देश विदेश की लोक कथाएँ — पूर्वीय अफ्रीका : पूर्वीय अफ्रीका की लोक कथाएँ जिबूती, ऐरिट्रीया, केन्या, मैडागास्कर, रीयूनियन, सोमालिया, सूडान, यू...
देश विदेश की लोक कथाएँ — पूर्वीय अफ्रीका :
पूर्वीय अफ्रीका की लोक कथाएँ
जिबूती, ऐरिट्रीया, केन्या, मैडागास्कर, रीयूनियन, सोमालिया, सूडान, यूगान्डा
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
Cover Page picture: Blue Nile Falls, Ethiopia
Published Under the Auspices of Akhil Bhartiya Sahityalok
E-Mail: sushmajee@yahoo.com
Website: http://sushmajee.com/folktales/index-folktales.htm
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Copyrighted by Sushma Gupta 2014
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Map of Eastern Africa
12 countries of East Africa
(1) Djibouti, (2) Eritrea, (3) Ethiopia, (4) Kenya, (5) Madagaskar (6) Mozambique
(7) Rwanda Burundi, (8) Somalia, (9) Sudan, (10) Swaziland, (11) Tanzania, (12) Uganda
Ethiopia and Tanzania’s folktales are given separately.
विंडसर, कैनेडा
मार्च 2017
Contents
सीरीज़ की भूमिका 4
पूर्वीय अफ्रीका की लोक कथाएँ 5
1 शेर, खरगोश और हयीना 7
2 सौ जानवर 14
3 नदी की आत्मा 28
4 तीन उम्मीदवार 41
5 हयीना जिसने एक लड़की से शादी की 47
6 गधे के कान वाला राजा 55
7 कृतज्ञ साँप 59
8 जादुई चिडे, का मीठा गाना 68
9 फ़सीटो बाजार गया 74
सीरीज़ की भूमिका
लोक कथाएँ किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएँ हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले ये लोक कथाएँ केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।
आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएँ अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएँ हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएँ तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएँ हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएँ यहाँ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याएँ आयी है जिनमें से दो समस्याएँ मुख्य हैं।
एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है, चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रें द्वारा समझाया गया है।
ये सब कथाएँ “देश विदेश की लोक कथाएँ” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएँ आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।
सुषमा गुप्ता
मई 2016
पूर्वीय अफ्रीका की लोक कथाएं
संसार में सात महाद्वीप हैं – एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अन्टार्कटिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया – सबसे पहले सबसे बड़ा और सबसे बाद में सबसे छोटा। इस तरह अफ्रीका साइज़ और जनसंख्या दोनों में एशिया से दूसरे नम्बर पर आता है। अफ्रीका की जनसंख्या 1 बिलियन से ज्यादा है और उनमें से भी इसमें 50 प्रतिशत जनता 20 साल की उम्र से कम की है। इस तरह से यह दुनियाँ का सबसे ज़्यादा जवानों का महाद्वीप है।
इस महाद्वीप में संसार के सातों महाद्वीपों में सबसे ज्यादा देश हैं – 54 देश। मिश्र, इथियोपिया, यूगान्डा, तनज़निया, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, ज़िम्बाब्वे और नाइजीरिया यहाँ के जाने माने देशों में आते है। इस महाद्वीप में संसार का सबसे बड़ा रेगिस्तान भी है – सहारा रेगिस्तान। इसने अफ्रीका का 25 प्रतिशत हिस्सा घेरा हुआ है। इसकी मुख्य नदियाँ हैं नील नदी, ज़ाम्बेज़ी नदी, कौंगो नदी। इसकी मुख्य झील है विक्टोरिया झील जो तीन देशों में बँटी है – केन्या. यूगान्डा और तनज़ानिया। नील नदी इस विक्टोरिया झील से यूगान्डा के उत्तर की तरफ से निकलती है और उत्तर की तरफ ही चली जाती है। इसका मुख्य पहाड़ है किलिमन्जारो जो तनज़ानिया में है। इसमें तीन ज्वालामुखी चोटियाँ हैं।
