सुशील शर्मा की काव्य रचनाएँ

SHARE:

ग़ज़ल सुशील शर्मा तुझ से जीवन में क्यों दूरी है तेरी मेरी क्यों ये मजबूरी है। दूर दूर रहकर कबतक देखूंगा तेरे पास में आना बहुत जरूरी है। ...

ग़ज़ल
सुशील शर्मा

तुझ से जीवन में क्यों दूरी है
तेरी मेरी क्यों ये मजबूरी है।

दूर दूर रहकर कबतक देखूंगा
तेरे पास में आना बहुत जरूरी है।

गाल गुलाबी चाल शराबी तन प्यासा है।
कब मिल पाएगी ये हलवा पुरी है।

जो मेरी है बस मेरी है बस मेरी है।
बिन तेरे मेरी सब बात अधूरी है ।

तेरे अक्स को भी गर कोई छूता है।
उससे मेरी दुश्मनी जरूरी है।

रोशनी
सुशील शर्मा

जब से मिले हो तुम जिंदगी जवानी हो गई है।
दिन लरजते फूल रात रवानी हो गई है।

रोशनी दूर थी अब तलक मेरी महफ़िल से
तुम से रोशन मेरी जिंदगानी हो गई है।

जब से रखा है पैर तुमने आँगन में हमारे।
पर्वतों की राह भी मैदानी हो गई है।

फूले है वन उपवन फूली अमराई है।
ये सारी प्रकृति तेरी ही निशानी हो गई है।

अंधेरों में जल उठे तेरे तब्बसुम के दिये।
जब से तेरी नजर की मेहरबानी हो गई है।

ग़ज़ल
सुशील शर्मा

कोई अपना मेरे पास आये तो कैसे
जिंदगी मेरा साथ निभाये तो कैसे।

जख्म जिंदगी ने बेइंतिहा दिए है।
खुशी मुझे खुशी से सहलाये तो कैसे।

माँ बाप का साया सिर पर न रहा।
कोई मुझे दिल से अपनाये तो कैसे।

बचपन दुखों की पनाहों में है
मन को विश्वास दिलाये तो कैसे।

भूख पेट मे नींद आंखों पे सोती है
भाई मुझे खाना खिलाये तो कैसे।


तेरे कूचे में
सुशील शर्मा

तिरा अक्स दिल मे बसाने की तमन्ना है।
आज तुझ पर दिल हार जाने की तमन्ना है।

देखा बहुत दूर दूर से तुझको
आज पास आने की तमन्ना है।

बाते बहुत होती हैं प्यार करने की।
आज तुझ पे जान लुटाने की तमन्ना है।

दिल टूटने का कोई शिकवा नही होगा।
बस तुझ पर दिल हार जाने की तमन्ना है।

तुझको देखे बगैर चैन दिल को कहां।
तेरे कूचे में घर बनाने की तमन्ना है।

ग़ज़ल
पायल पाजेब

सुशील शर्मा

तेरी पायल मेरे दिल का संगीत है।
मन के झरने से झरता कोई गीत है।

आँगन में छनकती है जब भी पायल
मन के कोने से निकलता नवगीत है।

जब भी कहीं घुंघरू खनकते है।
तेरी पाजेब का लगता संगीत है।

जब भी यादों के साथ मिलता हूँ।
सुनातीं तेरी पायल का गीत है।

तेरी पायल की रुनझुन से लगता है।
तू पिछले जन्मों का मेरा मनमीत है।


*बहारें फिर भी आएँगी*
सुशील शर्मा

बहारें फिर भी आएँगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।
फिजायें गुल खिलाएंगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।

तोड़ कर दिल यूँ जाने का
सबब तो बता देते।
खुशियां अब भी मुस्कुरायेंगीं
ज़माने में भले तुम न रहोगे।

कभी किसी के जाने से
कोई मर नहीं जाता।
कलियां फिर खिलेंगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।

कभी निकलो इस गली से
तो एक नजर देख लेना।
बहारें गुनगुनाएंगी इस
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।

वो कोई और होते है
जो गम से टूट जाते हैं।
ये आँखें मुस्कुरायेंगीं
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे



  शिव उवाच

पूजन तुम्हारी कैसे स्वीकार करूँ।
मन मैला तन का कैसे आधार करूँ।
भाव नहीं पूजन के तेरे मन में फिर।
भोग को बोलो कैसे अंगीकार करूँ।

हर तरफ मुखौटों की भरमार है।
जिसको देखो वही गुनाहगार है।
अब नहीं ईमानों का मौसम यहां।
हर शख्स पैसों का तलबगार है।


हर शख्स से मैं जब भी मिला।
अंदर से मुझको वो टूटा मिला।
हर चेहरे का एक अलग विन्यास है।
हर चेहरे के ऊपर मुखोटा मिला।

