13 बागीचे की जादूगरनी [1] एक बार की बात है कि एक जगह पर बन्द गोभी [2] का एक खेत था और वहाँ बहुत सारी बन्द गोभियाँ लगी हुई थीं। उन दिनों अका...
एक बार की बात है कि एक जगह पर बन्द गोभी[2] का एक खेत था और वहाँ बहुत सारी बन्द गोभियाँ लगी हुई थीं। उन दिनों अकाल पड़ा हुआ था सो दो स्त्रियाँ खाने के लिये कुछ ढूँढ रही थीं।
एक स्त्री बोली — “अरे देख यहाँ तो बन्द गोभी का खेत का खेत लगा हुआ है चल वहीं चलते हैं। वहीं से कुछ बन्द गोभी तोड़ते हैं।”
दूसरी बोली — “पर वहाँ तो कोई उन पर पहरा दे रहा लगता है।”
पहली ने कहा — “चल तो सही, चल कर देखते हैं।” पर जब वे वहाँ पर पहुँची तो उन्होंने देखा कि वहाँ तो कोई नहीं है।
तो दूसरी बोली — “यहाँ तो कोई भी नहीं है चल अन्दर चलते हैं।” सो वे दोनों अन्दर खेत में पहुँची और उन्होंने वहाँ से कई सारी बन्द गोभियाँ तोड़ लीं। बन्द गोभियाँ तोड़ कर वे घर पहुँचीं और उनको शाम के खाने के लिये पकाया। अगले दिन वे फिर आयीं और फिर कुछ बन्द गोभियाँ अपनी बाँहों में भर कर ले गयीं।
यह खेत एक बुढ़िया का था। जिस समय ये स्त्रियाँ बन्द गोभियाँ तोड़ने गयीं थी वह बुढ़िया अपने घर में नहीं थी। जब वह घर वापस आयी तो उसने देखा कि उसकी कुछ बन्द गोभियाँ कोई चुरा कर ले गया है।
उसने सोचा कि इनकी चौकीदारी के लिये मैं एक कुत्ता रखती हूँ और उसको बागीचे के दरवाजे से बाँध देती हूँ।
सो तीसरे दिन जब वे स्त्रियाँ फिर से बन्द गोभी तोड़ने पहुँचीं तो उन्होंने देखा कि दरवाजे पर तो एक कुत्ता बँधा है। कुत्ता देख कर एक स्त्री बोली — “ओह नहीं, इस बार मैं बन्द गोभी लेने इस खेत में नहीं जा रही। यहाँ तो एक कुत्ता बैठा है और मुझे कुत्ते से बहुत डर लगता है।”
दूसरी स्त्री बोली — “बेवकूफ न बन। हम लोग दो सैन्ट की वह सख्त वाली डबल रोटी खरीदेंगे और इस कुत्ते को डालेंगे फिर हम जो चाहें सो कर सकते हैं।”
सो उन्होंने दो सैन्ट की सख्त डबल रोटी खरीदी और इससे पहले कि वह कुत्ता उन पर भौंके उन्होंने उसे उस कुत्ते को डाल दी।
कुत्ता तुरन्त ही उस डबल रोटी पर कूद पड़ा। वह उसको खाता रहा और चुपचाप खड़ा रहा। उन दोनों ने फिर कई बन्द गोभियाँ तोड़ीं और उनको ले कर अपने घर चली गयीं।
जब वह बुढ़िया फिर अपने घर आयी तो उसने देखा कि उसके पीछे क्या हुआ। उसकी बन्द गोभियाँ तो फिर गायब थीं।
वह कुत्ते से बोली — “तो तूने उनको मेरी बन्द गोभियाँ ले जाने दीं। तू पहरेदारी करने लायक नहीं है।”
उसने कुत्ते को पहरेदारी से हटा कर उसकी जगह एक बिल्ला रख लिया। उसने सोचा जब यह म्याऊँ बोलेगा तब मैं चोर को पकड़ने बाहर आ जाऊँगी।
अगले दिन जब वे स्त्रियाँ फिर बन्द गोभी लेने आयीं तो उन्होंने देखा कि आज तो वहाँ कुत्ते की जगह एक बिल्ला बँधा है। उन्होंने उस बिल्ले के लिये एक फेंफड़ा[3] खरीदा और इससे पहले कि वह म्याऊँ बोलता उन्होंने उसके आगे वह फेंफड़ा फेंक दिया।
उधर वह बिल्ला फेंफड़ा खाता रहा और इधर वे दोनों स्त्रियाँ बन्द गोभियाँ तोड़ती रहीं। बन्द गोभियाँ ले कर वे अपने अपने घर चली गयीं।
बुढ़िया ने देखा कि उसकी बन्द गोभियाँ तो फिर कोई चुरा कर ले गया था। वह सोचने लगी अब मैं किसको रखूँ। ओह मुर्गा ठीक रहेगा। इस बार चोर मुर्गे से नहीं बच पायेंगे।
अगली बार जब वे दोनों स्त्रियाँ वहाँ बन्द गोभी लेने आयीं तो उनमें से एक बोली — “आज तो इस खेत में मैं बिल्कुल नहीं जाने वाली। आज तो वहाँ मुर्गा बैठा है।”
