देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 8 स्पेन का राजा और अंग्रेज मीलौर्ड // सुषमा गुप्ता

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8 स्पेन का राजा और अंग्रेज मीलौर्ड [1] एक राजा ने अपने बेटे को उसकी 18वीं सालगिरह पर अपने पास बुलाया और कहा — “बेटा समय निकलता जा रहा है। मै...

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8 स्पेन का राजा और अंग्रेज मीलौर्ड[1]

एक राजा ने अपने बेटे को उसकी 18वीं सालगिरह पर अपने पास बुलाया और कहा — “बेटा समय निकलता जा रहा है। मैं अब बूढ़ा हो रहा हूँ। अगर हम मर गये तो हमारा राज्य कौन सँभालेगा इसलिये तुम अब शादी कर लो।”

बेटे को पिता के ये शब्द कुछ बहुत ज़्यादा अच्छे नहीं लगे सो उसने अपने पिता से कहा — “पिता जी, इस बात को सोचने के लिये अभी हमारे पास बहुत समय है।”

पर राजा उसको इस बात का इशारा करता ही रहा कि अब उसको शादी कर लेनी चाहिये जब तक कि उसके बेटे ने ही उसको यह कहते हुए चुप नहीं कर दिया — “पिता जी, समझने की कोशिश करिये। मैं तभी शादी करूँगा जब मुझे कोई ऐसी लड़की मिलेगी जो रिकोटा चीज़[2] की तरह सफेद हो और गुलाब की तरह से गुलाबी हो।”

यह सुन कर राजा ने अपने सलाहकारों को बुलाया और कहा — “मुझे तुम लोगों को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि राजकुमार शादी के लिये राजी हो गया है।

वह उस लड़की से शादी करेगा जो रिकोटा चीज़ की तरह सफेद हो और गुलाब की तरह से गुलाबी हो। आप लोगों की क्या राय है?”

अक्लमन्द सलाहकार बोले — “मैजेस्टी, आप अपने कुछ दरबारियों को चुनिये और उनको एक चित्रकार, कुछ घोड़ा गाड़ी हाँकने वाले, नौकर और और भी जो कुछ उन्हें चाहिये दे दीजिये और उनको दुनियाँ भर में ऐसी लड़की ढूँढने के लिये भेज दीजिये जो रिकोटा चीज़ की तरह से सफेद हो और गुलाब की तरह से गुलाबी हो।

एक साल बाद राजकुमार से कहिये कि वह उनमें से जो भी उसको सबसे अच्छी लड़की लगे वह उससे शादी कर ले।”

सो राजा ने अपने दरबार से कुछ अच्छे दरबारी चुने और उनको एक चित्रकार, कुछ घोड़ा गाड़ी हाँकने वाले और कई नौकर दे कर ऐसी लड़की ढूँढने के लिये बाहर भेज दिया जो रिकोटा चीज़ की तरह सफेद हो और गुलाब की तरह से गुलाबी हो।

एक आदमी एक राज्य गया दूसरा दूसरे राज्य गया। इस तरह वे सब पूरी दुनियाँ के कई राज्यों में गये।

उनमें से एक आदमी स्पेन गया जहाँ जा कर उसने सबसे पहला काम यह किया कि वह एक कैमिस्ट के पास रुका और उससे बात करने लगा। बातों बातों में वे दोनों दोस्त बन गये। कैमिस्ट ने पूछा — “जनाब आप कहाँ से आते हैं?”

उस आदमी ने कहा — “हम एक ऐसी लड़की की तलाश में हैं जो रिकोटा चीज़ की तरह सफेद हो और गुलाब की तरह से गुलाबी हो। क्या इधर ऐसी कोई लड़की है?”

