बिल्ली की गवाही जासूसी-कथा विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी ए क अधेड़ महिला श्रीमती लूसी अपने कमरे में मृत पाई गई थी। प्रारम्भिक जाँच से इस बात का आभा...
बिल्ली की गवाही
जासूसी-कथा
विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी
ए क अधेड़ महिला श्रीमती लूसी अपने कमरे में मृत पाई गई थी। प्रारम्भिक जाँच से इस बात का आभास मिल था कि किसी ने उनकी हत्या की थी। हत्या के समय श्रीमती लूसी अपने घर में अकेली थी। पति डेविड से कुछ अनबन के कारण लूसी अपने पिता के घर में अकेली रह रही थी। लूसी की एक बेटी थी पर वह होस्टेल में रह कर पढ़ रही थी।
लूसी की नौकरानी जरीना सुबह काम पर आई तो हमेशा की तरह उसे मुख्य द्वार खुला मिला। वह अन्दर आकर सीधे किचन में चली गई तथा अपना कार्य करने लगी थी।
प्रतिदिन ऐसा ही होता था। लूसी सात बजे अपने बेडरूम से निकल कर मुख्यद्वार का ताला खोलती फिर ब्रश करके पुनः अपने बेडरूम में चली जाती। बेडरूम में जाकर या तो पुनः लेट जाती या कुछ पढ़ने लगती। जरीना किचन की सफाई कर चाय बनाती तथा लूसी को देती थी। लूसी अपने लिए चाय लेने के बाद एक कप जरीना को पकड़ा देती थी। इसी बहाने जरीना से लूसी को इधर-उधर की बातें सुनने को मिल जाती थी।
उस दिन जरीना चाय लेकर लूसी के कमरे में पहुँची तो देखा लुसी मेम साहब अभी सोई हुई थी। जरीना ने सोचा वापस आँख लग गई होगी। उसने चाय को टेबल पर रख कर कुछ क्षण इन्तजार किया कि शायद स्वतः ही नींद खुल जावे।
जब मेम साहब ने कोई प्रतिक्रिया प्रदर्शित नहीं की तो उसने आवाज लगाई मेम साहब उठिए! मैं चाय लेकर आई हूँ।
लूसी ने जरीना को कह रखा था कि कभी उसे पुनः नींद आ जावे तो वह उसे उठा दिया करे। शायद ही कभी ऐसा अवसर आया हो कि जरीना को आवाज देकर लूसी मेम साहब को उठाना पड़ा हो। जरीना की पदचाप सुनते ही लूसी उठ बैठती थी। उस दिन ऐसा नहीं हुआ तो जरीना घबरा गई।
उसने पास जाकर लूसी मेम के हाथ को हिलाकर उठाने का प्रयास किया। मेम को छूते ही जरीना स्तब्ध रह गई। लूसी का हाथ एक ओर लटक गया था। उसकी आंखे कुछ खुली थी तथा जीभ का कुछ भाग बाहर निकला था। वह दृष्य देख जरीना के मुँह से चीख निकल गई। जरीना बाहर की ओर दौड़ी तथा मदद के लिए चिल्लाने लगी।
कुछ ही समय में कई पड़ोसी जमा हो गए। किसी ने लूसी की नब्ज देखी तो किसी ने पुलिस को फोन किया था।
पुलिस के साथ आए डाक्टर ने लूसी को मृत घोषित कर दिया था। पुलिस के सामने प्रश्न यह था कि लूसी की हत्या किसने और क्यों की? पुलिस को पता चला कि रात्रि तक पड़ोसियों ने लूसी को ठीक हालत में देखा था। कार्य निपटाकर जरीना के घर लौटते समय भी लूसी सही मूड़ में थी। इससे पुलिस को लगा कि लूसी को उसकी हत्या का कोई पूर्वाभास नहीं था।
अचानक हत्या का कारण, सामान्यतः चोरी या बलात्कार होता है। वहां वैसा कोई चिन्ह दिखाई नहीं दे रहा था जिससे दोनों में से किसी को भी हत्या का कारण माना जा सके।
पोस्टमार्टेम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना बताया गया था। श्वासनली की कुछ उपास्थियों के टूटी मिलने से यह बात स्पष्ट हो गई थी कि किसी ने बहुत सफाई से गला घोट कर लूसी की हत्या की थी। रिपोर्ट में मृत्यु का समय मध्य रात्रि के पूर्व का बताया गया था। पूछताछ करने पर लूसी के पति डेविड ने किसी भी प्रकार की जानकारी से साफ इंकार कर दिया था। उसने यह भी स्पष्ट कर दिया कि घटना की रात वह दूसरे शहर गया हुआ था। पुलिस जांच में इस बात की पुष्टि भी हो गई थी। डेविड उस रात किसी अन्य कस्बे की होटल में ठहरा हुआ था।
