देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 8 खाल की बीमारी वाला आदमी // सुषमा गुप्ता

SHARE:

8 खाल की बीमारी वाला आदमी [1] एक बार एक राजा था जिसके कोई बच्चा नहीं था। इसी दुख में वह एक दिन एक जंगल से गुजर रहा था कि उसको सफेद घोड़े पर स...

8 खाल की बीमारी वाला आदमी[1]

clip_image002

एक बार एक राजा था जिसके कोई बच्चा नहीं था। इसी दुख में वह एक दिन एक जंगल से गुजर रहा था कि उसको सफेद घोड़े पर सवार एक नाइट[2] दिखायी दे गया।

नाइट ने पूछा — “मैजेस्टी, आप इतने उदास क्यों हैं?”

राजा बोला — “मेरे कोई लड़का नहीं है जो मेरा राज्य सँभाल सके। तो मेरे मरने के बाद मेरा राज्य तो चला ही जायेगा।”

नाइट बोला — “अगर आपको लड़का चाहिये तो मेरे साथ एक समझौता कीजिये। जब आपका यह बेटा 15 साल का हो जायेगा तो आप इसको यहीं इसी जंगल में इसी जगह ले कर आयेंगे और उसको मुझे दे देंगे।”

राजा बोला — “मैं कोई भी समझौता करने के लिये तैयार हूँ पर बस मुझे एक बेटा चाहिये।”

इस तरह राजा ने उस नाइट के साथ यह समझौता कर लिया कि जब उसका बेटा 15 साल का हो जायेगा तो वह उसको उसी जंगल में उसी जगह ले कर आयेगा और उस नाइट को दे देगा।

कुछ समय बाद राजा के घर एक बेटा पैदा हुआ।

clip_image004

उसका यह बेटा बहुत छोटा सा बच्चा था। उसके बाल सुनहरी थे और उसकी छाती पर एक सुनहरा क्रास बना हुआ था। दिन पर दिन वह बड़ा होता गया और उसकी अक्लमन्दी भी बढ़ती गयी।

15 साल का होने से पहले ही उसने अपनी सारी पढ़ाई खत्म कर ली थी और वह हथियार चलाने में भी बहुत होशियार हो गया। पर उसकी 15वीं सालगिरह से ठीक तीन दिन पहले ही राजा ने अपने आपको एक कमरे में बन्द कर लिया और रोता रहा और रोता रहा।

रानी को यह पता ही नहीं था कि राजा क्यों रोये जा रहा था। जब राजा ने उसको अपने समझौते के बारे में बताया जो बस तीन दिन में पूरा होने वाला था तब वह भी रोने लगी।

जब लड़के ने अपने माता पिता को रोते देखा तो वह भी परेशान हो गया। उसके पूछने पर पिता ने कहा — “बेटे, मैं अब तुमको उसी जंगल में उसी जगह ले कर जाऊँगा और तुम्हें तुम्हारे गौडफादर[3] को दे आऊँगा जिसने इस समझौते के अनुसार तुमको पैदा किया।”

अगले दिन पिता अपने बेटे को ले कर चुपचाप जंगल की तरफ चल दिया। तभी उनको दूसरे घोड़ों की टापों की आवाजें सुनायी दीं। यह उसी नाइट के सफेद घोड़ों की टापों की आवाजें थीं जिसको वह राजा अपने बेटे को देखने वाला था।

जब वह नाइट पास आ गया तो राजा का बेटा उस नाइट के बराबर बराबर चल दिया। पिता ने बिना कुछ कहे रोते रोते अपना घोड़ा पलट कर घुमाया और अपने घर की तरफ वापस चल दिया।

वह लड़का उस अजनबी नाइट के साथ साथ चलता रहा। वह जंगल के ऐसे हिस्सों से गुजर कर जा रहा था जहाँ से पहले वह कभी नहीं गया था। चलते चलते आखिर वे लोग एक बड़े महल के पास आ गये।