दूसरी बोली — “तू तो बहुत ही डरती है। हम इसको दाना डालेंगे और फिर बन्द गोभी तोड़ कर ले जायेंगे।”
सो उन्होंने ऐसा ही किया। मुर्गे को उन्होंने दाना डाला। मुर्गा दाना खाता रहा और वे स्त्रियाँ फिर से बन्द गोभी तोड़ कर ले गयीं।
दाना खा कर मुर्गा चिल्लाया — “कुकड़ूँ कूँ।”
कुकड़ूँ कूँ की आवाज सुन कर बुढ़िया बाहर आयी तो उसने देखा कि उसकी बन्द गोभियाँ तो फिर से गायब हो गयीं थीं। चोर उसकी बन्द गोभियाँ ले कर फिर से भाग गया था। गुस्से में आ कर उसने उस मुर्गे की गरदन मरोड़ दी।
फिर उसने एक किसान को बुलाया और उससे कहा कि मेरे नाप की एक कब्र खोद। किसान ने उसके नाप की एक कब्र खोद दी।
जब उसने कब्र खोद दी तो वह बुढ़िया उस कब्र में लेट गयी और अपने आपको मिट्टी से अच्छी तरह से ढक लिया। उसका केवल एक कान ही बाहर रहा।
अगली सुबह वे स्त्रियाँ फिर बन्द गोभी लेने के लिये आयीं तो उन्होंने फिर चारों तरफ देखा कि आज कौन था पहरे पर। पर उनको कोई दिखायी नहीं दिया।
उस बुढ़िया ने अपनी कब्र रास्ते में खुदवायी थी ताकि जब कोई उसकी बन्द गोभियाँ चुराने के लिये जाये तो वह उसके पैरों की आवाज सुन सके।
जब वे दोनों स्त्रियाँ बन्द गोभियाँ तोड़ने के लिये चलीं तो उनको खेत पर कुछ भी अलग दिखायी नहीं दिया। पर जब वे बन्द गोभियाँ तोड़ कर वापस आ रही थीं तो उनमें से एक ने एक कान जमीन से बाहर निकला देखा तो वह चिल्लायी “अरे देखो यह कितना सुन्दर मशरूम[4] है।”
कह कर वह झुकी और उसने उस मशरूम को जमीन में से उखाड़ने की कोशिश की। वह उसको अपनी पूरी ताकत से उसे खींचती रही खींचती रही पर जब वह काफी देर तक भी नहीं उखड़ा तो आखीर में उसने उसको एक बहुत ज़ोर का झटका दिया तो वह बुढ़िया अपनी कब्र से बाहर निकल आयी।
वह चिल्लायी — “आह आह, तो ये तुम लोग हो जो मेरी बन्द गोभियाँ चुराती रही हो। मैं देखती हूँ अब तुम लोगों को।”
कह कर उसने उस स्त्री को पकड़ लिया जिसने उसका कान खींचा था। इतनी देर में दूसरी स्त्री बच कर भाग निकली।
बुढ़िया ने कहा — “आज मैं तुमको पूरा का पूरा खा जाऊँगी।”
यह सुन कर वह स्त्री डर गयी। उसको और तो कुछ सूझा नहीं सो उसने कहा — “पर ज़रा रुको तो। मुझे बच्चा होने वाला है। अगर तुम मुझे छोड़ दोगी तो चाहे मेरे लड़का हो या लड़की जब भी वह 16 साल का होगा तो मैं उसको आ कर तुमको दे जाऊँगी। क्या तुम इस बात पर राजी हो?”
वह चुड़ैल बोली — “हाँ मैं इस बात पर राजी हूँ। अब तुमको जितनी बन्द गोभियाँ चाहिये तुम उतनी बन्द गोभियाँ तोड़ लो और जाओ पर अपना वायदा याद रखना।”
वह स्त्री पत्ते की तरह काँपती हुई अपने घर चली गयी। जा कर वह अपनी दोस्त से बोली — “तुम तो वहाँ से बच कर चलीं आयीं और मैं पकड़ी गयी। मुझे उस बुढ़िया से वायदा करना पड़ा कि मैं अपना बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, जब वह 16 साल का होगा तब उसको मैं उस बुढ़िया को दे दूँगी।”
दो महीने बाद उस स्त्री ने एक लड़की ने जन्म दिया। उसको देख कर उसकी माँ ने एक लम्बी साँस ली और बोली — “ओह मेरी बदकिस्मत बेटी, मैं तुझे पालूँगी पोसूँगी और 16 साल बाद वह चुड़ैल तुझे ज़िन्दा खा जायेगी।” कहते कहते वह रो पड़ी।
समय तो किसी के लिये रुकता नहीं। 16 साल भी पलक झपकते निकल गये। जब वह लड़की 16 साल की होने वाली थी तो एक दिन वह अपनी माँ के लिये बाजार से तेल लेने गयी। वहाँ उसको वह जादूगरनी मिल गयी।
उस जादूगरनी ने उस लड़की से पूछा — “तुम किसकी बेटी हो?”
