देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 2 दो खच्चर हाँकने वाले // सुषमा गुप्ता

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2 दो खच्चर हाँकने वाले [1] एक बार दो खच्चर [2] हाँकने वाले थे जो आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। उनमें से एक का भगवान में पूरा विश्वास था जबकि...

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2 दो खच्चर हाँकने वाले[1]

एक बार दो खच्चर[2] हाँकने वाले थे जो आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। उनमें से एक का भगवान में पूरा विश्वास था जबकि दूसरा शैतान[3] में विश्वास करता था।

एक दिन वे दोनों यात्रा कर रहे थे तो एक ने दूसरे से कहा — “वह शैतान ही है जो हमको सहायता करता है।”

दूसरा बोला — “नहीं जो भगवान में विश्वास करता है भगवान उसी की सहायता करता है।”

वे दोनों इस बात पर आपस में काफी देर तक बहस करते रहे पर अन्त में शैतान में विश्वास रखने वाले ने कहा — “चलो, अच्छा एक एक खच्चर की शर्त लगाते हैं।”

उसी समय काले कपड़े पहने एक नाइट[4] वहाँ से गुजरा। वह इन कपड़ों में शैतान था। उन दोनों दोस्तों ने उससे पूछा कि उन दोनों में से कौन ठीक था। तो वह नाइट बोला — “वह शैतान ही है जो तुम्हारी सहायता करता है।”

शैतान में विश्वास रखने वाला आदमी बोला — “देखा न मैंने तुमसे क्या कहा था।”

और उसने अपने दोस्त से उसका खच्चर ले लिया पर उसका दोस्त अभी भी इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं था कि शैतान ही सबकी सहायता करता है सो उन दोनों ने दोबारा शर्त लगायी और दोबारा किसी और से पूछने के लिये कहा।

इस बार उन्होंने एक ऐसे नाइट को अपना जज बनाया जो सफेद कपड़े पहने था। और क्योंकि वह भी शैतान ही था इसलिये उसने भी यही कहा कि वह शैतान ही है जो तुम्हारी सहायता करता है।

इस तरह भगवान में विश्वास रखने वाले आदमी के पास से वह खच्चर भी जाता रहा और आखिर जो आदमी भगवान में विश्वास रखता था उसके हाथ से उसके सारे खच्चर निकल गये।

फिर भी भगवान में विश्वास रखने वाले ने हार नहीं मानी। वह बोला — “मेरा अभी भी यही विश्वास है कि मैं ठीक हूँ और इस बात पर मैं अपनी आखें तक शर्त पर लगा सकता हूँ।”

उसका दोस्त बोला — “ठीक है। तब हम एक और शर्त लगाते है। उस शर्त को अगर तुम जीत गये तो तुमको तुम्हारे सारे खच्चर वापस मिल जायेंगे और अगर मैं जीत गया तो तुम मुझे अपनी आँखें दे दोगे।”

“ठीक है।”

तभी एक नाइट हरे रंग की पोशाक में उधर से गुजरा तो उन्होंने उससे पूछा कि कौन ठीक था। नाइट बोला — “यह बताना तो बहुत ही आसान है। जो तुमको सहायता करता है वह शैतान ही है।” और वह अपने घोड़े पर सवार वहाँ से दौड़ गया।

इस तरह जो आदमी शैतान में विश्वास करता था उसने जो आदमी भगवान में विश्वास करता था उसकी आँखें ले लीं और उसको वहीं उसी देश में अन्धा करके छोड़ कर चला गया।

अब वह अन्धा बेचारा इधर उधर घूमता रहा घूमता रहा। घूमते घूमते उसको एक गुफा मिल गयी। वह अपनी रात बिताने के लिये उस गुफा में घुस गया। उस गुफा में बहुत सारी झाड़ियाँ उगी हुई थीं। वह एक तरफ को आराम करने के लिये लेट गया।

