इस बाजारवादी समय में जहां चमकती हुई चीजों से बाजार पटा पड़ा है, हमें देखना होगा कि आखिर हम कैसा देश बना रहे हैं। लोगों की मेहनत की कमाई पर क...
इस बाजारवादी समय में जहां चमकती हुई चीजों से बाजार पटा पड़ा है, हमें देखना होगा कि आखिर हम कैसा देश बना रहे हैं। लोगों की मेहनत की कमाई पर कारपोरेट और बाजार की दुरभिसंधि से कैसे उन्हें शोषण की शिकार बनाया जा रहा है। विज्ञापनों के माध्यम से चीजों को बेहद उपयोगी बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है और एक उपभोक्तावादी समाज बनाने की कोशिशों पर जोर है। जाहिर तौर पर इसे रोका भी नहीं जा सकता। उदारीकरण और भूमंडलीकरण की नीतियों को स्वीकार करने के बाद हमें बाजार और इसके उपकरणों से बचने के बजाए इसके सावधान और सतर्क इस्तेमाल की विधियां सीखनी होंगी। अपनी जागरूकता से ही हम आए दिन हो रही ठगी से बच सकते हैं। यह जानते हुए भी कि हर व्यक्ति कहीं न कहीं ग्राहक है, उसे ठगने की कोशिशों पर जोर है। हम यह स्वीकारते हैं कि कोई भी व्यापारी, दुकानदार या सप्लायर भी कहीं न कहीं ग्राहक है। अगर वह एक स्थान पर कुछ लोगों को चूना लगता है तो इसी प्रवृत्ति का वह दूसरी जगह खुद शिकार बनता है।
खरीददारी में जरूरी है समझदारीः
जीवन के हर हिस्से में आम आदमी को कहीं न कहीं ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जब उसे इस तरह की लूट या ठगी का शिकार बनाया जाता है। पेट्रोल, रसोई गैस, नापतौल, ज्वैलरी खरीद, चिकित्सा, खाद्य पदार्थों में मिलावट,रेल यात्रा में मनमानी दरों पर सामान देते वेंडर्स,बिजली कंपनी की लूट के किस्से,बिल्डरों की धोखा देने की प्रवृत्ति,शिक्षा में बढ़ता बाजारीकरण जैसे अनेक प्रसंग हैं, जहां व्यक्ति ठगा जाता है। एक जागरूक ग्राहक ही इस कठिन की परिस्थितियों से मुकाबला कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि ग्राहक जागरण को एक राष्ट्रीय कर्तव्य मानकर हम सामने आएं और ठगी की घटनाओं को रोकें। साधारण खरीददारियों को कई बार हम सामान्य समझकर सामने नहीं आते इससे गलत काम कर रहे व्यक्ति का मनोबल और बढ़ता है और उसका लूटतंत्र फलता-फूलता रहता है। हालात यह हैं कि हम चीजें तो खरीदते हैं पर उसके पक्के बिल को लेकर हमारी कोई चिंता नहीं होती। जबकि हमें पता है पक्का बिल लेने से ही हमें वस्तु की कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है। खरीददारी में समझदारी से हम अपने सामने आ रहे अनेक संकटों से बच सकते हैं।
ग्राहकों के पास हैं अनेक विकल्पः
एक जागरूक ग्राहक हर समस्या का समाधान है। हम अपनी साधारण समस्याओं को लेकर सरकार और प्रशासन तंत्र को कोसते रहते हैं पर उपलब्ध सेवाओं का लाभ नहीं उठाते। जबकि हमारे पास ग्राहकों की समस्याओं के समाधान के लिए अनेक मंच हैं जिन पर जाकर न्याय प्राप्त किया जा सकता है। इसमें सबसे खास है उपभोक्ता फोरम। यह एक ऐसा मंच है जहां पर जाकर आप अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं। प्रत्येक जिले में गठित यह संगठन सही मायनों में उपभोक्ताओं का अपना मंच है। न्याय न मिलने पर आप इसके राज्य फोरम और केंद्रीय आयोग में भी अपील कर सकते हैं।
इसके साथ ही अनेक राज्यों में जनसुनवाई के कार्यक्रम चलते हैं, जिसमें कहीं कलेक्टर तो कहीं एसपी मिलकर समस्याएं सुनते हैं। मप्र में प्रत्येक जिले में मंगलवार का दिन जनसुनवाई के लिए तय है। कई राज्य सीएम या मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के माध्यम से भी बिजली, गैस, नगर निगम,शिक्षा, परिवहन जैसी समस्याओं पर बात की जा सकती है। सूचना का अधिकार ने भी हमें शक्ति संपन्न किया है। इसके माध्यम से ग्राहक सुविधाओं पर सवाल भी पूछे जा सकते हैं और क्या कार्रवाई हुयी यह भी पता किया जा सकता है। केंद्र सरकार के pgportal.gov.in पर जाकर भी अपनी समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है। इस पोर्टल पर गैस,बैंक, नेटवर्क, बीमा से संबंधित शिकायतें की जा सकती हैं।
