उत्तरी अमेरिका की लोककथाएँ // ईकटोमी और हिरन का बच्चा // सुषमा गुप्ता

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देश विदेश की लोक कथाएँ — उत्तरी अमेरिका–ईकटोमी : चालाक ईकटोमी संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता 10 ईकटोमी और हिरन का बच्चा [1] एक बार ईकटोमी घने जंगलो...

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देश विदेश की लोक कथाएँ — उत्तरी अमेरिका–ईकटोमी :

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चालाक ईकटोमी


संकलनकर्ता


सुषमा गुप्ता


10 ईकटोमी और हिरन का बच्चा[1]

एक बार ईकटोमी घने जंगलों में घूम रहा था कि उसने एक पेड़ के ऊपर एक ऐसी चिड़िया बैठी देखी जो उसने पहले कभी नहीं देखी थी।


उसके पीछे वाले लम्बे पंख इन्द्रधनुषी रंग के थे। धूप में चमकती हुई वह चिड़िया उसको बहुत सुन्दर लग रही थी। सो ईकटोमी की आंख उसी के ऊपर जा कर टिक गयी। वह मोर था।

वह पेड़ के नीचे खड़ा खड़ा उस मोर को बहुत देर तक देखता रहा। बहुत देर तक देखने के बाद उसने एक गहरी सांस ली और बोला — “काश मेरे भी ऐसे पंख होते। काश मैं ऐसा न होता जैसा मैं अब हूं।

अगर मेरे भी इतने सुन्दर पंख होते तो मैं कितना खुश रहता। मैं भी किसी पेड़ पर ऊँचाई पर बैठा होता और गरमी की धूप में तुम्हारी तरह चमक रहा होता, ओ चिड़िया। ”

यह कहते हुए उसने अचानक ऊपर की तरफ देखते हुए अपनी उँगली मोर की तरफ कर दी जो खुद भी उस अजनबी को अपना सिर घुमा घुमा कर देखे जा रहा था।

“मैं तुमसे प्रार्थना करता हूं कि मुझे भी ऐसे ही हरे नीले पंख वाली चिड़िया बना दो जैसे तुम हो। ” असल में वह अपनी मोती लगी हिरन की खाल के कपड़ों से थक चुका था।

यह सुन कर मोर बोला — “मेरे पास एक जादुई ताकत है। अगर तुम मेरी एक शर्त मानो तो मेरे एक बार छूने से तुम दुनिया के सबसे सुन्दर मोर में बदल जाओगे। ”

सुनते ही ईकटोमी ने अपने होठों को आश्चर्य में अपनी हथेली से थपका और ऊपर नीचे कूदते हुए चिल्लाया — “मैं तुम्हारी दस शर्त मान सकता हूं अगर तुम मुझको इतने लम्बे चमकीले रंगों के पंखों वाली चिड़िया में बदल दो तो।

देखो न, देखने में मैं कितना बदसूरत दिखता हूं। मैं तो अपने आपसे तंग आ गया हूं। मेहरबानी करके मुझे बदल दो। ”

यह सुन कर मोर ने अपने दोनों पंख फैलाये और बहुत ही धीरे से उनको हिलाता हुआ नीचे की तरफ उतर आया।

नीचे आ कर वह ईकटोमी के बिल्कुल पास आ कर बैठ गया और उसके कान में फुसफुसाया — “क्या तुम अभी भी उस शर्त को निभाने के लिये तैयार हो जो मैं अभी तुम्हें बताने जा रहा हूं? हालाँकि वह थोड़ी मुश्किल है। ”

ईकटोमी खुशी से नाचता हुआ बोला — “मैंने कहा न कि अगर दस शर्तें हों तब भी। ”

मोर बोला — “तब मैं बोलता हूं कि तुम दुनिया की सबसे सुन्दर चिड़िया बन जाओ पर फिर आज से तुम चालाकी खेलने वाले ईकटोमी नहीं रहोगे। ”

यह कह कर मोर ने ईकटोमी को अपने पंख की नोक से छुआ। मोर के छूते ही ईकटोमी तो गायब हो गया और अब उस पेड़ के नीचे दो सुन्दर मोर खड़े थे।

उन दोनों मोरों में से एक मोर तो अपना सिर उठा कर शान से खड़ा था और दूसरा मोर धीरे से ऊपर उड़ गया। जमीन पर खड़ा मोर अपने ही चमकदार पंखों की चमक से जगमगा रहा था।

कुछ देर तक तो वह वहाँ धूप में अपने इस रूप में सन्तुष्ट सा चुपचाप सा बैठा रहा। फिर कुछ देर बाद जब वह होश में आया तो उस नकली मोर ने अपने चमकीले रंगों के पंखों से चक्कर सा खाते हुए अपने पंख फैलाये और उसी शाख पर जा कर बैठ गया जिस पर वह असली मोर बैठा था।

