4 क्रिस्टल का मुर्गा [1] एक बार एक मुर्गा था जो दुनिया घूमने के लिये निकला। चलते चलते उसको सड़क पर पड़ी हुई एक चिठ्ठी मिल गयी। उसने उस चिठ्ठी ...
एक बार एक मुर्गा था जो दुनिया घूमने के लिये निकला। चलते चलते उसको सड़क पर पड़ी हुई एक चिठ्ठी मिल गयी। उसने उस चिठ्ठी को अपनी चोंच से उठा लिया और उसे पढ़ने लगा। उसमें लिखा था —
“क्रिस्टल के मुर्गे, क्रिस्टल की मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी, ऐबैस बतख, पीले पंखों वाला चिड़ा – चलो सब टौम थम्ब की शादी में चलो।”[2]
मुर्गा यह पढ़ कर बहुत खुश हुआ सो वह उसी दिशा में चल दिया जिस तरफ टौम थम्ब का घर था। चलते चलते उसको क्रिस्टल की मुर्गी मिल गयी।
मुर्गी ने उससे पूछा — “मुर्गे भाई, कहाँ चले?”
“मैं तो टौम थम्ब की शादी में जा रहा हूँ।”
“क्या मैं भी उसकी शादी में चल सकती हूँ?”
“अगर तुम्हारा नाम बुलावे की इस चिठ्ठी में लिखा हो तो।”
सो उसने बुलावे की वह चिठ्ठी फिर से खोली और पढ़ी — “क्रिस्टल के मुर्गे, क्रिस्टल की मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी . . .”
“हाँ हाँ तुम्हारा नाम तो यहाँ लिखा है तुम भी चल सकती हो। चलो चलें।”
सो वह मुर्गा और मुर्गी दोनों टौम थम्ब की शादी में चल दिये। कुछ दूर जाने पर उनको काउन्टैस हंसिनी मिली।
हंसिनी ने पूछा — “मुर्गी बहिन और मुर्गे भाई, कहाँ चले?”
मुर्गा बोला — “हम लोग टौम थम्ब की शादी में जा रहे हैं।”
“क्या मैं भी आप दोनों के साथ टौम थम्ब की शादी में चल सकती हूँ?”
“अगर तुम्हारा नाम बुलावे की इस चिठ्ठी में लिखा हो तो।”
सो मुर्गे ने वह चिठ्ठी फिर से खोली और फिर से पढ़ी – “क्रिस्टल के मुर्गे, क्रिस्टल की मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी . . .”
“ओह यहाँ तो तुम्हारा नाम भी लिखा है हंसिनी बहिन इसलिये तुम भी हमारे साथ चल सकती हो। चलो तुम भी चलो।”
अब वे तीनों टौम थम्ब की शादी में चल दिये। चलते चलते उनको काउन्टैस बतख मिल गयी।
बतख ने पूछा — “बहिन हंसिनी, बहिन मुर्गी, और भाई मुर्गे, आप सब लोग कहाँ जा रहे हैं?”
“हम सब लोग टौम थम्ब की शादी में जा रहे हैं।”
“क्या मैं भी आप सबके साथ टौम थम्ब की शादी में चल सकती हूँ?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं। पर अगर तुम्हारा नाम बुलावे की इस चिठ्ठी में लिखा हो तो।”
सो मुर्गे ने वह चिठ्ठी फिर से खोली और पढ़ी – “क्रिस्टल के मुर्गे, क्रिस्टल की मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी, ऐबैस बतख . . .”
“ओह यहाँ तो तुम्हारा नाम भी लिखा है बतख बहिन सो तुम भी हमारे साथ चल सकती हो। चलो तुम भी हमारे साथ चलो।”
अब वे चारों टौम थम्ब की शादी में चल दिये। चलते चलते उनको पीले पंखों वाला चिड़ा मिल गया।
उसने पूछा — “बहिन बतख, बहिन हंसिनी, बहिन मुर्गी, और भाई मुर्गे, आप सब लोग कहाँ जा रहे हैं?”