हर जगह मंदिरों में पत्थर रखे।
मेरी सूरत मैं मुझको मुखोटे दिखे।
सोने चांदी में मेरी पूजन बिकी।
मन के कौने मुझे सब खाली दिखे।

दीन दुखियों का कष्ट हरता हूँ मैं।
टूटे दिलों की मदद करता हूँ मैं।
एक विल्वपत्र बस चढ़ाना मुझे।
जीवन को सुखों से भरता हूँ मैं।

सबने पूजा मुझे अलग ताव से।
सबने मांगा मुझे अलग चाव से।
जिसका दामन था जितना बड़ा।
उसको ज्यादा दिया उसी भाव से।

image

प्रकृति से सीखो
सुशील शर्मा

प्रकृति और मानव का
  गहरा संबंध है।
जीवन की अनुभूति से
प्रकृति के आबंध हैं।
मानव की चिर
सहचरी प्रकृति है।
मानवीय संवेदना के
चौखटे की आकृति है
शोक, विषाद, 'रूदन
एवं अवसाद के क्षणों में
प्रकृति निर्मित
पर्यावरणीय रक्षणों में
प्रकृति के संवेदनात्मक रूप
  अश्रुपात करते हैं
मानव-जीवन में 
सतत विकास करते हैं।
समुद्र, नदी, वन,
वृक्ष, पक्षी, की अपर्णा
रेगिस्तान, सन्नाटा,
मौन, दुःख, करुणा
इन सभी संवेदनाओं
को प्रकृति जीती है
मानव के सारे दुष्कर्मों
को चुपचाप सहती है
मानवीय अस्तित्व से
जुड़ी बुनियादी बातें
प्रकृति से ही नियंत्रित
  सभी दिन और रातें।
प्रकृति से संवेदनाएं गर
नहीं सीख पाएंगे हम।
आने वाली पीढ़ी को
क्या मुंह दिखाएंगे हम।

प्रेमगीत
सुशील शर्मा

तुम मेरे दिल की बाती हो।
जब चाहूं तब जल जाती हो।
प्रेम समंदर इतनी पैठी
हरदम प्रेम में मदमाती हो।

स्नेह स्वर्ण सी सिंचित तुम।
मेरे मन में अनुमोदित तुम।
जन्म जन्म से तुझ से रिश्ता।
मेरी अर्धांगिनी घोषित तुम।

तुमने अब स्वीकार किया
मैं तेरे मन में जला दीया।
अब न छुपाओ खुद को तुम
तेरी आँखों ने इज़हार किया।


पल पल तेरे बिन अब रहना मुश्किल है।
बिन तेरे जीवन ये जीना मुश्किल है।
आज से तुम मेरी वेलेंटाइन बन जाओ।
अब तन से तन की दूरी सहना मुश्किल है।

तुम बिन जीवन लगे अधूरा सा।
घर तुम बिन लगता घूरा सा।
तन मन धन समर्पित तुमको है।
मिल कर कर दो मुझको पूरा सा।

तेरे संग हरपल अब वेलेंटाइन है।
तेरे संग जीवन मीठा गायन है।
हर पल जीवन का अब तेरा है।
तू मेरे दिल की ठाकुरायन है।


सम्मान की भूख
सुशील शर्मा

सुनो साहित्यकार
सम्मान चाहिए
भिजा देना इतने पैसे
मेरे एकाउंट में
या खरीद लेना
मेरी पत्रिका
जिसमें सिर्फ पैसे वालों
के ही आर्टिकल छापता हूँ
जी हज़ूर
आप तो मुझे सम्मान दे दो
मंच पर स्थान दे दो
एक प्रशस्ति पत्र
शाल श्रीफल देकर
नीचे से ये लिफाफा ले लो
मुझे बड़ा साहित्यकार बनना है
बगैर सम्मानों के कोई बड़ा
  साहित्यकार नही बन सकता
सम्मान के बगैर सीना नही तन सकता।
सभी लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों
के चरण वंदना कर आया हूँ।
उनको अपनी गुण ग्रंथावली
शब्दशः रटा आया हूँ।
सम्मान के दिन सभी मेरे गुण गाएंगे।
आपके सुर में सुर मिलाएंगे
आप सभी मिलकर मुझे
ऊंचा साहित्यकार बनाएंगे।

तुम्हारी आदत

तुम्हारी ये आदत है।
दिल तोड़ना और मुस्कुराना
  तुम्हारी ये आदत है
अपने हुस्न के जलवे दिखाना
तुम्हारी  ये आदत है
इश्क़ करके तड़पाना
तुम्हारी ये  आदत है।
प्यार करना और गुनगुनाना।
तुम्हारी ये आदत है
मना करके बाहों में समा जाना।
तुम्हारी ये आदत है
इश्क़ करके मुकर जाना।
मेरी ये आदत है
तुमको अपना बनाना।