वहाँ बैठ कर वह बोला — “ओह उड़ना कितना कठिन काम है। ये चमकीले रंग वाले पंख तो बहुत सुन्दर हैं पर अगर ये थोड़े हल्के होते तो कितना अच्छा होता। ”

तभी असली मोर बोला — “सो शर्त यह है कि तुम दूसरी चिड़ियों की तरह उड़ने की कभी कोशिश नहीं करोगे। जिस दिन भी तुमने उनकी तरह उड़ने की कोशिश की तुम अपने पहले रूप में आ जाओगे। ”

ईकटोमी बोला — “ओह, यह तो बड़ी बुरी बात है कि इन चमकीले पंखों से आसमान में नहीं उड़ा जा सकता। ”

क्योंकि वह तो उड़ने के लिये पहले से ही बहुत बेचैन था। वह तो आसमान में उड़ना चाहता था। वह तो पेड़ों के ऊपर से उड़ कर सूरज के पास तक जाना चाहता था और मोर ने यह शर्त रख दी थी कि वह आसमान में नहीं उड़ सकता था। तब फिर इन पंखों का क्या फायदा।

इतने में उसको कुछ चिड़ियें आसमान में उड़ती दिखायी दे गयीं। वह अपने पंख फड़फड़ाते हुए बोला — “मुझे अपने इन पंखों से उतना ऊँचा उड़ने की कम से कम कोशिश तो करनी ही चाहिये। ” वह अपनी उस लम्बी सी पंखों की पूंछ से थक गया था।

असली मोर बोला — “नहीं नहीं। ऐसा कभी मत करना। ”

पर इतने में ही उन चिड़ियों का झुंड उसके पास से उड़ गया।

अपनी उड़ने की इच्छा को न रोक पाने की वजह से ईकटोमी चिल्लाया — “ओ चिड़ियों, जरा रुक जाओ मैं भी तुम्हारे साथ आना चाहता हूं। ”

और इसके साथ ही उसने अपने फेफड़ों में हवा भरी और वह ऊपर की तरफ उड़ा। पर यह क्या? ऊपर जाने की बजाय वह तो नीचे जमीन पर आ गिरा। और अब वह सुन्दर मोर नहीं था बल्कि हिरन की खाल में लिपटा ईकटोमी था।

ईकटोमी ने दुखी आवाज में फिर से उस असली मोर से प्रार्थना की — “ओह, मैं तो फिर से ईकटोमी बन गया। मुझे फिर से वही सुन्दर चिड़िया बना दो। मुझे एक बार फिर से मौका दो ओ सुन्दर चिड़िया। ”

पर सब बेकार। असली मोर ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और वह ईकटोमी ही बना रह गया।

चिड़ियें वहाँ से गाती चली गयी — “ओह, यह ईकटोमी हमारे साथ उड़ना चाहता है पर यह तो आया ही नहीं। अब हम इसका और इन्तजार नहीं कर सकते हम चलते हैं। ”

कुछ बेकार के इरादों को बड़बड़ाते हुए ईकटोमी वहाँ से आगे चल दिया। अभी वह कुछ दूर ही गया होगा कि उसको कुछ लम्बे तीर दिखायी दिये। वे एक एक करके मैदान में एक लम्बी लाइन की तरफ जा रहे थे। कुछ आसमान की तरफ भी जा रहे थे पर वे जल्दी ही आंखों से ओझल भी हो जाते थे।

केवल एक तीर रह गया था। वह भी उड़ने की तैयारी में था कि ईकटोमी उसके पास दौड़ा गया और रो कर उससे बोला — “मैं भी एक तीर बनना चाहता हूं। तुम मुझे एक तीर बना दो न।

मैं भी ऊपर वाले उस नीले आसमान को भेदना चाहता हूं। मैं सूरज को उसके बीच में से भेदना चाहता हूं। तुम मुझे एक तीर बना दो न। ”

तीर ने पूछा — “क्या तुम मेरी एक शर्त मान सकते हो? हालाँकि वह शर्त थोड़ी मुश्किल है पर अगर मान लोगे तो मैं तुमको तीर बना सकता हूं। ”

ईकटोमी खुशी से चिल्लाता हुआ बोला — “हाँ हाँ। मैं तुम्हारी सब शर्तें मानने के लिये तैयार हूं बस तुम मुझे तीर बना दो। ”

इस पर उस तीर ने ईकटोमी को अपनी पत्थर की नोक से बहुत ही धीरे से छुआ तो ईकटोमी तो वहाँ से गायब हो गया और अब वहाँ दो तीर बराबर बराबर उड़ने के लिये तैयार खड़े थे।

