10 सुनहरों सींगों वाला बछड़ा [1] एक बार एक पति पत्नी थे जिनके दो बच्चे थे – एक लड़का और एक लड़की। कुछ दिन बाद उस पति की पत्नी मर गयी थी तो उसने...
10 सुनहरों सींगों वाला बछड़ा[1]
एक बार एक पति पत्नी थे जिनके दो बच्चे थे – एक लड़का और एक लड़की। कुछ दिन बाद उस पति की पत्नी मर गयी थी तो उसने दूसरी शादी कर ली थी। उसकी दूसरी पत्नी की भी एक बेटी थी। उस बेटी को एक ऑख से दिखायी नहीं देता था।
पति एक किसान था और एक दूसरे शहर में खेत में काम करने जाता था। उसकी दूसरी पत्नी को अपने पति की पहली पत्नी के बच्चे फूटी ऑख नहीं भाते थे।
एक दिन उसने डबल राेटी बनायी और उसको पति की पहली पत्नी के बच्चों को दे कर पति के पास भेज दिया। पर उसने उनको अपने पति के शहर न भेज कर किसी दूसरे शहर भेज दिया जो उसके पति के काम करने वाले शहर की दूसरी दिशा में था ताकि वे हमेशा के लिये खो जायें।
बच्चे डबल रोटी ले कर चल दिये। चलते चलते वे एक पहाड़ के पास आये और अपने पिता को पुकारा पर उनको कोई जवाब नहीं मिला। उनको बस अपनी पुकार की गूँज ही सुनायी दी। वे वाकई खो गये थे। वे काफी देर तक इधर उधर घूमते रहे।
जल्दी ही छोटे भाई को प्यास लग आयी। उनको एक फव्वारा दिखायी दे गया तो वह उस फव्वारे से पानी पीना चाहता था।
पर वह लड़की होशियार थी उसको फव्वारे की छिपी ताकतों का पता था सो उसने फव्वारे से पूछा — “ओ प्यारे फव्वारे, जो यहाँ पानी पिये तो उसे किससे डरना चाहिये?”
फव्वारा बोला — “जो कोई भी मेरा पानी पियेगा, चाहे लड़का हो लड़की, वह यकीनन एक गधा बन जायेगा।”
सो उस लड़की ने अपने भाई को वहाँ पानी पीने से मना कर दिया और उसका छोटा भाई बेचारा प्यासा ही रह गया।
वे लोग और आगे बढ़े। कुछ दूर जाने पर उनको एक और फव्वारा मिला। छोटा भाई फिर उस फव्वारे का पानी पीने को तैयार था पर उसकी बहिन ने उस फव्वारे से भी पूछा — “ओ प्यारे फव्वारे, जो यहाँ पानी पिये तो उसे किससे डरना चाहिये?”
इस फव्वारे ने कहा — “जो कोई भी मेरा पानी पियेगा, चाहे लड़का हो लड़की, वह यकीनन ही एक भेड़िया बन जायेगा।”
सो उसकी बहिन ने फिर अपने छोटे भाई को वहाँ पानी पीने से मना कर दिया और उसका छोटा भाई बेचारा फिर प्यासा का प्यासा ही रह गया।
वे लोग और आगे बढ़े तो कुछ दूर जाने पर उनको एक और फव्वारा मिला। बहिन ने फिर उस फव्वारे से पूछा — “ओ प्यारे फव्वारे, जो यहाँ पानी पिये तो उसे किससे डरना चाहिये?”