इसके इथियोपिया देश को “तेरह महीने की धूप का देश” पुकारा जाता है। इसके लिसोठो देश को “आकाश में राज्य” नाम से पुकारा जाता है। [1] इसके मिश्र देश के पिरामिडों को कौन नहीं जानता। वे संसार के आठ आश्चर्यों में से एक हैं।
बहुत बड़ा होने की वजह से इसमें पूर्व से ले कर पश्चिम तक और उत्तर से ले कर दक्षिण तक बहुत भिन्नता है – खाने में, पीने में, पहनने में, रहने सहने में, लोगों की शक्लों में, भाषा में। पर एक बात सबमें एक सी है कि यहाँ के बहुत सारे देश फुटबाल खेलते हैं। यहाँ की जनसँख्या में ईसाई और मुसलमान करीब आधे आधे हैं।
इस महाद्वीप का अपना लिखा साहित्य और इसके बारे में लिखा साहित्य और दूसरे महाद्वीपों की तुलना में बहुत कम मिलता है इसी वजह से हमने इस महाद्वीप की लोक कथाएँ हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने का विचार किया है। इस महाद्वीप से हमने 400 से भी अधिक लोक कथाएँ इकठ्ठी की हैं। अफ्रीका के 54 देशों में से केवल कुछ ही देशों की ही लोक कथाएँ ज़्यादा मिलती हैं – नाइजीरिया, घाना, मिश्र, ज़ंजीबार, पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिणी अफ्रीका, इथियोपिया आदि। इसलिये इन देशों की लोक कथाए इन देशों के नाम से ही दी गयीं हैं। दूसरे, अफ्रीका में नाइजीरिया और घाना देशों की लोक कथाओं में अनन्सी मकड़े, खरगोश और कछुए का अपना एक अलग ही स्थान है इसलिये इन तीनों की लोक कथाएँ भी अलग से ही दी गयीं है।
पूर्वीय अफ्रीका अफ्रीका महाद्वीप के पूर्व में स्थित हिस्से का नाम है। इसके पूर्व में लाल सागर है और पश्चिम में मध्य अफ्रीका के देश हैं। बहुत पुराने समय से लाल सागर यातायात का एक बहुत बहुत बड़ा साधन रहा है। और अब स्वेज नहर बन जाने से तो इसका महत्व इसमें यातायात बढ़ जाने से बहुत ही अधिक बढ़ गया है क्योंकि भारत चीन आदि देशों से यूरोप को जाने वाले और यूरोप से पूर्व के देशों की तरफ आने वाले अब सब जहाज़ बजाय दक्षिण अफ्रीका का चक्कर काटने के स्वेज़ नहर से निकल कर चले जाते हैं। इससे इथियोपिया और जिबूती के बन्दरगाहों का इस्तेमाल अब बहुत बढ़ गया है।
पूर्वीय अफ्रीका में 12 देश आते हैं – ऐरिट्रीया, इथियोपिया, जिबूती, सोमालिया, सूडान, केन्या, मैडागास्कर, रुआन्डा बुरून्डी,, मोज़ाम्बीक, तनज़ानिया और यूगान्डा। नेलसन मन्डेला ने एक पुस्तक सम्पादित[2] की है जिसमें उन्होंने अफ्रीका के कई देशों से ली गयी 32 कथाएँ प्रकाशित की हैं। हम कुछ उन कथाओं में से और कुछ दूसरी जगहों से पूर्वीय अफ्रीका के देशों की कथाएँ चुन कर अपने हिन्दी भाषा भाषियों के लिये इस “पूर्वीय अफ्रीका की लोक कथाएँ” नाम की पुस्तक में प्रस्तुत कर रहे हैं।
क्योंकि इथियोपिया की लोक कथाएँ बहुत हैं उसकी कथाएँ हमने एक अलग पुस्तक में प्रकाशित की हैं “इथियोपिया की लोक कथाएँ–1” और “इथियोपिया की लोक कथाएँ–2”। [3] इसके अलावा तनज़ानिया के एक द्वीप ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ भी बहुत हैं इसलिये उसकी कथाएँ भी हमने एक अलग पुस्तक में प्रकाशित की हैं – “ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ”[4]। शेष देशों की लोक कथाएँ इस पुस्तक में दी जा रही हैं।
आशा है दूसरे लोक कथाओं के संग्रहों की तरह लोक कथाओं का यह संग्रह भी तुम सब लोगों को बहुत पसन्द आयेगा।
1 शेर, खरगोश और हयीना[5]
पूर्वीय अफ्रीका की यह लोक कथा केन्या देश की लोक कथाओं से ली गयी है।
एक बार की बात है कि सिम्बा[6] शेर अपनी गुफा में अकेला रहता था।
जब वह जवान था तब तो उसे वहाँ अकेला रहना कुछ ज़्यादा बुरा नहीं लगता था पर इस कहानी से पहले उसकी टाँग में इतनी ज़ोर से चोट लग गयी कि वह अपने लिये खाना ही नहीं ला सका। तब उसको लगा कि एक ज़िन्दगी में एक साथी का होना कितना जरूरी होता है।
उसकी हालत तो बहुत ही खराब हो जाती अगर सूंगूरू बड़ा खरगोश[7] एक दिन उसकी गुफा में उससे मिलने नहीं आता तो।
जब सूंगूरू बड़े खरगोश ने सिम्बा शेर की गुफा में झाँका तो उसको लगा कि शेर बहुत भूखा है। वह तुरन्त ही अपने बीमार दोस्त की देखभाल और उसके आराम का इन्तजाम करने के लिये दौड़ गया।