कैमिस्ट बोला —“ओह अगर तुम ऐसी ही किसी लड़की की तलाश में हो तो यहाँ एक बहुत ही सुन्दर लड़की है। वह बिल्कुल रिकोटा चीज़ की तरह सफेद है और गुलाब की तरह से गुलाबी है। पर उसको देखना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि वह कभी बाहर नहीं निकलती।

मैंने उसको खुद ही कभी नहीं देखा और जो भी मैं कुछ तुम्हें बता रहा हूँ वह भी बस सुनी सुनायी ही बता रहा हूँ। वह ऐसे लोगों की बेटी है जो केवल अन्दर ही अन्दर रहते हैं इसलिये तुम उसको कभी बाहर नहीं देखोगे।”

“तो फिर हम उसे देखें कैसे?”

“मैं कोई तरीका निकालता हूँ जिससे तुम उसे देख सकोगे।”

कह कर कैमिस्ट उस लड़की की माँ के पास गया और उससे कहा — “मैम, मेरी दूकान पर एक चित्रकार खड़ा है जो दुनियाँ की बहुत सुन्दर लड़कियों की तस्वीरें बनाने के लिये निकला हुआ है। वह आपकी बेटी की तस्वीर बनाना चाहता है, अगर आप उसको इजाज़त दें तो। वह आपको इसके लिये 40 सोने के क्राउन[3] देगा।”

माँ को पैसे की बहुत जरूरत थी सो वह अपनी बेटी के पास गयी और उसको यह सौदा मंजूर करने के लिये कहा। लड़की मान गयी। चित्रकार राजा के दरबारी के साथ आया। तीनों उसे देख कर बोल पड़े “ओह यह तो कितनी सुन्दर है।”

चित्रकार ने उसकी तस्वीर बनायी। उसने उस तस्वीर को कैमिस्ट की दूकान पर पूरा किया और राजा के दरबारी ने उसको सोने के फ्रेम में जड़वा दिया। उसने उस तस्वीर को अपने गले में लटकाया और राजा के सामने पहुँचा।

यही वह समय था जब सबको वैसी लड़कियों की तस्वीरें ले कर राजा के पास पहुँचना था सो राजा के और दरबारी भी वैसी ही तस्वीरें ले कर वहाँ आ गये। सब एक बड़े कमरे में अपनी अपनी गरदनों में अपनी अपनी लायी तस्वीरें लटका कर खड़े हुए थे।

राजकुमार ने सब तस्वीरें देखीं तो वह स्पेन वाली लड़की की तस्वीर के सामने रुक गया और बोला — “अगर इस लड़की का चेहरा ऐसा ही है जैसा इस चित्रकार ने बनाया है तो यह लड़की वैसी ही है जैसी कि मैं चाहता हूँ।”

राजा का दरबारी बोला — “अगर यह चेहरा आपको खुश नहीं करता तो फिर आपको कोई और चेहरा कभी खुश नहीं कर सकता।”

राजा का वह आदमी उस लड़की को लाने के लिये दरबार से स्पेन वापस भेज दिया गया। लड़की आयी तो उसको पहले चार महीने महल में रानियों जैसा व्यवहार सीखने के लिये रखा गया।

वह लड़की काफी होशियार थी तो उसने वह सब बहुत जल्दी ही सीख लिया। उसके बाद उसकी शादी एक नकली राजकुमार से कर दी गयी और फिर उसके बाद वह असली राजकुमार के घर आयी।

उसको इतने धार्मिक ढंग से पालने पोसने के लिये उसकी माँ की बहुत तारीफ की गयी और उस कैमिस्ट को भी इस लड़की के चुनाव में हिस्सा लेने के लिये काफी इनाम दिया गया।

राजकुमार अपने घोड़े पर चढ़ कर उस लड़की से मिलने के लिये पहुँचा। जब वे मिले तो राजकुमार अपने घोड़े से उतरा और उसकी गाड़ी में बैठ गया। ज़रा सोचो तो कि वे लोग कितने खुश थे।

रानी माँ ने भी उसको बहुत पसन्द किया। उसने अपने बेटे के कान में फुसफुसाया — “तुमने अपने लिये ठीक पत्नी चुनी है। मुझे उसकी ऑखों की पवित्रता बहुत अच्छी लगी।”

