कहानी // तेंदुए का हमला // अजय कुमार

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तेंदुये का हमला लेखक अजय कुमार प्रकाशक : अमेज़न किन्ड्ल इंडिया डेट : २१/०४/२०१८ जंग वो चक्की है जिससे परिवर्तन आता है, जैसे परिवर्तन निश्चित...

वेंकट श्याम की कलाकृति

तेंदुये का हमला

लेखक

अजय कुमार

प्रकाशक : अमेज़न किन्ड्ल इंडिया

डेट : २१/०४/२०१८

जंग वो चक्की है जिससे परिवर्तन आता है, जैसे परिवर्तन निश्चित है वैसे ही जंग भी निश्चित है| चाहे इंसान की कुदरत से जंग हो या दूसरे इन्सान से या विचार से या फिर जंग हो जानवर के विरुद्ध| इस इन्सान और जानवर के जंग की कहानी बताता हूँ| मध्य प्रदेश के एक गाँव में, जिसकी सीमा से लग कर जंगल शुरु होता है| या यूँ कहे गाँव जंगलों में घुसता जा रहा है|

गर्मी का मौसम जोरों पर था, जिससे गाँववाले घर के बाहर सो रहे थे| १२ साल का बिरजू अपने बाप त्रिलोकी नारायण के साथ, घर के दरवाजे पर लगे नीम के पेड़ के नीचे खटिया पर सोया हुआ था| दोनों अगल बगल लेटे गर्मी से बेचैन हो रहे थे| माहौल में सन्नाटा था, ना जानवरों की आवाज और ना ही किसी इंसान की| गाड़ी या मोटर की आवाज तो दिन में भी कभी कभी ही सुनने को मिलती थी| रात में इक्के दुक्के बस के गुजरने की आवाज आती| अँधेरे में पेड़ भी सांस रोके शांत खड़े थे|

सन्नाटे को तोड़ती, एक कुत्ते की दर्दनाक चिल्लाहट ठाकुर बस्ती से चमरैना टोला तक, वापस चमरैना टोला से बजरंग बली वाले मंदिर के छोर तक गूँज उठी| उस भौंकने में पीड़ा थी| जवाब में, गलियों में सुस्ताते कुत्ते भूँकते हुये इधर उधर दौड़ने लगे|

त्रिलोकी जो चिपचिपाती गर्मी से आँखें मूंदे लेटा था, बड़ी बड़ी आँखें खोलकर इस हंगामे से बौरा गया| अपने बगल में पड़े तौलिये को पंखा बनाकर खुद को हवा झलते हुये बोला|

ईई ससुर के नाती कुकुर भूंक काहे रहे हैं!

बिरजू के दिमाग में भी यही चल रहा था, वह बिस्तर से उठा और खटिये से उतरकर दौड़ता पडोस के घर की तरफ चला गया| उसने जानने के लिये चारो तरफ नजर घुमायी, अँधेरे में डूबा गाँव और पगडण्डीयों पर अँधेरे में लिपटे भौंकते कुत्ते दिखे| गाँव भौंकने की आवाज से जगमगा गया था| त्रिलोकी जोर से चिल्लाया

चुप रहो बे... पगला गये हो क्या

कुत्तों की आवाज गूँजती रही, तभी कुत्तों के दौड़ने की आवाज उठी और त्रिलोकी चेहरा घुमा कर क्या देखता है की उसकी गली के कुत्ते भौंकते हुये दौड़ने लगे, हडबडाये हुये| यही हाल गाँव की हर गली में था जहाँ देखो वहाँ से २-३ कुत्ते भौंकते हुये गाँव के बाहर की तरफ भागने लगे|

त्रिलोकी कुतों की बेचैनी को भाँप गया और उसको अनहोनी की चिंता सताने लगी| ऐसा ही हाल गाँव के हर उस मर्द का था जो गाँव के बाहर खटिये पर लेटा हुआ था, सभी उठ बैठे| औरतें घरों की खिड़की से लाल रोशनी वाली डिबिया पकडे, बाहर झाँककर पता करने लगी|

का हो ई कुकुर सब काहे भौंक रहा है?

जब किसी को जवाब पता हो तब दे, त्रिलोकी देख रहा था की कुत्तों के दौड़ने से धूल उड़ने लगी है, उसकी बेचैनी बढ़ गयी और सभी गाँव वालों को मामला गंभीर लगा|

कुकुरों को जरूर ख़तरा महसूस हुआ है

पता करने का विचार बनाकर सभी घर से लाठी और टार्च निकाल लाये| त्रिलोकी गाँव वालों के साथ, टार्च की लम्बी रोशनी से गाँव का अन्धेरा चीरते हुये कुत्तों के पीछे दौड़ने लगा| वो गाँव से काफी बाहर निकल आये और देखा ननकू के बगीचे के पास वाले कुयें पर कुत्ते जमा होकर जोर जोर से भौंक रहे है| सारे टोर्च की रोशनियाँ कुत्तों पर चमक गयी| गाँव वाले कूवें पर पहुँचकर जो देखा तो उनके रोंगटे खड़े हो गये, कुयें के मुंडेर पर एक जानवर पडा था जिसके सर और पेट से पीछे का पूरा हिस्सा गायब था| पेट की अंतरियाँ बाहर निकली हुई और आसपास खून ही खून फैला हुआ था| गाँव वालों के हाथों और गर्दन के पीछे के बाल खड़े हो गये| त्रिलोकी कुत्तों को डांट कर चुप कराया| कुत्ते भौंकना बंद करके, गुर्राते हुये, पीछे हट गये|

ये तो कुत्ता लग रहा है

हाँ करियवा है भैया, भोला भैया के बाहर रहता था

हाँ, वो तो ठीक है| लेकिन इसको कौन खा रहा था?

