पुस्तक समीक्षा - पिता के नाम - कहानी संग्रह : सुशांत सुप्रिय

SHARE:

समीक्ष्य कृति - पिता के नाम (कहानी संग्रह) - कहानीकार - सुशांत सुप्रिय समीक्षा आलेख - नवल-निराले तथ्य-कथ्य की कहानियां सुषमा मुनीन्द्र किस्स...

image

समीक्ष्य कृति - पिता के नाम (कहानी संग्रह) - कहानीकार - सुशांत सुप्रिय

समीक्षा आलेख - नवल-निराले तथ्य-कथ्य की कहानियां

सुषमा मुनीन्द्र

किस्सागोई शैली के लिये जाने जाते सुपरिचित रचनाकार सुशांत सुप्रिय की हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी भाषा में अच्छी पकड़ है। इन्होंने हिंदी कविताओं और कहानियों की रचना जिस दक्षता से की है, उसी दक्षता से चर्चित विदेशी रचनाकारों की रचनाओं का हिंदी अनुवाद किया है। 'पिता के नाम' इनका पांचवां कहानी संग्रह है, जिसमें छोटे-छोटे शीर्षकों वाली छोटी किंतु उत्कृष्ट कहानियों में ऐसी जबर्दस्त किस्सागोई है कि कहानियां सहज ही पाठकों के अनुभव का हिस्सा बन गई हैं। सुशांत कहानीपन को कहानी की पहली शर्त मानते हैं। कहानी इस तरह रचते हैं कि कथ्य-तथ्य पुराना हो या नया, कहन की खूबी से नवल-निराला बन जाता है। हम निरंतर देख-सुन रहे हैं संवेदना खत्म हो रही है। रिश्ते अर्थ खो रहे हैं। रिश्तों का बोध अब ऐसा कृत्रिम और अस्वाभाविक होता जा रहा है कि लोग वाटस एप और फेस बुक पर भावनायें संप्रेषित कर संवेदना का परिहास कर रहे हैं। छूटते जा रहे रिश्ते, टूटते जा रहे बंधन सुशांत सुप्रिय को चिंतित करते हैं। संग्रह की प्रायः सभी कहानियों में रिश्तों की आवश्यकता, अपनेपन, दायित्व की बात कर उन्होंने सकेत दिये हैं हम अब भी न सम्हले तो पारिवारिक-सामाजिक संरचना को कायम रखना दुरूह हो जायेगा। अकेले व्यक्ति की ताकत खत्म होने में वक्त नहीं लगेगा। शीर्षक कहानी 'पिता के नाम' सहित कई कहानियों में पिता अपने अकेलेपन या अंतर्मुखी स्वभाव या महत्व या व्यवहारिक बुद्धि या प्रोत्साहन या आशीष या अभाव या सम्बल या उम्मीद के साथ मौजूद है।

''जब मैं छोटा था, आपने मुझे गहरी जडें दी। बड़ा हुआ,, आपने मुझे पंख दिये. ... जब मैं खुद को ढूँढने की यात्रा पर निकला, आपने मुझे उम्मीद दी। जब अपनी नियति को पाने निकला, आपने मुझे उत्साह दिया। (पृष्ठ 57)।'' ये पंक्तियां पिता के समग्र व्यक्तित्व को अत्यन्त सहजता से जाहिर करती हैं। संग्रह में पिता कई-कई स्थितियों से गुजर रहे हैं। कहानी रात' के पिता, पुत्र की इतनी उपेक्षा सह रहे हैं जब वह उनके मोतियाबिंद के ऑपरेशन तक को आवश्यक नहीं मानता। कहानी पाँचवीं दिशा' के पिता पूरे गाँव के हित की फिक्र कर रहे हैं। कहानी 'कलम' के पिता, पुत्र को कलम के रूप में प्रोत्साहन और सम्बल दे जाते हैंम कहानी 'बर्फ' के कभी प्रसन्न चित्त रहे पिता बडे बेटे की हत्या, कारावास भुगत रहे मंझले बेटे, सदमे में चल बसी पत्नी जैसे क्रमवार हादसों के कारण बर्फ जैसे सुन्न-शांत हो जाते हैं। संग्रह की कुछ कहानियाँ - खोया हुआ आदमी, हमला, पाँचवी दिशा, उड़न तश्तरी, लौटना, दुमदार जी की दुम आदि आभासी संसार की कहानियाँ हैं जिनका कहन ऐसा जादुई है, उपमा ऐसी अलहदा है जो चमत्कृत करती है। ''बाईसवीं सदी में एक दिन देश में गजब हो गया। तमाम तितलियाँ ही तितलियाँ... तितलियाँ भारी संख्या में लोक सभा और राज्य सभा में घुस आईं। हर तितली के- पंखों पर बारीक अक्षरों में कोई न कोई वादा या आश्वासन लिखा था. ये तितलियाँ वे वादे और आश्वासन जो नेताओं - अधिकारियों ने पिछले सडसठ साल में पूरे नहीं किये थे। वे सभी झूठे वादे और आश्वासन तितलियाँ बन गये थे। (कहानी-हमला)।'' विवरण बडे कौतुकपूर्ण तरीके से देश के कर्णधारों की पोल खोल देता है।

