7 मुर्गा और चूहा [1] एक बार की बात है कि एक मुर्गा और एक चूहा पास पास रहते थे। वे दोनों आपस में बड़े अच्छे दोस्त थे। एक दिन चूहे ने मुर्गे से...
एक बार की बात है कि एक मुर्गा और एक चूहा पास पास रहते थे। वे दोनों आपस में बड़े अच्छे दोस्त थे। एक दिन चूहे ने मुर्गे से कहा — “दोस्त मुर्गे, चलो किसी दूर के पेड़ से कुछ गिरियाँ[2] खा कर आते हैं।”
मुर्गा बोला — “चलो, जैसी तुम्हारी इच्छा।”
सो दोनो एक गिरी के पेड़ के पास पहुँचे। चूहा तो तुरन्त ही पेड़ पर चढ़ गया और उसने गिरियाँ खानी शुरू कर दीं। पर बेचारा मुर्गा उड़ता रहा उड़ता रहा पर वह चूहे के पास तक नहीं पहुँच सका।
जब उसने देखा कि उसके पेड़ के ऊपर पहुँचने की कोई उम्मीद नहीं है तो वह चूहे से बोला — “दोस्त चूहे, तुम्हें मालूम है कि मैं चाहता हूँ कि तुम क्या करो? तुम मेरे लिये ऊपर से एक गिरी फेंक दो।”
चूहे ने एक गिरी तोड़ी और उसको मुर्गे के सिर पर फेंक दी। इससे बेचारे मुर्गे का सिर फूट गया और उसके सिर से खून बहने लगा।
यह देख कर वह एक बुढ़िया के पास गया और उससे बोला — “चाची चाची, मुझे कुछ फटे कपड़े दो ताकि मैं उनको अपने सिर पर बाँध कर अपना यह घाव ठीक कर सकूँ।”
बुढ़िया चाची बोली — “जब तुम मुझे कुत्ते के दो बाल ला कर दोगे तभी मैं तुमको फटे कपड़े दूँगी।”
मुर्गा कुत्ते के पास गया और उससे बोला — “ओ कुत्ते, तू मुझे अपने दो बाल दे। ये बाल ले जा कर मैं बुढ़िया चाची को दूँगा। वह मुझे फटे कपड़े देगी जिससे मैं अपने सिर का घाव ठीक करूँगा।”
कुत्ता बोला — “जब तुम मुझे डबल रोटी ला कर दोगे तभी मैं तुमको अपने बाल दूँगा।”
सो मुर्गा एक डबल रोटी बनाने वाले के पास गया और उससे कहा — “ओ बेकर[3] मुझे थोड़ी सी डबल रोटी दे। यह डबल रोटी मैं कुत्ते को दूँगा। कुत्ता मुझे अपने दो बाल देगा। उसके बाल ले जा कर मैं बुढ़िया चाची को दूँगा। और तब वह मुझे फटे कपड़े देगी जिससे मैं अपने सिर का घाव ठीक करूँगा।”
बेकर बोला — “पहले तुम मुझे लकड़ी ला कर दो तब मैं तुमको डबल रोटी दूँगा।”
सो मुर्गा जंगल गया और उससे बोला — “ओ जंगल, मुझे थोड़ी सी लकड़ी दे। यह लकड़ी ले जा कर मैं बेकर को दूँगा।
बेकर मुझे डबल रोटी देगा। वह डबल रोटी मैं कुत्ते को दूँगा। कुत्ता मुझे अपने दो बाल देगा। उसके बाल ले जा कर मैं बुढ़िया चाची को दूँगा। वह मुझे फटे कपड़े देगी जिससे मैं अपने सिर का घाव ठीक करूँगा।”
जंगल बोला — “अगर तुम मुझे थोड़ा सा पानी ला कर दोगे तभी मैं तुमको लकड़ी दूँगा।”
सो मुर्गा एक फव्वारे के पास गया और उससे बोला — “फव्वारे फव्वारे मुझे थोड़ा सा पानी दे। यह पानी ले जा कर मैं जंगल को दूँगा। जंगल मुझे लकड़ी देगा। वह लकड़ी ले जा कर मैं बेकर को दूँगा।
बेकर मुझे डबल रोटी देगा। वह डबल रोटी मैं कुत्ते को दूँगा। कुत्ता मुझे अपने दो बाल देगा। उसके बाल ले जा कर मैं बुढ़िया चाची को दूँगा। वह मुझे फटे कपड़े देगी जिससे मैं अपने सिर का घाव ठीक करूँगा।”
फव्वारे ने उसको पानी दिया। वह पानी ले जा कर उसने जंगल को दिया। जंगल ने उसे लकड़ी दी। वह लकड़ी ले जा कर उसने बेकर को दी।
बेकर ने उसको डबल रोटी दी। वह डबल रोटी उसने कुत्ते को दी। कुत्ते ने उसे अपने दो बाल दिये। वे बाल ले जा कर उसने बुढ़िया चाची को दिये। बुढ़िया चाची ने उसे फटे कपड़े दिये जिनको अपने सिर पर बाँध कर उसने अपने सिर का घाव ठीक किया।”
यह कहानी फ्लोरैन्स में
