12 फाख्ता लड़की [1] एक बार एक लड़का बेचारा अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान था क्योंकि वह बहुत गरीब था। एक दिन जब वह बहुत ही ज़्यादा परेशान था यानी ...
एक बार एक लड़का बेचारा अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान था क्योंकि वह बहुत गरीब था।
एक दिन जब वह बहुत ही ज़्यादा परेशान था यानी कि उसके पास खाने के लिये कुछ भी नहीं था तो वह समुद्र के किनारे जा कर बैठ गया। उसको लगा कि वहाँ बैठ कर वह अपनी समस्या का हल कुछ ज़्यादा अच्छी तरह से सोच सकेगा।
सोचते सोचते उसने अपना सिर ऊपर उठाया तो उसने देखा कि यूनान का एक आदमी[2] उसी की तरफ चला आ रहा है।
उस आदमी ने उससे पूछा — “लड़के, तुम बहुत परेशान दिखायी दे रहे हो क्या बात है?”
“मैं बहुत भूखा हूँ। मेरे पास खाने के लिये कुछ है भी नहीं और कुछ मिलने की आशा भी नहीं है।”
“अरे यह तो कोई बात नहीं हुई। चलो खुश हो जाओ और मेरे साथ आओ। मैं तुमको खाना भी दूँगा, पैसा भी दूँगा और जो कुछ और भी तुम चाहो वह भी मैं तुमको दूँगा।”
उस लड़के ने पूछा — “और इसके बदले में मुझे क्या करना होगा?”
“कुछ नहीं। बस तुमको मेरे साथ साल में केवल एक बार काम करना पड़ेगा।”
उस लड़के को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ मगर क्योंकि वह भूखा था उसने यह सौदा मंजूर कर लिया। उन दोनों ने फिर एक कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किये और फिर कुछ दिनों तक उस लड़के को कुछ नहीं करना पड़ा।
एक दिन उस यूनानी ने उसको बुलाया और कहा — “दो घोड़ों पर साज सजाओ[3], हम लोग चल रहे हैं।” उसने सब कुछ तैयार कर दिया और वे दोनों चल दिये।
काफी दूर तक चलने के बाद वे दोनों एक बहुत ही ढालू पहाड़ की तली में आ गये। यहाँ आ कर उस यूनानी ने उस लड़के से कहा कि वह उस पहाड़ की ऊँचाई नापे।
लड़का बोला — “मैं कैसे नापूँ?”
यूनानी बोला — “यह मेरा भेद है।”
लड़का फिर बोला — “पर अगर मैं न करना चाहूँ तो?”
यूनानी बोला — “पर हम लोगों ने कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किये हैं कि तुम साल में एक बार मेरे लिये काम करोगे। तुम चाहो या न चाहो पर अब वह समय आ गया है जब तुमको मेरे लिये काम करना है। तुम पहाड़ की चोटी पर जाओ और वहाँ जो भी पत्थर तुमको दिखायी दें उनको वहाँ से नीचे फेंक दो।”
यह कह कर उस यूनानी ने एक घोड़ा उठाया, उसे मारा, उसकी खाल निकाली और उस लड़के को उस खाल में घुसने को कहा। वह लड़का उस खाल के अन्दर घुस गया।
तभी एक गरुड़[4] जो ऊपर उड़ रहा था ऊपर से ही यह सब सुन रहा था। उसने ऊपर से कूद लगायी और घोड़े की खाल को अपने पंजों में ले कर उड़ गया।
वह गरुड़ उस पहाड़ की चोटी पर जा कर बैठ गया और वहाँ वह लड़का उस खाल में से बाहर निकल आया।
लड़के को पहाड़ की चोटी पर पहुँचा देख कर यूनानी नीचे से चिल्लाया — “अब तुम वहाँ बिखरे पत्थर नीचे फेंक दो।”
लड़के ने अपने चारों तरफ देखा तो वहाँ पत्थर तो उसे कोई नजर नहीं आया वहाँ तो सब जगह हीरे ही हीरे बिखरे पड़े थे और सोने के बहुत सारे टुकड़े पड़े थे।
