देश विदेश की लोक कथाएँ — पूर्वी अफ्रीका–ज़ंज़ीबार : ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता 5 गोसो मास्टर जी [1] एक बार गोसो नाम का एक आद...
देश विदेश की लोक कथाएँ — पूर्वी अफ्रीका–ज़ंज़ीबार :
ज़ंज़ीबार की लोक कथाएँ
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
5 गोसो मास्टर जी[1]
एक बार गोसो नाम का एक आदमी था जो बच्चों को स्कूल में नहीं बल्कि एक कैलेबाश[2] के पेड़ के नीचे पढ़ाया करता था।
एक शाम वह पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और बच्चों को पढ़ाने के लिये अपना अगले दिन का पाठ तैयार कर रहा था कि पा हिरन[3] उस पेड़ के फल चुराने के लिये उस पेड़ पर बहुत जल्दी से चढ़ गया।
फल तोड़ते समय उससे एक कैलेबाश के फल नीचे गिर गया। वह कैलेबाश का फल मास्टर जी के सिर पर गिरा और उससे मास्टर जी मर गये।
जब अगली सुबह मास्टर जी के शिष्य आये तो उन्होंने देखा कि मास्टर जी तो मरे पड़े हैं। वे सब बहुत दुखी हुए। उन्होंने मास्टर जी को बड़ी शान से दफनाया पर साथ में उन्होंने यह भी फैसला किया कि वे यह भी पता लगा कर रहेंगे कि उनके मास्टर जी को किसने मारा।
काफी बातचीत के बाद उनको लगा कि दक्षिणी हवा उनके मास्टर जी की मौत के लिये जिम्मेदार थी। सो उन्होंने दक्षिणी हवा को पकड़ लिया और उसको खूब पीटा।
लेकिन दक्षिणी हवा चिल्लायी — “मैं कूसी हूँ दक्षिणी हवा[4]। तुम लोग मुझे क्यों पीट रहे हो, मैंने क्या किया है?”
वे बोले — “हाँ हाँ हम जानते हैं कि तुम दक्षिणी हवा कूसी हो पर वह तुम ही हो जिसने हमारे मास्टर जी के सिर पर कैलेबाश फेंका जिससे वह मर गये। ”
पर कूसी दक्षिणी हवा बोली — “अगर मैं इतनी ताकतवर होती कि तुम्हारे मास्टर जी पर कैलेबाश फेंक सकती तो क्या मुझे एक मिट्टी की दीवार रोक सकती थी?”
“यह तो तुम ठीक कह रही हो। ” सो वे मिट्टी की दीवार के पास गये और उसको जा कर पीटने लगे।
वह मिट्टी की दीवार बोली — “अरे मैं कीयाम्बाजा हूँ – मिट्टी की दीवार। तुम मुझे क्यों पीट रहे हो। मैंने क्या किया हैÆ”
वे बोले — “हाँ हाँ हमें मालूम है कि तुम कीयाम्बाजा हो – मिट्टी की दीवार। पर वह तुम ही हो जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया, जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
लेकिन कीयाम्बाजा दीवार बोली — “अगर मैं इतनी ताकतवर होती जो कूसी हवा को रोक सकती तो क्या मुझे कोई चूहा खोद सकता था?”
शिष्यों ने सोचा बात तो यह यह ठीक ही कह रही है सो वे चूहे के पास पहुँचे और उसे पीटना शुरू कर दिया। पर वह चूहा चिल्लाया — “अरे अरे, मैं पान्या हूँ, पान्या चूहा[5]। मैंने क्या किया है। तुम मुझे क्यों पीट रहे हो?”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हम जानते हैं कि तुम पान्या चूहा हो। पर तुमने कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद किया है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका। और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
पान्या बोला — “जरा सोचो, अगर मैं इतना ताकतवर होता कि कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद कर सकता तो क्या बिल्ला मुझे खा सकता था?”
मास्टर जी के शिष्यों ने सोचा कि यह बात तो यह पान्या चूहा ठीक ही कह रहा है सो वे बिल्ले को ढूँढने निकले। उन्होंने बिल्ले को ढूँढा और उसको पीटना शुरू कर दिया।
पाका बिल्ला[6] बोला — “अरे यह तुम लोग क्या कर रहे हो? मैं तो पाका बिल्ला हूँ। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? तुम मुझे क्यों मार रहे हो?”