त्रिलोकी को यकीन हुआ की ये काम जंगली जानवर ही कर सकता है| अँधेरे और हडबडाहट में गाँव वाले अटकलें लगाने लगे|

मुझे आते समय ही एक जानवर दिखा था, खेतों से भागता हुआ

हाँ, मुझे भी एक काला सा जानवर दिखा था|

त्रिलोकी ने उन सभी को चुप करवाया और बोला

सुकर करो जिंदा हो, जानवर सामने ना आये यही मनाओ| जानवर बरियार है! वरना कुत्ते का ऐसा हाल, मजाक नहीं

चचा, लोमड़ी किया हो? क्या बोलते हो?

त्रिलोकी ने ना में सर हिलाया और ज्ञान दिया

लोमड़ी मार तो सकता है लेकिन इतना मांस नहीं खा पायेगा, बच्चे से भी कम भूख होती है उसकी| ये कोई अकेला जानवर किया है

चचा किसने?

गाँव वाले तो ये मान ही चुके थे की कोई जंगली जानवर है, जो इतने सारे कुत्तों के भौंकने से डर कर भाग गया| मगर त्रिलोकी को डर था की जानवर अभी भी गाँव में छिपा है| सबने हो हो करके आवाज लगानी शुरु की| चारो तरफ टोर्च की रोशनी चमकाई गयी ताकी आसपास जानवर हो तो डर कर बाहर निकले पर कोई जानवर नहीं निकला|

गाँव वाले कूवे के आसपास गीली मिट्टी पर पंजों के निशान ढूँढने लगे की अंदाज लग सके कौनसा जानवर है| इतने सारे कुत्तों और इन्सान के पैरों के चलने से पूरा कीचड़ हो रखा था| त्रिलोकी बोला

इंहा तो गोबर हो गया है| आस पास ढूँढो

एक गाँव वाले को नजदीक वाले सरसों के खेत के अन्दर २ – ३ पंजों के निशान दिख गये| टोर्च की रोशनी में गाँव वालों ने देखा, पंजे का निशान आदमी की हथेली बराबर है|

इतना बड़ा पंजा, लगता है तेंदुआ है

भेडिया भी तो हो सकता है

भाक भेडिया का पैर देखो हो, ये पक्का तेंदुआ है

क्या बहस कर रहे हो, जो जानवर कुत्ता मार सकता है वो इंसान को भी मार सकता है| बस बात खत्म|

करीब ५ साल पहले एक तेंदुआ गाँव में घुस गया और उसने एक हफ्ते तक गाँव में दहशत मचा दी थी| तेंदुये ने सुबह शौच को जाती नयी नवेली दुल्हन को दबोच लिया और दिन के वक़्त बगीचे में सो रहे बूढ़े को एक झटके में मार डाला| गाँव वालों को सारी घटनायें याद आने लगी और डर लगने लगा की पता नहीं इस बार ये तेंदुआ किसकी जान लेकर मानेगा| गाँव का बनिया बोला

भैया मेरी राय मानो तो सभी ५ – ५ लोगों का झुंड बना लो, जो मिले लाठी, बरछी, भाले और तलवार पकड़ के गाँव में फ़ैल जाओ, तेंदुआ को बाहर निकालो

त्रिलोकी ने उसको रोका

देखो फैंटम मत बनो, तेंदुआ है कोई बकरी नहीं

भैया ५ लोग है ना| और जिस टोली को तेंदुआ मिलेगा, टोली हल्ला मचा देगी, ५ मिनट में दूसरी टोलियाँ पहुँच जायेगी

ई कुत्ता देख रहे हो| जब तक पहुंचोगे ५ लोग इससे भी बद्तर हालत में मिलेंगे|

सभी की घिग्घी बांध गयी|

गाँव के बीच बने मंदिर पर सभी गाँव वाले जमा हो गये, सोच विचार होने लगा की तेंदुये से कैसे छुटकारा मिलेगा| बच्चे बगल में बैठे खेल खेल रहे थे| त्रिलोकी और गाँव के मर्द आसपास नजर रखे थे की तेंदुआ न आ जाये|

मामला गंभीर दिखने लगा क्योंकी गाँव वाले जंगल पर बहुत आधारित थे, चाहे वह जलावन के लिये लकडियाँ जमा करनी हो या जंगल के रास्ते एक गाँव से दूसरे गाँव जाना हो| अधिकतर गाँव के लड़के खेलने के लिये जंगल चले जाते तो लड़कियाँ फूल चुनने या जंगली बेर खाने| तेंदुआ पता नहीं किस खेत या घर में छिपा हुआ था, मगर वह जहाँ भी था हमला निश्चित करने वाला था| त्रिलोकी ने तय किया| त्रिलोकी बोला

जब तक तेंदुये का ख़तरा खत्म नहीं हो जाता, कोई जंगल की तरफ नहीं जायेगा

बाकी गाँव वाले भी अपनी अपनी राय देने कूद गये| ननकू बोला

कोई अकेले खेतों में शौच करने भी मत चले जाना| और ना जानवरों के लिये चारा दाना लाने| समझे??

हाँ नहीं तो तेंदुआ पहले नटीये दबाता है| और आख़िरी बात| ये तेंदुआ जब तक गाँव में है| रात के समय, हर घर के बाहर एक लालटेन लटका कर रोशनी करनी है| ठीक है?