अभी वह लेटा ही था कि उसने कई लोगों के उस गुफा में घुसने की आवाज सुनी। असल में उस दिन उस गुफा में सारे शैतानों की एक मीटिंग थी। इन शैतानों के सरदार ने हर एक से एक एक करके यह सवाल किया कि उन्होंने पिछले दिनों में क्या हासिल किया।

उनमें से एक शैतान ने कहा कि वह कई बार वेश बदल कर गया और एक बेचारे को अपने सारे खच्चरों से ही नहीं बल्कि अपनी आँखें खोने पर भी मजबूर कर दिया।

शैतान का सरदार बोला — “बहुत अच्छे। उसकी आँखों की रोशनी अब कभी वापस नहीं आयेगी जब तक कि वह अपनी आँखों पर इस घास के दो पत्ते न रखे जो यहाँ इस गुफा के मुँह के पास उगती है।”

सारे शैतान हँस पड़े और बोले — “क्या तुम दिखा सकते हो कि वह उस घास के भेद को कैसे ढूँढेगा? वह तो अन्धा है।”

वह बेचारा खच्चर हाँकने वाला तो वहीं छिपा बैठा था। यह सुन कर तो वह खुशी से उछल पड़ा कि उसकी आँखों की रोशनी इतनी आसानी से वापस आ सकती है।

पर फिर भी वह साँस रोके वहीं चुपचाप बैठा रहा और इस बात का इन्तजार करता रहा कि कब वे शैतान वहाँ से जायेंगे और कब वह घास तोड़ कर अपनी आँखों की रोशनी वापस पायेगा। पर वे शैतान तो एक न एक कहानी सुनाते ही रहे।

एक और शैतान बोला — “मैंने रूस के राजा की बेटी के गले में एक मछली की हड्डी फँसा दी और कोई उसको उसके गले से बाहर नहीं निकाल सका।

बावजूद इसके कि राजा ने जो कोई भी उसके गले से वह हड्डी बाहर निकालेगा उसको वह बहुत सारा पैसा देगा कोई उस हड्डी को उसके गले से बाहर नहीं निकाल सका।

और उसकी हड्डी कोई उसके गले से बाहर निकाल भी नहीं सकता क्योंकि उनको पता ही नहीं है कि इस काम के लिये उस लड़की के छज्जे पर लगी हुई खट्टे अंगूरों की बेल पर लगे उन अंगूरों का केवल तीन बूँद रस चाहिये।”

शैतानों के सरदार ने कहा — “धीरे बोलो। पत्थरों की भी आँखें होती हैं और झाड़ियों के भी कान होते हैं।”

सुबह होने से पहले पहले ही वे सब शैतान अपनी अपनी कहानी सुना कर वहाँ से चले गये। तब वह खच्चर हाँकने वाला झाड़ियों में से निकला और उस घास की तरफ चला जिससे उसकी आखों की रोशनी वापस आ सकती थी।

उसको वहाँ वह घास मिल गयी और उसने उस घास के दो दो पत्ते अपने दोनों आँखों की खाली जगह पर छुआ लिये। उसकी नजर वापस आ गयी और अब वह देखने लगा था। अपनी नजर वापस आने के बाद वह तुरन्त ही रूस चल दिया।

रूस के राजा के महल में उसकी बेटी के कमरे में बहुत सारे डाक्टर इकठ्ठे बैठे थे पर कोई भी कुछ भी नहीं कर पा रहा था। जब लोगों ने एक मैले कुचैले और धूल से भरे खच्चर हाँकने वाले को उसकी आँखें ठीक करने के लिये वहाँ आते देखा तो वे सब हँस पड़े।

पर राजा बोला — “जब इतने सारे लोगों ने कोशिश कर ली और कोई मेरी बेटी को ठीक नहीं कर सका तो इस आदमी को भी एक मौका देने में क्या हर्ज है।”

