देश विदेश की लोक कथाएँ — दक्षिणी अफ्रीका की लोक कथाएँ अंगोला, बोट्सवाना, लिसोठो, मलावी, मोरेशस, मौज़ाम्बीक, नामिबिया, स्वाज़ीलैंड, जाम्बिया, ज़...
देश विदेश की लोक कथाएँ — दक्षिणी अफ्रीका की लोक कथाएँ
अंगोला, बोट्सवाना, लिसोठो, मलावी, मोरेशस, मौज़ाम्बीक, नामिबिया, स्वाज़ीलैंड, जाम्बिया, ज़िम्बाब्वे
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
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8 बिल्ली घर में कैसे आयी[1]
यह लोक कथा भी दक्षिणी अफ्रीका के ज़िम्बाब्वे देश की लोक कथाओं से ली गयी है।
यह बहुत दिनों पुरानी बात है कि एक जंगली बिल्ली एक जंगल में अकेली रहती थी। कुछ समय बाद वह अकेले रहते रहते थक गयी तो उसने एक जंगली बिल्ले से शादी कर ली।
वह बिल्ला भी कोई ऐसा वैसा बिल्ला नहीं था बल्कि पूरे जंगल में बड़ा शानदार बिल्ला था। दोनों कुछ दिनों तक खुशी से साथ साथ रहे।
एक दिन वे दोनों घास में साथ साथ घूम रहे थे कि एक चीता[2] उन पर कूद पड़ा। इससे बिल्ला एक तरफ को लुढ़क गया और उसके बालों और पंजों पर धूल लग गयी।
बिल्ली बोली — “ओह मेरे पति के तो सारे शरीर पर धूल लग गयी है और अब वह जंगल के सबसे अच्छे जानवरों में से एक नहीं रहा। इससे अच्छा तो यह चीता है जिसने इस बिल्ले को गिरा दिया। ” सो वह बिल्ली बिल्ले को छोड़ कर उस चीते के साथ रहने चली गयी।
बहुत दिनों तक वे दोनों भी खुशी खुशी साथ साथ रहे। एक दिन वे दोनों जंगल में शिकार कर रहे थे कि एक झाड़ी में से एक शेर चीते की पीठ की तरफ कूदा और उसको मार कर उसे सारा का सारा खा गया।
बिल्ली को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने सोचा तो यह चीता तो जंगल का सबसे अच्छा जानवर नहीं था इसको तो यह शेर ही खा गया।
इसका मतलब यह है कि जंगल का सबसे अच्छा जानवर तो शेर है जो चीते को भी मार देता है। सो वह बिल्ली शेर के साथ रहने चली गयी।
वहाँ भी बिल्ली कुछ समय आराम से रही कि एक दिन जब वह शेर के साथ जंगल में टहल रही थी कि एक बहुत बड़ा जानवर आया और शेर के ऊपर उसने अपना पैर रख दिया और शेर मर गया।
“अरे, यह तो शेर भी जंगल का सबसे अच्छा जानवर नहीं निकला। सबसे अच्छा जानवर तो वह हाथी है जिसने शेर को भी मार डाला। ” सो वह बिल्ली हाथी के साथ रहने चली गयी।
अब वह बिल्ली हाथी की पीठ पर चढ़ जाती और उसकी गरदन पर उसके दोनों कानों के बीच में बैठ कर कुछ कुछ बोलती रहती। हाथी के साथ रहने में उसको बड़ा आनन्द आया। वह उसके साथ बहुत खुश थी।
वे दोनों भी काफी दिन तक खुशी खुशी रहे कि एक बार जब वे लम्बे लम्बे सरकंडे[3] के पेड़ों में से हो कर गुजर रहे थे तो एक बहुत ज़ोर की आवाज आयी और उस आवाज के साथ ही हाथी नीचे गिर पड़ा और मर गया।
बिल्ली ने चारों तरफ देखा तो उसको पास में बन्दूक लिये एक छोटा सा आदमी खड़ा हुआ दिखायी दिया। “ओओओह, अरे यह तो हाथी भी जंगल का सबसे बढ़िया जानवर नहीं था। यह तो यह आदमी है जो हाथी को भी मार देता है। ”
और वह बिल्ली उस आदमी के पीछे पीछे उसके घर चली गयी और उसकी झोंपड़ी की फूस की छत पर जा कर बैठ गयी। वह खुशी खुशी बोली — “आखिर मैंने पूरे जंगल का सबसे अच्छा जानवर ढूँढ ही लिया। अब मैं इसके साथ आराम से अपनी सारी ज़िन्दगी गुजार सकूँगी। ”
काफी दिन तक वह उस झोंपड़ी की फूस वाली छत पर खुशी खुशी रही और उस गाँव में जो भी चूहे उसे मिल जाते उन्हें पकड़ कर खा लेती।
एक दिन वह उस फूस की छत पर बैठी धूप का आनन्द ले रही थी कि उसने झोंपड़ी के अन्दर से कुछ शोर सुना। घर में पति और पत्नी दोनों आपस में बहुत ज़ोर ज़ोर से लड़ रहे थे।
दोनों की लड़ाई की आवाजें तेज़ और तेज़ होती जा रही थीं कि आदमी धड़ाम से उस झोंपड़ी के बाहर धूल में आ गिरा।
यह देख कर बिल्ली बोली “आहा, अब मुझे पता चला कि पूरे जंगल का सबसे अच्छा जानवर कौन है। वह यह आदमी भी नहीं था बल्कि यह औरत है जो आदमी को भी अपने काबू में रखती है। ”
बस वह तुरन्त ही उस फूस की छत से नीचे उतर आयी और झोंपड़ी के अन्दर चली गयी। अन्दर जा कर वह आग के पास बैठ गयी और तब से अब तक वह वहीं बैठी है।
देश विदेश की लोक कथाओं की सीरीज़ में प्रकाशित पुस्तकें —
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1 नाइजीरिया की लोक कथाएँ–1
2 नाइजीरिया की लोक कथाएँ–2
3 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1
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2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1 — 45 लोक कथाएँ — सामान्य छापा, मोटा छापा दोनों में उपलब्ध
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1 रैवन की लोक कथाएँ–1 — इन्द्रा पब्लिशिंग हाउस