गाँव के औरत, मर्द और बच्चों ने एक साथ गर्दन हाँ में हिलाकर अपनी सहमत दी और त्रिलोकी ने बच्चों को खास हिदायत दी

जब तक तेंदुआ है स्कूल बंद| खेत में जाकर खेलना बंद| कोई मुझे दिख गया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा

बिरजू और उसके दोस्तों के स्कूल बंद होने की खुशी, धमकी से उड़ गयी| त्रिलोकी ने जोर से खखार मारकर बच्चों से तसल्ली किया| लड़कों ने मूँह सिल रखा था और सिर्फ लडकियां बोली|

चिंता मत करो चाचा, हम घर में ही रहेंगी और इन सब पर भी नजर रखेंगी

त्रिलोकी आगे की रणनीति सोचने लगा और उस रात कोई नहीं सोया|

***

सुबह दिन चढ़ते ही, त्रिलोकी कुछ गाँव वालों के साथ पुलिस थाने पहुँचा और तेंदुये वाली सारी बात बताकर मदद माँगा| पुलिस को कुत्ते की मौत में तेंदुये का हाथ नहीं लग रहा था| कांस्टेबल ने समझाया

तुम्ही लोगों के गाँव में कोई कुत्ता खाते पकडाया था ना? पिछले साल क्यों

नहीं कांस्टेबल साहब, वो हमारे गाँव का कहाँ था|

और क्या? पाखंडी! खुद को जोगी बाबा कहता था, अभागा कुत्ता खाता है, जानते तो घुसने ना देते

साहब लेकिन इस बार तेंदुआ ही घुसा है

कैसे पता चला तेंदुआ है?

और कौन जानवर आयेगा, उसका पंजा देखा हमने

गाँव वालों के डर और तर्क देख सुनकर, कांस्टेबल ने समझाया|

भाई पुलिस तो तेंदुआ आये या बाघ आये, वैसे भी कुछ नहीं कर सकती| वन विभाग वाले ही कुछ करेंगे, भीष्म साहब इतल्ला कर रहे हैं और कोई मदद हो तो बोलो नहीं तो चलो घर जाओ

वन विभाग वाले कितने समय में पहुंचेंगे?

२ से ३ दिन तो मान कर चलो, बाकी तुम्हारी किस्मत

२-३ दिन, बाप रे तब तक तो तेंदुआ पूरा गाँव साफ कर दे

तभी भीष्म काफी गंभीर मुद्रा में गाँव वालों के पास पहुँचे, बोले

वन विभाग से बात हुई, मामला सीरियस है

गाँव वाले डर गये

तेंदुआ से भी ज्यादा सीरियस क्या हो सकता है साहब!

ये तेंदुआ आदमखोर है

आदमखोर???

हाँ, २ दिन पहले जंगल में लकड़ी चुनने गयी माँ बेटी को मारकर खा गया है| वन विभाग भी उसकी तलाश में लगा हुआ है

त्रिलोकी और साथ आये गाँव वालों की परेशानी बढ़ गयी, पता नहीं हवाईयां क्या होती है लेकिन उनके चेहरे पर उड़ने लगी|

साहब, फिर तो तेंदुआ नहीं बल्की मौत घुस आई है, गाँव में|

दिन तो फिर भी ठीक| रात का क्या? खुद की परछाई से डर लगता है

तुमलोग डर से सूख मत जाओ! गाँव में बन्दूक चलाना कितने लोगों को आता है?

गाँव वाले पुलिस को बन्दूक चलाने की जानकारी देने से डर रहे थे| भीष्म उनकी हालत भांप कर, समझाये

सच बोलो भाईलोग, आत्मरक्षा की बात है|

आत्मरक्षा की आत्महत्या! हम २-३ आदमखोर तेंदुये को कहाँ रोक पायेंगे|

देखो रास्ता यही है| और मैं हूँ ना तुमलोगों के साथ

आह फिर तो बढ़िया है, चलिये फिर? हिम्मत रहेगी

नहीं, अभी नहीं| शाम ढलने से पहले पहुँच जाऊँगा| तुमलोग बन्दूक का बताओ| कितना है और कितने लोग चला सकते है?

त्रिलोकी ने साफ साफ़ बताया

गाँव में २४ बंदूकें है, १-२ आगे पीछे हो सकती है और बन्दूक चलाना तो गाँव का बच्चा बच्चा जानता है|

जिसका निशाना अच्छा हो वही चाहिये

साहब बस आप इतना समझ लीजिये| बन्दूक से ज्यादा निशांची है गाँव में लेकिन तेंदुया मौक़ा कहाँ देगा

बस कर बे तुमलोग आदमी हो की औरत| ऐसे तो भौकाली मारते रहते हो| चलो गाँव जाओ

त्रिलोकी और गाँव वाले भीष्म को देख रहे थे, उन्हें यकीन नहीं था की भीष्म शाम को आयेंगे लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी की कैसे पूछे| त्रिलोकी ने हिम्मत करके पूछ लिया|

आ जाईयेगा, गाँव और थाने की दूरी बहुत है, दुबारा आना मुश्किल होगा|

भीष्म ने उनको भरोसा दिया

मैंने कह दिया तो यकीन करो और हाँ सुनो|

भीष्म ने फिर गाँव वालों को जल्दी गाँव पहुँच कर कुछ इंतजाम करने का समझाया| त्रिलोकी ने सारे बातें अपने दिमाग के कंप्यूटर में लिखा लिया

