13 एन्ड्रोक्लीज़ और शेर [1] यह यूरोप के इटली देश की एक बहुत ही लोकप्रिय कथा है। एन्ड्रोक्लीज़ एक गुलाम था जो अपने मालिक से बच कर जंगल भाग गया...
13 एन्ड्रोक्लीज़ और शेर[1]
यह यूरोप के इटली देश की एक बहुत ही लोकप्रिय कथा है। एन्ड्रोक्लीज़ एक गुलाम था जो अपने मालिक से बच कर जंगल भाग गया था। वहाँ वह बहुत देर तक इधर उधर घूमता रहा जब तक वह थक नहीं गया। वह बहुत नाउम्मीद हो गया था। रात को भी वह भूखा ही सोने वाला था।
तभी उसने किसी शेर की कराह की और कभी कभी दर्द से दहाड़ने की आवाज सुनी। हालाँकि वह बहुत थका हुआ था फिर भी वह उठा और उस तरफ दौड़ा जहाँ से ये आवाजें आ रही थीं।
पर जैसे ही वह झाड़ियों में से हो कर उधर जा रहा था कि वह एक पेड़ की जड़ से ठोकर खा कर गिर पड़ा। उसकी टाँग में चोट आ गयी। उसने सिर उठा कर देखा कि एक शेर अपनी तीन टाँगों पर लँगड़ाता हुआ अपना आगे वाला पंजा उसके सामने करके उसी की तरफ चला आ रहा था।
एन्ड्रोक्लीज़ बेचारा उसको देख कर बहुत परेशान हुआ क्योंकि उसमें तो अब उठने की भी ताकत नहीं थी वह उससे बच कर कैसे भागे। और शेर तो उसके सामने से उसी की तरफ चला आ रहा था।
पर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब वह शेर उस पर हमला करने की बजाय उसके सामने आ कर कराहता रहा और उसको देखता रहा।
एन्ड्रोक्लीज़ ने देखा कि उसने अपना आगे वाला पंजा उसके सामने बढ़ा दिया। उसके पंजे से खून बह रहा था और वह सूजा हुआ था। एन्ड्रोक्लीज़ ने उसको और ध्यान से देखा तो देखा कि उसमें तो एक काँटा गड़ा हुआ था। असल में उसी काँटे की वजह से उसके पंजे में इतनी तकलीफ थी।
हिम्मत करके उसने शेर का पंजा पकड़ा और उसका काँटा खींच लिया। जब उसने वह काँटा खींचा तो दर्द से शेर एक बार दहाड़ा पर फिर आराम से एन्ड्रोक्लीज़ की गोद में लेट गया। उसने उसको जैसे भी वह दिखा सकता था अपनी पूरी कृतज्ञता दिखाने की कोशिश की।
उसने उसको खाने के लिये एक हिरन ला कर भी दिया जो उसने पहले ही मार कर रखा हुआ था। एन्ड्रोक्लीज़ ने उसे खा कर अपनी भूख मिटायी।
इस तरह कुछ दिनों तक शेर एन्ड्रोक्लीज़ के लिये शिकार मार मार कर लाता रहा और इस तरह एन्ड्रोक्लीज़ भी उस बड़े जंगली जानवर को पसन्द करने लगा।
एक दिन बहुत सारे सिपाही उस जंगल में आ निकले तो उन्होंने वहाँ एन्ड्रोक्लीज़ को देखा। अब क्योंकि वह उनको यह नहीं बता सका कि वह वहाँ क्या कर रहा था उन्होंने उसको बन्दी बना लिया और पकड़ कर उसी शहर में ले आये जहाँ से वह भागा था।
वहाँ उसके पुराने मालिक ने उसको पहचान लिया और उसको सरकार के हवाले कर दिया। जल्दी ही एन्ड्रोक्लीज़ को अपने मालिक को छोड़ कर भागने के जुर्म में मौत की सजा सुना दी गयी।
उन दिनों वहाँ का यह कानून था कि कत्ल करने वाले को और कुछ दूसरे जुर्म करने वालों को एक सरकस में भूखे शेर या भालू के सामने फेंक दिया जाता था। इस तरह उस अपराधी को भी सजा मिल जाती थी जनता को भी उस आदमी को जंगली जानवर के साथ लड़ता देख कर आनन्द आता था।
इसी कानून के अनुसार एन्ड्रोक्लीज़ को भी उस सरकस में शेर के सामने फेंका जाना था। सो जिस दिन उसको उस सरकस में फेंका जाना था उसको वहाँ फेंक दिया गया और एक भाला उसको अपनी रक्षा के लिये दे दिया गया।
राजा अपनी शाही जगह बैठा हुआ था। शेर भूखा था। राजा ने शेर को उसके पिंजरे में से निकालने का इशारा किया तो शेर अपने शिकार पर हमला करने के लिये पिंजरे में से बाहर निकला।
पर जब वह शेर अपने पिंजरे में से बाहर निकला तो उसने देखा कि उसके सामने तो एन्ड्रोक्लीज़ था।
बच्चो तुम क्या सोचते हो कि उसने क्या किया होगा?
उस पर कूदने और हमला करने की बजाय वह तो उसकी गोद में घुस गया और उसको अपने पंजे से सहलाने लगा। उसने उसको किसी भी तरह का कोई नुकसान पहुँचाने की कोई कोशिश भी नहीं की क्योंकि यह तो वही शेर था जिसका उसने जंगल में एक बार पंजा ठीक किया था।
ऐसे बेरहम जंगली जानवर का ऐसा बरताव देख कर राजा ने एन्ड्रोक्लीज़ को अपने पास बुलाया और उससे पूछा कि ऐसा कैसे हुआ कि यह भूखा शेर अपनी सारी बेरहमी भूल गया।
तब एन्ड्रोक्लीज़ ने उसको अपनी सारी कहानी बतायी कि उसके साथ जंगल में क्या हुआ था। और अब वह शेर उसको अपने पंजे में से काँटा निकालने के बदले में उसको कोई नुकसान न पहुँचा कर अपनी कृतज्ञता दिखा रहा था।
इस पर राजा ने एन्ड्रोक्लीज़ को माफ कर दिया। उसके मालिक को उसको आजाद कर देने के लिये हुकुम दे दिया। शेर को आजाद रहने के लिये जंगल वापस भेज दिया गया।
[1] Androcles and the Lion – A folktale from Italy, Europe. Adapted from the Web Site :
http://www.pitt.edu/~dash/type0156.html
By DL Ashliman. Adapted from Joseph Jacobs book, Europa's Fairy Book (New York and London: G. P. Putnam's Sons, © 1916), pp. 107-109. This book was also published under the title “European Folk and Fairy Tales”.
[This folktale is very common and popular in Greece too. It reappeared in Middle Ages as “The Shepherd and the Lion” ascribed to Aesop’s Tale.]
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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