3 राजकुमारियाँ जो पहले राहगीर से ब्याही गयीं [1] एक बार एक राजा था जिसके चार बच्चे थे – तीन लड़कियाँ और एक लड़का। यह लड़का उसका वारिस और होने व...
3 राजकुमारियाँ जो पहले राहगीर से ब्याही गयीं[1]
एक बार एक राजा था जिसके चार बच्चे थे – तीन लड़कियाँ और एक लड़का। यह लड़का उसका वारिस और होने वाला राजा था।
एक बार राजा बहुत बीमार पड़ा तो उसने अपने बेटे को बुलाया और उससे कहा — “बेटा मैं अब बचूँगा नहीं इसलिये तुम वैसा ही करो जैसा मैं कहता हूँ।
जब तुम्हारी बहिनें शादी लायक हो जायें तो उनको महल के छज्जे पर खड़ा कर देना और नीचे सड़क पर जो भी पहला आदमी आये, चाहे वह गँवार किसान हो या कोई विद्वान और या फिर कोई कुलीन आदमी उसी से उनकी शादी कर देना।”
इतना कह कर राजा मर गया। जब राजकुमार की सबसे बड़ी बहिन शादी के लायक हुई तो राजकुमार ने उससे छज्जे पर खड़े होने के लिये कहा। वह छज्जे पर जा कर खड़ी हो गयी।
वहाँ से सबसे पहला गुजरने वाला आदमी एक नंगे पाँव वाला आदमी था। उसको देख कर राजकुमार ने उससे कहा — “दोस्त, ज़रा रुको।”
आदमी ने पूछा — “क्या बात है सरकार? मुझे देर हो रही है। मेरे सूअर भूखे हैं मुझे उनको घास के मैदान में खाना खिलाने के लिये ले कर जाना है।”
राजकुमार बोला — “आप ज़रा यहाँ बैठें, मुझे आपसे अकेले में कुछ बात करनी है। मैं अपनी सबसे बड़ी बहिन की शादी आपसे करना चाहता हूँ।”
यह सुन कर तो वह आदमी आश्चर्य में पड़ गया। उसको अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। वह बोला — “सरकार आप मजाक कर रहे हैं। मैं तो एक बहुत ही गरीब सूअर चराने वाला आदमी हूँ। मैं एक राजकुमारी से शादी कैसे कर सकता हूँ।”
राजकुमार बोला — “पर मेरी बहिन से यह शादी आप मेरे पिता की इच्छा के अनुसार ही कर रहे हैं इसलिये चिन्ता की कोई बात नहीं है बस आप हाँ कर दें।”
इस तरह उस राजकुमारी और उस सूअर चराने वाले की शादी हो गयी और इस तरह उसकी सबसे बड़ी बहिन महल छोड़ कर उस सूअर चराने वाले के साथ चली गयी।
अब दूसरी बहिन की शादी की बारी आयी तो राजकुमार ने उससे भी बाहर छज्जे पर खड़ा होने के लिये कहा और फिर जो भी पहला आदमी सड़क पर दिखायी दिया उसको बुलाया गया।
वह आदमी बोला — “मेहरबानी करके मुझे देर मत कीजिये मैं ज़रा जल्दी में हूँ। मैंने चिड़ियें पकड़ने के लिये जाल बिछाया हुआ है। मुझे जा कर देखना है कि मेरे उस जाल में कोई चिड़िया फँसी या नहीं।”
राजकुमार बोला — “उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। थोड़ी देर के लिये आप अन्दर आइये मुझे आपसे कुछ बात करनी है।”
अन्दर ले जा कर उसने अपनी बीच वाली बहिन का हाथ उसको सौंपा तो वह बोला — “सरकार यह कैसे हो सकता है? मैं तो एक गरीब चिड़िया पकड़ने वाला हूँ। मैं एक शाही खानदान की बेटी से शादी कैसे कर सकता हूँ?”