लड़की बोली — “सबैड्डा[5] की।”
बुढ़िया उसको ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली — “तुम तो वाकई बड़ी हो गयी हो और मुझे यकीन है कि स्वादिष्ट भी।”
उसके शरीर को अपने हाथों से सहलाते हुए वह आगे बोली — “यह अंजीर तुम अपने घर ले जाओ और इसे अपनी माँ को देना। और जब तुम इसको अपनी माँ को दो तो उससे कहना “तुम्हारे वायदे का क्या हुआ।”
लड़की ने वह अंजीर ली और अपने घर पहुँची तो उसने अपनी माँ को सारा हाल बताया और कहा — “उसने मुझे तुमसे यह कहने के लिये कहा कि “तुम्हारे वायदे का क्या हुआ?”
“मेरा वायदा?” यह सुन कर उसकी माँ बहुत ज़ोर से रो पड़ी।
लड़की परेशान हो कर बोली — “माँ तुम रो क्यों रही हो? क्या बात है?”
पर उसकी माँ ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। थोड़ी देर तक रोने के बाद जब वह कुछ सँभली तो बोली — “अगर वह बुढ़िया तुम्हें फिर से मिल जाये तो उससे कहना कि “मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ।”
पर वह लड़की तो 16 साल की हो चुकी थी इसलिये उसको अब यह कहते हुए शरम आ रही थी कि वह तो अभी बहुत छोटी है। सो अगली बार जब वह उस चुड़ैल से मिली तो उसने लड़की से पूछा — “तुम्हारी माँ ने क्या जवाब दिया?”
“उसने कहा है कि मैं तो अब बड़ी हो गयी हूँ।”
“ओह तब तुम अपनी नानी के साथ आओ क्योंकि उसके पास तुम्हारे लिये बहुत सारी सुन्दर सुन्दर भेंटें हैं।” यह कहते हुए उसने उस लड़की को पकड़ लिया।
वह उसको अपने घर ले गयी और मुर्गीखाने में बन्द कर दिया। वह वहाँ उसको रोज खूब अच्छा खाना खिलाती रही ताकि वह खा खा कर मोटी हो जाये।
कुछ दिनों के बाद उस चुड़ैल ने सोचा कि अब वह उसको जा कर देख कर आये कि वह कैसी हो गयी है। उसने वहाँ पहुँच कर उस लड़की से कहा — “ज़रा मुझे अपनी छोटी उँगली तो दिखाओ।”
लड़की ने उस मुर्गीखाने में रहने वाले एक चूहे को पकड़ रखा था सो उसने उस चुड़ैल को अपनी छोटी उँगली दिखाने की बजाय उस चूहे की पूँछ दिखा दी।
वह चुड़ैल बोली — “अरे तुम तो अभी भी बहुत पतली हो। तुम ठीक से खाना खाती रहो।”
पर कुछ देर बाद ही वह चुड़ैल उस लड़की को खाने का मन रोक नहीं पायी सो वह उसको वहाँ से निकाल कर ले गयी और बोली — “बेटी तुम तो बहुत तन्दुरुस्त हो। मैं स्टोव जलाती हूँ ताकि मैं अपने लिये डबल रोटी बना सकूँ।”
कह कर उसने स्टोव जलाया और डबल रोटी बनाने की तैयारी करने लगी। चुड़ैल ने डबल रोटी का आटा मला और लड़की से डबल रोटी का आटा स्टोव के अन्दर रखने को कहा तो लड़की बोली — “नानी, मुझे आटा स्टोव में रखना नहीं आता।”
“मैं बताती हूँ आटा स्टोव में अन्दर कैसे रखते हैं। यह आटा इधर खिसका दो।” लड़की ने आटा उसके पास खिसका दिया और उस चुड़ैल ने उस आटे को ओवन में रख दिया।
चुड़ैल फिर बोली — “अच्छा अब वह बड़ी वाली प्लेट उठा लो जिससे मैं यह ओवन बन्द कर दूँ।”
“नानी वह प्लेट तो बहुत बड़ी है मैं उसे कैसे उठाऊँ?”
चुड़ैल बोली — “अच्छा ठीक है उसे भी मैं ही उठा लेती हूँ।”
जब वह भारी प्लेट उठाने के लिये झुकी तो लड़की ने उसकी टाँगें पकड़ कर उसको ओवन में धकेल दिया और फिर उसने वही बड़ी प्लेट उठा कर ओवन बन्द कर दिया जिस से वह चुड़ैल उस ओवन में बन्द हो गयी और मर गयी।
यह सब करके वह वहाँ से अपने घर भाग ली अपनी माँ से यह कहने के लिये कि अब उस चुड़ैल की बन्द गोभी का सारा खेत उनका था।
[1] The Garden Witch (Story No 181) – a folktale from Italy from its Province of Caltanissetta.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[2] Translated for the word “Cabbage” – see its picture above.
[3] Translated for the word “Lung”
[4] Mushroom is a kind of vegetable – see its picture above.
[5] Sabedda – name of the woman who went to pluck the cabbages and caught in the last.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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