और इसमें कोई शक भी नहीं था कि राजकुमारी बहुत ही पवित्र ज़िन्दगी गुजार रही थी। वह अपने कमरे में ही रहती थी और कभी बाहर नहीं निकलती थी।

उसकी रानी माँ से भी बहुत अच्छी तरह बनती थी और वे दोनों कबूतर के एक जोड़े की तरह से रहती थीं। यह एक अजीब सी बात थी क्योंकि सास बहू तो हमेशा से सभी जगह झगड़ती ही रही हैं।

पर बीलज़ेबूब[4] तो हमेशा ही कुछ न कुछ इधर उधर की सोचता रहता है। सो एक दिन सास ने बहू से कहा — “बेटी तुम सारे समय इस तरह से घर में ही बन्द क्यों रहती हो। कभी ताजा हवा खाने बाहर छज्जे पर भी जाया करो।”

सो सास के हुकुम से राजकुमारी छज्जे पर गयी। इत्तफाक से उसी समय वहाँ से एक अंग्रेज मीलौर्ड[5] गुजर रहा था। उसने जैसे ही ऊपर की तरफ देखा तो फिर उसकी ऑखें तो नीची होना ही भूल गयीं।

राजकुमारी ने भी उसको देखा तो वह तुरन्त ही अन्दर चली गयी और उसने अपनी खिड़की बन्द कर ली। पर उस नौजवान को अब लड़की की शक्ल देखने से रोकने से महल के चारों तरफ चक्कर काटने से कोई नहीं रोक सका। वह वहाँ अब रोज ही उस घर के चक्कर काटने लगा।

एक दिन एक बुढ़िया उससे भीख माँगने आयी तो उसने उसे डाँट कर भगा दिया — “चली जा यहाँ से ओ बुढ़िया।”

“सरकार क्या बात है?”

“जा न यहाँ से। तुझे क्या मतलब।”

“आप मुझे बताइये तो सरकार। क्या पता मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ।”

“बात यह है कि मैं इस राजकुमारी को देखना चाहता हूँ पर देख नहीं पा रहा हूँ।”

clip_image002“अरे बस यही बात है? आप मुझे एक हीरा जड़ी अंगूठी दीजिये फिर मैं देखती हूँ।”

मीलौर्ड ने तुरन्त ही हीरा जड़ी एक अँगूठी खरीदी और उस बुढ़िया को दे दी। वह उस अँगूठी को ले कर महल में चली गयी। महल के दरवाजे पर महल के चौकीदार ने उसको रोका — “कहाँ जा रही है ओ बुढ़िया?”

बुढ़िया बोली — “मैं राजकुमारी के पास जा रही हूँ। मेरे पास बेचने के लिये एक अँगूठी है जिसे केवल राजकुमारी ही खरीद सकती है।”

राजकुमारी को यह सन्देश भेज दिया गया कि एक बुढ़िया आपको अँगूठी बेचना चाहती है। यह सुन कर राजकुमारी ने उस बुढ़िया को अन्दर बुला लिया। अँगूठी देख कर उसने बुढ़िया से पूछा — “तुम्हारी इस अँगूठी की क्या कीमत है?”

“300 क्राउन मैजेस्टी।”

राजकुमारी बोली — “इस बुढ़िया को 300 क्राउन दो दो और 10 क्राउन इसको यहाँ इसे लाने के लिये दो दो।”

वह बुढ़िया राजकुमारी से पैसे ले कर अपने हाथ मलती हुई उस मीलौर्ड के पास आयी।

मीलौर्ड ने पूछा — “राजकुमारी ने तुमसे क्या कहा?”

