देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 : 8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी // सुषमा गुप्ता

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8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी [1] एक बार एक आदमी था जिसके दो बेटे थे। जब उसको लगा कि वह मरने वाला है तो उसने अपने बड़े बेटे को बुलाया और कहा — “...

8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी[1]

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एक बार एक आदमी था जिसके दो बेटे थे। जब उसको लगा कि वह मरने वाला है तो उसने अपने बड़े बेटे को बुलाया और कहा — “बेटा, मैं तो अब मरने वाला हूँ मेरे और जीने की अब कोई उम्मीद भी नहीं है। तुम मुझे बताओ कि तुमको क्या चाहिये मेरा आशीर्वाद या मेरे पैसे?”

इधर उधर की बातें किये बिना ही वह लड़का बोला — “मुझे तो आप अपना पैसा दे दीजिये पिता जी, क्योंकि केवल आपके आशीर्वाद से तो मैं भूखा ही मर जाऊँगा।”

उसके बाद उसने अपने छोटे बेटे को बुलाया और उससे भी वही सवाल पूछा तो पहले तो उसका बेटा यह सुन कर रो पड़ा कि उसका पिता मरने वाला है क्योंकि वह अपने पिता को बहुत प्यार करता था।

फिर सँभल कर बोला — “पिता जी, पैसे की मेरे लिये कोई कीमत नहीं है मुझे तो केवल आपका आशीर्वाद चाहिये।” और उसको आशीर्वाद दे कर उनका पिता मर गया।

उसके दोनों बेटे उसको दफ़नाने के लिये कब्रिस्तान ले गये। छोटा बेटा जिसके पास अपने पिता का केवल आशीर्वाद था बहुत रोया जबकि बड़ा बेटा जिसको उसकी सारी जायदाद और पैसा मिला था वह वहाँ खड़े खड़े भी यह सोच रहा था कि वह अपने पिता के उस पैसे और जायदाद को किस तरीके से इस्तेमाल करेगा।

आखीर में उसने निश्चय किया कि वह एक कैफ़े खोलेगा और उसने एक कैफ़े खोल लिया और उसके काउन्टर के पीछे खड़ा हो गया। उसका छोटा भाई जिसका नाम फ्रान्सैस्को[2] था अपनी किस्मत आजमाने के लिये घर छोड़ कर बाहर की दुनियाँ में चल दिया।

काफी चलने के बाद एक शाम को उसको एक छोटी सी रोशनी दिखायी दी। वह रोशनी उससे बहुत दूर थी। उसको देख कर उसने सोचा — “अगर भगवान ने चाहा तो मुझे वहाँ पहुँचना ही चाहिये।”

सो भगवान ने भी वैसा ही चाहा जैसा उसने चाहा और वह वहाँ पहुँच गया। वहाँ एक महल था। वहाँ पहुँच कर उसने उस महल का दरवाजा खटखटाया तो सात पोशाकों वाली एक सुन्दरी अपनी सात नौजवान स्त्रियों के साथ दरवाजा खोल कर बाहर आयी और उसको अन्दर ले गयी। उसने उसको खाना खिलाया और सोने की जगह दी।

सुबह को उस सुन्दरी ने उस नौजवान से बातें की तो उसको लगा कि उसको उस नौजवान से शादी कर लेनी चाहिये क्योंकि वह उसके रूप रंग और उठने बैठने के ढंग से बहुत प्रभावित थी।

उसने उससे यह बात कह ही दी कि वह उससे शादी करना चाहती है। वह खुद भी बहुत सुन्दर थी और देखने में भी शानदार थी सो कुछ ही दिन में उनकी शादी हो गयी।

एक दिन जब वे खिड़की के बाहर बागीचे की तरफ देख रहे थे तो उस सुन्दरी ने अपने पति से कहा — “चिचिलो[3], क्या तुमको पेड़ पर टँगी वह सात हिस्सों वाली पोशाक दिखायी दे रही है?”

उसने ऐसा इसलिये कहा कि उस एक पोशाक में ही एक के अन्दर एक सात पोशाकें शामिल थीं।

वह बोला — “हाँ हाँ दिखायी दे रही है। पर तुम यह मुझसे क्यों पूछ रही हो?”