निश्चय ही एक जागरूक समाज और जागरूक ग्राहक ही अपने साथ हो रहे अन्याय से मुक्ति की कामना कर सकता है। अगर ग्राहक मौन है तो निश्चय ही यह सवाल उठता है कि उसकी सुनेगा कौन? एक शोषणमुक्त समाज बनाने के लिए ग्राहक जागरूकता के अभियान को आंदोलन और फिर आदत में बदलना होगा। क्योंकि इससे राष्ट्र का हित जुड़ा हुआ है।
साधारण प्रयासों से मिलीं असाधारण सफलताएं:
एक संगठन और उसके कुछ कार्यकर्ता अगर साधारण प्रयासों से असाधारण सफलताएं प्राप्त कर सकते हैं तो पूरा समाज साथ हो तो अनेक संकट हल हो सकते हैं। अखिलभारतीय ग्राहक पंचायत के पास ऐसी अनेक सेक्सेस स्टोरीज हैं, जिसमें जनता को राहत मिली है। उदाहरण के लिए पानी के बोतल के दाम अलग-अलग स्थानों पर अलग होते हैं। स्टेशन, बाजार, एयरोड्र्म,पांच सितारा होटल में अलग-अलग। इसकी शिकायत उपभोक्ता मंत्रालय से की गयी। परिणाम स्वरूप सभी स्थानों पर पानी की बोतल एक मूल्य पर मिलेगी और पानी बोतल पर एमआरपी एक ही छापी जाए इसका आदेश उपभोक्ता मंत्रालय ने जारी किया। यह अलग बात है यह बात लागू कराने में अभी उस स्तर की सफलता नहीं मिली है। ग्राहक पंचायत ने अपने प्रयासों से 16 सुपर फास्ट ट्रेनों में सुपर चार्ज रद्द करवाकर देश के रेलयात्रियों के लगभग 80 लाख रूपए अनुमानित बचाने का काम किया है। इसी तरह रेल केटरिंग की रेटलिस्ट प्रकाशित करवाकर देश के नागरिकों को प्रतिदिन 25 करोड़(अनुमानित) की बचत करवाई और मुनाफाखोरी पर लगाम लगी। इसी तरह ट्रेनों में वापसी टिकिट का चार्ज हटवाकर लगभग 38 करोड़ रूपए की अनुमानित मासिक बचत कराई। जाहिर तौर पर ऐसे प्रयास सामान्य जन भी कर सकते हैं। ग्राहकों की सुरक्षा के लिए ग्राहक संरक्षण अधिनियम 1986 का पारित किया जाना कोई साधारण बात नहीं थी। किंतु ग्राहक पंचायत के प्रयासों से यह संभव हुआ। जिसके अनुपालन में देश भर में उपभोक्ता फोरम खुले और न्याय की लहर लोगों तक पहुंची।
आज आवश्यकता इस बात की है कि समाज के हर वर्ग में ग्राहक चेतना का विकास हो। यह नागरिक चेतना का विस्तार भी है और समाज की जागरूकता का प्रतिबिंब भी। हमें ग्राहक प्रबोधन, जागरण और उसके सक्रिय सहभाग को सुनिश्चित करना होगा। आज जबकि समाज के सामने बैंक लूट, साइबर सुरक्षा, जीएसटी की उलझनें, कैशलेस सिस्टम,भ्रामक विज्ञापन जैसे अनेक संकट हैं, हमें साथ आना होगा। ग्राहकों के हित में पृथक ग्राहक मंत्रालय की स्थापना के साथ-साथ संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक ग्राहकोपयोगी बनाने और शीघ्र पारित कराने के लिए प्रयास करने होगें। महंगाई की मार से त्रस्त उपभोक्ताओं के सामने सिर्फ जागरूकता का ही विकल्प है, वरना इस मुक्त बाजार में वह लुटने के लिए तैयार रहे।
यह सिर्फ संयोग मात्र नहीं है कि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस(15 मार्च) को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में देश के सबसे महत्वपूर्ण ग्राहक अधिकार संगठन अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत का दो दिवसीय अधिवेशन प्रारंभ हो रहा है। आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसवाले की उपस्थिति भी महत्त्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन भी अब इस इस दिशा में सोचने लगे हैं और एक जागरूक ग्राहक के बहाने एक जागरूक राष्ट्र की कल्पना कर रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
सधन्यवाद ...
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