वे सोने के टुकड़े भी कोई छोटे मोटे टुकड़े नहीं थे बल्कि पेड़ के तने के टुकड़े जितने बड़े बड़े टुकड़े थे।
उसने फिर नीचे देखा तो उसको वह यूनानी एक चींटी जैसा दिखायी दे रहा था और उससे बराबर कह रहा था — “फेंको न, वे पत्थर मेरे पास फेंको।”
लड़के ने सोचा अगर मैं इसके ऊपर ये पत्थर फेंकता हूँ तो यह मुझे इस पहाड़ की चोटी पर ही छोड़ कर चला जायेगा और मेरे पास नीचे उतरने का कोई तरीका भी नहीं होगा।
इससे तो अच्छा यह है कि मैं इन पत्थरों को अपने पास ही रख लूँ और यहाँ से खुद ही निकलने की कोशिश करूँ। उसने उस पहाड़ की चोटी को इधर से उधर से देखा तो उसकी निगाह एक ढक्कन पर पड़ी जो उसको किसी कुँए का सा रास्ता दिखायी दिया।
उसने वह ढक्कन उठाया और उसके नीचे बने छेद में घुस गया। और लो वह तो एक बहुत ही शानदार महल में पहुँच गया। वह महल जादूगर सवीनो[5] का था।
जैसे ही उस जादूगर ने उस लड़के को देखा तो उसने उससे पूछा —“तुम यहाँ मेरे पहाड़ पर क्या कर रहे हो? मैं तुमको भून कर खा जाऊँगा। मुझे लगता है कि यहाँ तुम उस चोर यूनानी के लिये मेरे पत्थर चुराने के लिये आये हो।
हर साल वह मेरे साथ यही चाल चलता है और हर साल मैं उसके भेजे हुए आदमी की दावत खाता हूँ।”
यह सुनते ही उस लड़के का तो सारा शरीर ही काँप गया कि आज वह किस मुसीबत में फँसा।
काँपते हुए पैरों से वह लड़का जादूगर के सामने घुटनों के बल बैठ गया और बोला — “मैं कसम खाता हूँ कि मेरे पास कोई पत्थर नहीं है।”
सवीनो बोला — “अगर तुम ठीक कह रहे हो तो मैं तुमको नहीं खाऊँगा।” फिर वह ऊपर गया, अपने पत्थर गिने और देखे कि वह पूरे थे कि नहीं।
उनको गिन कर वह बोला — “तुम ठीक कह रहे हो कि तुम्हारे पास मेरा कोई पत्थर नहीं है। मैं तुमको अपने पास नौकर रखना चाहता हूँ।
तुम्हारा काम यह होगा कि मेरे पास 12 घोड़े हैं। हर सुबह तुम उनको 99 डंडे मारोगे। पर यह पक्का कर लेना कि उन डंडों के मारने की आवाज मैं अभी जहाँ बैठा हूँ वहाँ से सुन सकूँ। समझ गये न?”
अगले दिन वह लड़का हाथ में एक मोटी सी डंडी ले कर उस जादूगर की घुड़साल में गया। उसको घोड़ों के लिये बहुत अफसोस हो रहा था और उसको यह बात बिल्कुल ही सहन नहीं हो पा रही थी कि वह उन बेकुसूर घोड़ों को क्यों मारे पर वह क्या करता मजबूर था।
तभी एक घोड़े ने पीछे मुड़ कर देखा और बोला — “मेहरबानी करके हमेें मत मारो। पहले हम भी तुम्हारी तरह से नौजवान लड़के थे। इस जादूगर सवीनो ने हमको घोड़ा बना दिया।
तुम ऐसा करो कि यह डंडा तुम जमीन पर मारो और हम तुम्हारे हर डंडा मारने पर चिल्लायेंगे। इससे जादूगर को लगेगा कि जैसे तुम हमको मार रहे हो।”
लड़के को यह सलाह अच्छी लगी सो उसने उस घोड़े की सलाह मान ली। अब वह जादूगर डंडे से मारने की आवाज भी सुन रहा था और घोड़े के चिल्लाने की आवाज भी। इधर वह लड़का घोड़ों को मार भी नहीं रहा था। वह इससे सन्तुष्ट था।
एक दिन एक घोड़े ने उस लड़के से पूछा — “क्या तुम अपनी किस्मत बनाना चाहोगे?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं?”