***

सारा गाँव जमा होकर बैठा हुआ था और लोग आपस में बातें कर रहे थे की कहाँ से तेंदुआ उनकी किस्मत और जिन्दगी में आ गया| तेंदुये के आदमखोर होने वाली बात सभी गाँव वाले को पता चल गयी थी और मौत नजर आने लगी|

ये आदमखोर है तो क्या सिर्फ इन्सान ही खायेगा

नहीं नहीं, कल रात तो कुत्ता खाया ना

तो फिर आदमखोर कैसे हुआ

चाची जानवर इन्सान देखकर डर जाता है लेकिन अब वो इन्सान देखेगा तो सोचेगा ये तो खाना है| ये फर्क है

बिमला चाची और साथ में बैठी औरतें डर गयी| इस बीच त्रिलोकी की बीवी वहाँ हडबडाई हुई पहुंची, बेटा बिरजू अपने दो दोस्तों के साथ गायब था| वो बिरजू को हर तरफ ढूँढ चुकी थी लेकिन वो नहीं मिला| उनकी हालत बुरी हो गयी थी| गाँव वाले को शक होने लगा की कहीं बिरजू गाँव से बाहर तो नहीं चला गया| जिधर तेन्दुये के होने की ज्यादा उम्मीद थी| गाँव के २ लोग हाथ में डंडा लिये बिरजू को ढूंढने के लिये तैयार हुये, मगर उसके पहले बिरजू और उसके दोनों दोस्त बकरी गोद में पकड़े हुये मिल गये| बिरजू की माँ ने उसको जोरदार थप्पर लगाया और उसके दोनों दोस्तों को उनकी माँओ ने|

जब मना किया था तो कहाँ मरने चले गये थे

अभी तक तेंदुआ गाँव वालों के सामने नहीं आया था लेकिन जब कोई गाँव वाला नज़रों से ओझल होता तो लोगों के अन्दर डर बैठ जाता| थाने से लौट कर त्रिलोकी और गाँव वाले, भीष्म के बताये अनुसार इंतजाम करने में लग गये| गाँव के सभी मवेशियों को गाँव के बीच बाँध दिया गया| गाँव के लोग ३ घरों में आकर बैठ गये और सामुदायिक खाने पीने का इंतजाम होने लगा|

गाँव में जितनी बंदूकें थी निकाल ली गयी और २ लोगों के बीच १ बन्दूक देकर, हर घर की छत्त पर खड़े होकर पहरा देने का समझा दिया गया और साथ में चेतावनी भी दी गयी|

गोली सिर्फ हवा में चलानी है| और हीरोगिरी में कोई छत्त से नीचे नहीं उतरेगा

हाँ भाईलोग, पता चला तेंदुआ नहीं कोई गाँव वाला शहीद हो गया

सभी गाँव वाले खुद को समझदार और अकलमंद होने का वास्ता देते हुये, सब कुछ करने के लिये तैयार थे| यहाँ शनीचर का मूँह सूखा हुआ था|

धान की फसल के कटाई का वक़्त है, कहीं नीलगाय खेतों को खा गयी तो! नीलगाय की फ़ौज पूरे खेत की फसल एक रात में बर्बाद कर देगी

वो तो ठीक है लेकिन इस हालत में कौन खेत जाकर मौत बुलाये|

शनीचर रुकने को तैयार नहीं हुआ

भाई मैंने फसल के लिये कर्ज लिया है और फसल बर्बाद हुई तो आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा| उससे अच्छा तेंदुआ ही चबा जाये

शनीचर त्रिलोकी और गाँव घर वालों के मना करने के बाद भी अपने खेत के लिये चल दिया| साथ में एक हाथ का लंबा गडासा ले लिया| गाँव वाले भी जानते थे शनीचर का जिगरा बहुत मजबूत है, एक बार उसने अकेले जंगली सूअर मार गिराया था| उसको लोग भीम बोलते थे, शरीर से मजबूत और बुद्धी से मोटा| त्रिलोकी बोला

कोई जरूरत हो तो आवाज लगाना| हमलोग पहुँच जायेंगे|

हाँ शनीचर भैया का खेत १००० – १२०० कदम की दूरी पर है| फुर्र से हमलोग पहुँच जायेंगे

शनीचर अपने खेत की तरफ चला गया और गाँव वाले जानवरों के खाने पीने का इंतजाम करने लगे| ताकी अन्धेरा ढलने के पहले सब काम खत्म हो जाये| बन्दूक धारी लड़के घर की छत्तों पर चौकन्ने खड़े, हिन्दुस्तानी फ़ौज के सिपाही जैसा महसूस करते हुये चप्पे चप्पे पर नजरे घुमा रहे थे| त्रिलोकी पूरी व्यवस्था देखकर खुश था, उसे उम्मीद थी की तेंदुआ अब किसी का नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा| तभी सीताराम साइकिल से जाता हुआ दिखाई दिया और त्रिलोकी ने पूछा|

सीताराम कहाँ जा रहे हो, वो भी अकेले?

