9 जानवरों की बातें और उत्सुक पत्नी [1] एक बार एक जवान किसान था जिसकी शादी हो गयी थी पर उसकी आमदनी इतनी कम थी कि वह बेचारा अपनी जरूरतें भी पू...
9 जानवरों की बातें और उत्सुक पत्नी[1]
एक बार एक जवान किसान था जिसकी शादी हो गयी थी पर उसकी आमदनी इतनी कम थी कि वह बेचारा अपनी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता था।
एक बार जब वह खेत में काम कर रहा था तो उसको एक बहुत बड़ा मशरूम[2] मिला। वह उसको अपने मालिक पादरी के पास ले गया।
पादरी ने उससे कहा — “तुम कल उसी जगह चले जाना जहाँ से यह मशरूम ले कर आये हो। वहाँ जा कर गड्ढा खोदना और उसमें से जो कुछ मिले उसे मुझे ला कर देना।”
अगले दिन वह जवान किसान फिर वहीं गया और गड्ढा खोदा तो उसको वहाँ दो ज़हरीले साँप मिले। उसने उनको मार दिया और अपने मालिक के पास ले गया और उन्हें पादरी को दे दिये।
उसी शाम को पादरी के पास कुछ ईल मछलियाँ[3] लायी गयी। तो उन्होंने अपनी नौकरानी से कहा — “ये ईल मछली उस नौजवान आदमी के खाने के लिये हैं। इनमें से दो पतली वाली ईल निकाल लो और उनको उसके लिये तल दो।”
नौकर ने गलती कर दी। उसने दो ईल मछली की बजाय इस किसान के लिये वे दो साँप तल दिये जो वह नौजवान ले कर आया था और उनको उस नौजवान किसान को खाने में परस दिये।
जब किसान का खाना खत्म हो गया तो उसकी निगाह नीचे गयी तो उसने देखा तो वहाँ एक बिल्ली और एक कुत्ता बैठे थे। उसने उनको बात करते सुना।
कुत्ता बिल्ली से कह रहा था — “मुझे जितनी बड़ी तुम हो उससे भी ज़्यादा माँस मिलने वाला है।”
बिल्ली बोली — “नहीं, मुझे सबसे ज़्यादा माँस मिलेगा।”
कुत्ता बोला — “नहीं, मुझे मिलेगा क्योंकि मैं मालिक के साथ बाहर जाता हूँ और तुम तो केवल घर में ही रहती हो इसलिये मुझे तुमसे ज़्यादा माँस मिलना चाहिये।”
बिल्ली बोली — “यह तो तुम्हारा काम है कि जहाँ मालिक जाये तुम उनके साथ साथ जाओ, जैसे कि मेरा यह काम है कि मैं घर में रहूँ। इसमें खास बात क्या है।”
आश्चर्य किसान उनकी ये सब बातें समझ रहा था। किसान को विश्वास हो गया कि वे साँप खा कर ही उसमें जानवरों की भाषा समझने की ताकत आ गयी है।
वहाँ से वह खच्चरों को जौ[4] खिलाने के लिये नीचे घुड़साल में चला गया तो वहाँ उसने उनको बात करते सुना।
उन खच्चरों में से एक खच्चर कह रहा था — “उसको मुझे तुमसे ज़्यादा जौ देना चाहिये था क्योंकि मैं उसको अपनी पीठ पर बिठा कर ले जाता हूँ।”
दूसरा खच्चर बोला — “पर उसको मुझे भी काफी जौ खिलाना चाहिये क्योंकि मैं उसका इतना सारा बोझा उठाता हूँ।”
ये बातें सुनने के बाद किसान ने जौ को दो बराबर हिस्सों में बाँटा और उनको दे दिया। दूसरा खच्चर बोला — “देखा न मैंने तुमसे क्या कहा था। यह किसान हमको खाना खिलाने में कितना न्यायपूर्ण है।”
किसान उन खच्चरों को खाना खिला कर फिर ऊपर गया तो उसको वहाँ बिल्ली मिली। वह उससे बोली — “सुनो, मुझे पता चल गया है कि जो कुछ हम लोग बात करते हैं वह तुम सब समझते हो।
मालिक ने जब उस नौकरानी से उन साँपों को माँगा तो उनकी नौकरानी ने उनको बताया कि वह उसने गलती से तुमको परस दिये थे। और अब मालिक यह जानना चाहते हैं कि तुमको जानवरों की भाषा समझने की ताकत आ गयी है या नहीं।
उन्होंने ऐसी चीज़ें एक जादू की किताब में पढ़ी थीं और अब वह तुम पर दबाव डालेंगे कि तुम यह मान लो कि तुम हमारी भाषा समझते हो।
पर याद रखना तुम इस बात को बिल्कुल साफ मना कर देना क्योंकि अगर तुमने यह मान लिया कि तुम जानवरों की भाषा समझते हो तो तुम तुरन्त ही मर जाओगे और फिर वह ताकत मालिक के पास पहुँच जायेगी।”