“तो जाओ बागीचे में चले जाओ। वहाँ तुमको एक सुन्दर सा तालाब दिखायी देगा। हर सुबह 12 फाख्ता वहाँ पानी पीने आती हैं। पहले वे पानी में चली जाती हैं और फिर उसमें से सूरज की तरह चमकती हुई लड़कियों के रूप में बाहर निकल आती हैं।
अपने फाख्ता वाले कपड़े वे एक पेड़ की शाख पर टाँग देती हैं। फिर वे पानी में खेलती हैं और उसके बाद वे अपने फाख्ता वाले कपड़े पहन कर वापस उड़ जाती हैं।
तुम वहाँ जा कर पेड़ों में छिप जाना और जब वे खेल खेल रहीं हों तो उनमें से सबसे सुन्दर लड़.की की पोशाक उठा कर अपनी कमीज के अन्दर छिपा लेना।
वह तुम से कहेगी “मेरी पोशाक दो। मेरी पोशाक दो।” पर तुम उसको उसकी पोशाक मत देना। क्योंकि अगर तुमने उसको उसकी पोशाक दे दी तो वह फिर से फाख्ता बन जायेगी और दूसरी लड़कियों के साथ उड़ जायेगी।”
उस लड़के ने वैसा ही किया जैसा कि उस घोड़े ने उससे करने के लिये कहा था। वह बहुत सुबह ही वहाँ चला गया और एक ऐसी जगह जा कर छिप कर सुबह का और उन लड़कियों का इन्तजार करने लगा जहाँ वे उसको न देख सकें।
कुछ ही देर में उसने देखा कि कुछ फाख्ता वहाँ आ रही थीं। वहाँ आ कर उन्होंने पहले पानी पिया फिर पानी में डुबकी लगायी और पानी में से 12 लड़कियों के रूप में निकल कर बाहर आ गयीं।
वे स्वर्ग की अप्सराएं लग रहीं थीं। बाहर निकलते ही उन्होंने इधर उधर भागना और खेलना श्ुरू कर दिया।
कुछ देर बाद ही वह लड़का आगे बढ़ा और उसने एक पोशाक उठा कर अपनी कमीज के अन्दर रख ली। उसी समय सब लडकियों ने अपने फाख्ता वाले कपड़े पहने और फाख्ता बन कर उड़ गयीं।
पर एक लड़की को अपने कपड़े नहीं मिले। उसको अपने सामने वह लड़का दिखायी दिया तो उसने उससे कहा “मेरी पोशाक दो। मेरी पोशाक दो।”
यह सुन कर वह लड़का वहाँ से भाग लिया। वह लड़की भी अपनी पोशाक लेने के लिये उसके पीछे पीछे भागी। घोड़े ने जो सड़क उसको बतायी थी उसी पर कुछ दूर तक भागने के बाद वह अपने घर पहुँच गया।
घर जा कर उसने उस लड़की को अपनी माँ से मिलाया — “माँ यह मेरी बहू है। इसको किसी भी हालत में घर से बाहर नहीं जाने देना।”
पहाड़ से नीचे उतरने से पहले उसने वहाँ पड़े काफी सारे जवाहरात अपनी जेब में भर लिये थे। जैसे ही वह घर पहुँचा वह उनको बेचने के लिये बाहर चला गया और लड़की को अपनी माँ की देखभाल में छोड़ गया।
वह लड़की बेचारी सारा दिन “मेरी पोशाक दो। मेरी पोशाक दो।” चिल्लाती रही और उस लड़के की माँ भी बेचारी परेशान होती रही कि वह उसकी पोशाक कहाँ से दे।
वह भी कहती रही — “हे भगवान, यह लड़की तो मुझे पागल कर देगी। देखती हूँ मुझे अगर इसकी पोशाक कहीं मिल जाती है तो।”
माँ ने सोचा कि उसके बेटे ने उसकी पोशाक शायद किसी आलमारी में रख दी हो सो उसने आलमारी को देखना शुरू किया तो उसको वह फाख्ता की पोशाक मिल गयी।
उस पोशाक को उसने इस लड़की दिखा कर पूछा — “क्या यही तुम्हारी पोशाक है?”