चाचा वो, जिगर शहर से वापस लौट रहा है| रात ११:३० बजे की ट्रेन है

अरे बुरबक, तो तुम रात को उसको लेकर गाँव लौटोगे? पगलेट हो तुम भी

नहीं चाचा, वहीं स्टेशन के पास कसैली भैया के दूकान में रुक जायेंगे| सुबह गाँव आयेंगे

हाँ ये सही सोचा है तुमने| वैसे जिगर को फोन कर देते तो वो खुद ही वहाँ रुक जाता| तुम्हे जाने की तो कोई जरूरत नहीं

चाचा, हमने यही सोचा था लेकिन उसका फोन बंद है

चार्ज खत्म हो गया होगा| जल्दी जाओ और रात को गाँव की तरफ आने का मत सोचना, मामला गंभीर है

हाँ चाचा

जाओ जल्दी

सीता राम साइकिल भागता हुआ वहाँ से चला गया|

***

शाम ढलने को थी और भीष्म, अपने वादे अनुसार, गाँव पहुँच आये| अपने साथ वो बड़ा वाला टोर्च ले आये थे जिससे जबरदस्त रोशनी होती थी| टार्च की रोशनी में गाँव वालों की आँखें चौंधिया गयी और गाँव के जिस हिस्से पर रोशनी गिरती कोई कोना अन्धेरा नहीं रह पाता|

भीष्म ने गाँव वालों की तारीफ़ की

बहुत बढ़िया की आप सबने ३ घरों में रहने का इंतजाम कर लिया है

उन तीन घरों में जमीन पर सोने का इंतजाम करके घर के खिड़की दरवाजे बंद कर दिये गये| त्रिलोकी बोला

घर से कोई भी बाहर नहीं निकलेगा, कुछ भी हो जाये

गाँव वालों को अपने खाली मकानों में चोरी होने का डर सता रहा था और भीष्म ने उन्हें समझाया

देखो चोरी होने की चिंता मत करो, मैं कुछ इंतजाम करता हूँ

भीष्म ने चेतावनी के लिये कांस्टेबल को जीप का सायरन बजाते हुये, जीप पूरे गाँव में घुमाने को कहा| कांस्टेबल भी बहादुर आदमी था, फ़ौरन आज्ञा पालन करता हुआ जीप में चढ़कर जोर से जीप का सायरन बजाया| फिर जीप को गाँव के गली कूचों में घुमाने लगा| खासकर जंगल के नजदीक वाले घरों के पास, जहाँ से गाँव वाले अपना घर बंद करके चले आये थे| गाँव वालों को यकीन हो गया की पुलिस साइरन सुनकर चोर को चोरी करने की हिम्मत नहीं पड़ेगी|

***

गाँव के खपरैल वाले बड़े मकान के पास, कांस्टेबल जीप घुमाकर वापस मोड़ने को हुआ तो जीप के ऊपर धप्प की आवाज हुई| जीप की छ्त्त इतनी नीचे आयी, कांस्टेबल समझ गया की तेंदुआ जीप की छत्त पर है| कांस्टेबल ने अंदाज लगाया की तेंदुआ गाड़ी के ऊपर ही है नीचे नहीं उतरा है| उसने धीरे से गाड़ी रोक दी और बगल में लटक रही सर्विस रिवोल्वर निकालने लगा| कांस्टेबल बन्दूक पकडे हुये तेंदुये को खत्म करने का मन बना चुका था| वह गाड़ी का इंजन चालू रखते हुये, गाडी का दरवाजा खोला लेकिन तभी तेंदुआ पीछे की तरफ कूदकर चला गया| कांस्टेबल टोर्च की रोशनी डालकर देखने लगा लेकिन तेंदुआ दिखाई नहीं दिया|

कांस्टेबल ने लौटकर भीष्म को तेंदुये से मुडभेर की बात बतायी और त्रिलोकी कांस्टेबल की बहादुरी देखकर गुणगान करने लगा|

आप जैसा बहादुर आदमी मैंने आज तक नहीं देखा कांस्टेबल साहब| मान गया की तेंदुआ और उसका पूरा खानदान भी आ जाये तो हमलोगों का कुछ बिगाड़ नहीं पायेगा|

भीष्म ने कांस्टेबल को ऐसी बहादुरी करने के लिये डांटा

कुछ भी ऐसा करने की जरूरत नहीं जिससे जान खतरे में हो जाये

सारी सर

जिन ३ घरों में सभी औरत और बच्चे थे उसके छत्त पर ही भीष्म, त्रिलोकी और कांस्टेबल बन्दूक लेकर पहरेदारी कर रहे थे| त्रिलोकी एक टूटी हुई कुर्सी लाकर बैठने को दिया| भीष्म कुर्सी की हालत देखकर समझ गये की बैठना रिस्की है और उन्होंने प्यार से मना कर दिया

खड़े रहने से चुस्ती बनी रहेगी| सभी गाँव वाले घर में ही न?

हाँ, बस शनीचर को छोड़कर

भीष्म शनीचर को जानते थे

शनीचर कौन वही गरम दिमाग वाला, जो पिछले महीने बीज नहीं मिला तो रेल की पटरियों पर लेट गया था

आपको याद है, हाँ वही, महा पगलेट है|

हाहा| तुमलोगों का भीम

हाँ साहब, शरीर और दिमाग दोनों से भैंस है लेकिन दिल मुर्गी के चूजे जैसा

***

शनीचर अपने गेहूं के खेतों के बीच बने मचान पर बैठा हुआ था| इतना अन्धेरा की हाथ को हाथ ना दिखे, गहरे काले बादल से चाँद और तारे छिप गये थे| शनीचर लालटेन और टोर्च भी लेकर नहीं आया था| उसका बीडी पीने का मन हुआ लेकिन बीडी खत्म थी, पॉकेट में गांजे की एक डाली बची थी| मचान पर गिरे पत्ते को चिल्लम बना कर गांजा ठूसकर, चिल्लम मूँह से लगा दिया| अभी माचिस जलायी थी की सामने काली आँखों में रोशनी चमक गयी,