सुन्दरी बोली — “मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि अगर कोई चिड़िया उस पोशाक पर आ कर बैठ जाये और तुम उसको पकड़ लो तो तुम मुझे फिर कभी नहीं देख पाओगे। और अगर तुमने कहीं उस चिड़िया को मार दिया तो फिर तो वह फ्राक ही उड़ जायेगी और मैं बहुत मुश्किल में पड़ जाऊँगी।

और अगर इससे कुछ और भी ज़्यादा हुआ तो इस कमरे में एक लाल पोशाक रखी है तुम उसको पहन लेना और मेरी खोज में यह घर छोड़ देना। फिर मैं देखूँगी कि तुम मुझको फिर से पा सकोगे।”

और फिर एक दिन ऐसा ही हुआ कि जब वह नौजवान शिकार पर गया हुआ था एक चिड़िया उस सात हिस्से वाली फ्राक पर आ कर बैठ गयी। चिचिलो अपने शिकार के मूड में था सो उसने ध्यान ही नहीं दिया कि वह किसको मार रहा है और उसने उस चिड़िया को मार दिया।

चिड़िया के मरते ही वह सात हिस्से वाली फ्राक तुरन्त ही हवा में उड़ने लगी और ऑखों से ओझल हो गयी। तब चिचिलो को अपनी पत्नी की बात याद आयी। पागल सा वह अपने घर की तरफ दौड़ा। उसको डर था कि घर में जरूर ही कुछ बहुत बुरा हो गया है।

उसको वहाँ देख कर सुन्दरी ने उससे पूछा कि क्या मामला है। वह इतना घबराया हुआ क्यों है पर उसको कुछ भी बताने की उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

सुन्दरी को कुछ शक सा हुआ तो उसने पेड़ के ऊपर की तरफ देखा तो पाया कि वह सात हिस्से वाली फ्राक तो वहाँ से जा चुकी थी।

इस पर तो वह बहुत परेशान हो गयी और बोली — “मुझे धोखा दिया गया है। मेरे साथ छल किया गया है। अब वे लोग आयेंगे और मुझे यहाँ से ले जायेंगे। याद रखना अगर ऐसा कुछ हुआ तो वह लाल पोशाक पहन लेना और मुझे छोड़ना नहीं।”

अब हम इन दोनों को तो यहीं छोड़ते हैं और सात हिस्से वाली फ्राक के पीछे पीछे चलते हैं। वह फ्राक उड़ती चली जा रही थी उड़ती चली जा रही थी। उड़ते उड़ते वह एक महल के पास जा पहुँची।

वहाँ से वह खिड़की से हो कर महल के अन्दर घुस गयी और उस महल के राजा की मेज के पास आ कर रुक गयी। राजा वहाँ उस मेज पर बैठा बैठा कुछ लिख रहा था।

राजा ने उस सात हिस्से वाली पोशाक को इधर उधर से देखा तो उसको आश्चर्य हुआ कि वह पोशाक किसकी है। उसने वहाँ के लोगों से भी पूछा पर किसी को उस पोशाक के बारे में कुछ पता नहीं था।

तभी एक बुढ़िया को पता चला कि राजा एक सात हिस्सों वाली फ्राक के बारे में पता करने की कोशिश कर रहा है तो वह राजा के पास गयी और बोली — “मैं इस पोशाक की मालकिन को ढूँढ कर ला सकती हूँ।”

राजा ने पूछा — “तुम्हें उसको ढूँढने के लिये क्या चाहिये?”

बुढ़िया बोली — “मुझे रोज़ोलियो[4] की दवा मिलायी हुई बोतल चाहिये। एक पौंड मिठाई चाहिये। वह भी दवा मिलायी हुई होनी चाहिये। फिर बाकी मुझ पर छोड़ दीजिये।

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हाँ मुझे एक अच्छे गाड़ीवान के साथ साथ एक अच्छी गाड़ी की भी जरूरत है। मैं अपने कपड़ों में एक खंजर[5] छिपा कर उस गाड़ी में जाऊँगी।”

राजा ने उसको वे सब चीज़ें दे दीं जो उसने माँगी थीं और वह बुढ़िया उस गाड़ी में बैठ कर चल दी।