कहानी 'उड़न तश्तरी' का नौ-दस साल का बच्चा रिज के जंगल में प्रत्येक पूर्णिमा को रहस्यमयी उड़न तश्तरी देखता है जो धरा पर नहीं उतरती बल्कि उड़ते हुये ही कुछ देर में लोप हो जाती है। उड़न तश्तरी वयस्कों को नहीं बच्चों को ही दिखाती है क्योंकि उनका बाल मन निर्मल होता है। कहानी 'पाँचवी दिशा' के पिता स्वनिर्मित हॉट एयर बहुत में सवार हो अंतरिक्ष में ऊँचाई पर स्थाई तौर पर स्थापित होकर नियमित रूप से गांववासियों को ठीक उसी तरह मौसम संबंधी पूर्व सूचनायें देते हैं जिस तरह उपग्रह की मदद से दी जाती है। कहानी 'लौटना' नियर दु डेथ एक्सपीरियन्स पर आधारित है। कहानी 'खोया हुआ आदमी' का खोया हुआ आदमी सहसा एक गाँव में आता है और गांववासियों को सकारात्मक तरीके से सोचने का सलीका दे जाता है ये खूबसूरत कहानियाँ बेहतर मनुष्य बनने की प्रेरणा देती हैं। सुशांत ने वस्तुत: ऐसे कथानक चुने हैं जिन पर कथाकार आमतौर पर लिखने का विचार नहीं करते। बडी घटना-दुर्घटना ही नहीं जन साधारण का सामान्य व्यवहार भी सुशांत की सजग नजर से छूट-छिप नहीं पाता है। इसीलिये वे अपनी प्रचुर जानकारियों का उपयुक्त उपयोग-प्रयोग कर बदबू शोर, भूल!! जैसी साधारणतम स्थितियों पर इस तरह कहानी रच लेते हैं कि कहानी कहीं भी अपना अर्थ नहीं खोती।

कहानी बदबू में भ्रष्ट नेताओं, अंडरवर्ल्ड से साठ-गाँठ करने वाली फिल्मी हस्तियों, मिलावट करने वाले दुकानदारों, दूसरों का हक मारने वाले लोगों, व्यवस्था को दुर्गन्धयुक्त बनाने वाले तमाम कारकों की बदबू से तुलना कर कटाक्ष हुआ है। ट्रैफिक, टी०वी० संगीत, टेलीफोन, मोबाइल, आवारा कुत्ता, धार्मिक स्थान के लाउड स्पीकर से उत्पन्न जिस शोर को हम दैनन्दिनी का हिस्सा मानते हैं वह किस हद तक ध्वनि प्रदूषण को बढा रहा है कहानी 'शोर' इस ओर ध्यान आकृष्ट करती है। कहानी फुंसियां' का सुधीन्द्र तमाम पतियों की तरह अपनी कोई आदत नहीं बदलता लेकिन चाहता है पत्नी उसके अनुकूल होने के लिये हर सम्भव प्रयास करे। यहां तक कि चेहरे पर अक्सर होने वाली फुंसियों -मुंहासा को चाहे जिस विध ठीक करे क्योंकि सुधीन्द्र को फुंसियों से अरुचि है। वह बिल्कुल नहीं सोचना चाहता चेहरे की फुंसियों का उपचार सम्भव है पर अत्यधिक व्यवधान देने से आपसी रिश्ते में पड़ गये फोडे-फुंसियों का हल नहीं है। सुशांत की कहानियां इसी सादगी लेकिन परिपक्वता के साथ धर्म, राजनीति, जालसाजी, अवसरवादिता, शासकीय-अशासकीय संस्थानो, शैक्षणिक सस्थानों, चिकित्सालयो में पनप गई भर्रेशाही जैसी समाज की विद्रूपताओं को उजागर करती हैं। ''आजकल मेरे साथ अजीब बातें हो रही हैं। रात में मुझे काटने से पहले खटमल और मच्छर मुझसे मेरा धर्म पूछने लगे हैं। हवा मेरे ऑगन में बहने से पहले मुझसे मेरी जाति पूछने लगी है। धूप मेरे घर के दालान में उतरने से पहले मुझसे मेरी नस्ल पूछने लगी है। आकाश में घिर आई काली घटा मेरे आंगन में बरसने से पहले मुझसे जानना चाहती है, मैं किस राज्य का हूँ। कौन सी भाषा बोलता हूँ। (41)।'' यह आज का सर्वाधिक प्रमाणित सत्य है। शिक्षा-दीक्षा का प्रतिशत बढा है, वैज्ञानिक उपलब्धियाँ बढी हैं लेकिन साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जाति. धर्म जैसा मतभेद कम नहीं हो रहा है। विडम्बना है, पक्की सड़कें चला को हाइवे से जोड़ कर विकास कर रही हैं लेकिन मुसहर टीले वालों को आज भी पाठशाला और मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता।