कई माह के प्रयास के बाद भी स्थानीय पुलिस से प्रकरण को नहीं सुलझा पाई थी। प्रकरण रोयल केनेडियन माउन्टेड पुलिस को सौंप दिया गया। रोयल पुलिस के अनुभवी जासूसों ने स्थानीय पुलिस द्वारा दी गई फाइल का गहराई से अध्ययन किया। हत्या के संभावित कारण को जानने के प्रयास में पाया कि लूसी की मौत का लाभ उसके परितक्य पति डेविड को मिला था। लूसी के बीमे की 5 लाख डालर की राशि का नामित डेविड था। लूसी की मौत के कुछ दिन बाद उसने बीमे के पैसे उठा कर खर्च भी कर दिए थे। स्पष्ट था कि डेविड को पैसे की बहुत आवश्यकता थी। शक का कुछ आधार मिलते ही जासूसों ने डेविड के चारों ओर अपना जाल फैलाना प्रारम्भ कर दिया।
कुछ दिन बाद डेविड को लूसी की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया। डेविड का कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया था। पुलिस के पास डेविड के खिलाफ कोई मजबूत सबूत नहीं था। रोयल पुलिस के जासूस ने उसे बताया ‘‘हमारे पास ठोस सबूत है। मिस्टर डेविड आपकी प्रिय बिल्ली स्नोबाल ने आपके विरुद्ध गवाही दी है।’’ स्नोबाल का नाम सुनते ही एकबार तो डेविड का मुँह उतर गया था। जल्दी ही सम्भल कर डेविड बोला ‘‘बिल्ली भी कभी गवाही देती है? और दे भी दे तो क्या कोर्ट उसे सुनता है?’’ कोर्ट में रोयल पुलिस ने बताया कि फॉरेनसिक रिपोर्ट में लूसी के हाथ में एक बाल चिपका हुआ पाया गया था।
स्थानीय पुलिस ने इस बात को कोई महत्व नहीं दिया। हमने जांच की तो पता चला कि बाल किसी बिल्ली था। बिल्ली के बाल तथा हत्यारे में कोई न कोई सम्बन्ध रहा होगा इस बात को ध्यान में रख कर हमने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। लूसी के हाथ में मिले बाल के डीएनए फिंगरप्रिन्ट्स का मिस्टर डेविड की प्रिय बिल्ली स्नोबाल के डीएनए के फिंगरप्रिन्ट्स से मिलान करने पर दोनों के डीएनए फिंगरप्रिन्ट्स ठीक एक समान पाये गये थे।
लूसी के परिचितों से ज्ञात हुआ कि लूसी बिल्ली से दूर ही रहती थी। कुछ का कहना था कि डेविड के बिल्ली प्रेम के कारण ही लूसी उससे अलग रहने लगी थी। स्पष्ट था की घटना की रात डेविड लूसी के सम्पर्क में आया था। डेविड के कपडे़ पर लगे बाल ही लूसी के हाथ में लगा होगा। डेविड को पैसों की जरुरत थी। लूसी की बेटी रीमा ने बयान दिया था कि घटना से कुछ दिन पूर्व डेविड ने लूसी से रकम मांगी थी।
पुलिस का कहना था कि डेविड ने योजनापूर्वक लूसी की हत्या की थी। घटना के दिन डेविड ने दूसरे शहर में अपनी उपस्थिति बताने के लिए होटल में जा ठहरा था। गहराई से जाँच करने पर पता चला कि घटना के दिन डेविड दोपहर बाद होटल से बाहर निकला था और देर रात्रि में वापस लौटा था।
डेविड शाम को जरीना के जाने के तुरन्त बाद लूसी के यहाँ आया था और हत्या कर लौट कर होटल चला गया था। लूसी के मकान से अच्छी तरह परिचित होने के कारण डेविड को अन्दर घुसने में कोई परेशानी नहीं हुई। जाते वक्त मुख्य द्वार से बाहर निकलना और उसे खुला छोड़ देना भी डेविड की सोची समझी चाल थी।
कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार कर डेविड को आजन्म कारावास की सजा सुनाई। किसी जानवर के डीएनए को न्यायालय में साक्ष के रूप में स्वीकार करने का यह विश्व में प्रथम प्रकरण था। इस प्रकरण ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि हत्यारा कितना ही होशियार क्यों नहीं हो, हत्या के स्थान पर कोई न कोई सबूत जरूर छोड़ता है। पुलिस चतुर और साधन सम्पन्न हो तो उस सबूत के सहारे हत्यारे को सजा दिला ही देती है।
❒ ई मेल : vishnuprasadchaturvedi20@gmail.com
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