वहाँ आ कर वह नाइट उस लड़के से बोला — “गौडसन, अबसे तुम यहाँ रहोगे। तुम इस घर के मालिक हो पर मैं तुमको केवल तीन बातों के लिये मना करूँगा – एक तो यह छोटी खिड़की कभी मत खोलना। दूसरे यह आलमारी कभी मत खोलना। और तीसरे नीचे घुड़साल में कभी मत जाना।”

आधी रात के समय वह गौडफादर अपने सफेद घोड़े पर सवार हुआ और चला गया फिर वह सुबह होने तक नहीं लौटा। तीन रात के बाद जब वह लड़का अकेला रह गया तो उसके मन में उत्सुकता जागी कि वह छोटी खिड़की खोल कर देखे कि उधर क्या है।

वह उस तरफ गया और उसने वह छोटी खिड़की खोली। उसके सामने वहाँ धुँआ और आग की लपटें दिखायी दे रही थीं। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि वह खिड़की नरक की तरफ खुलती थी। उस लड़के ने नरक की तरफ देखा कि शायद वह वहाँ किसी को पहचान सके।

ध्यान से देखने पर जानते हो उसको वहाँ कौन दिखायी दिया? वहाँ तो उसकी दादी थी। दादी ने भी अपने पोते को देखा तो वह नरक की गहराइयों से चिल्लायी — “ओ मेरे पोते, तुझे यहाँ कौन लाया है?”

लड़का बोला — “मेरा गौडफादर।”

“नहीं नहीं मेरे पोते। वह आदमी तेरा गौडफादर नहीं है। वह तो एक शैतान है। तू अपनी जान बचा कर भाग ले। आलमारी खोल और उसमें से एक चलनी ले, एक साबुन की टिक्की ले और एक कंघी ले।

फिर नीचे घुड़साल में जा। वहाँ तुझे तेरा अपना घोड़ा मिल जायेगा। उस पर सवार हो कर भाग जा। अगर तेरे पीछे वह शैतान आये तो ये तीनों चीज़ें एक एक करके उसके रास्ते में फेंक देना। उसके बाद जोरडन नदी[4] आयेगी उसको पार करते ही तू उस शैतान के चंगुल से छूट जायेगा।”

यह सुन कर उस लड़के ने पहले आलमारी से एक चलनी, एक साबुन की टिक्की और एक कंघी निकाली फिर नीचे घुड़साल में गया, अपना घोड़ा ढूँढा और उस पर चढ़ कर वहाँ से भाग लिया। उसके घोड़े का नाम हौर्सरैडिश[5] था।

जब वह गौडफादर वापस आया तो उसने देखा कि उसका गौडसन तो वहाँ से जा चुका था और साथ में वह अपना घोड़ा भी ले गया था। फिर उसने देखा कि वह तो उसकी आलमारी में से उसका कुछ सामान भी ले गया था।

उसने बहुत सारी आत्माओं को जलते हुए कोयलों पर लुढ़काया और फिर वह भी उस भगोड़े के पीछे पीछे चल दिया।

उस नाइट का सफेद घोड़ा कुलाचें मारता हुआ दौड़ता चला जा रहा था। उसका अपना घोड़ा उस लड़के के हौर्सरैडिश घोड़े से भी सौ गुना तेज़ भाग रहा था और वह उसको जल्दी ही पकड़ भी लेता पर उसके गौडसन ने उसके और अपने बीच के रास्ते में कंघी फेंक दी।

उस कंघी ने जमीन पर गिरते ही रास्ते में एक बहुत बड़ा और घना जंगल पैदा कर दिया। गौडफादर को उसे पार करने में बहुत मुश्किल हुई इसके अलावा उसको पार करते करते उसको देर भी बहुत लग गयी।

आखिर जब वह जंगल से बाहर निकला तो उसको अपना गौडसन फिर से दिखायी पड़ा। गौडसन ने उसको अपने पीछे आते देखा तो अब की बार उसने चलनी फेंक दी।

उस चलनी ने जमीन पर गिरते ही दलदल का एक बहुत बड़ा मैदान बना दिया। गौडफादर को इस मैदान को पार करने में भी बहुत परेशानी हुई और देर लग गयी।