मेरी  रचना का पौधा
सुशील शर्मा

एक रचना का पौधा
भाव के बीज
चिंतन का पानी
अनुभवों की खाद
शब्दों के बैल
लेखनी का हल
श्रम की स्याही
छंदों के खेत में
मैंने बोया था
फिर एक दिन
मेरी एक रचना उगी
दो पत्तों के साथ
फिर निदाई की
फिर गुड़ाई की
फिर चार पत्ते
फिर आठ पत्ते
इसी बीच समीक्षकों
ने ओले बरसाए
अपनी पीठ पर सहे
उस रचना के ऊपर झुक कर
फिर कुछ दिन बाद
स्वस्थ पौधा
फिर कई फल लगे
सभी ने खाये
कुछ वो बीज ले गए
उन्हें अपने खेतों में लगाये
मेरी रचना में सिमटी
सारी कायनात
मेरे पौधे के बाजू
के पौधे मुरझाए
क्योंकि उनको
छोड़ दिया गया था
सिर्फ बो कर।


  क्षणिकाएं
सुशील शर्मा


वो पुरानी यादें
किताबों की बुनियादें
तुम्हारे लिखे कुछ पत्र
धुंधले से तुम्हारे चित्र
वो कक्षा की बातें
वो सुनहरी मुलाकातें।

स्वप्न कुछ बुने हुए
प्रेम से सने हुए
तुम्हारे अबोल शब्द
वो आंखों के इशारे
थे मन के सहारे।

जीवन की डगर
अलग थी मगर
कभी न भूला मन
तुम्हारा आंगन
हृदय से कसे हो
मन में तुम बसे हो।

क्षणिकाएं

सुशील शर्मा

तुम्हारे प्रेम का असाध्य
सौंदर्य वेष्ठित ओज।
पुष्पिताग्र उदंड उरोज
सुलगे अंगार सी देह।
तुम्हारी यौवनी गंध का मेह।
देह मन आत्मा सब व्यक्त
ज्योतिर्मयी चेतना सिक्त।
आंखों में अनकहा प्यार।
जीवन का बस यही आधार

अनिमिष स्वप्नदर्शी
अनगिनित स्मृतियां खास
झाड़ियों के पीछे की
अभिसारी घास
तुम्हारा सीमांत प्रेम
मेरा पिघलता अस्तित्व
तुम्हारे प्रेम के सागर में
रेत सा बहता मेरा व्यक्तित्व।

बसंत में सूखी नदी
प्रेम की भूखी नदी
सिमट सी गई
रेत के नीचे
चिमट सी गई।
सर्द सूखे पत्थरों से लदी
बसंत में सूखी नदी।

