9 एक आदमी जिसने डाकुओं को लूटा [1] एक बार की बात है कि एक जगह छह बहुत ही भयानक डाकू रहते थे जो हमेशा खून और डकैती में लगे रहते थे। उनका घर ए...
9 एक आदमी जिसने डाकुओं को लूटा[1]
एक बार की बात है कि एक जगह छह बहुत ही भयानक डाकू रहते थे जो हमेशा खून और डकैती में लगे रहते थे। उनका घर एक पहाड़ी के ऊपर था।
उनके घर के एक कमरे में तो केवल पैसा ही पैसा भरा हुआ था। जब भी वे अपना घर छोड़ कर जाते थे तो अपने घर के दरवाजे की चाभी एक पत्थर के नीचे छिपा जाते थे।
एक दिन एक किसान और उसका बेटा लकड़ी काटने के लिये उस पहाड़ी पर जा रहे थे कि उन्होंने डाकुओं को उनके घर में से निकलते देखा तो वे दोनों एक पेड़ के पीछे छिप गये। उन्होंने देखा कि उन लोगों ने अपने घर का दरवाजा बन्द करके उसकी चाभी एक पत्थर के नीचे रख दी और वहाँ से चले गये।
जब वे डाकू वहाँ से चले गये तो उस किसान और उसके बेटे ने उस पत्थर के नीचे से उन डाकुओं के घर की चाभी निकाली और उनका घर खोल कर उनके घर में घुस गये। वहाँ उनको एक कमरा केवल पैसों से भरा मिल गया तो उन्होंने अपनी जेबें पैसों से भर लीं।
पैसे निकाल कर उन्होंने घर बन्द किया, चाभी वहीं पत्थर के नीचे रख दी जहाँ वे डाकू उसे रख कर गये थे और फिर वे अपने घर वापस लौट आये।
वे अपनी आज की आमदनी से बहुत खुश और सन्तुष्ट थे। अगले दिन वे पिता और बेटा दोनों फिर वहीं गये और फिर उसी पत्थर के नीचे से चाभी निकाली और फिर पैसे भर कर ले आये।
तीसरे दिन जब बेटे ने दरवाजा खोला तो वह एक चिपकने वाली चीज़ के गड्ढे में गिर पड़ा।
असल में दो दिन से वे डाकू यह देख रहे थे कि उनका पैसा कोई ले जा रहा था सो यह गड्ढा वे अपने घर के दरवाजे के बिल्कुल बराबर में खोद गये थे ताकि अगली बार जब कोई आये तो वह उसमें गिर जाये और वे उसको पकड़ लें।
पिता ने अपने बेटे को खींच कर उस गड्ढे में से निकालने की बहुत कोशिश की पर वह उसको खींच नहीं सका। डर के मारे कि डाकू वापस आ जायेंगे और उसके बेटे को वहाँ देख लेंगे और साथ में पिता को भी पहचान लेंगे इसलिये पिता ने अपने बेटे का सिर काट लिया और उस सिर को वह घर ले गया।
डाकू जब घर लौट कर आये तो उन्होंने किसी को उस गड्ढे में पड़ा देखा। तो वे बहुत खुश हुए कि उन्होंने चोर को पकड़ लिया पर जब पास आ कर देखा तो उस चोर का तो सिर ही नहीं था। यह देख कर वे बड़े दुखी हुए क्योंकि इस हालत में वे चोर को पहचान ही नहीं सके।
उन्होंने सोचा कि वे पहाड़ी की चोटी पर उस शरीर को टाँग देंगे और जब उसके शरीर को कोई लेने आयेगा तब वह उसको पकड़ लेंगे।
सो उन्होंने किसान के बेटे का शरीर एक पेड़ से लटका दिया और एक डाकू को वहाँ यह देखने के लिये पहरे पर लगा दिया कि वह यह देखे कि उस शरीर को लेने के लिये कौन आता है।
इधर पिता ने अपने बेटे का शरीर वापस लेना चाहा तो उसने देखा कि उस शरीर के पहरे पर तो एक डाकू बैठा है। इस हालत में तो वह उसका शरीर चुरा नहीं सकता था सो वह एक जादूगर से सलाह लेने गया कि वह उस शरीर को डाकू के पहरे से कैसे निकाले। जादूगर ने उसको बता दिया कि उसे क्या करना चाहिये।
पिता उसकी बात मान कर उस पहाड़ी की चोटी पर रात को गया और उस पेड़ के पास जा कर छिप गया जिस पर उसके बेटे का शरीर लटका था।