उसने अभी वह पोशाक आलमारी में से पूरी तरह से निकाली भी नहीं थी कि उस लड़की ने उसको उसके हाथ से छीन लिया और उसको पहन कर उड़ गयी।
यह सब देख कर तो लड़के की माँ बहुत डर गयी। वह सोचने लगी “अब मैं अपने बेटे को क्या जवाब दूँगी? मैं अपने बेटे को कैसे समझाऊँगी कि उसकी बहू कैसे उड़ गयी?”
तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी और उसका बेटा घर आया तो उसने अपनी माँ से उस लड़की के बारे मे पूछा तो माँ ने उसको सब बता दिया।
वह चिल्लाया — “उफ माँ, यह तुमने क्या किया। तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकीं?”
फिर जब वह कुछ शान्त हुआ तो बोला “माँ मुझे आशीर्वाद दो कि मैं उसको ढूँढ सकूँ। मैं उसको फिर से लाने जा रहा हूँ।”
उसने थोड़ी सी डबल रोटी अपने थैले में डाली और चल दिया। जंगल पार कर वह एक ऐसी जगह आ गया जहाँ तीन डाकू आपस में झगड़ रहे थे।
उसको उधर से जाता देख कर डाकुओं ने उसे बुलाया और कहा — “तुम हमारे जज बन जाओ क्योंकि तुम एक बाहर वाले हो। हम लोगों ने तीन चीज़ें चुरायीं हैं और अब यह बहस कर रहे हैं कि कौन क्या ले। तुम ही हमारा फैसला कर दो।”
“वे चीज़ें क्या हैं।”
“एक बटुआ जिसको जभी भी खोलो वह हमेशा पैसों से भरा ही रहता है। एक जूते की जोड़ी जो हवा से भी तेज़ ले जा सकती है और एक शाल जिसको ओढ़ कर आदमी दूसरों को दिखायी नहीं देता।
लड़का बोला — “अच्छा पहले मुझे यह देखने दो कि तुम जो कह रहे हो वह सच है या नहीं।” कह कर पहले उसने जूते पहने फिर उनका बटुआ उठाया और उसके बाद शाल ओढ़ कर उनसे पूछा — “क्या तुम मुझको देख सकते हो?”