बुढ़िया बोली — “राजकुमारी ने मुझे 10 दिन में जवाब देने के लिये कहा है।” कह कर उसने किसी को बिना बताये वे 300 क्राउन अपने कपड़ों में खोंस लिये और चली गयी।

10 दिन बाद वह मीलौर्ड के पास लौटी और बोली — “मुझे दस दिन हो गये हैं अब मुझे राजकुमारी के पास जाना है। क्या आप चाहते हैं कि मैं उनके पास खाली हाथ जाऊँ? क्या आपको मालूम है कि इस बार आपको क्या करना चाहिये। अब की बार आपको उनके लिये एक मँहगा हार भेजना चाहिये।”

लौर्ड तो जैसा कि तुम जानते हो बेताज के बादशाह होते हैं सो उस बुढ़िया ने उससे एक बहुत मँहगा हार खरीदवाया और उसे ले कर राजकुमारी के पास चल दी।

राजकुमारी ने उस हार को देख कर कहा “अरे यह तो वाकई बहुत सुन्दर हार है। इसकी क्या कीमत है?”

“1000 क्राउन।”

राजकुमारी बोली — “इस बुढ़िया को 1000 क्राउन दे दो और 40 क्राउन इसको और दे दो इसे यहाँ तक लाने के लिये।”

बुढ़िया ने वे पैसे लिये और फिर मीलौर्ड के पास आयी।

उसने मीलौर्ड से कहा — “क्या आप विश्वास करेंगे कि अब की बार उसकी सास भी वहाँ थी इसलिये वह मुझसे बात भी नहीं कर सकी। पर उसने आपकी दी हुई भेंट ले ली है और उसने अगले हफ्ते आपको जवाब देने के लिये कहा है।”

“और अगले हफ्ते तुम उसके लिये क्या भेंट ले जाओगी?”

“सुनिये। आपने उसको एक अँगूठी दे दी है, एक हार दे दिया है। अगली बार हम उसको एक बढ़िया सी पोशाक देंगे।”

सो अगले हफ्ते मीलौर्ड ने राजकुमारी के लिये एक बहुत बढ़िया पोशाक खरीदी और उसको उस बुढ़िया को ले जाने के लिये दी।

अब की बार बुढ़िया राजकुमारी से बोली — “यह पोशाक मैं बेचने के लिये लायी हूँ। क्या आप इसे खरीदेंगी?”

“यह तो बहुत ही सुन्दर पोशाक है। तुम्हें इसकी क्या कीमत चाहिये?”

“500 क्राउन।”

राजकुमारी ने कहा — “इस बुढ़िया को 500 क्राउन दे दो और 20 क्राउन और दे दो इसको यहाँ तक लाने के लिये।”

बुढ़िया ने वह पैसे लिये और फिर मीलौर्ड के वापस आयी तो मीलौर्ड ने उससे पूछा — “अब की बार क्या कहा उसने?”

बुढ़िया बोली — “इस बार उसने कहा है कि आप अपने महल में एक नाच का इन्तजाम करें और राजकुमार और राजकुमारी को भी उस नाच में बुलायें और फिर सब कुछ वहीं तय हो जायेगा।”

मीलौर्ड तो यह सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने एक बहुत शानदार नाच का इन्तजाम किया और राजकुमार को उसमें आने का बुलावा भेजा।

राजकुमारी ने कहा — “ओह यह तो कितना अच्छा है। एक शानदार नाच। मैं तो वही पोशाक पहनूँगी जो मैंने अभी उस बुढ़िया से खरीदी थी।” पर जब वह नाच में गयी तो उसने वही अँगूठी भी पहनी और वही हार भी पहना जो उसने उस बुढ़िया से खरीदा था।

पहले नाच के लिये मीलौर्ड ने राजकुमारी को नाच के लिये बुलाया और ऑखों ही ऑखों में उसको विश्वास दिलाया कि सब कुछ तैयार था। इसके बाद उसने उसकी तरफ ऑख मारी। पर इस पर राजकुमारी घूमी और राजकुमार के बराबर अपनी सीट पर आ कर बैठ गयी।

यह सोचते हुए कि शायद राजकुमारी को कुछ और तारीफ की जरूरत थी मीलौर्ड फिर से उसके पास नाच के लिये बुलाने के लिये गया और एक बार फिर से उसने उसको ऑख मारी। राजकुमारी फिर से अपनी सीट पर वापस गयी और जा कर राजकुमार के पास बैठ गयी।