उसका दूसरा बेटा पहाड़ी के दूसरी तरफ जा कर छिप गया। वहाँ वह लकड़ी के दो टुकड़ों को आपस में टकरा कर ऐसी आवाज निकालने लगा जैसे दो भेड़ें आपस में सींग टकरा कर लड़ रहे हों।
जो डाकू उस लड़के के शरीर पर पहरे पर खड़ा था उसने सारा दिन से कुछ नहीं खाया था सो वह उस टकराहट की आवाज पर उन भेड़ों को पकड़ने चला गया ताकि वह उनको भून कर खा सके।
जैसे ही वह अपनी जगह से खिसका पिता ने अपने बेटे के शरीर को पेड़ पर से नीचे उतारा और उसको ले कर वहाँ से भाग लिया।
जब डाकुओं को यह पता चला कि उनका पहरे में रखा शरीर गायब हो गया तो उन्होंने मरे हुए आदमी के साथियों से बदला लेने का निश्चय किया पर वे उनको कहीं मिले ही नहीं।
काफी दिनों के बाद एक दिन वे डाकू किसी काम से गाँव गये जहाँ उन्होंने सुना कि वहाँ का एक आदमी बहुत ही जल्दी अमीर हो गया था।
वह और कोई नहीं बल्कि इस मरे हुए बेटे का पिता था जो इन डाकुओं का पैसा निकाल कर अमीर हो गया था। उनकी यह भी समझ में आ गया कि यह वही आदमी है जिसने उनके घर में चोरी की है।
उन्होंने उस आदमी को मारने का एक प्लान बनाया। उन डाकुओं ने एक आदमी को छह ऐसी बोतलें बनाने का हुकुम दिया जो इतनी बड़ी हों जिनमें एक आदमी आ जाये और जिनके ऊपर ढक्कन भी हों। फिर हर डाकू ने अपने अपने हथियार लिये और उन बोतलों में जा कर बैठ गये।
उसके बाद उन्होंने उस बोतलें बनाने वाले को उसी अमीर आदमी के पास भेजा जो बहुत ही जल्दी अमीर बन गया था।
उन्होंने उस बोतलें बनाने वाले आदमी से कहा कि वह जा कर उस अमीर आदमी से यह कहे कि वह उसके घर में तब तक के लिये अपनी छह बोतलें रखना चाहता था जब तक कि उन बोतलों का मालिक उन बोतलों को लेने आता है क्योंकि उसके अपने घर में इतनी जगह नहीं थी कि वह उन बोतलों को अपने घर में रख सके।
उस अमीर आदमी ने मान लिया और वह बोतलें बनाने वाला उन छहों बोतलों को जिनमें डाकू बन्द थे उसके घर में रख गया। उसने वे बोतलें अपने शराब रखने वाले कमरे[2] में रखवा दीं।
उसी रात उस आदमी का एक नौकर शराब निकालने के लिये शराब रखने वाले कमरे में गया तो उसने उन नयी रखी बोतलों में से कुछ आवाजें आती सुनी। एक पूछ रहा था — “बाहर निकल कर घर के मालिक को मारने का समय हो गया क्या?”
यह सुन कर वह नौकर तो वहाँ से भाग लिया और जा कर मालिक को सब बताया। मालिक ने देखा कि वह तो पत्ते की तरह काँप रहा था। मालिक ने तुरन्त ही सिपाहियों को बुलवाया और उनको शराब वाले कमरे में ले जा कर उन छहों डाकुओं को पकड़वा दिया।
अब वह अमीर आदमी शान्ति से सारी जिन्दगी अमीर रहा। क्योंकि उन डाकुओं के बचे हुए सारे पैसे भी अब उसी के थे।
[1] The Man Who Robbed the Robbers (Story No 193) – a folktale from Italy from its Campidano area.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[My Note: This story is like “Ali Baba and Forty Thieves”. You may read this story in English at http://www.sushmajee.com/shishusansar/stories-arabian-nights/arabian-2/41-alaaddeen-1.htm]
[2] Translated for the word “Cellar”.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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