राजकुमार बोला — “मेरे पिता की यही आखिरी इच्छा थी कि मैं सड़क पर जाने वाले पहले आदमी से अपनी बहिन की शादी कर दूँ। अब आप ही मुझे ऐसे पहले आदमी मिले हैं सो मैं अपनी बहिन आपको सौंपना चाहता हूँ। अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो।”
चिड़िया पकड़ने वाले को भला क्या ऐतराज हो सकता था सो उसने अपनी दूसरी बहिन की शादी उस चिड़िया पकड़ने वाले से कर दी। वे लोग भी महल से चले गये।
जब उसकी तीसरी और सबसे छोटी बहिन बाहर छज्जे पर गयी तो सबसे पहला आदमी जो सड़क पर गुजरा वह एक कब्र खोदने वाला था।
हालाँकि यह देख कर राजकुमार को बहुत दुख हुआ कि वह अपनी सबसे प्यारी बहिन की शादी एक कब्र खोदने वाले से कर रहा था पर फिर भी अपने पिता की इच्छा के अनुसार उसने उसकी शादी उस कब्र खोदने वाले से ही कर दी और वह भी महल छोड़ कर अपने पति के साथ चली गयी।
जब उसकी सारी बहिनें ससुराल चली गयीं तो वह महल में अकेला रह गया। एक दिन उसने सोचा क्या हो अगर मैं भी अपनी बहिनों की तरह से ही किसी ऐसी स्त्री से शादी कर लूँ जो मुझे सड़क पर सबसे पहले दिखायी दे जाये। देखता हूँ कि मेरी किस्मत में कौन आती है।
सो समय आने पर वह खुद भी महल के छज्जे पर जा कर खड़ा हो गया। सबसे पहला आदमी जो उधर से गुजरा वह थी एक बूढ़ी धोबिन। उसने उस बूढ़ी धोबिन को बुलाया — “ओ दोस्त, ज़रा रुको।”
“अरे मैं तुम्हारी दोस्त कैसे हो गयी राजकुमार? फिर भी बोलो तुमको मुझसे क्या चाहिये?”
“मेहरबानी करके आप ज़रा अन्दर आइये। मुझे आपसे कुछ बात करनी है। यह बहुत जल्दी का काम है।”
“इतनी जल्दी का भी क्या काम है? मुझे नदी पर जा कर कपड़े धोने है।”
तब राजकुमार ज़रा सख्ती से बोला — “मैं तुमको हुकुम देता हूँ कि तुम अन्दर आओ।”
उस बु.िढ़या ने लड़ने की सी निगाह उसके ऊपर डाल कर कहा — “देखो तो ज़रा इस लड़के को। इस बुढ़िया से लड़ कर तो देखो ज़रा तब मैं तुम्हें बताती हूँ।”
कहते हुए उसने राजकुमार को गाली दी और उसके पास चली गयी। राजकुमार ने उससे कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है।
वह बोली — “तुम पागल हो गये हो क्या? अरे अगर तुम्हें शादी ही करनी है तो जाओ और जा कर फूल वाली[2] से शादी करो तब देखूँ मैं तुमको।” और यह कह कर वह वहाँ से चली गयी।
राजकुमार ने तो ऐसी भाषा पहले कभी सुनी नहीं थी सो उसकी गाली सुन कर तो राजकुमार के पैर काँप गये। गिरने से बचने के लिये उसने छज्जे की रेलिंग पकड़ ली।
लेकिन उस लड़की का नाम सुन कर उसकी उस लड़की से शादी करने की इच्छा हो आयी। वह नाम उसके दिमाग में घुस गया था।
उसने सोचा इसके लिये तो अगर मुझे घर छोड़ कर दुनियाँ भी घूमनी पड़ तो मैं घूमूँगा जब तक कि मैं उस “फूल वाली” का पता न लगा लूँ।
ऐसा सोच कर वह दुनियाँ घूमने निकल पड़ा। उसने आधी दुनियाँ घूम ली पर किसी को उस फूल वाली का पता ही नहीं था। उसको घूमते घूमते अब तक तीन साल हो चुके थे।
कि एक दिन वह एक मैदान में आ निकला। वहाँ उसको पहले सूअर का एक झुंड मिला, फिर दूसरा और फिर तीसरा झुंड मिला।
वह उन झुंडों में घुस गया और अपना आगे का रास्ता खोजने लगा। जल्दी ही वह एक महल के सामने आ पहुँचा। उसने उस महल का दरवाजा खटखटाया और बोला — “क्या कोई घर पर है? मुझे रात को सोने के लिये जगह चाहिये।”
एक स्त्री ने महल का दरवाजा खोला और राजकुमार को देखते ही अपनी बाँहें उसके गले में डाल दीं। “भैया।” राजकुमार ने भी उसको पहचान लिया वह उसकी सबसे बड़ी बहिन थी जिसको उसने एक सूअर पालने वाले से ब्याहा था।
तभी वह सूअर पालने वाला भी वहाँ आ गया। राजकुमार तो उसको देख कर पहचान भी न सका। वह तो एक लौर्ड की तरह से दिखायी दे रहा था।
उन दोनों ने राजकुमार को अपना महल दिखाया और बताया कि उसकी दूसरी दोनों बहिनें भी इतनी ही अमीर थीं और उनके घर भी ऐसे ही थे।
फिर राजकुमार ने अपनी बहिन से पूछा — “मैं फूल वाली को ढूँढने निकला हूँ। क्या तुम जानती हो कि यह फूल वाली कौन है और कहाँ रहती हैं?”