शिष्यों ने कहा — “हाँ हाँ हम जानते हैं कि तुम पाका बिल्ला हो। पर वह तुम ही हो जो पान्या चूहे को खाते हो। पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका, और फिर कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
पाका बिल्ला बोला — “सोचो तो अगर मैं इतना ताकतवर होता जो पान्या चूहे को खा सकता होता तो क्या मैं रस्से से बाँधा जा सकता था?”
शिष्यों ने सोचा कि यह बिल्ला तो ठीक ही कह रहा है सो वे रस्से की खोज में चल दिये। जब उनको रस्सा मिल गया तो उन्होंने उस रस्से को पीटना शुरू कर दिया।
काम्बा रस्सा बोला — “अरे अरे तुम मुझे क्यों पीट रहे हो? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? मैं काम्बा रस्सा[7] हूँ। मुझे बताओ तो कि मैंने किया क्या है। ”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हम जानते हैं कि तुम काम्बा रस्सा हो। पर वह तुम ही हो जो पाका बिल्ले को बाँधते हो। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका, और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
काम्बा रस्सा बोला — “अगर मैं इतना ताकतवर होता जो पाका बिल्ले को बाँध सकता होता तो क्या कीसू चाकू[8] मुझे काट सकता था?”
शिष्यों ने सोचा यह तो ठीक ही बोल रहा है सो वे चाकू की खोज में चल दिये। जब उनको चाकू मिल गया तो उन्होंने चाकू को पीटना शुरू कर दिया।
कीसू चाकू चिल्लाया — “अरे यह तुम क्या कर रहे हो? मुझे क्यों पीट रहे हो? मैं कीसू चाकू हूँ मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हम जानते हैं कि तुम कीसू चाकू हो। पर वह तुम ही हो न जो काम्बा रस्से को काटते होे। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
कीसू चाकू बोला — “अगर मैं इतना ही ताकतवर होता जो मैं काम्बा रस्सा काट सकता होता तो क्या मुझे आग जला सकती थी?”
शिष्यों ने सोचा कि कीसू कह तो ठीक ही रहा है इसका कोई कुसूर नहीं है सो वह आग ढूँढने चल दिये। जैसे ही उनको आग मिली उन्होंने उसको पीटना शुरू कर दिया।
मोटो आग[9] चिल्लायी — “भाइयो मैं तो मोटो आग हूँ तुम मुझे क्यों पीट रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हमें मालूम है कि तुम मोटो आग हो। पर वह तुम ही तो हो जो कीसू चाकू को जलाती हो। कीसू चाकू काम्बा रस्से को काटता है। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत होगयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
मोटो आग बोली — “अगर मैं इतनी ताकतवर होती कि मैं कीसू चाकू को जला सकती तो क्या मैं पानी से बुझायी जा सकती थी?”
शिष्यों ने सोचा मोटो आग ठीक बोल रही है उसकी कोई गलती नहीं है सो वे पानी की खोज में चल दिये। जैसे ही उनको पानी मिला तो उन्होंने पानी को पीटना शुरू कर दिया।
माजी पानी[10] चिल्लाया — “अरे भाइयों मुझको क्यों पीटते हो? मैं माजी पानी हूँ। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हमें मालूम है कि तुम माजी पानी हो। पर वह तुम ही हो जो मोटो आग को बुझाते हो। मोटो आग कीसू चाकू को जलाती है। कीसू चाकू काम्बा रस्से को काटता है। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
माजी पानी बोला — “जरा सोचो, अगर मैं इतना ही ताकतवर होता जो मोटो आग को बुझा सकता तो क्या गोम्बे बैल मुझे पी सकता था?”
शिष्यों ने सोचा यह माजी पानी तो बिल्कुल ठीक बोल रहा है सो वह बैल की खोज में चल दिये। जब उनको बैल मिल गया तो उन्होंने बैल को मारना शुरू कर दिया।
इस पर बैल चिल्ला पड़ा — “अरे भाइयों तुम नुझे क्यों पीट रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? मैं तो गोम्बे बैल हूँ। ”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हमें मालूम है कि तुम गोम्बे बैल हो पर वह तुम ही हो जो माजी पानी को पीते हो। माजी पानी मोटो आग बुझाता है। मोटो आग कीसू चाकू को जलाती है। कीसू चाकू काम्बा रस्से को काटता है। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
गोम्बे बैल बोला — “जरा सोचो अगर मैं इतना ही ताकतवर होता जो माजी पानी को पी सकता तो क्या कोई मक्खा मुझे तंग कर सकता था?”