मीलौर्ड ने उसको तीसरी बार नाच के लिये बुलाया और एक बार फिर ऑख मारी। इस बार राजकुमारी ने उससे पीठ फेर ली।

जब नाच खत्म हो गया तो राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने मीलौर्ड से विदा ली और अपने घर चल दिये। मीलौर्ड वहाँ सोचता ही खड़ा रह गया कि यह सब क्या हो गया।

“हालाँकि उसने वही पोशाक, अँगूठी और हार पहना हुआ था पर फिर भी उसने मेरे साथ नाचने से मना कर दिया। इसका क्या मतलब है?”

उन दिनों कुछ ऐसा रिवाज था कि राजा लोग वेश बदल कर यह जानने के लिये कैफ़े आदि में जाया करते थे कि लोग उनके बारे में क्या बात करते थे औ उससे यह पता लगाते थे कि वे उनके बारे में क्या सोचते थे ताकि वे अपना काम ठीक से कर सकें।

ऐसे ही एक कैफ़े में राजकुमार का मीलौर्ड से आमना सामना हुआ। वहाँ मीलौर्ड राजकुमार को उस वेश में पहचान नहीं सका सो वे आपस में बात करने लगे।

एक के बाद एक बात निकलती गयी और मीलौर्ड बोला — “उस बेवकूफ राजकुमारी को देखो। मैंने उसको इतनी कीमती अ‍ँगूठी भेजी और उसने उसको स्वीकार कर लिया।

मैंने उसको इतना कीमती हार भेजा वह भी उसने स्वीकार कर लिया। मैंने उसको इतनी कीमती पोशाक भेजी उसने उसको भी स्वीकार कर लिया।

काश तुम जान सकते कि उन चीज़ों पर मैंने कितना पैसा खर्च किया। फिर उसने मुझसे नाच का इन्तजाम करने के लिये कहा तो मैंने वह भी किया पर वह मुझसे पूरी शाम नहीं बोली।”

यह सुन कर राजकुमार का चेहरा लाल पड़ गया। वह अपने महल वापस लौटा। उसने अपनी तलवार निकाली और अपनी पत्नी को ढूँढने चला।

उसकी माँ वहीं बीच में खड़ी थी वह उन दोनों के बीच में बहू की ढाल बन कर खड़ी हो गयी। अब राजकुमार उसको मार तो नहीं सका पर वह राजकुमारी से गुस्सा बहुत था।

उसने अपने एक जहाज़ के कप्तान को बुलाया और उससे कहा — “इस बेवकूफ को अपने जहाज़ पर बिठाओ और इसको समुद्र में ले जा कर मार दो। इसकी जीभ काट कर उसका अचार डाल कर मुझे ला कर दो और उसके शरीर के बाकी सब हिस्से समुद्र में फेंक दो।”

तब तक उस राजकुमारी का कोई और नाम नहीं था। कप्तान बेचारा उस बदकिस्मत राजकुमारी को जहाज़ में ले चला। उसकी सास बहुत दुखी थी वह बेचारी कुछ बोल ही नहीं पा रही थी सो वे दोनों एक दूसरे से कुछ कहे बिना ही एक दूसरे से अलग हो गयीं। लोग भी सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर पाये।

जहाज़ का कप्तान राजकुमारी को जहाज़ में बिठा कर समुद्र में ले तो गया पर वह उसको मार नहीं सका। उसके पास एक कुत्ता था सो उसने उस कुत्ते को मारा और राजकुमार के लिये उसकी जीभ का अचार बना दिया।

जब कई दिनों बाद उसका जहाज़ जमीन के किनारे लगा तो कप्तान ने राजकुमारी को जमीन पर उतारा और उसके लिये बहुत सारी रसद और कपड़ों का इन्तजाम करके वापस चला गया। राजकुमारी वहाँ अकेली खड़ी रह गयी।

वह वहाँ एक गुफा में रहने लगी। धीरे धीरे उसकी रसद खत्म होने लगी। और एक दिन उसका खाना बिल्कुल ही खत्म हो गया। तभी उसको वहाँ एक लड़ाई का जहाज़ दिखायी दिया। राजकुमारी ने उसको इशारा करके बुलाया।

जब उस जहाज के कप्तान ने किसी को इशारा करते देखा तो उसको लगा कि वहाँ जमीन थी सो वे वहाँ उतर गये। उसने राजकुमारी से पूछा — “मैम, आप यहाँ क्या कर रही हैं?”