2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1 — प्रभात प्रकाशन
3 इथियोपिया की लोक कथाएँ–2 — प्रभात प्रकाशन
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1 इथियोपिया की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/08/1-27.html
2 इथियोपिया की लोक कथाएँ–2
http://www.rachanakar.org/2017/08/2-1.html
3 रैवन की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1.html
4 रैवन की लोक कथाएँ–2
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5 रैवन की लोक कथाएँ–3
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6 इटली की लोक कथाएँ–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1_30.html
7 इटली की लोक कथाएँ–2
http://www.rachanakar.org/2017/10/2-1.html
8 इटली की लोक कथाएँ–3
http://www.rachanakar.org/2017/10/3-1.html
9 इटली की लोक कथाएँ–4
http://www.rachanakar.org/2017/10/4-1.html
10 इटली की लोक कथाएँ–5
http://www.rachanakar.org/2017/10/5-1-italy-lokkatha-5-seb-wali-ladki.html
11 इटली की लोक कथाएँ–6
http://www.rachanakar.org/2017/11/6-1-italy-ki-lokkatha-billiyan.html
नीचे लिखी पुस्तकें जुगरनौट डाट इन पर उपलब्ध हैं
1 सोने की लीद करने वाला घोड़ा और अन्य अफ्रीकी लोक कथाएँ
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2 असन्तुष्ट लड़की और अन्य अमेरिकी लोक कथाएँ
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Updated on Sep 27, 2017
लेखिका के बारे में
सुषमा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में सन् 1943 में हुआ था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र् और अर्थ शास्त्र् में ऐम ए किया और फिर मेरठ विश्वविद्यालय से बी ऐड किया। 1976 में ये नाइजीरिया चली गयीं। वहाँ इन्होंने यूनिवर्सिटी औफ़ इबादान से लाइबे्ररी साइन्स में ऐम ऐल ऐस किया और एक थियोलोजीकल कौलिज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहाँ से फिर ये इथियोपिया चली गयीं और वहाँ एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी के इन्स्टीट्यूट औफ़ इथियोपियन स्टडीज़ की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात इनको दक्षिणी अफ्रीका के एक देश, लिसोठो के विश्वविद्यालय में इन्स्टीट्यूट औफ़ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज़ में 1 साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से 1993 में ये यू ऐस ए आ गयीं जहाँ इन्होंने फिर से मास्टर औफ़ लाइब्रेरी एँड इनफौर्मेशन साइन्स किया। फिर 4 साल ओटोमोटिव इन्डस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में इन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और अपनी एक वेब साइट बनायी – www.sushmajee.com। तब से ये उसी वेब साइट पर काम कर रहीं हैं। उस वेब साइट में हिन्दू धर्म के साथ साथ बच्चों के लिये भी काफी सामग्री है।
भिन्न भि्ान्न देशों में रहने से इनको अपने कार्यकाल में वहाँ की बहुत सारी लोक कथाओं को जानने का अवसर मिला – कुछ पढ़ने से, कुछ लोगों से सुनने से और कुछ ऐसे साधनों से जो केवल इन्हीं को उपलब्ध थे। उन सबको देख कर इनको ऐसा लगा कि ये लोक कथाएँ हिन्दी जानने वाले बच्चों और हिन्दी में रिसर्च करने वालों को तो कभी उपलब्ध ही नहीं हो पायेंगी – हिन्दी की तो बात ही अलग है अंग्रेजी में भी नहीं मिल पायेंगीं।
इसलिये इन्होंने न्यूनतम हिन्दी पढ़ने वालों को ध्यान में रखते हुए उन लोक कथाओं को हिन्दी में लिखना पा्ररम्भ किया। इन लोक कथाओं में अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के देशों की लोक कथाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों की भी कुछ लोक कथाएँ सम्मिलित कर ली गयी हैं।
अभी तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी है। इनको “देश विदेश की लोक कथाएँ” क्रम में प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है। आशा है कि इस प्रकाशन के माध्यम से हम इन लोक कथाओं को जन जन तक पहुँचा सकेंगे।
विंडसर, कैनेडा
मई 2016
[1] The Cat Who Came Indoors (Story No 2) – a folktale from Zimbabwe, Southern Africa.
Adapted from the Book : “Favorite African Folktales”, edited by Nelson Mandela.
[2] Translated for the word “Leopard”. See its picture above.
[3] Translated for the word “Reed”, See its forest’s picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.
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