जब वे कुछ दूर चले गये तो उसने गाड़ीवान को एक महल के सामने रोक कर कहा — “तुम यहाँ मेरा इन्तजार करो और जब मैं तुमको पुकारूँ तो तुम अन्दर चले आना।”

उस समय बारिश हो रही थी। वह सीधी महल में चली गयी। वहाँ जा कर उसने महल का दरवाजा खटखटाया तो उस लड़की का पति सात नौजवान स्त्रियों के साथ उसको अन्दर ले जाने के लिये बाहर आया।

बुढ़िया ने उससे रात को ठहरने की जगह माँगी तो पति ने उसका खुशी से स्वागत किया और उसको महल के अन्दर ले गया। अन्दर ले जा कर वह उसको खाना खाने के लिये मेज पर ले गया।

मेज पर बैठ कर उस बुढ़िया ने अपनी वह दवा मिली रोज़ोलियो और मिठाई निकाली और बोली — “यह आप जैसे बड़े लोगों के लिये ठीक तो नहीं है पर आप लोग इसको मेरी खुशी के लिये खा लें।

मेरी बेटी की अभी अभी शादी हुई है और मैं यह थोड़ी ही चीज़ अपने साथ ला सकी हूँ ताकि आप लोग भी इस मौके की खुशी मना सकें।”

जब सबने वह मिठाई खा ली तो वे पति पत्नी दोनों बेहोश हो कर गिर पड़े। उस बुढ़िया ने अपना खंजर निकाला और उसने उससे उस राजकुमारी के पति को मार डाला।

फिर उसने गाड़ीवान को आवाज लगायी जो बाहर उसके पुकारने का इन्तजार कर रहा था। बुढ़िया की पुकार सुन कर वह तुरन्त ही अन्दर आ गया।

दोनों ने सुन्दरी को उठाया – एक ने सिर की तरफ से दूसरे ने पैर की तरफ से और उसको गाड़ी में रख दिया जैसे कि वह सो रही हो। उसको गाड़ी में बिठाने के बाद वे राजा के पास दौड़ चले।

राजा उनका बड़ी बेचैनी से इन्तजार कर रहा था। जब वह बुढ़िया वहाँ पहुँची तो उसने सुन्दरी को एक कमरे में अकेले लिटा दिया जब तक वह होश में आती।

सुबह को राजा उसके कमरे में गया तो उसको जगा हुआ पाया पर वह अपनी बदकिस्मती पर रो रही थी। राजा ने उसको तसल्ली देने की कोशिश की पर फिर अचानक पूछा — “हम शादी कब करेंगे?”

इस सवाल पर सुन्दरी ने उसके ऊपर बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया।अब क्योंकि उस लड़की को चुप करने का और कोई तरीका नहीं था इसलिये उस समय राजा वहाँ से उठ कर चला गया।

एक महीने बाद राजा वहाँ फिर वापस आया और अपना वही सवाल उससे फिर से पूछा तो सुन्दरी ने जवाब दिया — “जब तुमको कोई आदमी पूरा का पूरा लाल पोशाक पहने मिल जायेगा तब मैं तुमसे शादी करूँगी।”

राजा ने आराम की साँस ली और सारी दुनियाँ में टैलीग्राफ के जरिये खबर भेज दी कि जैसे ही उनको कोई आदमी पूरा का पूरा लाल पोशाक पहने मिल जाये तो वह उसको राजा के पास ले आयें।

पर चिचिलो तो मर चुका था। उस बुढ़िया ने उसको खंजर मार मार कर मार दिया था सो पूरी की पूरी लाल पोशाक वाला आदमी अब किसी को कहाँ से मिलता।

एक दिन चिचिलो का बड़ा भाई जिसने कैफ़े खोला था बहुत गरीब हो गया तो उसने सोचा कि वह किसी और देश में जाये और वहाँ जा कर अपनी किस्मत आजमाये।

सो इत्तफाक से वह भी उसी सड़क पर चल दिया जिस पर उसका छोटा भाई गया था और उसी महल में आ गया जहाँ वह सुन्दरी रहती थी। उसने भी आ कर उस महल का दरवाजा खटखटाया तो सात नौजवान स्त्रियों ने दरवाजा खोला।

उस भाई को देख कर उनको लगा कि वह तो मरा हुआ चिचिलो था क्योंकि दोनों भाइयों की सूरत बहुत मिलती थी। उसको देख कर उन्होंने पूछा — “अरे तुम ज़िन्दा हो गये?”