इस फव्वारे ने कहा — “जो कोई भी मेरा पानी पियेगा, चाहे लड़का हो लड़की, वह यकीनन एक छोटा बछड़ा बन जायेगा।”
सो लड़की ने अपने भाई को उस फव्वारे का पानी पीने से भी मना कर दिया। पर अब तक भाई की प्यास बहुत बढ़ गयी थी। वह अब पानी पिये बिना नहीं रह सकता था।
वह बोला — “अगर मुझे प्यास से मरने और बछड़ा बनने के बीच किसी को चुनना पड़े तो मैं बछड़ा बन जाना ज़्यादा पसन्द करूँगा।” और उसने झुक कर उस फव्वारे का पानी पी लिया। पानी पीते ही वह एक सुनहरे सींगों वाला बछड़ा बन गया।
अब वह बहिन अपने बछड़े भाई के साथ आगे बढ़ी। चलते चलते वे समुद्र के पास पहुँच गये। वहीं समुद्र के किनारे पर एक बहुत सुन्दर मकान था जिसमें वहाँ के राजा और रानी अपनी छुट्टियाँ बिताने आया करते थे। इस समय भी वे वहाँ अपनी छुट्टियाँ ही मनाने आये हुए थे।
राजा का बेटा उस मकान की खिड़की पर खड़ा बाहर देख रहा था। उसने एक लड़की को एक सुनहरे सीगों वाले बछड़े के साथ जाते देखा तो उसको पुकारा — “यहाँ ऊपर आओ मेरे पास।”
लड़की बोली — “मैं आती हूँ अगर तुम मेरे साथ मेरे बछड़े को भी आने की इजाज़त दो तो।”
राजा के बेटे ने पूछा — “पर तुमको वह बछड़ा इतना प्यारा क्यों है?”
लड़की बोली — “क्योंकि इसको मैंने अपने हाथों से पाला है और मैं इसे अपनी ऑखों से एक मिनट को भी ओझल नहीं होने देना चाहती।”
राजकुमार को तो वह लड़की अच्छी लगने लगी थी सो उसने उसकी बात मान ली। वह लड़की ऊपर आ गयी और राजा के बेटे ने उससे शादी कर ली। वह सुनहरे सींगों वाला बछड़ा भी उनके साथ ही रहता रहा। वे तीनों अब एक साथ ही रहते थे।
इस बीच बच्चों का किसान पिता घर आया तो अपने बच्चों को घर में न देख कर बहुत दुखी हुआ।
एक दिन अपना दुख भुलाने के लिये वह सौंफ[2] इकठ्ठा करने के लिये निकल पड़ा और चलते चलते समुद्र के किनारे उसी जगह पहुँच गया जहाँ उसको उसी राजा का मकान दिखायी दे गया जहाँ उसकी बेटी रहती थी।
वहाँ उस मकान की खिड़की पर उसकी बेटी खड़ी थी। बेटी ने अपने पिता को पहचान लिया और वहाँ से पुकारा — “अन्दर आइये जनाब।” सो उस लड़की का पिता उस मकान के अन्दर चला गया।
लड़की ने पूछा — “आपने मुझे पहचाना नहीं?”
पिता बोला — “सच कहूँ तो मुझे तुम जानी पहचानी लगती हो पर मैं तुम्हें पहचान नहीं पा रहा हूँ।”
लड़की बोली — “पिता जी मैं आपकी बेटी हूँ।”
और वे दोनों एक दूसरे से लिपट गये। फिर उसने अपने पिता को बताया कि किस तरह उसका भाई एक बछड़ा बन गया था और किस तरह उसने एक राजा के बेटे से शादी कर ली थी।
पिता अपनी बेटी के बारे में जान कर बहुत खुश हुआ क्योंकि उसने तो यह सोच ही लिया था कि उसकी बेटी मर गयी है पर वह तो ज़िन्दा थी और उसको तो इतना अच्छा दुलहा भी मिल गया था। उसको इस बात की भी खुशी थी कि उसका बेटा भी ज़िन्दा था चाहे वह एक छोटे बछड़े के रूप में ही था।
लड़की बोली — “पिता जी अब आप अपना सौंफ का थैला यहाँ खाली कर दीजिये मैं इसको पैसों से भर देती हूँ।”
पिता बोला — “भगवान जानता है कि तुम्हारी सौतेली माँ इसको देख कर कितनी खुश होगी।”
बेटी ने कहा — “पिता जी उनसे कहना कि वह भी अपनी बेटी के साथ यहीं आ कर रहें।”
पिता ने कहा “ठीक है” और पैसा ले कर घर लौट आया।
उसकी पत्नी ने वह थैला खोलते हुए आश्चर्य से पूछा — “अरे तुमको यह थैला किसने दिया?”
