4 एक बच्चा जिसने क्रास को खाना खिलाया [1] एक बार की बात है कि एक किसान था जो भगवान को बहुत मानता था और उससे डरता भी था। एक बार उसको अपने खेत...
4 एक बच्चा जिसने क्रास को खाना खिलाया[1]
एक बार की बात है कि एक किसान था जो भगवान को बहुत मानता था और उससे डरता भी था। एक बार उसको अपने खेत में किसी का छोड़ा हुआ एक बच्चा मिल गया।
“बेचारा बच्चा। ऐसा कौन सा आदमी है जो इस नन्हें से बच्चे को यहाँ इसकी किस्मत पर छोड़ गया है। बेटे तू डर नहीं, तू मेरे घर चल मैं तुझे पालूँगा।” और वह उस बच्चे को अपने घर ले आया।
जिस दिन से वह उस बच्चे को अपने घर ले कर आया उस दिन से उस किसान के तो दिन ही बदल गये। उसका सब कुछ बहुत अच्छा हो गया।
उसके पेड़ों पर फल ज़्यादा और अच्छे आने लगे। उसकी गेंहू की फसल भी ज़्यादा और बढ़िया होने लगी। अब उसकी गेहूँ की बालियों में से ज़्यादा अच्छे दाने निकलते थे। उसकी अंगूर की बेलों पर बड़े बड़े, ज़्यादा रसीले और ज़्यादा अंगूर आने लगे थे।
इस तरह उस किसान की सब फसलें बहुत अच्छी होने लगीं और अब उसको अपनी सब फसलों से ज़्यादा आमदनी होने लगी।
उधर बच्चा भी बड़ा होता गया और वह जितना बड़ा होता गया उतना ही अक्लमन्द भी होता गया।
पर इस तरह शहर से बाहर रहने पर उसने कभी कोई चर्च या कोई भगवान की तस्वीर नहीं देखी थी और न ही वह भगवान या किसी सेन्ट[2] के बारे में जानता था।
एक बार उस किसान को किसी काम से कैटेनिया[3] जाना पड़ा तो उसने बच्चे से पूछा — “क्या तुम भी मेरे साथ चलोगे?”
बच्चा बोला — “जैसे आप कहें।”
और पिता किसान अपने बच्चे को साथ ले कर कैटेनिया चल दिया। जब वे कैटेनिया के कैथेड्रल[4] आये तो किसान बोला — “मुझे अपना काम करने जाना है तुम इस चर्च में चले जाओ और यहीं मेरा इन्तजार करना जब तक मैं अपना काम खत्म करके आता हूँ।”
बच्चा उस कैथेड्रल में चला गया। वहाँ उस ने सुनहरी धागों से कढ़े कपड़े देखे, फूल देखे, मोमबत्तियाँ देखीं, तो वह बहुत ही खुश हो गया। उसने वैसी चीज़ें पहले कभी नहीं देखी थीं।
वह वहाँ की पूजा की जगह तक चलता चला गया तो वहाँ उसने क्रास देखा। वह पूजा की जगह पर जाने वाली सीढ़ियों पर घुटनों के बल बैठा और क्रास से कहा — “प्यारे दोस्त, उन्होंने तुमको इस क्रास के ऊपर कीलों से क्यों गाड़ा? क्या तुमने कोई जुर्म किया था?”
उस क्रास पर लगे सिर ने हाँ में अपना सिर हिलाया।
बच्चा बोला — “ओे मेरे दोस्त, अब तुम ऐसा काम कभी नहीं करना। देखो न उसकी वजह से तुम्हें क्या कुछ नहीं सहना पड़ा।”
और लौर्ड जीसस ने फिर हाँ में सिर हिलाया।
इस तरह से वह उस क्रास से काफी देर तक बात करता रहा जब तक वहाँ की सारी पूजाएं खत्म नहीं हो गयीं।
अब उस कैथेड्रल को बन्द करने का समय आ गया था पर उसको बन्द करने वाले ने देखा कि वह बच्चा तो अभी भी सीढ़ियों पर घुटनों के बल बैठा था। उसने बच्चे से कहा — “उठो बेटा, अब कैथेड्रल बन्द करने का समय हो गया है।”
बच्चा बोला — “नहीं अभी नहीं, अभी तो मैं यहीं हूँ क्योंकि अगर मैं यहाँ से चला गया तो यह बेचारा यहाँ अकेला रह जायेगा। पहले तो तुम लोगों ने उसको कीलों से जड़ा और अब तुम उसको यहाँ अकेला छोड़ कर जा रहे हो?
क्या यह सच नहीं है मेरे दोस्त कि अगर मैं तुम्हारे साथ यहाँ तुम्हारे पास बैठा रहूँ तो तुम खुश होगे?”