हाइकु-125
आशा अभिलाषा
सुशील शर्मा

उड़ती जाए
मन की अभिलाषा
पंख लगाए।

सुधा तृप्ति की
मन है मधुकर
चंदन आशा।

मुट्ठी में आशा
कठिन डगर है
घना कुहासा।

अरे विधाता
लेकर सब कुछ
भर दो आशा।

कैसी उत्कंठा
मृग मरीचिका सी
तुम्हें तलाशे।

एक लालसा
ईश्वर स्मरण से
कटे जाल सा।

हाइकु-126
चांद सितारे सूरज निहारिका

सुशील शर्मा

रात अंधेरे
चांद सा झिलमिल
तेरा चेहरा

तेरा खयाल
फलक पर चांद
रोशन मन

दिल के राज
चांद है राजदार
तन्हा सी रातें।

तेरा चेहरा
आसमान में चांद
आंखे हैं तारे।

चंदा मामा
मैंने पहन लिया
तेरा पजामा।

निहारिका सी
शुभ्र झिलमिलाती
तुम्हारी पाती

घर की छत
सूरज सुर्ख गोल
डूबता मन


हाइकु-127
कर्म माया तृषा

सुशील शर्मा

मानव कर्म
बीज बना अंकुर
फल निश्चित।

कर्म आश्रित
मानवीय चेतना
शरीर धर्म

कर्म का मूल
आत्म का समर्पण
मुक्ति का द्वार।

ईश अर्पित
कर्म का प्रयोजन
धर्म सम्मत।

कर्मशीलता
मानव की प्रवृति
जन्म बंधन।

माया ठगिनी
भरमाये जीवन
बने दावाग्नि।

माया का मोह
गुड़ में लगा चींटा
जीवन बीता।

तृषा की अग्नि
ईर्ष्या की लकड़ियां
माया पवन।

हाइकु-128
युद्ध शांति रक्त विनाश पीड़ा

वृक्षों का नाश
अधाधुंध विकास
पीड़ित मन

रिसती पीड़ा
जीवन अग्निपथ
युद्ध भीषण।

युद्ध की भूमि
रक्त बहता रहा
शांति की चाह।

विस्तार नीति
युद्ध संग अनीति
रक्त पिपासु

हाइकु -129
श्रीदेवी को श्रद्धांजलि

एक लम्हे में
चालबाज़ चाँदनी
हो गई जुदा

सदमा लगा
सुहागन नगीना
लंबी जुदाई।

फरिश्ते बने
पत्थर के इंसान
खुदा गवाह।

अंतिम यात्रा
विनम्र श्रद्धांजलि
मुक्ति की आस।

  हाइकु -130
कली भ्रमर पुष्प बसंत

सुशील शर्मा

शस्य श्यामला
मदमस्त श्रृंगार
बसंती प्यार

मस्त भ्रमर
कलियों के कानों में
गीत सुनाये।

पराग रस
गुनगुनाते भौरें
फूलों पर झूलें।

कोकिल कूकी
सतरंगी बसंत
नवल कली।

ऋतु अनंग
रतिमय आनंद
मस्त मदन।

पीली सरसों
केशरी है पलाश
पुष्प सुवास।

भौरीं गुंजन
बसंत निकुंजन
पिक कुंजन

मधुप गान
कलियन वितान
नैनन बान।

रंग अनंत
चित्रकार बसंत
सजा दिगंत



रोला छंद

मुख पर ले मुस्कान प्यार तुम सबसे कर लो ।
सबका कर सम्मान प्रेम से जीवन भर लो।
दो दिन का श्रृंगार मगन मन भर कर करलो।
जाना है उस पार ईश के चरण पकड़ लो।

सुशील शर्मा

चंचरी छंद
12,12,12,10

मिलन की भी बात हो,
तुम से मुलाकात हो।
प्यार की बरसात में,
खुद को भिगोइये।

दिल महक महक उठे,
प्यार संग लहक उठे।
जिंदगी के रंग में,
भंग न मिलाइये।

मिलजुल कर प्यार संग,
पीकर के प्रेम भंग।
सूखे इस जीवन में,
प्रेम बरसाइये।

जीवन है चार दिवस
छोड़ कर सारी हवस
प्रभु के श्री चरण संग
प्रीत अपनाइये।

सुशील शर्मा

मरहटा छंद
10, 8, 11 मात्राएँ

मोहक सी सूरत,सुंदर मूरत
मत करना गुरूर
जीवन संग ज्योति ,मन के मोती
प्रेम लदी भरपूर।
मन में अभिलाषा ,तेरी आशा।
जीवन है मजबूर।
मन में तुम बसते, जीवन रस्ते।
चलते चलो हुजूर।

सुशील शर्मा

रोला छंद
गुलाल

हाथ में ले गुलाल देख मुझ को मुस्काई।
रंग रंगे कपाल भांग की मस्ती छाई।
देख रूप सौंदर्य चाँदनी भी शरमाई।
अपलक देखें सभी प्रेम की वो तरुणाई।

सुशील शर्मा

रोला छंद
बसंत

प्रिय बसंत मुस्काय चुनरिया ओढ़े धानी
सतरंगी हो जाय जिंदगी बड़ी सुहानी
पिया मिलन की आस लिए फिरती है रानी।
मन बांधे उल्लास सजन की प्रेम दीवानी।

सुशील शर्मा

रोला छंद
लालिमा

लाल लाल रंगीन, शाम देखो मन भाए।
लोहित नीला गगन, लालिमा अंग लगाए।
गोधूलि बेला संग ,तारे सब क्षितिज समाए।
चाँद उतर चुपचाप ,घर की छत पर चढ़ जाए।

सुशील शर्मा

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सुशील शर्मा की काव्य रचनाएँ
सुशील शर्मा की काव्य रचनाएँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvs9Bi2JlLLCBmA90PKXGFFg7HKDf_q2dRdgTsV3L6PjpusR4c5X_pD_N9aV8AXY44BXbGYpuNyhi-bRBXMf8LZZTrUe1M8o-DQXSynP91rN1AfamCc4qe1P1T95syD5juj5QZ/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvs9Bi2JlLLCBmA90PKXGFFg7HKDf_q2dRdgTsV3L6PjpusR4c5X_pD_N9aV8AXY44BXbGYpuNyhi-bRBXMf8LZZTrUe1M8o-DQXSynP91rN1AfamCc4qe1P1T95syD5juj5QZ/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/03/blog-post_2.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/03/blog-post_2.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content