एक ओर ''शिव ने सपने में कहा, यहीं मंदिर बनाओ।' ' जैसे आधार पर मंदिर बन जाता है (कहानी - नास्तिक) दूसरी ओर ग्रामीण युवती धनियाँ की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी जाती है (कहानी - छुई-मुई)। पंजाब के 1983 वाले आतंकवाद में एक सरदार, हिन्दू नवयुवक को अपना पुत्र कह कर आतंकवादियों से सुरक्षित करता है (कहानी - मिलन) जबकि सड़क पर पडे शव पर राजनीति हो जाती है कि शव का धर्म ओर जाति क्या है ' (कहानी - बँटवारा)। यह विभीषिका एकाएक उत्पन्न नहीं हुई है। सम्प्रभु वर्ग, जन साधारण पर सदियों से अत्याचार करता आया है। ''नाजियों ने उन्हें गैस चैम्बर में मारा था। दंगाइयों ने उन्हें देश के विभाजन के समय मारा था। वे दिल्ली, बोरिया के नर सहारों में मारे गये थे। वे हर उस जगह मरे थे जहाँ किसी बेगुनाह व्यक्ति को इसलिये मारा गया था कि वह किसी धर्म, वर्ग या जाति विशेष का था (कहानी - मिलन)। यह कम थम नहीं रहा है तभी तो अपनी नौकरियाँ पक्की करने और आठ माह का रुका वेतन पाने की जायज मांग लेकर धरने पर बैठे प्राध्यापक शरद आत्महत्या के लिये विवश हुये और प्रणेता प्राध्यापक सरोज कुमार की पुलिस ज्यादती से मृत्यु हो गई (कहानी कांड)। ये विद्रूपतायें सुशांत सुप्रिय के मानस में जो अधीरता भरती है उस अधीरता से 'चिकन' जैसी मार्मिक कहानी तैयार होती है।

चिकन शॉप में रजिन्दर फेश चिकन की माँग करता है दुकानदार मुर्गे को जिबह करने के लिये उद्धत है। दुकानदार के हाथों में चीख-फड़फडा रहे मुर्गे की आँखों में रजिन्दर को भय, लाचारी, कातरता नजर आती है। दुकानदार से कहता है - मुर्गे को मत मारो। मुझे चिकन नहीं चाहिये। संग्रह की प्रायः सभी कहानियों में इसी तरह नकारात्मकता और संवेदनशीलता की मानो निर्झरणी बह रही है। बँटवारा,, बयान, नास्तिक, धोकपाट आदि कहानियाँ ऐसी हैं जिनका पूरा उद्धरण देना चाहिये लेकिन समीक्षा की एक सीमा होती है। ये चारों कहानियाँ ऐसी उपयुक्त स्थितियों से गुजरते हुये विकसित हुई हैं मानो इन स्थितियों के अतिरिक्त अन्य स्थिति हो ही नहीं सकती थी। इनमें धोकपाट' संग्रह की सर्वश्रेष्ठ कहानी है। कई दगल जीतने वाला बडा फुर्तीला और ताकतवर हरपाल अपने इलाके में 'छोटा गामा' कहा जाता था। ढलती उम्र में आर्थिक अभाव से जूझता है। भिवानी में होने वाले कुश्ती मुकाबले में लड़ने का साहस इसलिये करता है कि जीतने वाले को अच्छी रकम और रुस्तम ए हिंद का खिताब मिलेगा। उसमें युवा पहलवानों की भाँति क्षमता और ऊर्जा नहीं है लेकिन आत्मबल और अनुभव से फाइनल मुकाबला जीत लेता है। विवरण इतना मार्मिक है कि पाठकों को यह हरपाल की नहीं खुद की जीत प्रतीत होती है। कहानी सवाल उठाती है जो खिलाडी (कुछ चर्चित खेलो के अलावा तमाम खेल के खिलाडी आर्थिक अभाव और गुमनामी से गुजरते हैं।) अपना जीवन खेलने, देश को ख्याति दिलाने में लगा देते हैं, उनके लिये शासन-प्रशासन पेंशन जैसा कोई इंतजाम क्यों नहीं करता कि वे अच्छा जीवन जी सकें, अच्छे खिलाडी तैयार कर सकें।