शिष्यों ने सोचा कि बात तो यह गोम्बे बैल ठीक ही कह रहा है हम इसको बेकार ही मार रहे हैं सो वे मक्खे की खोज में चल दिये। जैसे ही उनको मक्खा मिला उन्होंने उसको पीटना शुरू कर दिया।
ईन्ज़ी मक्खा[11] बोला — “भाइयों तुम लोग मुझको क्यों पीट रहे होÆ मैं तो ईन्ज़ी मक्खा हूँ। मैंने क्या किया?”
शिष्य बोले — “हाँ हाँ हमें मालूम है कि तुम ईन्ज़ी मक्खा हो। पर वह तुम ही तो हो जो गोम्बे बैल को तंग करते हो। गोम्बे बैल माजी पानी को पीता है। माजी पानी मोटो आग बुझाता है।
मोटो आग कीसू चाकू को जलाती है। कीसू चाकू काम्बा रस्से को काटता है। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा ने मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
ईन्ज़ी मक्खा बोला — “भाइयो जरा सोचो तो अगर मैं इतना ही ताकतवर होता कि मैं गोम्बे बैल को तंग कर सकता होता तो क्या कोई हिरन मुझे खा सकता था?”
शिष्यों को लगा कि वे तो ईन्ज़ी मक्खे को बेकार में ही पीट रहे हैं वह तो बिल्कुल ही बेकुसूर है सो वे हिरन की खोज में चल दिये। जैसे ही उनको पा हिरन मिला बस उन्होंने पा हिरन को पीटना शुरू कर दिया।
पा हिरन चिल्लाया — “अरे मैं तो पा हिरन हूँ। तुम मुझे क्यों पीट रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”
शिष्य बोले — “हाँ हम जानते हैं कि तुम पा हिरन हो पर तुम ही तो वह हो जो ईन्ज़ी मक्खे को खाते हो। ईन्ज़ी मक्खा गोम्बे बैल को तंग करता है। गोम्बे बैल माजी पानी को पीता है।
माजी पानी मोटो आग बुझाता है। मोटो आग कीसू चाकू को जलाती है। कीसू चाकू काम्बा रस्से को काटता है। काम्बा रस्सा पाका बिल्ले को बाँधता है। पाका बिल्ला पान्या चूहे को खाता है।
पान्या चूहा कीयाम्बाजा ने मिट्टी की दीवार में छेद करता है जिसने कूसी दक्षिणी हवा को रोका और कूसी दक्षिणी हवा ने कैलेबाश गिरा दिया जिससे हमारे गोसो मास्टर जी की मौत हो गयी। तुमको ऐसा नहीं करना चाहिये था। ”
पा हिरन ने सोचा अब तो वह पकड़ा गया। जब वह कैलेबाश के पेड़ पर फल चुराने गया था लगता है कि तब उससे मास्टर जी की अनजाने में मौत हो गयी थी सो वह तो बिल्कुल ही चुप खड़ा रह गया।
शिष्य बोले — “अब तुम्हारे पास अपने बचाव में कुछ कहने को नहीं है पा हिरन। वह तुम ही हो जिसने कैलेबाश नीचे फेंका जिसकी चोट से हमारे मास्टर जी मर गये। ”
बस उन्होंने उस पा हिरन[12] को पीट पीट कर मार डाला और इस तरह से अपने मास्टर जी की मौत का बदला ले लिया।
[1] The Goso, the Teacher – a folktale of Zanzibar, Eastern Africa
[2] Calabash is a dried outer cover of a pumpkin like fruit which can be used to keep dry or wet things. See the picture of such a tree above.
[3] Translated for the word “Gazelle” – a kind of deer. “Paa” is his name.
[4] Here are some names – Koosee, the Southern Wind; Keeyaambaaja, the Mud Wall
[5] Paanya Rat
[6] Paaka, the Cat
[7] Kamba Rope
[8] Keesoo Knife
[9] Moto Fire
[10] Maajee Water, Ngombay Ox
[11] Eenzee fly
[12] Translated for the word “Gazelle”. He has special kind of horns. See the picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.
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(कहानियाँ क्रमशः अगले अंकों में जारी...)
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