भक्क माधरचोद

उसने ऐसा बोलते हुये, हाथ हिलाकर, माचिस की तिल्ली बुझा दी| चुप चाप मचान पर सांस रोके बैठ गया| उसको सामने ५० फीट दूर, काला बड़ा सा जानवर दिखाई दे रहा था| तेंदुआ तो उसने आजतक नहीं देखा था लेकिन अंदाज लगाया की ३ कुत्तों के बराबर का जानवर है| शनीचर जल्दी से आँख घुमाकर, अँधेरे में ही मचान पर रखे, गडासे को देखकर तसल्ली किया, वापस उसकी नजरें तेंदुये पर जम गयी| मगर तेंदुआ ने कुछ नही किया, चुपचाप वहाँ से चला गया| अँधेरे में पता भी नहीं चला किधर|

अच्छा हुआ बेटा चले गये वरना आज २ टुकड़े कर देता

शनीचर ने चिल्लम को बाद में पीने के लिये मचान में खोस दिया और गड़ासे को सान देने लगा|

***

सीता राम ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहा था और अपने नियत समय से आधे घंटे देरी से ट्रेन पहुँची| सीताराम को जिगर ट्रेन से उतरता हुआ नहीं मिला| उसको समझ आ गया

क्रासिंग पर ट्रेन रुकी थी, जरूर जिगर उतरकर, गाँव का शॉर्टकट पकड़ लिया होगा

सीताराम का दिल बैठ गया और उसने घर वालों को फोन करके ये बात बता दी| सीताराम जानता था जिगर किस रास्ते से गाँव की तरफ जा रहा होगा और वह तेज साइकिल चलाता हुआ जिगर को ढूँढने निकल गया|

सीताराम का अंदेशा सही था, जिगर क्रासिंग पर उतर कर, गाँव के लिये पैदल चल दिया था| उसे स्टेशन पर रात में कोई घोड़ा गाड़ी या सवारी मिलने की उम्मीद नहीं थी और न सीताराम के आने का पता था| अब तक तो वह करीब आधा किलोमीटर दूर पहुँच गया था, वो खेतों में कूदता फांदता गाँव की तरफ बढ़ रहा था| गाँव कुछ २ किलोमीटर और दूर होगा जब बहुत दूर उसको कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई देने लगी| उसे दिशा भ्रम हुआ और बता पाना मुश्किल हो रहा था की कुत्तों की आवाज किधर से आ रही है| रात का वक़्त और सन्नाटा, उसमें कुत्तों का भौंकना| उसका दिल दहलने गया, घबराहट से बुरा हाल हो गया| जिगर को कुत्तों से बहुत डर लगता था और भूंकने की आवाज करीब २० से भी ज्यादा कुत्तों की होगी| उसको पेंट में पिशाब होने की हालत होने लगी|

इधर गाँव में, त्रिलोकी छत्त के जमीन पर बैठा हुआ था और भीष्म उस टूटी कुर्सी पर| भीष्म को नींद आ गयी और वो बैठे बैठे कुर्सी पर झूल गये, ऐसा लगा की कुर्सी लिये हुये वो नीचे गिर जायेंगे| जब त्रिलोकी ने उनको पकड़ लिया और उनके सामने चाय से भरा कप बढ़ाया|

रात को नींद तो आनी ही है, इसलिये थर्मस में पहले से चाय रेडी

हाँ आँख लग गयी थी, इसलिये मैं नहीं बैठता हूँ

भीष्म कुर्सी से उठते हुये बोले और उन्हें त्रिलोकी का स्वाभाव बढ़िया लगा था| वह उसके हाथ से चाय का कप लेकर पीने लगे|

तभी उन्हें नीचे से ननकू, सीताराम और जिगर का बाप, आता हुआ दिखा, साथ में उसकी बीवी और बेटी भी थे| सभी डरे हुये सारी बात बताने लगे की कैसे जिगर ने शोर्ट कट का रास्ता पकड़ कर जान जोखिम में डाल दिया है|

तेंदुआ हमला करेगा तो वह खुद को बचा भी नहीं पायेगा... और सीताराम भी उसके पीछे पीछे गया है

भीष्म उनको तसल्ली देने के बाद, कांस्टेबल को जीप निकालने को कहा|

***

ननकू के बताये रास्ते पर जीप दौड़ने लगी| एक जगह आकर खेत शुरु होते थे और उसके अन्दर जीप ले जाना संभव नहीं था इसलिये सभी जीप से उतर गये और खेतों में पैदल ही चलने लगे| जिगर के बाप की हालत खराब थी| तभी उनको दूर में कुत्तों के भूँकने की आवाज सुनाई देने लगी|

कुत्ते भूंक रहे है, जरूर तेंदुआ इधर ही है

भीष्म और कांस्टेबल ने अपनी अपनी बन्दूके संभाल ली, साथ ही त्रिलोकी भी बन्दूक लेकर चौकन्ना हो गया था| जिगर का बाप लगातार सीताराम से फोन पर बात कर रहा था| वह बोला

जिगर के पैर में चक्की लगी है, पता नहीं काहे इतनी जल्दी है घर आने की| अभी तक सीताराम को नहीं मिला ये लड़का| देखो सीताराम साइकिल से है और ये पैदल| फिर भी

जिगर का बाप पागलों की तरह ये सब बोलता हुआ टोर्च जलाये खेतों में भाग रहा था और उसके पीछे भीष्म, कांस्टेबल और त्रिलोकी बन्दूक पकडे हुये| एक जगह जाकर उनको सामने साइकिल से आता हुआ सीताराम दिखाई दिया| सबको अचरज हुआ| सीताराम बोला

आपलोगों को जिगर नहीं मिला क्या?