डाकुओं ने जवाब दिया — “नहीं, अब हम तुमको नहीं देख सकते।”
“और अब तुम मुझे कभी देखोगे भी नहीं।”
कह कर वह वहाँ से भाग लिया और जादूगर सवीनो के पहाड़ पर पहुँच गया।
वहाँ जा कर वह फिर से उसी तालाब के पास पेड़ों के पीछे छिप गया और जब वे फाख्ता वहाँ पानी पीने और खेलने आती थीं। जब वे वहाँ आयीं तो उसने उस लड़की के कपड़े वहाँ से फिर से उठा लिये जिस पेड़ की शाख से उसने उनको टाँगा था।
जब वह पानी में खेल चुकी तो वह अपनी पोशाक लेने आयी। पर पोशाक को अपनी जगह न पा कर वह फिर बोली — “मेरी पोशाक दो। मेरी पोशाक दो।”
पर इस बार उस लड़के को कोई डर नहीं था सो वह वहाँ से उसकी पोशाक ले कर भाग लिया और भागता चला आया और अपने घर ला कर उसको आग में डाल दिया।
वह लड़की बोली — “अब ठीक है अब मैं हमेशा तुम्हारे पास रहूँगी और तुम्हारी दुलहिन बनूँगी पर पहले तुम जा कर उस जादूगर सवीनो का गला काट दो और उसकी घुड़साल में बँधे 12 घोड़ों को आदमियों में बदल दो।
तुमको बस इतना करना है कि उन घोड़ों की गरदन पर से तीन बाल खींचने हैं। बाल खींचते ही वे आदमी बन जायेंगे।”
लड़के ने अपना वह शाल ओढ़ा जिससे वह दिखायी नहीं देता था और सबसे पहले उसने जादूगर सवीनो का गला काटा। फिर उसकी घुड़साल में गया और सब घोड़ों की गरदन पर से तीन तीन बाल खींच कर उन सबको आदमी बना दिया।
फिर उसने वहाँ से जादूगर के सारे जवाहरात इकठ्ठे किये और उस लड़की को ले कर घर आ गया। घर आ कर उसने उस लड़की से शादी कर ली। वह लड़की तो स्पेन के राजा की लड़की थी।
देश विदेश की लोक कथाओं की सीरीज़ में प्रकाशित पुस्तकें —
36 पुस्तकें www.Scribd.com/Sushma_gupta_1 पर उपलब्ध हैं।
Write to :- E-Mail : hindifolktales@gmail.com
1 नाइजीरिया की लोक कथाएं–1
2 नाइजीरिया की लोक कथाएं–2
3 इथियोपिया की लोक कथाएं–1
4 रैवन की लोक कथाएं–1
नीचे लिखी हुई पुस्तकें ई–मीडियम पर सोसायटी औफ फौकलोर, लन्दन, यू के, के पुस्तकालय में उपलब्ध हैं।
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1 ज़ंज़ीबार की लोक कथाएं — 10 लोक कथाएं — सामान्य छापा, मोटा छापा दोनों में उपलब्ध
2 इथियोपिया की लोक कथाएं–1 — 45 लोक कथाएं — सामान्य छापा, मोटा छापा दोनों में उपलब्ध
नीचे लिखी हुई पुस्तकें हार्ड कापी में बाजार में उपलब्ध हैं।
To obtain them write to :- E-Mail drsapnag@yahoo.com
1 रैवन की लोक कथाएं–1 — इन्द्रा पब्लिशिंग हाउस
2 इथियोपिया की लोक कथाएं–1 — प्रभात प्रकाशन
3 इथियोपिया की लोक कथाएं–2 — प्रभात प्रकाशन
नीचे लिखी पुस्तकें रचनाकार डाट आर्ग पर मुफ्त उपलब्ध हैं जो टैक्स्ट टू स्पीच टैकनोलोजी के द्वारा दृष्टिबाधित लोगों द्वारा भी पढ़ी जा सकती हैं।
1 इथियोपिया की लोक कथाएं–1
http://www.rachanakar.org/2017/08/1-27.html
2 इथियोपिया की लोक कथाएं–2
http://www.rachanakar.org/2017/08/2-1.html
3 रैवन की लोक कथाएं–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1.html
4 रैवन की लोक कथाएं–2
http://www.rachanakar.org/2017/09/2-1.html
5 रैवन की लोक कथाएं–3
http://www.rachanakar.org/2017/09/3-1-1.html
6 इटली की लोक कथाएं–1
http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1_30.html
7 इटली की लोक कथाएं–2
http://www.rachanakar.org/2017/10/2-1.html
http://www.rachanakar.org/2017/10/3-1.html
9 इटली की लोक कथाएं–4
http://www.rachanakar.org/2017/10/4-1.html
http://www.rachanakar.org/2017/10/5-1-italy-lokkatha-5-seb-wali-ladki.html