यह सुन कर बड़ा भाई आश्चर्य से बोला — “क्या मतलब?”

स्त्रियों ने पूछा — “तुम्हारा कोई भाई था क्या जो तुम जैसा दिखायी देता था?”

बड़ा भाई बोला — “हाँ मेरा एक छोटा भाई है पर तुम यह सब क्यों पूछ रही हो?”

तब वे बोलीं — “आओ हमारे साथ आओ तब तुमको पता चलेगा।” कह कर वे उसको एक कमरे में ले गयीं जहाँ एक आदमी मरा पड़ा था। वह मरा हुआ आदमी उसका भाई था।

जैसे ही बड़े भाई ने उस आदमी को देखा तो वह रोने लगा — “ओह मेरे भाई, ओह मेरे भाई।”

उन सातों स्त्रियों ने उसको तसल्ली दी और बताया कि किस तरह चिचिलो को किस बेरहमी से मारा गया था। उन्होंने उस आये हुए आदमी को वहीं अपने पास ही ठहरा लिया।


एक दिन यह बड़ा भाई सुबह को दरवाजे पर खड़ा हुआ था कि उसने दो गिरगिट देखे – एक बड़ा और एक छोटा। देखते देखते बड़े वाले गिरगिट ने छोटे वाले गिरगिट को मार दिया और वहाँ से चला गया।

कुछ देर बाद वह एक तरह का पत्ता लिये लौटा और उस पत्ते को उस मरे हुए गिरगिट के शरीर पर मल दिया। वह उस पत्ते को उसके शरीर पर तब तक मलता रहा जब तक कि वह ज़िन्दा नहीं हो गया।

बड़े भाई को यह देख कर आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी। उसने सोचा कि इस पत्ते से तो वह अपने भाई को भी ज़िन्दा कर सकता था और फिर वैसे भी कोशिश करने में क्या हर्ज था।

सो उसने भी वह पत्ता तोड़ा और अपने मरे हुए भाई के सारे शरीर पर मल दिया। कुछ ही देर में वह भी ज़िन्दा हो गया। ज़िन्दा होते ही उसने अपनी पत्नी के बारे में पूछा तो उसको अपनी पत्नी की दी गयी चेतावनी याद आ गयी।

उसने तुरन्त ही उस कमरे में रखी लाल पोशाक पहनी और उसको दुनियाँ भर में ढूँढने चल दिया।

उसी दिन उस सुन्दरी की शादी राजा से होने वाली थी। राजा के आदमी लाल पोशाक वाले आदमी को ढूँढने में नाकामयाब रहे थे सो सुन्दरी ने उसके मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी और सोच लिया था कि शायद वह मर गया होगा इसलिये वह राजा से शादी करने पर तैयार हो गयी थी।

चिचिलो घूमता घूमता उसी शहर में आ गया था जिसमें सुन्दरी की शादी होने वाली थी। इतने दिनों की बेकार की खोज के बाद जब लोगों ने एक पूरे के पूरे लाल पोशाक वाले आदमी देखा तो उन्होंने उसको रोक लिया और उसको राजा के पास ले गये।

राजा उसको देख कर जल्दी से यह बात सुन्दरी को बताने गया कि उसको लाल पोशाक वाला आदमी मिल गया है और इस तरह अब उसकी शर्त पूरी हो गयी है और अब उनकी शादी में कोई अड़चन नहीं है।

यह सुन कर सुन्दरी बोली कि पहले वह उस लाल पोशाक वाले आदमी से खुद बात करेगी। उस लाल पोशाक वाले आदमी को एक बन्द कमरे में अकेला लाया गया। वहाँ उन दोनों ने अपनी अपनी बदकिस्मती की कहानी कहते हुए और आगे का प्लान बनाते हुए सारी रात गुजार दी।

सुन्दरी के पास महल की सारी चाभियाँ थीं। रात को जब राजा गहरी नींद सो गया तो वे दोनों उठे, दो गधों पर पैसों के थैले लादे और महल से भाग लिये।