राजकुमारी बोली — “मैं एक जहाज़ पर थी कि वह जहाज़ तूफान में फँस कर नष्ट हो गया और मैं अकेली ही बच गयी।”

“मैं आपको कहाँ छोड़ दूँ?”

राजकुमारी को याद आया कि राजकुमार का बड़ा भाई ब्राज़ील का राजा था और उसकी सास उसके बारे में बहुत अच्छा बोलती थी सो उसने तुरन्त ही जवाब दिया — “ब्राज़ील। आप मुझे ब्राज़ील छोड़ दें वहाँ मेरे एक रिश्तेदार रहते हैं।”

उस जहाज़ के कप्तान ने उसको जहाज़ पर चढ़ाया और ब्राज़ील की तरफ चल दिया।

ब्राज़ील पहुँचने से पहले राजकुमारी ने कप्तान से कहा — “आप मेरी एक सहायता और कर दें। मैं चाहती हूँ कि मेरे रिश्तेदार मुझे न पहचान पायें इसलिये मैं वहाँ एक आदमी के रूप में जाना चाहती हूँ।”

कप्तान ने उसको आदमी के रूप में बदल दिया। उसके बाल काट दिये ओर उसको आदमियों के कपड़े दिलवा दिये। अपनी सुन्दरता की वजह से अब वह राजकुमारी एक सुन्दर नौकर लगने लगी।

ब्राज़ील में उतर कर राजकुमारी सड़कों पर इधर उधर घूमने लगी। तभी उसको एक वकील का दफ्तर दिखायी दिया। वह उस दफ्तर में गयी और वहाँ जा कर पूछा — “क्या मैं आपके यहाँ एक क्लर्क का काम कर सकती हूँ?”

“ओह हाँ हाँ क्यों नहीं। मैं तुमको कम से कम क्लर्क तो रख ही सकता हूँ।” और उसने उसको अपने दफ्तर में क्लर्क रख लिया। उसने उसको कुछ काम दिया जो उसने पलक झपकते कर दिया। वकील तो विश्वास ही नहीं कर सका कि कोई क्लर्क वह काम इतनी जल्दी कर सकता था।

फिर उसने उसको और ज़्यादा कठिन काम दिया। उसको भी उसने जल्दी ही खत्म कर दिया। वह वकील उसकी तारीफ किये बिना न रह सका। उसने उसकी तन्ख्वाह 12 क्राउन रोज की निश्चित कर दी।

यह क्लर्क उस वकील को बहुत अच्छा लगा। उस वकील की एक बेटी थी सो उसने सोचा कि मैं अपनी बेटी की शादी इस नौजवान क्लर्क से कर देता हूँ। उसने यह बात उस क्लर्क से कही भी।

क्लर्क बोला — “जनाब इस मामले को हम लोग अभी कुछ समय के लिये यहीं रोक लें तो अच्छा रहे। पहले मैं अपने काम में थोड़ी सी जानकारी हासिल कर लूँ तब मैं खुद ही आपसे इस बारे में बात करूँगा।”

धीरे धीरे वकील का नौजवान क्लर्क मशहूर होने लगा। एक बार उसको महल में किसी शाही काम के लिये बुलाया गया। वहाँ उसको एक कागज नकल करने के लिये दिया गया तो वह उसने तुरन्त ही कर दिया और बहुत साफ और सही किया।

इस नौजवान के इस काम की बात बादशाह तक पहुँची तो उसने उस क्लर्क को बुलाया। अब यह बादशाह तो इस क्लर्क के पति का बड़ा भाई था।