किसी तरह से वह यहाँ से निकला तो फिर उसने अपने गौडसन को पकड़ा। अब की बार उस लड़के ने साबुन की टिक्की फेंक दी। उस साबुन की टिक्की ने जमीन पर गिरते ही फिसलने वाले पहाड़ पैदा कर दिये। अब गौडफादर का घोड़ा जहाँ भी अपना पैर रखता वह वहाँ से बहुत नीचे तक फिसल जाता।

इस बीच वह लड़का जोरडन नदी तक आ पहुँचा था सो उसने अपने घोड़े को नदी के पानी में डाल दिया। घोड़ा तुरन्त ही नदी पार करके उसके दूसरी पार पहुँच गया।

इस समय तक गौडफादर केवल पहाड़ पर चढ़ना शुरू ही कर रहा था। उस लड़के को न पकड़ पाने की वजह से वह बहुत गुस्सा था। और अब जोरडन नदी के पार तो वह जा भी नहीं सकता था। सो उसने खूब बिजली चमकायी, तेज़ हवा चलायी, तेज़ बारिश बरसायी, खूब ओले बरसाये।

पर वह लड़का क्योंकि जोरडन नदी पार कर चुका था इसलिये उसके इन सब जादुओं ने उसके ऊपर कोई असर नहीं किया। अब वह लड़का पुर्तगाल के राजा के शहर में पहुँच गया था।

राजकुमार की शादी

पुर्तगाल पहुँच कर वह पहचाना न जा सके इसलिये उसने अपने सुनहरी बाल छिपाने के लिये एक कसाई से एक बैल का ब्लैडर[6] खरीद लिया और उसको अपने सिर पर लगा लिया। इससे वह ऐसा लगने लगा जैसे उसके सिर पर कोई खाल की बीमारी हो गयी हो।

वहाँ पहुँच कर उसने हौर्सरैडिश को एक घास के मैदान में चरने के लिये छोड़ दिया। उस घोड़े को अब कोई चुरा भी नहीं सकता था क्योंकि उस शैतान की घुड़साल में रहते रहते अब उसने आदमी खाना सीख लिया था।

बैल का ब्लैडर सिर पर ओढ़े ओढ़े वह लड़का पुर्तगाल के राजा के महल के आस पास घूम रहा था कि राजा के माली ने उसको देखा। उसने उस लड़के से बात की तो उसको पता चला कि वह कोई काम ढूँढ रहा था। उसने उस लड़के को अपनी सहायता के लिये रख लिया।

माली जब उसको घर ले कर आया तो उसको देख कर माली की पत्नी बहुत नाराज हुई क्योंकि वह ऐसे किसी भी आदमी को अपने घर में नहीं चाहती थी जिसको खाल का रोग हो रहा हो।

अपनी पत्नी को खुश करने के लिये उसने उस लड़के को पास के एक जंगल में रहने भेज दिया और उसने उस लड़के से कह दिया कि अब वह वहीं रहे क्योंकि वह यह नहीं चाहता था कि वह उसके घर में फिर से कदम रखे। सो वह लड़का जंगल में रहने चला गया।

रात को वह लड़का दबे पाँव अपनी झोंपड़ी में से निकला, अपने हौर्सरैडिश को खोला, एक राजा के बेटे की तरह अपना लाल सूट पहना और अपने सिर से बैल के ब्लैडर को हटा दिया। ब्लैडर को हटाते ही उसके सुनहरी बाल चाँदनी में चमक उठे।

वह फिर शाही बागीचे में चला गया और वहाँ जा कर घूमता रहा और कुछ कुछ करता रहा – जैसे वह वे तीन छल्ले हवा में घुमाता रहा जो उसकी माँ ने उसे दिये थे।

उन तीनों छल्लों को वह अपनी तीनों बीच वाली उँगलियों में पहने रहता था। कभी वह उन छल्लों को हवा में उछाल कर अपनी तलवार की नोक पर टिका लेता था और कभी उनको ऐसे ही उछालता रहता।