सारा दिन चलते चलते जब अ‍ँधेरा हो आया तो उनको एक घुड़साल मिली। उन्होंने वहीं भूसे का एक जितना मुलायम और आरामदेह बिस्तर बन सकता था बनाया और लेट गये।

उस घुड़साल की छत पर एक शराबी खर्राटे मार कर सो रहा था और बार बार करवटें बदल रहा था। करवटें बदलते समय एक दफा वह ऊपर से नीचे गिर पड़ा और उन दोनों पति पत्नी के बीच में आ गिरा। गिर कर वह उस भूसे में नीचे को धँस गया। पर फिर भी वह न तो जागा और ना ही उसने खर्राटे मारना छोड़ा।

सुबह को सुन्दरी सबसे पहले जागी। फिर उसने अपने पति को जगाया — “चिचिलो जागो, हमको देर हो रही है। हमको अपने पैसों वाले गधे पर चढ़ कर यहाँ से जल्दी ही निकल जाना चाहिये।

पर उसका पति अभी भी बहुत गहरी नींद सो रहा था सो उसने तो सुना ही नहीं। पर उस शराबी के कानों में पैसों का नाम पड़ा तो उसने तुरन्त ही जवाब दिया — “हाँ हाँ चलो चलो, हमको चल देना चाहिये।”

सुन्दरी ने उसकी आवाज नहीं पहचानी। अभी दिन नहीं निकला था और अ‍ँधेरा ही था इसलिये वह उस आदमी को भी नहीं पहचान सकी और दोनों गधों की तरफ चल दिये और फिर गधों पर सवार हो कर अपने रास्ते चल दिये।

जब दिन निकल आया तब सुन्दरी ने देखा कि उसके साथ जाने वाला आदमी तो उसका पति नहीं था वह तो कोई और था। उसने उससे लड़ना शुरू कर दिया।

अब उस शराबी के पास एक ही रास्ता था। वह बढ़ा और उसने सुन्दरी को धक्का दे कर गधे से नीचे गिरा दिया। उसने सुन्दरी को तो वहीं रोते धोते छोड़ा और पैसे और दोनों गधों को ले कर वहाँ से चलता बना।

अब सुन्दरी को फिर पता नहीं था कि वह अपने पति को कैसे ढूँढे क्योंकि वह तो उस शराबी के साथ बहुत दूर तक निकल आयी थी और वह शराबी उनके दोनों गधे ले कर चला गया था।

सो उसको पैदल ही वापस जाना पड़ा। चलते चलते वह एक भूसे के ढेर के पास आयी जहाँ उसको खेत में काम करने वाला एक लड़का मिल गया। उसने उससे बहुत प्रार्थना की कि वह उसको अपने कपड़े दे दे।

उस लड़के ने उसको अपने कपड़े दे दिये। सुन्दरी उन कपड़ों को पहन कर आदमी के वेश में अब आगे चलने लगी। इस तरह वेश बदलने से उसको अब खतरा कम था।

उसके पति का अभी तक कोई पता नहीं था। अपने खाने पीने के लिये उसने एक आटा पीसने वाले की दूकान पर नौकरी कर ली थी। यह आटा पीसने वाला राजा के नोटरी[6] का आटा पीसता था।

सुन्दरी का काम इस आटा पीसने वाले का हिसाब किताब रखना था। उसकी लिखाई इतनी सुन्दर और साफ थी कि उस आटा पीसने वाले ने इतनी सुन्दर और साफ लिखाई इससे पहले कभी किसी की नहीं देखी थी।

नोटरी को जब इस बात का पता चला कि उसके आटा पीसने वाले के यहाँ एक लड़का काम करता है जिसकी लिखाई बहुत सुन्दर और साफ है तो उसने उसको अपने यहाँ नौकर रख लिया सो अब वह नोटरी का हिसाब किताब रखने लगी।

जब नोटरी ने अपने हिसाब की किताब राजा को दिखायी तो राजा भी उसकी लिखाई से बहुत प्रभावित हुआ और उसने उस लड़के को अपनी सेवा में रख लिया।