बादशाह को तो यह क्लर्क पहली नजर में ही बहुत पसन्द आ गया सो उसने उसको अपने महल में ही रख लिया और अपना स्क्वायर[6] बना लिया।

X X X X X X X

अब हम राजकुमारी को यहीं छोड़ते हैं और राजकुमार के पास चलते है। कुछ दिनों बाद जब राजकुमार का गुस्सा ठंडा हो गया तो वह राजकुमारी के साथ किये गये अपने बरताव के लिये बहुत पछताया।

“हो सकता है कि वह बेकुसूर हो। ओह प्रिये मैं भी कितना बेवकूफ था जो मैंने तुमको ऐसी सजा दी। अब तुम्हारा यहाँ क्या बचा है। मैंने तो तुमको मरवा ही दिया।”

उसके दिमाग में बार बार इसी तरह के ख्याल आने लगे और वह पागल सा हो गया। यह देख कर रानी माँ ने अपने बड़े बेटे ब्राज़ील के बादशाह को लिखा “तुम्हारा भाई पागल सा हो गया है और देश की जनता में विद्रोह होने वाला है। सो तुम कुछ समय के लिये यहाँ आ जाओ।”

बादशाह यह पढ़ कर बहुत दुखी हुआ और रो पड़ा। उसने अपने स्क्वायर से कहा — “क्या तुम मेरे भाई के पास जाओगे? मैं तुमको उस राज्य का वायसराय[7] बनाता हूँ और वहाँ राज करने की सारी ताकतें देता हूँ।”

clip_image006स्क्वायर राजी हो गया। उसने बहुत सारे लोग लिये, दो जहाज लिये और स्पेन चल दिया। जगह दूर थी। जब वह वहाँ पहुँचा तो सभी लोगों के मुँह से निकला — “ओह वायसराय आ गया, वायसराय आ गया।”

उसके स्वागत में तोपें छोड़ी गयीं। रानी खुद उसको लेने आयी जैसे वह उसका बेटा हो। “आइये वायसराय। ओ योर मैजेस्टी के नौकर, और किसी भी काम को करने से पहले आप अपनी जनता से मिल लें।”

सो वायसराय ने सबसे पहले अपनी जनता के ढेर सारे अधूरे काम देखे। जब वे काम पूरे हो रहे थे तो जनता बहुत खुश थी कि उस जैसा वायसराय उनका राजा बन कर आया है।

जब जनता का काफी काम खत्म हो गया तो वायसराय ने रानी माँ से कहा — “मैजेस्टी, क्या आप मुझे आप अपनी बहू के बारे में कुछ बतायेंगी कि उसके साथ क्या हुआ था?”

रानी ने शुरू से ले कर आखीर तक उसको सारी कहानी बता दी – राजकुमार के बारे में, राजकुमार की कैफ़े में हुई बातों के बारे में, अपनी बहू के जाने के बारे में, सब कुछ। और यह सब कहते कहते उसकी ऑखें भर आयीं।

वायसराय बोला — “ठीक है। देखते हैं। आप राजकुमार को बुलाइये जिसने आपको यह सब तकलीफें दी हैं।” राजकुमार को बुलाया गया।

वायसराय ने कहा — “मीलौर्ड, यह किसी की ज़िन्दगी और मौत का मामला है इसलिये आप मुझे बतायें कि आपको राजकुमारी के मामले में क्या कहना है।”

राजकुमार ने जितना सच सच वह बता सकता था बिना कुछ जोड़े और बिना कुछ छिपाये उसको सब बता दिया। वायसराय ने पूछा — “पर राजकुमार क्या आपने कभी उससे खुद भी बात की?”

“नहीं।”

“क्या आपने उसको वे भेंटें खुद दीं?”