नहीं, तुमको नहीं मिला तो वो किधर चला गया

सीताराम भी टोर्च जलाकर आसपास रोशनी करने लगा| लेकिन जिगर नहीं दिखा| भीष्म और ननकू सीताराम एक साथ हो गये, कांस्टेबल और भीष्म एक साथ| दोनों टुकड़ियां दोनों दिशाओं में दौड़ गयी जिगर को आवाज लगाते हुये| एक जगह कहीं से हल्की से आवाज आई

बापू बापू

ननकू रुक गया| सीताराम, भीष्म और ननकू को चारो तरफ टोर्च की रोशनी करके ढूँढने लगे| उन्हें समझ नहीं आ रहा था की जिगर किधर से आवाज दे रहा है|

किधर हो तुम जिगर?

यहाँ जामुन के पेड़ के ऊपर

सभी नजर घुमाकर जामुन का पेड़ ढूँढने लगे| तभी वहाँ कांस्टेबल और त्रिलोकी भी आ गये| त्रिलोकी ने आवाज की दिशा बतायी| सभी उस दिशा में दौड़े तो देखा जिगर का बैग गिरा हुआ है तभी जिगर की आवाज आई

बापू पेड़ पर, सामने

सबने ऊपर नजर घुमाते हुये, टोर्च की रोशनी पेड़ पर ले गये, वहां जिगर बैठा हुआ था| वह जल्दी जल्दी उतर आया और बताया

कुत्ते तो कुछ ज्यादा ही भौंक रहे है, मैं डर गया तो यहाँ चढ़ गया

तू गदहे! क्या जरूरत थी इतनी जल्दी घर आने की| सीताराम तुझे लेने गया था, रुक नहीं सकता था

जिगर को समझ नहीं आ रहा था की उससे ज्यादा उसके बापू और भाई क्यूँ डरे हुये है और उनके साथ पुलिस क्यूँ है| जब उसको तेंदुये के गाँव में घुसने का पता चला, वह डर गया और बोला

मैं अभी तक कुत्ते ही सोच रहा था यहाँ तो तेंदुआ आया हुआ है|

सीताराम उसको सुरक्षित देख बहुत ख़ुश था और भीष्म ने कहा

जल्दी, गाँव की तरफ चलते है, यहाँ रहना सही नहीं

दूर अभी भी कुत्ते लगातार भौंक रहे थे|

***

छत्तों के ऊपर लड़के बदूक पकडे पहरेदारी दे रहे थे, बिरजू भी छत्त पर चढ़ आया और वहाँ बैठे बंदूकधारी भैया दिलिप और विवेक के साथ हंसी मजाक करने लगा| तभी दिलीप को सूसू लगी और वह छत्त के कोने में सू सू करने चला गया| वहाँ वो खडा होकर नीचे झाड़ियों को पानी देने लगा की तभी झाड़ियों में किसी जानवर के हिलने की सरसराहट महसूस हुयी| वह जब तक कुछ समझ पाता, अँधेरे में काले रंग का चमकता तेंदुआ उसके ऊपर झपटा| उसका बैलेंस बिगड़ गया और तेंदुआ उसको दबोचता हुआ छत्त से नीचे जमीन पर गिर गया| दिलीप चिल्लाया

अबे बचाओ बे| तेंदुआ नोचा रे

बिरजू और विवेक को तेंदुये और दिलीप की आवाज सुनाई दी| उन्हें कुछ सेकंड तक समझ नहीं आया की क्या हुआ है लेकिन सामने छत्त पर दिलीप को गायब देखकर समझ आ गया की माजरा क्या है| तेंदुये की आवाज और दिलीप के चीखने चिल्लाने की आवाज दिल दहला रही थी

विवेक बिरुजू को घर में जाने का आदेश देकर, खुद बन्दूक संभालता हुआ नीचे छज्जे पर कूद गया, लड़का साहसी था| विवेक छजे पर बन्दूक ताने हुये, जिधर से दिलीप नीचे गिरा था, उधर बढ़ने लगा| उसने जाकर देखा तो ना तेंदुआ दिखाई दिया और ना दिलीप| लेकिन दोनों की आवाज सुनाई दे रही थी| एक तो डर से उसका कलेजा वैसे ही बाहर निकलने के लिये बेचैन हो रहा था, ऊपर से कान गूँज रहे थे अलग| आँखों के आगे अँधेरा और हाथ पर कोई थपकी भी दे तो बन्दूक छूट जाये|

बिरजू ने भी नीचे जाकर हल्ला मचा दिया, तेंदुये और दिलीप के चीखने की आवाज से गाँव वाले पहले ही होशियार हो गये थे| तेंदुये के हमले की बात पक्का होते ही, सभी बंदूकधारी लड़के, अपने अपने छत्तों पर, बन्दूक ताने हुये हर तरफ तेंदुये को ढूँढ रहे थे| उन्हें त्रिलोकी की वार्निंग याद थी, “कुछ हो जाये घर से बाहर नहीं जाना”

इधर दिलीप जैसे ही नीचे गिरा था, उसके ऊपर ६ फूट से भी बड़ा तेंदुआ गिरा| दिलीप ने जमीन पर गिरते ही फुर्ती के साथ दोनों पैरों पर खडा हो गया| घर का दरवाजा बंद था तो छिपने की कोई जगह नहीं थी और वह खेत की तरफ भागने लगा|

बचाओ रे| पकड़ो रे| मारा रे

तेंदुआ भी उसके पीछे दौड़ा, फसल के बीच दिलीप के दौड़ने की रफ्तार घट गयी| उसके पैर खेत की गीली मिट्टी और फसल की ठूठ से लडखडा जाते और वह गिरने गिरने को हो जाता, मगर फिर खुद को संभालता हुआ तेंदुये को अपने पास पहुँचता हुआ महसूस कर रहा था|