इसी समय इत्तफाक से पुर्तगाल के राजा की बेटी अपनी खिड़की पर आ कर खड़ी हुई और चाँदनी रात में अपने बागीचे को देखने लगी। उसकी निगाह उस लड़के पर भी पड़ी – वह सुन्दर सुनहरे बालों वाला लाल पोशाक पहने लड़का जो ये सब करामातें कर रहा था।

उसने सोचा कि यह लड़का कौन हो सकता है? यह इस बागीचे में कैसे आया? मैं देखती हूँ कि यह कहाँ कहाँ जाता है? सो वह तब तक उसको देखती रही जब तक वह वहाँ से चल नहीं दिया।

जब वह वहाँ से चला तो सुबह होने वाली थी। वह बागीचे के उस दरवाजे से बाहर निकला जो घास के मैदान में जाने के लिये खुलता था। बाहर निकल कर उसने अपने घोड़े को घास चरायी और गायब हो गया।

राजकुमारी की आँखें अभी भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थीं और बागीचे के दरवाजे पर ही लगी हुई थीं।

थोड़ी देर बाद उसने देखा कि वह खाल की बीमारी वाला लड़का जो माली की सहायता कर रहा था उसी दरवाजे से अन्दर चला आ रहा था। उसने अपनी खिड़की बन्द कर दी ताकि वह लड़का उसको न देख सके।

अगली रात राजकुमारी फिर अपनी खिड़की पर आ कर बैठ गयी और उस लड़के का इन्तजार करने लगी। आखिर उसने उस खाल की बीमारी वाले लड़के को जंगल में बनी झोंपड़ी से बाहर निकलते और फिर बागीचे के दरवाजे की तरफ आते देखा।

पर फिर कुछ मिनटों बाद ही उसने उस सुनहरे बालों वाले सवार को शाही बागीचे में उसी दरवाजे से अन्दर आते देखा। आज वह सफेद कपड़े पहने था।

आ कर उसने फिर अपनी करामातें शुरू कर दीं। और पिछली रात की तरह से आज भी वह सुबह होने से पहले ही वहाँ से चला गया।

पर कुछ मिनटों में ही वह खाल की बीमारी वाला लड़का वहाँ आ गया। राजकुमारी को शक हुआ कि जरूर ही इस खाल की बीमारी वाले लड़के में और उस सुनहरी बालों वाले लड़के में आपस में कुछ रिश्ता है।

तीसरी रात फिर ऐसा ही हुआ, सिवाय इसके कि आज वह सवार काले कपड़े पहन कर आया था। राजकुमारी को लगा कि यह खाल की बीमारी वाला लड़का और यह सवार दोनों एक ही हैं।

अगले दिन राजकुमारी खाल की बीमारी वाले लड़के के पास बागीचे में गयी और उससे कुछ फूल लाने के लिये कहा। लड़के ने फूलों के तीन गुच्छे बनाये – एक बड़ा, एक बीच का और एक छोटा। उसने उन तीनों गुच्छों को एक टोकरी में रखा और राजकुमारी की तरफ चला।

सबसे बड़ा वाला फूलों का गुच्छा तो राजकुमार की बीच वाली उँगली के छल्ले में रखा था और छोटा वाला उसकी सबसे छोटी वाली उँगली के छल्ले में लगा था और बीच वाला गुच्छा उसकी अ‍ँगूठी वाली उँगली के छल्ले में लगा हुआ था।

जब उसने ये तीनों गुच्छे राजकुमारी को दिये तो राजकुमारी ने ने वे तीनों छल्ले तुरन्त पहचान लिये। ये वे ही छल्ले थे जिनको रात में वह सूट वाला लड़का उछाल उछाल कर खेल रहा था। उस ने उस खाल की बीमारी वाले लड़के की टोकरी को सोने के डबलून[7] से भर दिया।

अगले दिन राजकुमारी ने खाल की बीमारी वाले लड़के से सन्तरे लाने के लिये कहा तो वह उसके लिये तीन सन्तरे लाया – एक पका हुआ, एक आधा पका और एक कच्चा।

राजकुमारी ने उन तीनों को मेज पर रखा तो राजा ने पूछा — “तुम यह कच्चा सन्तरा मेज पर क्यों रख रही हो?”