नीचे लिखी पुस्तकें जुगरनौट डाट इन पर उपलब्ध हैं
1 सोने की लीद करने वाला घोड़ा और अन्य अफ्रीकी लोक कथाएं
https://www.juggernaut.in/books/8f02d00bf78a4a1dac9663c2a9449940
2 असन्तुष्ट लड़की और अन्य अमेरिकी लोक कथाएं
https://www.juggernaut.in/books/2b858afc522c4016809e1e7f2f4ecb81
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Updated on Sep 27, 2017
लेखिका के बारे में
सुषमा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में सन् 1943 में हुआ था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र और अर्थ शास्त्र में ऐम ए किया और फिर मेरठ विश्वविद्यालय से बी ऐड किया। 1976 में ये नाइजीरिया चली गयीं। वहाँ इन्होंने यूनिवर्सिटी औफ़ इबादान से लाइबे्ररी साइन्स में ऐम ऐल ऐस किया और एक थियोलोजीकल कौलिज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहाँ से फिर ये इथियोपिया चली गयीं और वहाँ एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी के इन्स्टीट्यूट औफ़ इथियोपियन स्टडीज़ की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात इनको दक्षिणी अफ्रीका के एक देश. लिसोठो के विश्वविद्यालय में इन्स्टीट्यूट औफ़ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज़ में 1 साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से 1993 में ये यू ऐस ए आ गयीं जहाँ इन्होंने फिर से मास्टर औफ़ लाइब्रेरी एंड इनफौर्मेशन साइन्स किया। फिर 4 साल ओटोमोटिव इन्डस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में इन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और अपनी एक वेब साइट बनायी – www.sushmajee.com। तब से ये उसी वेब साइट पर काम कर रहीं हैं। उस वेब साइट में हिन्दू धर्म के साथ साथ बच्चों के लिये भी काफी सामग्री है।
भिन्न भिन्न देशों में रहने से इनको अपने कार्यकाल में वहाँ की बहुत सारी लोक कथाओं को जानने का अवसर मिला – कुछ पढ़ने से, कुछ लोगों से सुनने से और कुछ ऐसे साधनों से जो केवल इन्हीं को उपलब्ध थे। उन सबको देख कर इनको ऐसा लगा कि ये लोक कथाएं हिन्दी जानने वाले बच्चों और हिन्दी में रिसर्च करने वालों को तो कभी उपलब्ध ही नहीं हो पायेंगी – हिन्दी की तो बात ही अलग है अंग्रेजी में भी नहीं मिल पायेंगीं।
इसलिये इन्होंने न्यूनतम हिन्दी पढ़ने वालों को ध्यान में रखते हुए उन लोक कथाओं को हिन्दी में लिखना पा्ररम्भ किया। इन लोक कथाओं में अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के देशों की लोक कथाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों की भी कुछ लोक कथाएं सम्मिलित कर ली गयी हैं।
अभी तक 1200 से अधिक लोक कथाएं हिन्दी में लिखी जा चुकी है। इनको “देश विदेश की लोक कथाएं” क्रम में प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है। आशा है कि इस प्रकाशन के माध्यम से हम इन लोक कथाओं को जन जन तक पहुँचा सकेंगे।
विंडसर, कैनेडा
मई 2016
[1] The Dove Girl (Story No 164) – a folktale from Italy from its Palermo area.
Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[2] A Greek
[3] Saddling – when a horse is adorned with all kinds of things – seat, reins etc before riding, it is called Saddling.
[4] Translated for the word “Eagle”. See its picture above.
[5] Wizard Savino
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(समाप्त….)
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