इस बीच वह राजा जो सुन्दरी से शादी करना चाहता था मर गया। क्योंकि अगली सुबह जब उसने देखा कि उसकी होने वाली दुलहिन उस लाल पोशाक वाले के साथ भाग गयी है तो उसने दीवार से अपना सिर मार मार कर आत्महत्या कर ली।

अब उसके राज्य का वारिस कौन बने? वह राजा जिसने उस खेत वाले लड़के को अपने पास रखा था उसके राज्य का राजा बन गया।

सो उसने उस लड़के को उस मरे हुए राजा के राज्य में गवर्नर बना कर भेजा और उससे कहा कि वह वहाँ जा कर घोषणा करवा दे कि वह नये राजा की जगह उस राज्य के राजा का काम करेगा।

खेत वाले लड़के ने कहा कि अगर उसको वहाँ राज्य करना है तो उसको वहाँ के राज्य के हर आदमी पर राज करने के पूरे अधिकार दिये जायें।

वह राजा उसकी बात मान गया और उसने उसको वहाँ के राज्य के हर आदमी पर राज करने के उसको पूरे अधिकार दे दिये।

मरे हुए राजा के राज्य में आने पर सबसे पहला काम तो उसने यह किया कि उसने यह खबर सारे राज्य में फैला दी कि वहाँ का हर आदमी जिसके साथ कोई भी असाधारण घटना हुई हो वह उसके सामने आये, अपनी वह असाधारण घटना सुनाये और इसके बदले में वह उसको पैसों का एक थैला देगा।

यह खबर फैली तो पहला आदमी जो उसके सामने अपनी असाधारण कहानी सुनाने आया वह थी वह बुढ़िया जिसने उसके पति को मारा था और उसकी पत्नी, यानी उसको खुद को बेहोश करके उठा कर ले गयी थी।

गवर्नर बोला — “ओ नीच, तूने यहाँ आ कर यह सब कहने की मुझसे हिम्मत कैसे की?” और उसने उसको उबलते पानी के कड़ाह में डाल देने का हुक्म सुना दिया।

उसके बाद आया वह शराबी जो उसको और उसके गधों को पैसों के साथ चुरा कर भाग गया था। उसको भी वह बोला — “ओ चोर, तूने एक औरत को लूटा और फिर यह बात बताने के लिये यहाँ भी चला आया?” सो उसने उसको एक खतरनाक चोर कहते हुए फाँसी की सजा सुना दी।

इन दोनों से निपटने के बाद आया उसका अपना पति अपनी कहानी सुनाने। उन दोनों ने एक दूसरे को आपस में देखते ही पहचान लिया और एक दूसरे के गले लग गये।

वह गवर्नर अन्दर गया और अपने कपड़े बदल कर आया। अब वह अपनी सात हिस्सों वाली फ्राक पहने थी और उसका पूरा शरीर गुलाब के फूल की तरह खिला हुआ था। उन लोगों ने फिर बहुत बढ़िया खाना खाया।

चिचिलो ने अपने बड़े भाई को भी वहीं रहने के लिये बुला लिया और उन सातों स्त्रियों को भी। चिचिलो वहाँ का राजा बन गया।

यह सब उसके पिता के आशीर्वाद का नतीजा था कि वह आज राजा बन गया था।


[1] Beauty With the Seven Dresses (Story No 143) – a folktale from Italy from its Calabria area.

Adaped from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Francesco – the name of the younger son.

[3] Ciccillo – maybe the younger son’s nickname

[4] Rosolio - Rosolio is a type of Italian liquor derived from rose petals, and which is often used as the basis for the preparation of other liquors of various flavors.

[5] Translated for the word “Dagger”. A middle size knife. See its picture above

[6] A notary public of the common law is a public officer constituted by law to serve the public in non-contentious matters usually concerned with estates, deeds, powers-of-attorney, and foreign and international business. A notary's main functions are to administer oaths and affirmations, take affidavits and statutory declarations, witness and authenticate the execution of certain classes of documents, take acknowledgments of deeds and other conveyances, protest notes and bills of exchange, provide notice of foreign drafts, prepare marine or ship's protests in cases of damage, provide exemplifications and notarial copies, and perform certain other official acts depending on the jurisdiction.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 : 8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 : 8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी // सुषमा गुप्ता
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