राजकुमारी बोली — “वह खाल की बीमारी वाला लड़का यही ले कर आया था।”

राजा बोला उसको अन्दर बुलाओ देखते हैं वह इसके बारे में क्या कहता है। सो उस खाल की बीमारी वाले लड़के को वहाँ बुलाया गया। जब वह वहाँ आया तो राजा ने उससे पूछा — “तुमने ये तीन तरह के सन्तरे क्यों तोड़े?”

वह लड़का बोला — “मैजेस्टी, आपके तीन बेटियाँ हैं। एक शादी के लायक है, दूसरी शादी के लिये अभी थोड़ी दूर है जब कि तीसरी की शादी को तो कई साल हैं।”

राजा बोला — “बिल्कुल ठीक।”

और फिर उसने यह मुनादी पिटवा दी — “जो भी मेरी सबसे बड़ी बेटी से शादी करना चाहता है वह यहाँ आये और फिर जिसको भी मेरी बेटी अपना रूमाल दे देगी वही उसका पति होगा।”

सो शाही खिड़की के नीचे राजाओं और राजकुमारों की एक बहुत बड़ी लाइन लग गयी। पहले राजाओं के परिवार के लोग आये, फिर और दूसरे बड़े बड़े ओहदे वाले आये, फिर नाइट्स आये, फिर घुड़सवार और फिर पैदल आये।

और सबसे बाद में आया माली की सहायता करने वाला वह खाल की बीमारी वाला लड़का। राजकुमारी ने अपना रूमाल उसको दे दिया।

यह देख कर कि उसकी बेटी ने एक खाल की बीमारी वाले लड़के को चुन लिया है राजा ने अपनी बेटी को घर से निकाल दिया। राजकुमारी उस लड़के साथ रहने के लिये उसकी झोंपड़ी में चली गयी।

लड़के ने सोने के लिये उसको अपना पलंग दे दिया और अपने सोने के लिये एक काउच आग के पास रख दिया। उसने राजकुमारी से कहा कि एक खाल की बीमारी वाला तो राजा की बेटी के पास आने की भी हिम्मत नहीं कर सकता था।

राजकुमारी ने जब यह सुना तो उसको लगा कि कहीं इस लड़के को सचमुच ही खाल की बीमारी न हो। ओह मेरे भगवान, यह मैंने क्या किया। कहीं मुझसे वाकई गलती न हो गयी हो। और वह अपने चुनाव पर पछताने लगी।

राजकुमार की पोल खुली

इसी समय पुर्तगाल और स्पेन के राजाओं में लड़ाई छिड़ गयी और सारे आदमी लोग लड़ाई में लग गये। जबसे राजकुमारी ने उस खाल की बीमारी वाले लड़के से शादी की थी तबसे बहुत सारे लोग उससे नाराज थे और जल रहे थे।

उन्होंने उस खाल की बीमारी वाली लड़के से कहा — “सारे आदमी लोग तो लड़ाई पर जा रहे हैं पर तुमने क्योंकि राजा की बेटी से शादी की है इसी लिये तुम यहाँ ठहर रहे हो।”

पर फिर भी उन्होंने उसको पहले से ही एक लंगड़ा घोड़ा देने का प्लान बना रखा था ताकि वह लड़का लड़ाई में मारा जाये। खाल की बीमारी वाले लड़के ने उनका दिया हुआ लंगड़ा घोड़ा लिया और मैदान की तरफ चला जहाँ उसका अपना घोड़ा हौर्सरैडिश घास चर रहा था।

वह फिर अपनी लाल पोशाक पहन कर तैयार हुआ, अपनी छाती पर एक प्लेट लगायी जो उसके पिता ने उसको दी थी और अपने हौर्सरैडिश घोड़े पर सवार हो कर लड़ाई के मैदान में चल दिया।