पिता ने कहा — “क्या तुम विश्वास करोगी कि मुझे अपनी बेटी मिल गयी। उसकी शादी एक राजकुमार से हो गयी है। वह चाहती है कि हम सब भी वहीं जा कर रहें – मैं, तुम और तुम्हारी बेटी।”
यह सुन कर कि उसकी सौतेली बेटी अभी भी ज़िन्दा थी उस स्त्री को बहुत गुस्सा आया पर अपने गुस्से को छिपाते हुए वह बोली — “यह तो बहुत ही अच्छी खबर है। मैं उससे जल्दी से जल्दी मिलना चाहती हूँ।”
सो पिता तो वहाँ का हिसाब किताब देखने के लिये रुक गया और वह सौतेली माँ और उसकी बेटी दोनों राजकुमार के घर चल दीं। पति की पहली पत्नी की बेटी ने उन दोनों का स्वागत किया और उनको वहाँ आराम से ठहराया।
एक दिन जब राजकुमार बाहर गया हुआ था और जब उसकी सौतेली बेटी अकेली थी तो उसने उसको खिड़की के बाहर फेंक दिया। उस खिड़की के नीचे समुद्र था।
फिर उस सौतेली माँ ने अपनी बेटी को अपनी सौतेली बेटी के कपड़े पहना कर तैयार किया और उससे कहा — “जब राजकुमार आये तो तुम रोना शुरू कर देना और कहना कि सुनहरे सींगों वाले बछड़े ने मेरी एक ऑख में अपना सींग मार दिया और इस वजह से मैं अब एक ऑख से देख नहीं सकती।”
यह सब उसको समझा कर वह अपने घर वापस चली गयी और अपनी बेटी को उसी के हाल पर छोड़ गयी।
राजकुमार जब घर वापस आया तो उसने अपनी पत्नी को बिस्तर पर लेटे रोते पाया तो उसने उससे पूछा — “अरे तुम रो क्यों रही हो?”
“ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ। उस सुनहरे सींगों वाले बछड़े ने अपने सींग से मेरी एक ऑख फोड़ दी है।”
राजकुमार तुरन्त चिल्लाया — “किसी कसाई को बुलवाओ और उससे कहो कि वह उस बछड़े को काट डाले।”
यह सुन कर वह छोटा बछड़ा उस खिड़की की तरफ भागा जो समुद्र की तरफ खुलती थी और बोला —
जीजी ओ जीजी। वे चाकू तेज़ कर रहे हैं मुझे मारने के लिये
वे कटोरा भी तैयार कर रहे हैं जैसे कि मेरा खून पीना ही उनका उद्देश्य है
समुद्र से जवाब आया —
तुम बेकार ही रो रहे हो भैया मैं तो एक व्हेल के अन्दर हूँ
यह कसाई ने भी सुना तो वह तो डर गया। उसने पहले कभी किसी बछड़े को इस तरह बोलते नहीं सुना था। उससे उस बछड़े को नहीं काटा गया। उसने राजकुमार से कहा — “मैजेस्टी, ज़रा यहाँ आइये और सुनिये यह बछड़ा क्या कह रहा है।” राजकुमार वहाँ आया और उसने भी सुना —
जीजी ओ जीजी। वे चाकू तेज़ कर रहे हैं मुझे मारने के लिये
वे कटोरा भी तैयार कर रहे हैं जैसे कि मेरा खून पीना ही उनका उद्देश्य है
समुद्र से फिर वही जवाब आया —
तुम बेकार ही रो रहे हो भैया मैं तो एक व्हेल के अन्दर हूँ
राजकुमार ने तुरन्त ही अपने दो नाविकों को बुलाया और समुद में व्हेल ढूँढने के लिये भेजा। उनको व्हेल मिल गया तो उन्होंने उसका पेट फाड़ कर उस लड़की को सुरक्षित निकाल लिया।
राजकुमारी की सौतेली माँ और सौतेली बहिन को जेल में डाल दिया गया। बछड़े के लिये उन्होंने एक परी को बुलाया जिसने उसको एक सुन्दर नौजवान में बदल दिया।
क्योंकि इस बीच तो वह बड़ा भी हो चुका था तो वह एक सुन्दर नौजवान बन गया था। फिर सब एक साथ खुशी खुशी रहने लगे।
[1] The Calf With the Golden Horns (Story No 178) – a folktale from Italy from its Province of Agrigento.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[2] Translate for the word “Fennel Seed”. See the picture of its plant above.
------------
सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
COMMENTS