए थे। बी.एस-सी. अन्तिम वर्ष का परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया था।

अब तक की गई जांच में कोई भी ऐसा तथ्य सामने नहीं आया था जिसे बता कर आन्दोलन को कुछ शान्त किया जा सके। विरोधी दल तो मुखर थे ही, सत्ताधारी दल के लोग भी सरकार की आलोचना करने लगे थे। विरोधी दल शिक्षा मंत्री के आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हो रहे थे। मुख्यमंत्री को सरकार पर संकट नजर आने लगा था।

”सर सभी तथ्यों की जाँच मैंने स्वयं ने कर ली है।

कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई है। हैण्ड राइटिंग एक्सपर्ट, पेपर सेंटर, वीक्षक, परीक्षक पंजियक आदि सभी को अच्छी तरह टटोल लिया है। कहीं भी कुछ भी सन्देहजनक नजर नहीं आया है“ मुख्यसचिव ने स्पष्ट किया।

”आपकी बातों से मैं स्वयं ही संतुष्ट नहीं हूँ तो दूसरों को संतुष्ट कैसे कर सकता हूँ। अतुल का पिछला रिकॉर्ड उसे सर्वश्रेष्ठ घोषित करता है। कुछ देर के लिए मान लेते है अतुल के पर्चे इस बार अच्छे नहीं हुए। अतुल ने अपने बयान में इस बात को स्वीकार भी किया है। प्रश्न यह है कि रवि के पिछले रिकार्ड को देखते हुए उसके टॉप करने की बात कैसे समझाओगे? इस वर्ष उसने कोई खास मेहनत की हो यह तथ्य भी सामने नहीं आया है“ मुख्यमंत्री ने गम्भीरता से कहा।

”आप ठीक कह रहे हैं सर। मुझे भी लग रहा है कि दाल में कुछ काला जरूर है। परेशानी इस बात की है कि परीक्षा व्यवस्था में कोई खामी नजर नहीं आ रही है। बात कुछ और ही लगती है“ मुख्य सचिव बोले।

”घोटाला किसी भी स्तर पर हुआ हो, हुआ जरूर है।

घोटाले को पकड़ कर उसका पर्दाफाश कर दोषियों को दण्डित करना सरकार का काम है। आप तीन दिन में गुत्थी को सुलझाइए। पांच दिन बाद विधान सभा सत्र प्रारम्भ हो रहा है।

मैं नहीं चाहता कि विरोधी दलों को हमारे दल के असन्तुष्टों का साथ मिले।“ मुख्यमंत्री ने दृढ़ता से कहा।

मुख्यमंत्री के निर्देशों ने मुख्यसचिव को परेशान कर दिया। मुख्यसचिव को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।

अपने तरकश के सभी तीर तो वे आजमा चुके थे। एक बार गृह सचिव से सलाह करने की बात उन्हें सूझी।

”सर मेरे पास एक व्यक्ति है जो शायद इस समस्या को सुलझा दे। युवा पुलिस अधीक्षक हितेष बहुत सूझबूझ व आधुनिकतम ज्ञान का स्वामी है। किसी कनिष्ठ अधिकारी को इतना बड़ा काम सौंपना आप पसन्द नहीं करेगें, इसी कारण मैंने यह नाम आपको अभी तक नहीं सुझाया था। अब सभी बड़े अधिकारी हथियार डाल चुके हैं तो हितेष को आजमाया जा सकता है। मुझे तो पूरा विश्वास है कि वह एक ही दिन में प्रकरण ही तह तक पहुँच जाएगा“ गृह सचिव ने सुझाया।

”जब आपको इतना विश्वास है तो हितेष को एक दिन का समय देने का रिस्क मैं लेने को तैयार हूँ। आप कल इसी समय पूरे ब्यौरे के साथ उपस्थित हों“ मुख्य सचिव ने तुरन्त फैसला सुना दिया।

दूसरे दिन जब गृहसचिव मुख्यसचिव से मिलने आए तब उनके साथ दो व्यक्ति और थे। एक को पहचानते हुए मुख्यसचिव बोले ”आइए डॉ. रघुनंदन, कैसे हैं आप?“ डॉ. रघुनंदन अमेरिका में उच्च स्तर का अनुसंधान कर प्रसिद्धि पा चुके भारतीय वैज्ञानिक थे। गत एक वर्ष से वे जयपुर में रह कर प्रेक्टिस कर रहे थे। मुख्य सचिव डॉ. रघुनंदन के कार्य से प्रभावित थे मगर उस समय उन्हें गृह सचिव के साथ अपने ऑफिस में देख कर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई थी।