ईकटोमी को तीर में बदलने के बाद असली तीर धीरे से बोला — “पहली शर्त तो यह है कि तुमको हमेशा सीधी लाइन में उड़ना है। और दूसरे न तो किसी मोड़ पर मुड़ना है और न ही किसी हिरन के छोटे से बच्चे की तरह कूदना है। ”

यह कहने के तुरन्त बाद ही वह असली तीर उस नकली तीर को सीधी लाइन में उड़ना सिखाने के लिये तैयार हो गया — “देखो, उस ऊपर वाले नीले आसमान को इस तरीके से भेदते हैं। ”

कह कर वह तीर सीधा ऊपर चला गया।

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उसके जाने के तुरन्त बाद ही हिरनों का एक झुंड घूमता हुआ उधर आ निकला। उनके पीछे उनके बच्चे खेलते हुए चले आ रहे थे। वे लोग बिल्ली के बच्चों की तरह लड़ झगड़ रहे थे और अपने चारों पैरों पर गेंद की तरह से उछल रहे थे।

ईकटोमी ने जब उनको देखा तो उसने देखा कि वे तो जमीन पर ही कितना खुश थे। तो उसने सोचा कि वह भी तो इसी तरह से जमीन पर खुश रह सकता था।

सो उसने तुरन्त ही आसमान की तरफ देखा और अपने दिल में सोचा “वह जादूगर तो चला गया। अब जब तक वह वापस आता है तब तक मैं इन हिरन के बच्चों के साथ खेल लेता हूं। ”

सो वह उन हिरन के बच्चों की तरफ बढ़ा। एक तीर को अपनी तरफ आया देख कर हिरन के बच्चे डर गये।

उनको डरा हुआ देख कर ईकटोमी बोला — “ओ हिरन के बच्चों, डरो नहीं। मैं तो तुम्हारे साथ उछलना कूदना चाहता हूं। मैं भी तुम्हारी तरह से तुम्हारे साथ खुश होना चाहता हूं। मैं तुमको कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊँगा। ”

यह सुन कर हिरन के बच्चों की टाँगें सीधी हो गयीं और वे खड़े हो गये। वे एक बोलते हुए तीर को देख कर आश्चर्य में पड़ गये और उसको अपनी बड़ी बड़ी कत्थई आंखों से घूरने लगे।

उनको अपनी तरफ घूरते देख कर ईकटोमी नाचता हुआ बोला — “देखो मैं भी तुम्हारी तरह से नाच सकता हूं। ” कह कर उसने हिरन की तरह से एक कूद मारी।

यह देख कर अचानक ही हिरन के बच्चों ने अपनी नाक सिकोड़ी। क्योंकि वहाँ तो अब एक अजीब बोलने वाले तीर की बजाय अपनी हिरन की खाल पहने ईकटोमी खड़ा था।

यह देख कर ईकटोमी अपने आपको नोचने लगा और अपनी हिरन की खाल से टुकड़े निकाल निकाल कर चिल्ला पड़ा — “ओह मैं तो फिर से ईकटोमी बन गया। यह क्या हो गया। ”

“ही ही ही। मैं तो उड़ना चाहता था पर अब मैं क्या करूं। ”

असली तीर तब तक नीचे वापस आ गया था। वह ईकटोमी के बिल्कुल पास आ कर खड़ा हो गया।

उसने आसमान से ही उन हिरन के बच्चों को घास में खेलते देख लिया था और उसने ईकटोमी को भी उनके साथ कूद लगाते देख लिया था।

सो जैसे ही ईकटोमी ने कूद लगायी असली तीर के छूने का जादू टूट गया और वह फिर से ईकटोमी बन गया।

ईकटोमी ने एक बार फिर उससे प्रार्थना की कि वह उसको एक बार फिर से तीर में बदल दे पर ऐसा न हो सका।

तीर बोला — “नहीं बस, अब दूसरी बार नहीं। ” और वह सीधा उड़ कर आसमान में उसी तरफ चला गया जिधर उसके साथी गये थे।

अब तक वे हिरन के बच्चे उसके पास आ गये थे और उसके शरीर में अपनी नाक गड़ा गड़ा कर यह देखने की कोशिश कर रहे थे कि वह अजनबी कौन था।

अपनी इस हालत पर ईकटोमी बहुत दुखी था। वह बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। पर तुरन्त ही उसके मन में एक और इच्छा जाग उठी और इस इच्छा के जागते ही उसके आंसू सूख गये।

वह हिरन के सबसे बड़े बच्चे के पास पहुंचा। उसने उसके चेहरे पर बड़े बड़े कत्थई निशान देखे तो वह उससे बोला — “ओ हिरन के बच्चे, तुम्हारे चेहरे पर ये कितने सुन्दर कत्थई निशान हैं। क्या तुम मुझे बता सकते हो कि तुम्हारे चेहरे पर ये इतने सुन्दर निशान कैसे बने?”