कुल मिला कर कहा जा सकता है 'पिता के नाम' में यथार्थ के बहुत भिन्न वाकये बहुत भिन्न पहलू हैं। सम्प्रभुवर्ग की अराजकता, अतिरेक, अहंकार है। सर्वहारा वर्ग की अड़चनें, अभाव, आपत्तियाँ हैं 1 छुरी-चम्मच से खाने वाले हैं। जनेऊ पहनने वाले ग्रामीण हैं। झुनिया, मीना, मुन्नी जैसे बर्तन धोने, खाना बनाने, कपडे प्रेस करने जैसे घरेलू काम करने वाले बच्चे हैं। ढाबों में काम करते, जूते पॉलिश करते, लाल बत्ती पर गाडियों के शीशे साफ करते बाल मजदूर हैं। डोर दू डोर सामान बेचते, ऑटो चलाते, लूट-पाट करते, अपराधी बनते बेरोजगार युवा हैं। इन सबसे ऊपर ''जिंदगी की छोटी-छोटी चीजों में अपनी खुशी खुद ढूँढनी होती है। (15)।'' जैसा पथ प्रदर्शक संदेश है। कहानियाँ पाठकों को विश्वास सौंपती है कि गलत लोग है तो भले लोगों की भी कमी नहीं हैं। अराजकता के मंजर में उद्धारक भी है। सुशांत सुप्रिय ने किस्सागोई शैली में कहानियों का ऐसा वितान रचा है कि कहानियाँ स्वाभाविक और वास्तविक लगती हैं। कही भी अपना अर्थ नहीं खोतीं। सुशांत की यही पहचान है। यही स्टाइल है। मुझे उम्मीद है उनकी स्टाइल कायम रहेगी।

------

पुस्तक - पिता के नाम (कहानी - संग्रह)

लेखक - सुशांत सुप्रिय

प्रकाशनवर्ष - 2०१7

प्रकाशक शशि प्रकाशन

सी - 56 यूजी--4

शालीमार गार्डेन, एक्सटेंशन-।।

सहिबाबाद, गाजियाबाद - 201००5

मूल्य - 35० /-

-----------


समीक्षक संपर्क -

सुषमा मुनीन्द्र

द्वारा श्री एम. के. मिश्र

जीवन विहार अपार्टमेन्ट्स

द्वितीय तल. पलैट न! 7

महेश्वरी स्वीट के पीछे

रीवा रोड. सतना 485001

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पुस्तक समीक्षा - पिता के नाम - कहानी संग्रह : सुशांत सुप्रिय
पुस्तक समीक्षा - पिता के नाम - कहानी संग्रह : सुशांत सुप्रिय
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgEHs7vrKvVKi4zNVYl2hQ6-_bNaBZcb6Bb8FRrCCFV8jNAPn6RlH7C-B-ARSoAtqkkFNOtBqfPawLioKUGg7K4qTHbrajMSw4bGoR1vkkrVXKyLmk8WBtzsajnbnCcShuBPZw/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgEHs7vrKvVKi4zNVYl2hQ6-_bNaBZcb6Bb8FRrCCFV8jNAPn6RlH7C-B-ARSoAtqkkFNOtBqfPawLioKUGg7K4qTHbrajMSw4bGoR1vkkrVXKyLmk8WBtzsajnbnCcShuBPZw/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/01/blog-post_88.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/01/blog-post_88.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content