”डॉ. रघुनंदन आपको कोई अतिआवश्यक कार्य हो तो जल्दी कहिए। मुझे गृह सचिव से अति महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करनी है“ मुख्य सचिव ने कहा।

”डॉ. रघुनंदन किसी काम से नहीं आए हैं। पुलिस अधीक्षक हितेष इन्हें यहां लाए है“ डॉ. रघुनंदन ने मुख्यसचिव की बात का कोई उत्तर नहीं दिया तो गृह सचिव ने स्पष्ट किया।

”क्या अर्थ है इस बात का? आपने पुलिस अधीक्षक हितेष को विश्वविद्यालय काण्ड की जांच करने को कहा और यह डॉ. रघुनंदन के पास अपने दिमाग का ईलाज कराने पहुँच गया। आपको दिया गया 24 घन्टे का समय बीत गया है।

आप अभी तक कोई सूचना मुझे नहीं दे पाए हैं“ मुख्यसचिव ने झल्लाते हुए कहा।

”हितेष ने प्रकरण निपटा दिया है। अपराधी आपके सामने हाजिर है“ गृह सचिव ने बताया।

”क्या कहते हो ?“ इस रहस्योद्घाटन पर चौंक गए थे मुख्य सचिव।

”गृह सचिव जी ठीक ही कह रहे हैं। रवि को विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान दिलाने का कार्य मेरा ही है, मगर मैंने आपकी परीक्षा व्यवस्था में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया है। मुझे अपराधी बता कर ठीक नहीं कर रहे गृह सचिव“ डॉ. रघुनंदन ने विरोध प्रकट करते हुए कहा।

”एक साथ दो विरोधी बातें कैसे कर रहे हो डॉ. रघुनंदन ? एक ओर तो कह रहे हो कि रवि को विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान तुमने दिलाया और दूसरी ओर कह रहे हो कि तुमने परीक्षा प्रणाली में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। फिर ऐसा कौन-सा जादू चलाया कि एक साधारण छात्र बिना मेहनत के विश्वविद्यालय का टॉपर बन गया ?“ मुख्यसचिव ने बात का सूत्र पकड़ते हुए कहा।

”मुख्यसचिव महोदय मैं एक वैज्ञानिक हूँ। जादू टोना करना मेरा काम नहीं है। मेरी खोज को लोगों को जादू का करिश्मा लगे तो मैं क्या करूं“ डॉ. रघुनंदन ने धैर्य पूर्वक उत्तर दिया।

”अच्छा तो बताओं कि तुमने ऐसा कौन-सा आविष्कार किया है जिससे बिना पढ़े टॉपर बना जा सकता है?“ मुख्य सचिव ने प्रश्न किया।

”मैंने एक इंजेक्शन तैयार किया है। इससे व्यक्ति की याददाश्त बहुत बढ़ जाती है। एक बार का पढ़ा भी हूबहू याद रह जाता है। यह याददाश्त अस्थायी होती है। 20-25 दिन में समाप्त हो जाती है। हमारे देश में परीक्षा टॉप करने के लिए इतना बहुत है। मैंने कोई अपराध नहीं किया है। इन्हें कहे कि मुझे जाने दे। कल शाम से ही मिस्टर हितेष ने मुझे पकड़ रखा है“ डॉ. रघुनंदन ने कुछ क्रोधित होते हुए कहा।

मुख्य सचिव ने प्रश्नवाचक दृष्टि से हितेष की ओर देखा।

”सर डॉ. रघुनंदन को हमने अपहरण व चोरी के अपराध में पकड़ा है“ पुलिस अधीक्षक हितेष ने शान्तिपूर्वक मगर दृढ़ता से उत्तर दिया।

”मैंने कोई चोरी नहीं की सर। आप तो मुझे अच्छी तरह जानते हैं। मेरे पास किस बात की कमी है जो मैं चोरी करूगां“ डॉ. रघुनंदन ने अपने तर्क द्वारा मुख्यसचिव को प्रभावित करने का प्रयास किया।

”आप ठीक कह रहे हैं डॉ. रघुनंदन आपके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं है। आप धन की चोरी क्यों करेगें।

सर हमने डॉ. रघुनंदन को याददाश्त की चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है“ इस बार उत्तर गृहसचिव ने दिया।

”याददाश्त की चोरी ?..... यह कैसे संभव है?“ मुख्यसचिव ने आश्चर्य प्रकट किया।

”सर दुनिया के लिए यह संभव नहीं है मगर डॉ. रघुनंदन ने असंभव को संभव कर दिया है। मानव याददाश्त की चोरी का विश्व का यह पहला उदाहरण है“ हितेष ने विश्वास के साथ कहा।

”तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो? पुख्ता प्रमाण है तुम्हारे पास?“ मुख्य सचिव ने शंका प्रकट की।

”सर पक्के प्रमाण मिलने पर ही हम डॉ. रघुनंदन को आपके पास लाए हैं। रवि व अतुल का सूक्ष्म निरीक्षण करने पर इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दोनों के कपाल में सुई प्रवेश कराने हेतु छिद्र बनाए गए हैं। अतुल के घर वालों से प्राप्त जानकारी के अनुसार परीक्षा से कुछ दिन पूर्व अतुल कुछ घण्टों के लिए घर से रहस्यमय ढंग से गायब रहा था। फिर अचानक अपने कमरे में अर्द्धचेतन अवस्था में पाया गया था। अतुल के घर वालों ने उस घटना पर अधिक ध्यान नहीं दिया इसी कारण डॉ. रघुनंदन का प्रयोग अब तक छिपा रह सका है“ पुलिस अधीक्षक ने बताया।

”अभी तक बात ठीक तरह प्रमाणित नहीं हुई। डॉ. रघुनंदन जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को मात्र शक के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। छोटी चूक भी हमारे लिए बड़ी परेशानी बन सकती है। हम उपहास के पात्र बन सकते हैं“ मुख्यसचिव ने चिन्ता प्रकट की।

”ऐसा नहीं होगा सर। हमने इंटरनेट पर डॉ. रघुनंदन के अमेरिका में किए प्रयोगों के विषय में प्रकाशित शोध पत्रों को पढ़ा है। उनकी प्रतियां भी प्राप्त कर ली है। मेरा मानना है कि मात्र चोरी के आरोप से बचने के लिए डॉ. रघुनंदन अपनी महान खोज का श्रेय छोड़ना नहीं चाहेंगे। क्या मैं सही कह रहा हूँ डॉ. रघुनंदन?“ हितेष ने डॉ. रघुनंदन की ओर प्रश्नसूचक दृष्टि से देखते हुए कहा।

”हितेष सही कह रहा है मुख्य सचिव महोदय। मैंने मानव स्मृति को स्थानान्तरित करने का युगपरिवर्तक अनुसंधान किया है। इस प्रयोग की पुष्टि हेतु ही मैंने अतुल की याददाश्त की चोरी कर अपने भतीजे रवि के मस्तिष्क में डाला है“ डॉ. रघुनंदन ने अपराध स्वीकारते हुए कहा।

”क्या इस बात को कुछ और स्पष्ट करेगें डॉ. रघुनंदन?“ मुख्यसचिव ने जानना चाहा।

अमेरिका में रहते हुए ही मैंने यह ज्ञात किया था कि जीवों में याददाश्त का संग्रह दो रूपों में होता है। स्थायी याददास्त ठोस अणुओं के रूप संग्रहित होती है। ऐसे अणु बहुत कम बनते हैं। इनकी जीवन अवधि बहुत लम्बी होती है। इन्हें स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता। जब कि अस्थायी याददाश्त तरल रूप में होती है। मैंने पाया कि यह तथ्य मानव पर भी लागू होता है। हमारे यहां परीक्षा देने में अस्थायी याददाश्त का ही उपयोग होता है। इस खोज के बाद में अस्थायी याददाश्त को एक जीव के मस्तिष्क से निकाल कर दूसरे के मस्तिष्क में डालने की विधि विकसित करने के प्रयोग में लग गया था।

जन्तुओं पर मेरे प्रयोग पूर्णतः सफल रहे। मानव पर प्रयोग करने की अनुमति अमेरिका में नहीं मिली तो मैं भारत आ गया। अनुमति मिलना तो यहां भी संभव नहीं था। भारत में गुपचुप कार्य करना संभव था। मैंने अपना प्रयोग सफलता पूर्वक पूरा किया है। परिणाम आपके सामने है। सफलता देखकर भारत सरकार शायद अनुमति दे दे“ डॉ. रघुनंदन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा।

”भारत सरकार क्या करेगी यह तो मैं नहीं बता सकता मगर राजस्थान सरकार आपको गिरफ्तार करती है“ मुख्य सचिव ने कहा और मुख्यमंत्री को फोन करने में व्यस्त हो गए। मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को संदेश देना चाहते थे कि विधान सभा सत्र प्रारम्भ होने से पहले ही प्रकरण सफलता पूर्वक निपटा लिया गया था।

ई मेल : vishnuprasadchaturvedi20@gmail.com

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रचनाकार: याददाश्त की चोरी // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
याददाश्त की चोरी // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
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