बिल्ली की चेतावनी के बाद उस किसान ने उस पादरी के कई सवाल पूछने के बाद भी यह मान कर नहीं दिया कि उसको जानवरों की भाषा आ गयी थी। आखिर पादरी ने उससे यह जानने की कोशिश छोड़ दी और उसको वापस घर भेज दिया।
जब वह किसान घर जा रहा था तो उसको भेड़ों का एक झुंड मिला। उन भेड़ों के मालिक को यह चिन्ता थी कि हर रात उसकी कुछ भेड़ें गायब हो जाती थीं। उस किसान ने उन भेड़ों के मालिक से पूछा — “तुम मुझे क्या दोगे अगर मैं कुछ ऐसा कर दूँ कि तुम्हारी भेड़ें फिर गायब न हों।”
भेड़ों के मालिक ने जवाब दिया — “जब मैं यह देखूँगा कि अब मेरी कोई भेड़ गायब नहीं हो रही है तो मैं तुमको एक नर और एक मादा खच्चर दे दूँगा।”
सो वह किसान उस रात उन भेड़ों के साथ रहा और बाहर भूसे पर सोया। आधी रात को उसने कुछ आवाजें सुनी। वे आवाजें भेड़ियों की थीं जो कुत्तों को बुला रहे थे।
एक भेड़िया चिल्लाया — “ओ भाई वाइटस[5]”
कुत्ते ने जवाब दिया — “हाँ भाई निक[6]।”
भेड़िया बोला — “चलो इन भेड़ों के पीछे चलते हैं।”
कुत्ता बोला — “नहीं, आज तुम इन भेड़ों के पास भी नहीं जा सकते क्योंकि आज वहाँ एक चरवाहा सो रहा है।”
इस तरह वह किसान वहाँ एक हफ्ते तक बाहर सोया। इससे वे भेड़िये उन भेड़ों के पास तक नहीं आ पाये। इस तरह उन भेड़ों के मालिक की भेड़ों में से एक भी भेड़ कम नहीं हुई।
नवें दिन उन भेड़ों के मालिक ने अपने बेवफा कुत्तों को मार डाला और दूसरे नये कुत्तों को ला कर रख लिया। उस रात भेड़िये फिर चिल्लाये — “ओ भाई वाइटस, क्या हम भेड़ों के पास आ जायें?”
नये कुत्तों ने जवाब दिया — “हाँ अब तुम लोग आ सकते हो। तुम्हारे दोस्तों को तो मार दिया गया है और अब हम तुमको पीस कर तुम्हारा माँस खा लेंगे।”
अगली सुबह भेड़ों के मालिक ने किसान को एक नर और एक मादा खच्चर दे दिया। वह किसान उनको ले कर अपने घर चला गया।
जब वह उनको ले कर घर पहुँचा तो उसकी पत्नी ने पूछा कि वह किसके जानवर ले आया है। तो उसने जवाब दिया कि वे जानवर उसके अपने ही थे।”
“पर तुमको ये मिले कैसे?” इसके जवाब में किसान ने कुछ नहीं कहा और वह चुप ही रहा।
कुछ दिन बाद पड़ोस के शहर में एक मेला लगा तो किसान ने सोचा कि वह अपनी पत्नी को वह मेला दिखा कर लायेगा। सो उसने अपनी पत्नी कहा कि वह तैयार हो जाये और वे लोग मेला देखने जायेंगे।
पत्नी खुशी खुशी तैयार हो गयी और वे दोनों मादा खच्चर पर बैठ कर मेला देखने चले। उन्होंने नर खच्चर को भी साथ ले लिया था वह उनके साथ साथ चल रहा था।
नर खच्चर बोला — “माँ, ज़रा धीरे चलो, मेरा इन्तजार तो करो।”
मादा खच्चर बोली — “आओ, तुम ज़रा तेज़ तेज़ आओ। तुम्हारे ऊपर तो कोई बोझा भी नहीं है जब कि मेरे ऊपर तो दो दो आदमी बैठे हैं।”
उन दोनों माँ बेटे की बातें सुन कर किसान हँस पड़ा। किसान को हँसता सुन कर उसकी पत्नी चौंक गयी क्योंकि उस समय वहाँ कुछ ऐसा था ही नहीं जिस पर हँसा जाता तो फिर उसका पति क्यों हँसा।
सो उसने पूछ ही लिया — “आप किस बात पर हँसे जी?”
किसान ने बात को टाला — “कुछ नहीं। किसी बात पर नहीं। बस मुझे कुछ ऐसे ही हँसी आ गयी।”
पत्नी बोली — “ऐसे ही तो कोई नहीं हँसता। मुझे अभी अभी बताइये कि आप क्यों हँस रहे थे नहीं तो मैं इस खच्चर पर से अभी उतर जाऊँगी और वापस घर चली जाऊँगी।”
किसान बोला — “ठीक है मैं तुमको घर पहुँच कर बताऊँगा। अभी तो तुम मेला देखने चलो।”
वे मेला देखने सैन्टो शहर[7] पहुँचे पर उसकी पत्नी ने उससे फिर पूछना शुरू कर दिया — “अब बताइये मुझे कि आप वहाँ क्यों हँसे थे? ऐसा क्या था वहाँ हँसने वाला?”