और लौर्ड ने फिर हाँ में सिर हिला दिया।
बच्चे को जीसस से इस तरह से बात करते देख कर और जीसस को उसके जवाब देते देख कर तो वह कैथेड्रल बन्द करने वाला डर ही गया। वह वहाँ से भाग लिया।
वह भागा भागा पादरी के पास गया और जा कर उसको यह सब कुछ बताया तो पादरी बोला — “यह जरूर ही कोई पवित्र आदमी[5] है। तुम उसको चर्च में ही छोड़ दो और उसके लिये एक प्लेट मैकेरोनी[6] और थोड़ी सी शराब ले जाओ।
जब वह चर्च बन्द करने वाला उस बच्चे के लिये वहाँ मैकेरोनी और शराब ले कर गया तो बच्चे ने कहा — “तुम यह सब वहाँ रख दो। मैं अभी आता हूँ और खाता हूँ।”
फिर वह क्रास की तरफ घूमा और बोला — “मेरे दोस्त, तुम जरूर ही भूखे होगे। भगवान ही जानता है कि तुमने आखिरी बार खाना जाने कब खाया होगा। लो यह लो, थोड़ी सी मैकेरोनी खा लो।”
कह कर उसने अपनी प्लेट उठायी, पूजा की जगह पर चढ़ा और अपनी प्लेट में से काँटे से मैकेरोनी उठा उठा कर लौर्ड की तरफ बढ़ाने लगा।
लौर्ड ने अपना मुँह खोला और उसकी दी हुई मैकेरोनी खायी।
कुछ कौर खिलाने के बाद बच्चा बोला — “दोस्त, खाना खा कर क्या तुमको प्यास नहीं लगी? लो यह थोड़ी सी शराब मेरे पास है यह भी पी लो।” कह कर उसने अपना शराब का गिलास लौर्ड के होठों से लगा दिया।
और लौर्ड ने अपना मुँह खोला और उसकी दी हुई शराब पी।
पर जैसे ही उसने लौर्ड को अपना खाना खिलाया और शराब पिलायी वह बच्चा नीचे गिर गया और मर गया। उसकी आत्मा स्वर्ग चली गयी और लौर्ड के गुण गाने लगी।
उधर वह पादरी पूजा की जगह के पीछे छिपा खड़ा यह सब देख रहा था। उसने देखा कि बच्चे ने लौर्ड को खाना खिलाने के बाद अपनी बाँहें एक दूसरे के ऊपर रखीं और उसी समय उसकी आत्मा उसका शरीर छोड़ कर स्वर्ग चली गयी।
पादरी बच्चे के शरीर की तरफ दौड़ा जो पूजा की जगह के सामने बेजान पड़ा हुआ था। उसने बच्चे को छू कर देखा तो वह तो वाकई मर चुका था। तुरन्त ही पादरी ने सारे शहर में यह घोषणा करवा दी कि एक सेन्ट कैथेड्रल में लेटा हुआ था।
उसने उस बच्चे के लिये एक सोने का ताबूत[7] बनवा दिया और उसके शरीर को उस ताबूत में रख दिया।
यह घोषणा सुन कर शहर का हर आदमी उस सेन्ट को देखने के लिये कैथेड्रल की तरफ दौड़ गया और अन्दर आ कर उस ताबूत के आगे झुकने लगा। यहाँ तक कि वह किसान भी आया। उसने भी सोने के ताबूत में रखे उस छोटे से शरीर को देखा।
अरे यह तो उसी का बेटा था। वह बोला — “लौर्ड, तुमने ही उसको मुझे दिया था और अब तुमने ही उसे मुझसे ले लिया और उसे सेन्ट बना दिया।”
यह कह कर वह अपने घर वापस चला गया और हर चीज़ जो वह बच्चा उसके लिये कर गया था वह सफल हुई। वह किसान अब बहुत अमीर हो गया था।
बच्चे के जाने के बाद उसने बहुत सारा पैसा गरीबों में बाँट दिया और अब वह एक भक्त की ज़िन्दगी जीने लगा। जब वह मरा तो उसको भी स्वर्ग में जगह मिल गयी।
[1] The Child Who Fed the Crucifix (Story No 186) – a folktale from Italy from its Catania area.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George martin in 1980.
[2] Saint – Christians have many saints.
[3] Catania – the name of a place in Italy
[4] Cathedral – a cathedral is the seat, or a bench of Bishop in a Christian church.
[5] Translated for the words “Holy Man”.
[6] Macaroni – a very common Italian dish made of white flour and cheese and some kind of sauce – tomato or cheese. See its picture above.
[7] Translated for the word “Coffin” in which Christians keep dead bodies to be buried. See its picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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