इस कहानी को जो फ्लोरैन्स में कहते सुनते हैं उसमें मुर्गा चूहे के सिर पर अपनी चोंच मारता है तो चूहा चिल्लाता है कि वह अब उसके चोंच मारे का इलाज कहाँ करे। सो वह कई जगह जाता है जो और कहानियों जैसी ही हैं पर आखीर में वह एक बैल के पास जाता है और वहाँ मारा जाता है।
यह कहानी वेनिस में
वेनिस मे कही जाने वाली यह कहानी बहुत बड़े रूप में कही सुनी जाती है। उसमें एक मुर्गा और एक चूहा गिरी खाने जाते हैं। तो मुर्गा तो उड़ कर पेड़ पर चढ़ जाता है और गिरियाँ तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता रहता है और चूहा नीचे खड़ा खड़ा उन्हें खाता रहता है। जब मुर्गा नीचे उतर कर आता है तो वह बहुत खुश है कि अब उसको गिरियाँ खाने को मिलेंगी और इस खुशी में वह चूहे के सिर पर अपनी चोंच मारता है। उसके चोंच मारने से चूहा डर के मारे वहाँ से भाग जाता है। बाकी की कहानी आखीर तक ऐसे ही चलती है जैसी इसमें दी हुई है।
आखीर में चूहा एक पानी खींचने वाले से एक बालटी माँगता है जिसको वह कुँए को देगा ताकि वह उसको पानी दे सके। पानी खींचने वाला उससे पैसे माँगता है जो चूहे को कुछ देर बाद मिल जाते हैं। वह पानी खींचने वाले को पैसे देता है और कहता है — “लो ये पैसे लो और इन्हें गिन लो। मैं तब तक पानी पीने जा रहा हूँ मुझे बहुत प्यास लग रही है।”
जैसे ही वह पानी पीने के लिये जा रहा होता है तोे उसको अपना दोस्त मुर्गा आता दिखायी दे जाता है। वह बोलता है — “उफ़ अब तो में मारा गया।”
मुर्गा उसको देख लेता है और उसके पास जा कर कहता है — “गुड डे दोस्त। क्या तुम मुझसे अभी भी डर रहे हो? आओ हम फिर से दोस्ती कर लेते हैं।”
चूहा अपने आपको सँभालता है और कहता है — “हाँ हाँ चलो दोस्ती कर लेते हैं।” सो वे दोनों फिर से दोस्त बन जाते हैं।
चूहा अपने दोस्त मुर्गे से कहता है — “अब जब तुम यहाँ हो तो तुम मेरा एक काम कर दो। मुझे बहुत प्यास लगी है और मुझे पानी पीना है तो तुम मुझे मेरी पूँछ से पकड़ लो ताकि मैं इस गड्ढे में गिर न जाऊँ और नीचे झुक कर पानी पी सकूँ। जब मैं बोलूँ “स्लैपो स्लैपो” तब तुम मुझे पीछे खींच लेना।”
मुर्गा बोला — “ठीक है मैं ऐसा ही करूँगा।”
सो चूहा पानी के गड्ढे के पास चला गया और उसके दोस्त मुर्गे ने उसकी पूँछ पकड़ ली। जब चूहे ने पेट भर कर पानी पी लिया तो बोला — “दोस्तो स्लैपो स्लैपो।”
मुर्गा बोला — “अब मैं तुम्हारी पूँछ छोड़ता हूँ।”
और यह कह कर उसने सचमुच ही चूहे की पूँछ छोड़ दी। मुर्गे के पूँछ छोड़ते ही बेचारा चूहा उस गड्ढे में डूब गया और फिर कभी न सुना गया और न देखा गया।
इसके आगे वाली कहानी “गौडमदर लोमड़ी” भी एक ऐसी ही कहानी है जो इटली के सिसिली टापू पर कही सुनी जाती है।
[1] The Cock and the Mouse (Story No 80)– a folktale from Italy.
Adapted from the book: “Italian Popular Tales”. By Thomas Frederick Crane. London, 1885.
Available free at https://books.google.ca/books?id=RALaAAAAMAAJ&pg=PR1&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false
[This story reminds us of several stories. There are other versions also of this story from Florence, Bologna and Venice. Read some of them in my book “Billa Aur Chuhiya Jaisi Kahaniyan” by Sushma Gupta written in Hindi language.]
[2] Translated for the word “Nuts” – see their picture above.
[3] Baker is a man who bakes bread, bun cake, biscuits etc. See his picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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