किसान ने फिर कहा — “मैंने कहा न जब हम घर वापस जायेंगे तब बताऊँगा।”
इस पर पत्नी ने कहा — “मैं मेला तब तक नहीं घूमूँगी जब तक आप मुझे यह नहीं बतायेंगे कि आप वहाँ किस बात पर हँसे थे। नहीं तो पहले घर चलिये।”
पति ने उसको बहुत समझाया पर वह अपनी जिद पर अड़ी रही सो उसको अपनी पत्नी को ले कर मेला छोड़ कर घर जाना ही पड़ा। घर पहुँचते ही वह फिर अपने पति के पीछे पड़ गयी। तब वह बोला — “अच्छा पहले पादरी के पास चलो फिर मैं तुम्हें बताऊँगा।”
जल्दी से पत्नी ने अपने चेहरे का परदा हटाया और दोनों पादरी के पास गये। जब पति पादरी का इन्तजार कर रहा था तो उसने सोचा — “अब तो मुझे इसे बताना ही पड़ेगा और फिर मैं मर जाऊँगा। यह मेरी बदकिस्मती होगी पर क्या करूँ। पहले मैं अपने पाप स्वीकार कर लूँ और कम्यूनियन[8] ले लूँ तब मैं शान्ति से मर सकूँगा।
जब वह यह सोच रहा था तो उसने मुर्गियों को थोड़ा सा दाना फेंका। दाना फेंकते ही मुर्गियाँ उसके पास जमा हो गयीं पर उनसे पहले मुर्गा अपने पंख फड़फड़ाता वहाँ आ गया और उसने उन मुर्गियों को वहाँ से भगा दिया।
किसान ने मुर्गे से पूछा — “तुमने मुर्गियों को दाना क्यों नहीं खाने दिया?”
मुर्गे ने कहा — “मुर्गियों को वही करना चाहिये जो मैं कहता हूँ चाहे वे कितनी भी सारी क्यों न हों। मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ जिसकी केवल एक पत्नी है और वह भी उससे सँभलती नहीं है। वह तुम्हारे ऊपर राज करती है और तुम उसको केवल यह बताने के बाद ही मर जाओगे कि तुम हमारी भाषा समझ्ते हो।”
किसान ने इसके ऊपर विचार किया और फिर मुर्गे से बोला — “तुम तो मुझसे ज़्यादा होशियार हो।”
कह कर उसने अपनी कमर से अपनी पेटी निकाल ली, उसको पानी लगा कर थोड़ा सा गीला किया ताकि वह थोड़ी से मुलायम और लचीली हो जाये और फिर अपनी पत्नी का इन्तजार करता बैठ गया।
उसकी पत्नी वापस आयी और बोली — “पादरी जी आ रहे हैं। अब बताइये कि आप क्यों हँस रहे थे।”
पति ने अपनी पेटी उठायी और उस पेटी से उसे तड़ातड़ मारना शुरू कर दिया। पत्नी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी।
इतने में पादरी जी आ गये और पूछा — “कौन कनफैशन[9] करना चाहता है?”
पति तुरन्त बोला — “मेरी पत्नी।.”
पादरी को इशारा मिल गया सो वह वहाँ से लौट गया। पत्नी उस पादरी के पीछे पीछे चली गयी। थोड़ी देर बाद पत्नी वापस आयी तो उसके पति ने कहा — “तुमने सुना कि मैं तुमसे क्या कहना चाहता था?”
पत्नी रोते हुए बोली — “मुझे आपसे कुछ नहीं पूछना। मैं कुछ नहीं जानना चाहती।”
और उसके बाद से उसने फिर पति के कामों में बेकार ही बीच में बोलना छोड़ दिया। इस तरह मुर्गे ने उस किसान की जान बचायी।
[1] Animal Talk and the Nosy Wife (Story No 177) – a folktale from Italy from its Province of Agrigento.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[2] Mushroom – a kind of vegetable. See its picture above.
[3] Eel fish – a kind of snake-like fish. See its picture above.
[4] Barley – a kind of grain. See its picture above.
[5] Vitus – the name of the dog
[6] Nick – the name of the wolf
[7] Cento city is in Italy
[8] First I should make confession and perform communion (see its picture above). Communion is a Christian ceremony in which bread is eaten and wine is drunk as a way of showing devotion to Jesus Christ.
[9] To confess – in Christianity people confess their sins at time to time before the priest. A confession is a statement made by a person or a group of person acknowledging some personal fact that the person (or the group) would ostensibly prefer to keep hidden. Normally it is done in a Church before some priest but hidden from the confessor, so both do not see each other.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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