थोड़ी दूर पर, उसे गाँव के खेतों के पास, लक्ष्मण का नवनिर्मित शौचालय दिखा, उसने पूरा जोर लगते हुये शौचालय में घुस गया और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया| उसको ख़ुशी हुयी और बोला

अच्छा हुआ लक्ष्मण भैया तुमने स्वछता अभियान वालों की बात मान कर ये पखाना बनवा लिया और दरवाजा भी आम के पेड़ की लकड़ी का| दूरदर्शी हो| बचाओ भाई| मैं यहाँ हूँ| लक्ष्मण भैया के पखाने में

तेंदुआ बाहर दरवाजे पर पंजे मार रहा था, उसके गुर्राने की आवाज से दिलीप नर्वस हुआ जा रहा था|

गाँव वालों की नींद हवा हो गयी| सभी छत्तों पर जमा हो गये | दिलिप के घर वालों का बुरा हाल था और उनको घर के अन्दर रोकना मुश्किल हो रहा था| सभी हाथों में बन्दूक पकडे, निशाना लगाते और टोर्च की रोशनी चमकाते, दिलीप को ढूँढ रहे थे|

भीष्म और त्रिलोकी वहाँ जीप में पहुंचे और उनको जैसे ही सारी बात पता चली, उसने गाँव वालों को ऐसे खुले में तेंदुये के सामने जाने से रोक दिया| भीष्म जीप से सभी को उतारने के बाद, सिर्फ कांस्टेबल को साथ लेकर जीप बढ़ा दिये जिधर दिलीप गया था| दूर से तेंदुये के गुर्राने की आवाज आ रही थी|

मचान पर लेटा शनीचर, तेंदुये की आवाज और गाँव की खलबली सुनकर अपना गडासा पकडे मदद के लिये गाँव की तरफ आने लगा|

भीष्म पुलिस जीप तेंदुये के पास ले गये और गाड़ी की रोशनी देखकर पता नहीं तेंदुये को क्या हुआ की उसने गाडी पर छलांग लगा दिया| वह सामने शीशे पर चिपक गया और अन्दर घुसने के लिये हाथ मारने लगा|

भीष्म समझ गये की गोली मारने के सिवा और कोई चारा नहीं है, वह पीछे वाले दरवाजे की तरफ भाग कर पहुंचे, अपने हाथ में बन्दूक संभालते हुये| लेकिन वो जैसे ही गाड़ी से नीचे उतरे और निशाना लगाने वाले थे, चिल्लाता हुआ शनीचर पहुँच गया और तेंदुये पर गडासा चला दिया| तेंदुआ बगल हट कर बच गया, उसने दांतों को शनीचर के कंधे पर गडा दिया| चारो पैरों से उसको जकड़ा और खींच कर हाथ कंधे से अलग कर दिया| खून का फव्वारा बहने लगा और शनीचर चिल्लाया

हाथ उखाड़ दिया माधर जात जानवर

तेंदुआ उसके गले के तरफ मूँह खोले हुये दांतों से पकड़ने वाला था| भीष्म जिसको अभी तक निशाना लगाने का समय नहीं मिल रहा था, उनको समय मिल गया और उन्होंने एक गोली चलायी जो सीधा तेन्दुये की खोपड़ी में लगी, वह गिर गया| शनीचर का हाँथ दर्द से सुन्न हो गया था और उसने जल्दी से अपना कटा हुआ हाथ उठा लिया|

ये हाथ जुड़ सकता है| जल्दी हस्पताल ले चलो

तेंदुआ एक गोली में मर चुका था लेकिन भीष्म ने एक और गोली मार कर तसल्ली कर ली| और दिलीप जो यह सब देख रहा था जल्दी से शौचालय से निकल आया, शनीचर के हाथ से खून का फव्वारा निकल रहा था और वह फिर से हॉस्पिटल चलने के लिये बोला| भीष्म जल्दी ही हरकत में आकर उसे गाड़ी में बैठा कर हॉस्पिटल ले गये|

शनीचर की जान बच गयी लेकिन काफी समय बीत जाने के कारण उसका कटा हुआ हाथ जुड़ नहीं पाया| इस तरह से तेंदुये का भय उस गाँव से खत्म हुआ|

वन विभाग से पता चला की तेंदुआ बूढा हो गया था और शिकार नहीं कर पाता था| माँ बेटी का शिकार करने के बाद उसको एहसास हुआ की इन्सान, जो धीरे धीरे दौड़ता है, उसका सबसे आसान शिकार है| और वह गाँव में घुस आया|

इन्सान हो या जानवर हमारे खाने और रहने की जरूरतें एक जैसी है – यह जंग तेंदुये के लिये भूख की जंग थी और इंसानों के लिये जान की|

हम इन्सान और जानवर विरूद्ध सीरीज में दूसरी कहानी लेकर जल्द ही आयेंगे|

नमस्ते

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Ajay Singh


Story / Screenplay / Dialogue Writer

CID, Adaalat, Shapath, Savdhaan India, Hoshiyar, Aahat, Surya, Jaankhelawan Jasoos, & Agale Janam Mohe Bitiya Hi Kijo

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(चित्र - सौजन्य :  डॉ. आरती अग्रवाल)

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रचनाकार: कहानी // तेंदुए का हमला // अजय कुमार
कहानी // तेंदुए का हमला // अजय कुमार
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