एक समय पर पुर्तगाल के राजा को स्पेन के सिपाहियों ने घेर लिया तो पुर्तगाल के सिपाहियों ने देखा कि लाल पोशाक पहने एक नाइट उनके राजा की रक्षा करने के लिये आ गया और उसने दुश्मनों के सिपाहियों को भगा कर उनके राजा की जान बचा ली।

इसके बाद दुश्मन का कोई भी सिपाही पुर्तगाल के राजा के पास आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था क्योंकि उस लाल पोशाक वाले की तलवार बाँये और दाँये दोनों तरफ से खूब तेज़ चल रही थी।

उधर उसके घोड़े को देख कर दुश्मनों के घोड़े भी डर रहे थे तो वे भी उसके घोड़े के पास आने की कोशिश नहीं कर पा रहे थे। इस तरह लड़ाई का पहला दिन खत्म हुआ।

राजकुमारी लड़ाई की खबर सुनने के लिये शाम को महल गयी। वहाँ जब उसने सुना कि एक सुनहरी बालों वाला लड़का जो लाल पोशाक पहने था बहुत बहादुरी से लड़ा और उसने उसके पिता जी की जान बचायी।

और उसी की वजह से पुर्तगाल जीत गया तो वह यह सोचे बिना न रह सकी कि यह तो मेरा ही नाइट है। वही घुड़सवार जिसको मैं रात को अपने बागीचे में देखती थी और उफ, अब मैंने एक खाल की बीमारी वाले को अपन पति चुन लिया है यह मैंने क्या किया है। यह सोच कर वह उदास सी अपनी झोंपड़ी में लौट आयी।

झोंपड़ी में आ कर उसने देखा कि उसका खाल की रोग वाला लड़का तो आग के पास वाले काउच पर पड़ा सो रहा है। उसने अपना वही पुराना शाल ओढ़ रखा था। उसको देख कर राजकुमारी रो पड़ी।

सुबह को उस खाल की बीमारी वाले लड़के ने फिर से अपना लँगड़ा घोड़ा उठाया और लड़ाई के मैदान की तरफ चल दिया। पर पहले दिन की तरह से पहले वह घास के मैदान में गया।

वहाँ पहले उसने अपना लंगड़ा घोड़ा अपने हौर्सरैडिश से बदला। फिर अपना सफेद सूट पहना, उसके ऊपर अपनी छाती पर प्लेट लगायी। अपने सुनहरे बालों वाले सिर पर से बैल का ब्लैडर हटाया और लड़ाई के मैदान की तरफ चल दिया।

और उस दिन भी पुर्तगाल जीत गया।

तीसरे दिन वह सुनहरे बालों वाला नाइट अपनी काली पोशाक में गया। इस बार स्पेन का राजा खुद लड़ाई के मैदान में आया हुआ था अपने सात बेटों के साथ। सो वह सुनहरी बालों वाला नाइट उन सातों लड़कों के साथ एक साथ लड़ा।

उसने उन सबके साथ एक साथ लड़ाई लड़ी और सबको मार दिया पर सातवें बेटे ने मरने से पहले उसकी दाँयी बाँह को अपनी तलवार से जख्मी कर दिया।

लड़ाई खत्म हो जाने के बाद राजा उसके घाव की मरहम पट्टी करवाना चाहता था पर दूसरी शामों की तरह इस शाम भी वह वहाँ से गायब हो गया।

यह सुन कर कि वह सुनहरी बालों वाला नाइट जख्मी हो गया है राजा की बेटी को बहुत दुख हुआ क्योंकि वह अभी भी उस अजनबी से बहुत प्यार करती थी।

वह उस खाल की बीमारी वाले लड़के के लिये बुरा सोचते हुए घर गयी जहाँ वह रोज की तरह से अपना पुराना शाल ओढ़े आग के पास पड़े काउच पर सो रहा था।