वह हिरन का बच्चा बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। इसमें क्या बात है। मैं बताता हूं तुमको। जब मैं बहुत छोटा था तभी मेरी माँ ने लाल गरम आग से मेरे चेहरे पर ये निशान बना दिये थे।

उसने जमीन में एक गड्ढा खोदा। उसमें उसने थोड़ी सी मुलायम घास और छोटी छोटी डंडियाँ बिछायी। फिर उसने मुझको उस गड्ढे में रख दिया। उसके बाद उसने मुझे मीठी खुशबू वाली सूखी घास से ढक दिया और उसके ऊपर सीडर की लकड़ी रख दी।

फिर वह पड़ोसी के घर से एक लाल अंगारा ले कर आयी जो उसने मेरे सिर पर रख दिया। इस तरह से मेरे चेहरे पर ये कत्थई निशान बनाये गये। ”

ईकटोमी जो हमेशा दूसरों की तरह होना चाहता था बड़ी उत्सुकता से बोला — “क्या तुम मेरे साथ भी ऐसा ही कर सकते हो? क्या तुम उस तरीके से मेरे चेहरे पर भी ऐसे ही निशान बना सकते हो?”

हिरन का बच्चा बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। मैं गड्ढा खोद सकता हूं। उसमें सूखी घास और डंडियाँ भर सकता हूं। फिर अगर तुम उस गड्ढे में कूद सकते हो तो मैं तुमको मीठी खुशबू वाली सूखी घास और सीडर की लकड़ी से भी ढक सकता हूं। ”

ईकटों उसको बीच में काटता हुआ बोला — “क्या तुम यकीन के साथ कह सकते हो कि तुम मुझको काफी सारी सूखी घास और डंडियों से ढक दोगे?

और क्या तुम यह भी यकीन के साथ कह सकते हो कि फिर मेरे वे निशान उतने ही कत्थई होंगे जितने तुम्हारे हैं?”

“हाँ हाँ, मैं वहाँ काफी सारी घास और डंडियाँ रखने के बाद भी घास और डंडियाँ रखता रहूंगा, अपनी माँ से भी ज़्यादा। तुम बिल्कुल चिन्ता न करो। ”

ईकटोमी खुशी से चिल्ला कर बोला — “तब हमको जल्दी से एक गड्ढा खोदना चाहिये और घास और डंडियाँ इकठ्ठा करनी चाहिये। ”

इस तरह से ईकटोमी ने अपनी कब्र अपने आप ही खोदने में उस हिरन के बच्चे की सहायता की।

गड्ढा खोदा गया। उसमें घास बिछायी गयी। उन कत्थई निशानों के बारे में कुछ बड़बड़ाने के बाद ईकटोमी उस गड्ढे में उतर गया।

वह उसमें लम्बा लम्बा लेट गया। हिरन के बच्चे ने उसको मीठी खुशबू वाली घास और सीडर की लकड़ी से ढक दिया। दूर से एक आवाज आयी “ओ कत्थई निशान हमेशा के लिये आ जाओ। ”

फिर हिरन ने उस गड्ढे में एक अंगारा डाल दिया और सारे हिरन के बच्चे वहाँ से अपनी अपनी माँओं के पीछे भाग गये। काफी दूर जाने पर उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा तो उस गड्ढे में से बहुत सा काला धुंआ उठ रहा था और वह नीले आसमान की तरफ जा कर गायब हो जाता था।

यह देख कर एक हिरन के बच्चे ने दूसरे से पूछा — “क्या यह ईकटोमी की आत्मा है?”

उसके साथी ने जवाब दिया — “नहीं। मेरे खयाल से तो उसको जलने से पहले ही बाहर कूद जाना चाहिये। ”

बच्चों तुम क्या सोचते हो? क्या ईकटोमी अपनी जान बचाने के लिये उस गड्ढे में से वाकई बाहर कूद गया होगा या फिर , , ,



[1] Iktomi and the Fawn – a folktale from Native Americans, North America.

Adapted from the Web Site : http://www.manataka.org/page146.html


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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,इथियोपिया व इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

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रचनाकार: उत्तरी अमेरिका की लोककथाएँ // ईकटोमी और हिरन का बच्चा // सुषमा गुप्ता
उत्तरी अमेरिका की लोककथाएँ // ईकटोमी और हिरन का बच्चा // सुषमा गुप्ता
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