उसकी बहिन बोली — “हम तो उस फूल वाली को नहीं जानते पर तुम दूसरी बहिनों के पास चले जाओ हो सकता है कि वे जानती हों।”
उसका जीजा बोला — “और अगर तुम किसी खतरे में पड़ जाओ तो लो सूअर के ये तीन बाल ले जाओ। इनमें से एक बाल जमीन पर फेंक देना तुम तुरन्त ही उस खतरे से बाहर निकल आओगे।”
राजकुमार ने वे बाल लिये और अपने सफर पर आगे चल दिया। काफी दूर चलने के बाद वह एक जंगल में आ पहुँचा। हर पेड़ की हर शाख पर चिड़ियों ने बसेरा कर रखा था।
बहुत सारी चिड़ियें आसमान में भी उड़ रहीं थीं। वे सब इतनी ज़्यादा थीं कि आसमान भी दिखायी नहीं दे रहा था। वे सब एक साथ और इतनी ज़ोर ज़ोर से बोल रही थीं जिससे कान फटे जा रहे थे।
और इन सबके बीच में था उसकी बीच वाली बहिन का महल। उसकी यह बहिन उसकी बड़ी वाली बहिन से भी ज़्यादा अमीर थी। पहले उसका पति एक गरीब चिड़िया पकड़ने वाला था और अब तो वह भी कोई लौर्ड जैसा लग रहा था।
वह अपनी उस बहिन से मिला पर उनमें से भी किसी को उस फूल वाली का पता नहीं था। उन्होंने फिर उसको अपनी तीसरी बहिन के पास भेज दिया।
जाने से पहले राजकुमार के इस जीजा ने इसको चिड़िया के तीन पंख दिये और कहा कि अगर वह किसी खतरे में पड़ जाये तो बस वह उनमें से एक पंख नीचे गिरा दे और वह उस खतरे से तुरन्त बाहर आ जायेगा।
राजकुमार ने वे तीनों पंख उससे ले लिये और फिर अपने सफर पर आगे चल दिया।
चलते चलते वह अब एक ऐसी जगह आ पहुँचा था जहाँ उसको अपने दोनों तरफ कब्रें ही कब्रें दिखायीं दे रही थीं। आगे चल कर वे तो कब्रें इतनी ज़्यादा हो गयीं कि उसको अपने चारों तरफ कब्रें ही कब्रें दिखायी देने लगीं।
और उन कब्रों के बीच में उसको दिखायी दिया एक बड़ा सा महल। इस तरह वह अब अपनी तीसरी बहिन के महल पहुँच गया था जिसको वह सबसे ज़्यादा प्यार करता था।
तुमको याद होगा कि इसकी उस बहिन का पति एक कब्र खोदने वाला था। राजकुमार के इस जीजा ने राजकुमार को एक लाश की एक हड्डी दी और कहा कि अगर वह किसी खतरे में पड़ जाये तो उस हड्डी को नीचे गिरा दे। बस वह उस खतरे से बाहर आ जायेगा।
उधर उसकी बहिन ने कहा कि वह उस शहर को जानती थी जहाँ वह फूल वाली रहती थी। उसने अपने भाई को एक बुढ़िया का पता दिया जिसकी उसने कभी कुछ सहायता की थी। उसने कहा कि वह उस बुढ़िया के पास चला जाये वह उसकी सहायता जरूर करेगी।
राजकुमार वहाँ से चल कर फूल वाली के शहर आया। यह फूल वाली एक राजा की बेटी थी। राजा के महल के ठीक सामने उस बुढ़िया का घर था। जब राजकुमार वहाँ पहुँचा तो उस बुढ़िया ने भी उसका बड़े प्रेम से स्वागत किया।
सुबह सुबह उस बुढ़िया के घर की खिड़की से वह फूल वाली को देख सका परन्तु उसका चेहरा परदे के पीछे छिपा हुआ था।
उस बुढ़िया ने राजकुमार को चेतावनी दी कि उसको राजा से उसकी बेटी का हाथ माँगने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिये क्योंकि उसका पिता बहुत ही बेरहम किस्म का है।
वह अपनी बेटी के लिये हाथ माँगने वालों से बहुत नामुमकिन काम करने को कहता है। और जब वे वे काम नहीं कर पाते तो उनका सिर धड़ से अलग करवा देता है।
पर राजकुमार बहुत ही बहादुर नौजवान था सो उसने उस बुढ़िया से कहा कि इस बात की वह बिल्कुल भी चिन्ता न करे। वह निडर हो कर राजा के पास गया और उसकी बेटी से शादी करने की इच्छा प्रगट की।
राजा ने कहा ठीक है वह उसकी बेटी से शादी कर सकता है पर उसको उसकी बेटी से शादी करने से पहले उसकी तीन शर्तें पूरी करने पड़ेंगी।