पर जब वह उसकी तरफ देख रही थी तो उसको उसके शाल के नीचे की तरफ उसकी बाँह पर एक पट्टी बँधी दिखायी दी। फिर उसने देखा तो शाल के नीचे वह एक कीमती काली पोशाक पहने था।

उसने यही नहीं देखा बल्कि उसने उसके बैल के ब्लैडर के नीचे उसके सुनहरी बाल भी देखे। क्योंकि वह लड़का उस दिन बहुत थका हुआ था और जख्मी था सो वह अपने कपड़े भी नहीं बदल पाया था और ऐसे ही आ कर काउच पर लेट गया था। लेटते ही उसको नींद आ गयी।

यह देख कर राजा की बेटी की तो खुशी और आश्चर्य से चीख निकलते निकलते रह गयी। वह दबे पाँव झोंपड़ी से बाहर निकली ताकि वह लड़का जाग न जाये और दौड़ती हुई अपने पिता के पास पहुँची और बोली — “पिता जी, ज़रा आ कर देखिये तो कि आपको लड़ाई में किसने जिताया। आइये देखिये।”

राजा और उसका सारा दरबार राजकुमारी के पीछे पीछे उसकी झोंपड़ी तक आया और उस लड़के को देखा। सबके मुँह से निकला — “अरे यह तो वही लड़का है।” राजा ने उस नाइट को उसके नकली वेश में भी पहचान लिया।

उन्होंने उसको जगाया और उसको अपने कन्धों पर ले गये होते पर राजा की बेटी ने चीरा लगाने वाले डाक्टर को वहीं बुला लिया और उसके घाव की मरहम पट्टी वहीं करवा दी।

राजा तो उनकी शादी वहीं और उसी समय करना चाहता था पर लड़के ने कहा — “अभी नहीं। पहले मुझे अपने माता पिता को बताना है कि क्योंकि मैं भी एक राजा का बेटा हूँ।” सो उस राजा ने वैसा ही किया।

उस लड़के के माता पिता ने तो यह सोच लिया था कि उनका बेटा मर गया पर वे अपने बेटे को ज़िन्दा देख कर बहुत खुश हुए और फिर सब लोग खुशी खुशी शादी की दावत में शामिल हुए। उन दोनों की शादी खूब धूमधाम से मनायी गयी।

clip_image006



[1] The Mangy One (Story No 110) – a folktale from Italy from its Abruzzo area.

Adapted from the book : “Italian Folktales” by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Knight – a knight is a person granted an honorary title of knighthood by a monarch or other political leader for service to the Monarch or country, especially in a military capacity. See his picture above.

[3] Godfather - A godfather is a male godparent in many Christian traditions or a man arranged to be the legal guardian of a child in case the parents die before adulthood or the age of maturity.

[4] Jordon River

[5] Horseradish – name of the Prince’s horse

[6] Bladder is a part of the body in which urine is collected.

[7] Doubloon means “double”. Means 2 or 32 real gold coins (6.77 gms) each. Doubloons were minted in Spain, Mexico, Peru and New Granada.

[8] Three Blind Queens (Story No 113) – a folktale from Italy from its Abruzzo area.

Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[My Note: This folktale seems somewhat incomplete and incoherent.]

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 8 खाल की बीमारी वाला आदमी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 8 खाल की बीमारी वाला आदमी // सुषमा गुप्ता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgimCkHQcLNdls79D_T2U6vKndr56rIadN4zvv3i_BQ6W5BGHC6yixnsMG8nINk3SBVSwTegZcUa3MCcVUHNX5pPhKbjB-SQCxwi1xn-d97uu_y2CqI-SVvRnn-PRpZ-Ln2oVFY/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgimCkHQcLNdls79D_T2U6vKndr56rIadN4zvv3i_BQ6W5BGHC6yixnsMG8nINk3SBVSwTegZcUa3MCcVUHNX5pPhKbjB-SQCxwi1xn-d97uu_y2CqI-SVvRnn-PRpZ-Ln2oVFY/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/10/5-8-italy-lokkatha-5-khal-ki-bimari.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/10/5-8-italy-lokkatha-5-khal-ki-bimari.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content