12 मोर का पंख [1] एक बार की बात है कि एक राजा की दोनों ऑखें जाती रहीं और उसको दोनों ऑखों से दिखायी देना बन्द हो गया। डाक्टरों को दिखाया गया...
12 मोर का पंख[1]
एक बार की बात है कि एक राजा की दोनों ऑखें जाती रहीं और उसको दोनों ऑखों से दिखायी देना बन्द हो गया। डाक्टरों को दिखाया गया पर कोई डाक्टर यह नहीं बता पा रहा था कि उसको हुआ क्या था।
जब उनको यह ही नहीं पता चल रहा था कि उसको हुआ क्या था तो वे राजा का इलाज भी कैसे करें और उसकी ऑखों की रोशनी कैसे वापस लायें। अन्त में एक डाक्टर बोला कि उसकी ऑखों की रोशनी वापस लाने का एक ही तरीका है और वह है मोर का पंख।
इस राजा के तीन बेटे थे। उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और पूछा — “बच्चों, क्या तुम मुझे प्यार करते हो?”
तीनों बेटे बोले — “पिता जी, यह कैसा सवाल है? आप हमको हमारी ज़िन्दगी से भी ज़्यादा प्यारे हैं।”
राजा बोला — “तब बेटा तुम मेरे लिये एक मोर का पंख ले कर आओ ताकि मेरी ऑखों की रोशनी वापस आ सके। जो भी मुझे मोर का पंख ला कर देगा मेरा राज्य उसी को मिलेगा।” सो उसके तीनों बेटे मोर का पंख लाने चल दिये।
राजा के दो बड़े बेटे यह नहीं चाहते थे कि उनका छोटा भाई उनके साथ आये पर वह उनसे पीछे रहना नहीं चाहता था सो वे तीनों एक साथ ही चले।
चलते चलते वे एक जंगल में घुसे और थोड़ी देर में ही रात हो गयी। रात बिताने के लिये वे तीनों एक पेड़ पर चढ़ गये और उस पेड़ की शाखों पर ही सो गये।
सुबह सबसे छोटे बेटे की ऑख सबसे पहले खुली। वह पेड़ पर से उतरा। उसने सुबह सुबह मोर की आवाज सुनी तो वह उसी ओर चल दिया। चलते चलते वह एक साफ पानी के फव्वारे के पास आ पहुँचा।
वहाँ वह पानी पीने के लिये झुका और जब पानी पी कर उसने अपना सिर उठाया तो उसने हवा में एक मोर का पंख उड़ कर नीचे आता हुआ देखा। उसने और ऊपर देखा तो कुछ चिड़ियाँ भी ऊपर उड़ रही थीं। बस उसने वह मोर का पंख उठा कर अपनी जेब में रख लिया।
जब बड़े भाइयों को पता चला कि उनके छोटे भाई को मोर का पंख मिल गया है तो वे जलन से भर उठे क्योंकि उन्होंने सोचा कि अब उनको तो पिता का राज्य मिलेगा नहीं और उनके छोटे भाई को पिता का राज्य मिल जायेगा।
उन्होंने बिना किसी हिचक के, बिना एक पल भी सोचे विचारे उसको पकड़ लिया। दोनों ने उससे उसका मोर का पंख ले लिया। फिर एक भाई ने उसको पकड़ा, दूसरे ने उसको मार दिया और दोनों ने मिल कर उसे वहीं गाड़ दिया।
उस पंख को ले कर वे अपने पिता के पास वापस आ गये और उनको वह पंख दे दिया। राजा ने उसको अपनी ऑखों से छुआया तो उसकी ऑखों की रोशनी वापस आ गयी।
जैसे ही उसको दिखायी देना शुरू हुआ तो उसने पूछा — “तुम्हारा छोटा भाई कहाँ है?”