बड़े खरगोश की अच्छी देखभाल से सिम्बा शेर धीरे धीरे अच्छा हो गया और उसकी ताकत भी वापस आ गयी।
सूँगूरू बड़ा खरगोश भी अब अपने दोनों के लिये छोटे छोटे शिकार पकड़ कर लाने लगा था और उन शिकारों की वजह से बहुत जल्दी ही शेर की गुफा के दरवाजे पर हड्डियों का ढेर भी जमा होने लगा।
एक दिन न्यान्गौ हयीना[8] अपने लिये खाना ढूँढ रहा था कि उसको हड्डियों की खुशबू आयी। वह खुशबू उसको सिम्बा शेर की गुफा तक ले आयी। पर क्योंकि वे हड्डियाँ गुफा के अन्दर से भी देखी जा सकतीं थीं इसलिये वह उन हड्डियों को बिना शेर के देखे नहीं चुरा सकता था।
अपनी जाति के और हयीनाओं की तरह क्योंकि वह हयीना भी एक कायर था इसलिये उसने सोचा कि अगर उसको वह स्वादिष्ट खाना खाना है तो उसको सिम्बा शेर से दोस्ती बनानी चाहिये। सो वह उस गुफा में अन्दर घुसा और खाँसा।
खाँसने की आवाज को देखने के लिये कि यह आवाज कहाँ से आयी सिम्बा शेर बोला — “कौन शाम को यह भयानक आवाज कर रहा है?”
शेर की बोली सुन कर हयीना के पास जितनी हिम्मत थी वह भी जाती रही फिर भी वह बोला — “यह मैं हूँ तुम्हारा दोस्त न्यान्गौ हयीना।
मैं तुमसे यह कहने आया हूँ कि जंगल के जानवर तुमको बहुत याद कर रहे हैं। और हम सब तुम्हारे अच्छे हो कर अपने बीच में जल्दी आने की दुआ मना रहे हैं। ”
शेर गुर्राया — “निकल जाओ यहाँ से। तुम झूठ बोल रहे हो क्योंकि अगर तुम मेरे दोस्त होते तो बजाय इन्तजार करने के मेरी तबियत का हाल बहुत पहले ही पूछते। वह सब तो तुमने किया नहीं और अब आये हो मुझे याद करने। चले जाओ यहाँ से। ”
हयीना बेचारे ने अपनी पूँछ अपने पिछले पैरों के बीच में दबायी और भाग लिया वहाँ से। पीछे से वह बड़ा खरगोश खड़ा खड़ा हँस रहा था।
हयीना वहाँ से चला तो गया पर वह उन हड्डियों के ढेर को नहीं भूल सका जो शेर की गुफा के दरवाजे पर पड़ा था।
हयीना ने सोचा — “मैं फिर वहाँ जाने की कोशिश करूँगा। ” सो कुछ दिन बाद एक दिन जब बड़ा खरगोश शाम का खाना पकाने के लिये नदी पर पानी लेने गया था तब हयीना ने फिर एक बार शेर के घर आने की सोची।
वह जब शेर के घर आया तो शेर अपनी गुफा के दरवाजे पर ही सो रहा था। न्यान्गौ हयीना धीरे से बोला — “दोस्त, मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारी टाँग का घाव बहुत ही धीरे धीरे भर रहा है क्योंकि तुम्हारा दोस्त सूंगूरू बड़ा खरगोश तुम्हारी देखभाल ठीक से नहीं कर पा रहा है। ”
सिम्बा शेर गुर्राया — “क्या मतलब है तुम्हारा? मुझे तो सूंगूरू खरगोश का धन्यवाद देना चाहिये कि मुझे अपनी बीमारी के बुरे दिनों में उस बेचारे की वजह से भूखा नहीं मरना पड़ा। जबकि तुम और तुम्हारे कोई भी साथी तो मुझे देखने तक नहीं आये। ”
हयीना उसको विश्वास दिलाता हुआ बोला — “पर जो कुछ मैंने तुमसे कहा है वह सच है। सारे जंगल में यह बात सभी जानते हैं कि सूंगूरू बड़ा खरगोश तुम्हारा इलाज ठीक से नहीं कर रहा है ताकि तुम्हारा घाव देर से भरे।
क्योंकि जब तुम ठीक हो जाओगे तो वह तुम्हारे घर में जो नौकर की तरह काम कर रहा है वहाँ से निकाल दिया जायेगा। और यह नौकर की जगह तो उसके लिये बड़ी आरामदायक जगह है।
मैं तुमको पहले से बता रहा हूँ कि सूंगूरू बड़ा खरगोश यह सब तुम्हारे अच्छे के लिये नहीं कर रहा है। ”
उसी समय सूंगूरू बड़ा खरगोश नदी से घड़े[9] में पानी भर कर ले आया। उसने अपना घड़ा नीचे रखा और हयीना से बोला — “उस दिन की घटना के बाद तो मुझे तुमको यहाँ शाम को देखने की बिल्कुल ही उम्मीद नहीं थी। इस समय तुमको क्या चाहियेÆ”
सिम्बा शेर बड़े खरगोश से बोला — “मैं तुम्हारे बारे में न्यान्गौ की कहानियाँ सुन रहा हूँ। वह कह रहा है कि तुम सारे जंगल में बहुत ही होशियार और चालाक डाक्टर हो।
उसने मुझसे यह भी कहा कि जो दवा तुम देते हो वे किसी और के पास नहीं हैं। पर साथ में वह यह भी कह रहा था कि तुम मेरा घाव और पहले ठीक कर सकते थे अगर यह तुम्हारी भलाई में होता तो। क्या यह सच है?”