“नहीं। वे भेंटें उसको एक बुढ़िया ने दी थीं।”

यह सुन कर रानी माँ तो आश्चर्यचकित रह गयी क्योंकि उसको तो इस बात का पता ही नहीं था। और साथ में राजकुमार भी जो अभी तक आधा पागल सा था।

“क्या वह बुढ़िया जिसने वे भेंटें राजकुमारी को दी थीं अभी ज़िन्दा है या मर गयी?”

“शायद वह अभी भी ज़िन्दा होगी।”

वायसराय ने हुकुम दिया कि राजकुमार को एक कमरे में बिठा दिया जाये और उस बुढ़िया को बुलाया जाये। सो राजकुमार को एक कमरे में बिठा दिया गया और बुढ़िया को बुलाया गया।

वायसराय ने बुढ़िया से पूछा — “ये जो चीज़ें तुमने राजकुमारी को बेची थी इसके बारे में कुछ बताओ।” बुढ़िया ने उसे सब कुछ बता दिया।

तो वायसराय ने पूछा — “अब यह बताओ कि क्या तुमने राजकुमारी को कोई सन्देश भी दिया था?”

“नहीं, कभी नहीं।”

यह सुन कर राजकुमार अपने होश में आया। वह बुदबुदाया — “ओह प्रिये, तो तुम तो बिल्कुल बेकुसूर थीं। मैंने तुम्हें बेकार ही मार दिया।” कह कर वह फिर रोने लगा।

वायसराय ने उसको तसल्ली दी। “आप शान्त हों राजकुमार। हम इसका कोई इलाज निकालते हैं।”

“इस मामले का इलाज कैसे निकल सकता है क्योंकि वह तो मर चुकी है। ओह प्रिये, मैंने तो तुमको हमेशा के लिये खो दिया है।”

इस पर वायसराय एक परदे के पीछे गया, राजकुमारी की तरह से तैयार हुआ जो कि वह असल में था, अपने कटे हुए बाल फिर से लगाये, और सास, राजकुमार और दरबार के सामने निकल कर आया।

रानी माँ उसको देखते ही बोली — “अरे तुम कौन हो?”

“आपकी बहू माँ जी, आपने मुझे पहचाना नहीं?” पर तब तक तो राजकुमार ने उसको गले ही लगा लिया था।

जब राजकुमारी वायसराय थी बुढ़िया को सजा तो उसने तभी सुना दी थी। उसको फाँसी के तख्ते पर जला कर मार डालना था और मीलौर्ड को उसका गला कटवा कर मरवा दिया गया।

रानी माँ ने अपने बड़े बेटे को यहाँ का सारा हाल लिखा तो उसने अपने बच्चों से कहा — “अरे बच्चों जरा देखो तो। मेरी छोटे भाई की बहू मेरी सेक्रेटरी थी और मुझे पता भी नहीं चला।”

clip_image008वे दोनों कप्तान जिसने राजकुमारी की जगह अपना कुत्ता मारा था और जिसने उसको ब्राज़ील पहुँचाया दोनों को दरबारियों में शामिल कर के तरक्की दे दी गयी। सारे नाविकों को उनकी टोपियों मे लाल फुँदने लगवा दिये गये।


[1] The King of Spain and the English Milord (Story No 158) – a folktale from Italy from its Palermo area.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.

[2] Ricotta cheese is kind of processed Paneer of India. It is used in western countries in various ways.

[3] Crown was the then currency in Europe.

[4] Beelzebub or Beel-Zebub is a contemporary name for the devil. In Christian and Biblical sources, Beelzebub is another name for the devil. In Christian demonology, he is one of the seven princes of Hell according to Catholic views on Hell.

[5] A European title for a gentleman.

[6] Squire – a Squire is a man of high social standing who owns and lives on an estate in a rural area, especially as the chief landowner in such an area.

[7] Viceroy – a viceroy is a regal official who runs a country, a colony, or a city province (or state) in the name of and as the representative of the monarch. The term means "in the place of" and in the French it means the king.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 8 स्पेन का राजा और अंग्रेज मीलौर्ड // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 8 स्पेन का राजा और अंग्रेज मीलौर्ड // सुषमा गुप्ता
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रचनाकार
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