“ओह पिता जी, अगर आप जानते। हम लोग जंगल में सो रहे थे कि एक जानवर आया। वही उसको ले गया होगा क्योंकि तभी हमने उसको आखिरी बार देखा था।”
राजा को अपने उन दोनों बेटों की यह सफाई कुछ समझ में नहीं आयी पर उसके पास और कोई चारा नहीं था सो वह बेचारा अपने छोटे बेटे के दुख में केवल रो कर ही रह गया।
इस बीच उस छोटे भाई को जहाँ गाड़ा गया था वहाँ एक सुन्दर सा सरकंडे का पेड़[2] उग आया। एक आदमी उधर से गुजर रहा था तो उसको वह सरकंडा दिखायी दे गया।
उसने सोचा यह तो बहुत ही सुन्दर सरकंडा है मैं इसको काट लेता हूँ और इससे चरवाहे वाला बाजा बनाऊँगा। उसने वही किया। उसने उसमें से थोड़ा सा सरकंडा काट लिया और उसका एक बाजा बना लिया।
जब उसने उसको बजाने के लिये उसके ऊपर अपने होठ रखे तो उस बाजे ने गाया —
ओ चरवाहे, जिसने मुझे पकड़ रखा है मुझे धीरे से बजाना मुझे चोट न पहुँचे
उन्होंने मुझे मोर के पंख के लिये मार दिया, मेरा भाई यकीनन धोखेबाज था
यह गीत सुन कर चरवाहे ने सोचा कि अब तो मेरे पास यह बाजा है तो मैं अब भेड़ चराना छोड़ दूँगा। मैं अब सारी दुनिया में घूमूँगा और यह बाजा बजा बजा कर अपनी रोजी रोटी कमाऊँगा। उसने भेड़ चराना छोड़ दिया और नैपिल्स[3] चल दिया।
वहाँ जा कर वह सड़कों पर घूम घूम कर अपना वह चरवाहों वाला बाजा बजाने लगा।
एक बार वह वहाँ के राजा के महल के पास से गुजर रहा था कि राजा ने उसका बाजा सुना तो अपने महल से बाहर झाँका और बोला — “ओह कितना मीठा संगीत है।”
फिर उसने अपने एक नौकर से कहा कि वह उस आदमी को अन्दर बुला कर लाये जो वह बाजा बजा रहा था। नौकर उस चरवाहे को अन्दर बुला कर ले गया। वह चरवाहा अन्दर गया तो उसने राजा के दरबार में अपना वह बाजा बजाया।
राजा को वह संगीत अच्छा लगा तो राजा बोला कि वह भी उसको बजाना चाहता था। चरवाहे ने वह बाजा राजा को दे दिया। राजा ने उस बाजे को बजाया तो उसमें से आवाज आयी —
ओ पिता जी, जिसने मुझे पकड़ रखा है, मुझे धीरे से बजाना मुझे चोट न पहुँचे
उन्होंने मुझे मोर के पंख के लिये मार दिया, मेरा भाई यकीनन धोखेबाज था।
यह सुन कर राजा ने रानी से कहा — “प्रिये, ज़रा इस बाजे को तो सुनो और फिर तुम भी इसको बजा कर देखो।” यह कह कर राजा ने वह बाजा अपनी रानी को दे दिया। रानी ने जब उसको बजाया तो उसमें से आवाज आयी —
ओ माँ, जिसने मुझे पकड़ रखा है, मुझे धीरे से बजाना मुझे चोट न पहुँचे
उन्होंने मुझे मोर के पंख के लिये मार दिया, मेरा भाई यकीनन धोखेबाज था
यह सुन कर रानी की तो बोलती ही बन्द हो गयी। उसने उस बाजे को अपने बीच वाले बेटे से बजाने के लिये कहा। बीच वाले बेटे ने अपने कन्धे उचकाये और कहा कि ये सब बेकार की बातें है।
पर जब रानी ने उससे जिद की तो उसे बजाना ही पड़ा। जैसे ही उसने वह बाजा बजाया उसमें से आवाज आयी —
ओ मेरे भाई,
पर वह बाजा तो वहीं रुक गया क्योंकि उसका वह भाई तो पत्ते की तरह काँप रहा था। उसने काँपते हाथों से वह बाजा अपने बड़े भाई के हाथों में दे दिया और बोला “अब तुम बजाओ”।
पर बड़े भाई ने उसे बजाने से इनकार कर दिया और चिल्लाया — “क्या इस चरवाहे के बाजे को बजा कर तुम पागल हो गये हो?”
अब की बार राजा चिल्लाया — “मैं कहता हूँ कि तुम इस बाजे को बजाओ।”
यह सुन कर बड़ा भाई तो पीला पड़ गया पर क्या करता पिता का हुकुम था सो उसको वह बाजा बजाना पड़ा। उसने बाजा बजाया तो उस बाजे में से निकला —
ओ मेरे भाई, जिसने मुझे मारा, मुझे धीरे से बजाना मुझे चोट न पहुँचे
तुमने मुझे मोर के पंख के लिये मारा, तुम यकीनन धोखेबाज हो
ये शब्द सुन कर राजा तो दुख से पागल हो कर वहीं फर्श पर गिर पड़ा। फिर जब सँभला तो चिल्लाया — “ओ नीच लड़कों, तुमने वह मोर का पंख खुद लेने के लिये मेरे बच्चे और अपने सबसे छोटे भाई को मार दिया? तुम लोग कितने नीच हो, उफ़।”
उसने अपने उन दोनों बेटों को आग में जला कर मारने का हुकुम दे दिया और उस चरवाहे को चौकीदारों का कैप्टेन बना दिया।
राजा ने अपनी बची हुई जिन्दगी अपने महल में अकेले रह कर ही गुजार दी। अब वह चरवाहा बस बाजा ही बजाता रहता था।
[1] The Peacock Feather (Story No 180) – a folktale from Italy from its Province of Caltanissetta.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.
[2] Translated for the “Reed” plant – see its picture above.
[3] Naples is a port and historical city of Italy just South of Rome on Italy’s West coast.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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