सूंगूरू खरगोश ने एक पल के लिये सोचा कि यह सब क्या हो रहा है। वह जानता था कि उसको यह मामला बहुत ही सँभाल कर सुलझाना है क्योंकि उसको पक्का शक था कि यह न्यान्गौ हयीना उसके साथ कोई चाल खेलना चाहता है इसी लिये उसने यह सब सिम्बा शेर से कहा है।
सो उसने हिचकिचाते हुए शेर को जवाब दिया — “हाँ और ना। आप तो जानते हैं कि मैं एक बहुत छोटा सा जानवर हूँ और कभी कभी वे दवाएँ जिनकी मुझे जरूरत पड़ती है बहुत बड़ी होती हैं और मैं उनको नहीं ला सकता हूँ जैसा कि सिम्बा शेर जी आपके साथ हुआ है। ”
अब शेर को यह जानने की इच्छा हुई कि उसके साथ क्या हुआ है तो वह बैठा हो गया और सूँगूरू बड़े खरगोश से पूछा — “क्या मतलब? क्या हुआ है मेरे साथ? मुझे साफ साफ बताओ। ”
बड़ा खरगोश बोला — “अब यही ले लें। मुझे आपके घाव पर लगाने के लिये हयीना की पीठ की खाल के एक टुकड़े की जरूरत थी ताकि वह जल्दी से भर जाये पर मैं इतना छोटा सा जानवर, मैं भला उसकी खाल कैसे लाता। ”
यह सुनते ही इससे पहले कि हयीना वहाँ से भागे शेर न्यान्गौ हयीना पर टूट पडा, और उसकी पीठ से सिर से ले कर पूँछ तक एक लम्बी सी पट्टी फाड़ कर अपनी टाँग के घाव पर बाँध ली।
जैसे ही शेर ने हयीना की पीठ से वह पट्टी फाड़ी उसके शरीर के जो बाल खिंच गये थे वे सारे के सारे बाल खड़े ही रह गये। तबसे आज तक न्यान्गौ और दूसरे हयीना के बाल लम्बे खुरदरे और खड़े हुए होते हैं।
इस घटना के बाद तो सूंगूरू बड़ा खरगोश डाक्टर की हैसियत से बहुत ही मशहूर हो गया क्योंकि हयीना की खाल की पट्टी बाँधने के बाद तो सिम्बा शेर की टाँग का घाव बहुत ही जल्दी भर गया था। पर न्यान्गौ हयीना अपना मुँह दूसरे जानवरों के बीच में बहुत दिनों तक नहीं दिखा सका।
[1] “Land of Thirteen Months of Sunshine” and “Kingdom in the Sky”
[2] Mandela, Nelson (ed). “Favorite African Stories”. 32 stories.
[3] Both the books, “Ethiopia Ki Lok Kathayen-1” and “Ethiopia Ki Lok Kathayen-2” by Sushma Gupta have been published by Prabhat Publications, India, New Delhi. 2017.
[4] “Zanzibar Ki Lok Kathayen” by Sushma Gupta written in Hindi language
[5] The Lion, the Hare and the Hyena – a Hare and Hyena folktale from Kenya, East Africa.
Adapted from the book: “Favorite African Folktales”, edited by Nelson Mandela.
Retold by Phyllis Savory
[6] Simba is the name of the lion in Eastern and Southern African countries.
[7] Soongooroo hare – hare is the rabbit-like aimal but it is bigger than him in size. See its picture above. Soongooroo is his name Eastern and Southern African countries.
[8] Nyangau Hyena – Hyena is a tiger-like animal. Nyangau is Hyen’sa name in Eastern and Southern African countries. see its picture above.
[9] Translated for the word “Gourd”. Gourd is dried outer cover of a pumpkin like fruit. See its picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.
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