सबने उसको कमरे में आने दिया। उसने कहा कि उसको कुछ देर के लिये राजकुमारी के कमरे में अकेला छोड़ दिया जाये। उसको राजा की बेटी के साथ अकेला छोड़ने के लिये सब लोग उस कमरे से बाहर चले गये।

सबके चले जाने के बाद वह राजकुमारी के कमरे के छज्जे पर गया। वहाँ लगी खट्टे अंगूर की बेल से उसने अंगूर तोड़े और उनके रस की एक एक करके तीन बूँदें उसके गले में डाल दीं। उस रस से उसके गले में फँसी वह हड्डी गल गयी और राजा की बेटी हँसती हुई उठ बैठी।

सोचो ज़रा कि राजा को कितनी खुशी हुई होगी। इस बात के लिये तो कोई भी इनाम छोटा था। राजा ने उसको सोने से ढक दिया तो राजा के लोगों ने उसका वह सोना उसके घर तक पहुँचाने में उसकी सहायता की।

उधर जब यह खच्चर हाँकने वाला बहुत दिनों तक घर नहीं आया तो उसकी पत्नी ने सोचा कि लगता है कि वह मर गया पर जब उसने उसको ज़िन्दा घर वापस आते देखा तो उसको लगा कि उसके पति का भूत आ गया है।

पर बाद में उसके पति ने अपनी पत्नी को अपनी पूरी कहानी सुनायी और उसको अपना खजाना भी दिखाया। उस पैसे से उसने एक बहुत बड़ा महल बनवाया और वे सब वहाँ आराम से रहने लगे।

उसका वह दोस्त भी उससे मिलने आया जो उसको अन्धा करके छोड़ गया था। उसकी आँखों की रोशनी वापस आयी देख कर और उसको इतनी दौलत में खेलते देख कर उसने उासे पूछा — “दोस्त, यह सब तुमने कैसे किया?”

उसके दोस्त ने अपनी सारी कहानी सुना दी और कहा — “मैंने तुमसे कहा नहीं था कि जो भगवान में विश्वास करता है भगवान उसकी सहायता करता है।”

उसके दोस्त ने अपने मन में सोचा — “आज मैं भी उस गुफा में जाऊँगा और देखूँगा कि मैं भी अमीर हो सकता हूँ क्या?”

सो उस रात वह भी उसी गुफा में जा कर छिप गया। और दिनों की तरह से उस रात को भी शैतान वहाँ पर अपनी मीटिंग करने के लिये आये।

जिन शैतानों ने उसके दोस्त की आखें ली थीं और रूस के राजा की बेटी के मुँह में मछली की हड्डी फँसायी थी उन्हीं शैतानों ने फिर अपने सरदार को बताया कि बड़ी अजीब सी बात है कि उस आदमी की आँखों की रोशनी भी वापस आ गयी और रूस के राजा की बेटी भी ठीक हो गयी।

शैतानों का सरदार बोला — “ंमैंने तुमसे कहा था न कि पत्थरों की भी आँखें होती हैं और झाड़ियों के भी कान होते हैं। ऐसा लगता है कि उस दिन इस गुफा में कोई था जो हमारी बातें सुन रहा था। जल्दी करो इस गुफा में आग लगा दो।”

सो सबने मिल कर वहाँ उगी सारी झाड़ियों में आग लगा दी। झाड़ियों के साथ साथ वहाँ बैठा वह आदमी भी जल कर मर गया। उसको शैतान पर विश्वास करने का फल मिल गया था।

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[1] The Two Muleteers (Story No 184) – a folktale from Italy from its Ragusa area.

Adapted from the book “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George martin in 1980.

[2] Translated for the word “Mule”. Mule is a donkey-like animal.

[3] Satan or Devil

[4] A knight is a person granted an honorary title of knighthood by a monarch or other political leader for service to the Monarch or country, especially in a military capacity. See his picture above.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 2 दो खच्चर हाँकने वाले // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 2 दो खच्चर हाँकने वाले // सुषमा गुप्ता
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