राजकुमार तो इस सबके लिये तैयार हो कर ही आया था सो वह उसकी सब शर्तें पूरी करने के लिये तैयार हो गया।
राजा ने उसको एक बहुत बड़े से सामान रखने वाले कमरे में बन्द करवा दिया। उस कमरे में सेब और नाशपाती से भरे बहुत सारे डिब्बे रखे हुए थे।
उससे कहा गया कि अगर उसने वे सब सेब और नाशपाती एक दिन में खा कर खत्म नहीं कीं तो उसका सिर उसके धड़ से काट दिया जायेगा।
अब वह इतने सारे सेब और नाशपाती खुद तो नहीं खा सकता था। इस परेशानी के मौके पर उसको अपने सबसे बड़े जीजा के दिये हुए सूअर के बालों की याद आयी सो उसमें से उसने एक बाल जमीन पर फेंक दिया।
तुरन्त ही बहुत सारे सूअरों की आवाज से वह कमरा गूँज गया। चारों तरफ से बहुत सारे सूअर वहाँ आ गये और उन्होंने उन डिब्बों में भरे हुए वे सारे सेब और नाशपाती खा डाले। उनका एक छोटा सा टुकड़ा भी उन्होंने नहीं छोड़ा।
अगले दिन जब राजा ने उसका कमरा दिखवाया तो उसको यह जान कर बहुत आश्चर्य हुआ कि उसके वे सारे सेब और नाशपाती वाकई खत्म हो चुके थे।
वह बोला — “बिल्कुल ठीक। अब तुम मेरी बेटी से शादी कर सकते हो। पर अभी एक दूसरा इम्तिहान भी है। जब तुम उसके साथ पहली रात गुजारोगे तो तुम उसको सबसे सुन्दर और मीठा गाने वाली चिड़ियों के मीठे गाने से सुला दोगे नहीं तो अगले दिन तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दिया जायेगा।”
इसके बाद उसकी शादी फूल वाली से हो जायेगी।
सो अगली रात दुलहे ने अपने चिड़िया पकड़ने वाले जीजा के दिये हुए पंखों में से एक पंख जमीन पर गिरा दिया। उसी समय वहाँ आसमान में बहुत सारे रंगों के पंखों चिड़ियें आ गयीं।
उन्होंने इतने मीठे सुर में गाना शुरू कर दिया कि राजकुमारी अपने होठों पर मुस्कुराहट लिये तुरन्त ही सो गयी।
राजा बोला — “वाह यह तो बड़ा अच्छा रहा। तुमने तो मेरी बेटी जीत ली। पर क्योंकि अब तो तुम पति पत्नी हो इसलिये कल सुबह तक तुमको एक बच्चा होना चाहिये जो पापा और मम्मा कह सके। नहीं तो मैं तुम दोनों का सिर काट दूँगा।”
दुलहे ने कहा — “अभी तो कल सवेरे तक में बहुत समय है। आप थोड़ा इन्तजार करें।” और वह अपनी फूल वाली पत्नी के साथ वहाँ से चला गया।
सबह सवेरे उसको अपने सबसे छोटे जीजा की दी हुई हड्डी याद आयी। उसने उसको जमीन पर फेंक दी। तो लो देखो तो, वह हड्डी तो एक बहुत ही सुन्दर छोटे लड़के में बदल गयी। उस लड़के
के हाथ में एक सुनहरा सेब था और वह पापा और मम्मा पुकार रहा था।
राजकुमार का ससुर वहाँ आया तो वह बच्चा उसके पास गया और अपना वह सुनहरी सेब उसके मुकुट के ऊपर रखने की जिद करने लगा।
राजा ने प्यार से उस बच्चे को चूमा, अपनी बेटी और दामाद[3] को आशीर्वाद दिया और अपना मुकुट उतार कर अपने दामाद के सिर पर रख दिया।
अब वह राजकुमार दो राज्यों का राजा था। उसकी तीनों बहिनें और उनके पति भी आ गये थे। उन सबने मिल कर कई दिनों तक राजकुमार की शादी की बहुत खुशियाँ मनायीं।
[1] The Princesses Wed to the First Passer-By (Story No 133) – a folktale from Italy from its Basilicata area.
Aapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.
[2] Translated for the word “Florer”
[3] Son-in-law – daughter’s husband
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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