मुर्गा बोला — “हम लोग टौम थम्ब की शादी में जा रहे हैं।”
“क्या मैं भी आप सबके साथ टौम थम्ब की शादी में चल सकता हूँ?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं। पर अगर तुम्हारा नाम बुलावे वाली इस चिठ्ठी में लिखा हो तो।”
सो मुर्गे ने वह चिठ्ठी फिर से खोली और पढ़नी शुरू की – “क्रिस्टल के मुर्गे, क्रिस्टल की मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी, ऐबैस बतख, पीले पंखों वाला चिड़ा . . .”
“ओह यहाँ तो तुम्हारा नाम भी लिखा है चिड़े भाई सो चलो तुम भी हमारे साथ चलो।”
अब वे पाँचों टौम थम्ब की शादी में चल दिये। अब क्या था वे सब आनन्द में बातें करते चले जा रहे थे कि चलते चलते उनको एक भेड़िया मिल गया।
उसने भी उनसे पूछा — “आप सब कहाँ जा रहे हैं?”
मुर्गे ने जवाब दिया — “हम सब टौम थम्ब की शादी में जा रहे हैं।”
“क्या मैं भी आप सबके साथ वहाँ चल सकता हूँ?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं। पर अगर तुम्हारा नाम बुलावे वाली इस चिठ्ठी में लिखा हो तो।”
सो मुर्गे ने एक बार फिर वह चिठ्ठी निकाली और उसको पढ़नी शुरू की। पर उसमें भेड़िये का नाम तो कहीं भी नहीं था।
मुर्गा बोला “पर बुलावे की इस चिठ्ठी में तुम्हारा नाम तो कहीं है नहीं भेड़िये भाई।”
भेड़िया बोला — “पर मैं तो जाना चाहता हूँ।”
यह सुन कर सारे जानवर डर गये। वे तो उसको न हाँ कर सके और न उसको ना कर सके। वे डर के मारे बोले — “ठीक है। चलो तो फिर तुम भी हमारे साथ चलो हम सब चलते हैं।”
वे अभी बहुत दूर नहीं गये थे कि भेड़िया बोला — “मुझे तो भूख लगी है।”
मुर्गा बोला — “अफसोस मेरे पास तो तुमको देने के लिये कुछ भी नहीं है।”
“तो मैं तुमको ही खा जाऊँगा।” कह कर उसने अपना बड़ा सा मुँह खोला और मुर्गे को साबुत ही निगल गया।
कुछ दूर आगे जाने के बाद भेड़िया फिर बोला — “मुझे तो अभी और भूख लगी है।”
इस बार मुर्गी बोली — “अफसोस हमारे पास तो तुमको देने के लिये कुछ भी नहीं है।”
“तो मैं तुमको ही खा जाऊँगा।” कह कर उसने अपना बड़ा सा मुँह खोला और मुर्गी को भी साबुत ही निगल गया। यही हाल हंसिनी और बतख का भी हुआ।
अब केवल भेड़िया और पीला चिड़ा ही रह गये। कुछ दूर आगे चलने के बाद भेड़िया फिर बोला — “ओ पीले चिड़े, मुझे तो अभी भी भूख लगी है।”
पीला चिड़ा बोला — “तुम क्या सोचते हो कि मैं तुमको क्या दे सकता हूँ?”
“अगर तुम मुझे कुछ नहीं दे सकते तो फिर मैं तुम्हें ही खा जाता हूँ।” कह कर उसने चिड़े को खाने के लिये अपना मुँह खोला तो वह चिड़ा उड़ कर उसके सिर पर बैठ गया।
भेड़िये ने उसको पकड़ने की बहुत कोशिश की पर वह चिड़ा इधर उधर उड़ता रहा। फिर वह एक पेड़ पर बैठ गया, एक शाख से दूसरी शाख पर फुदकता रहा और उसके हाथ नहीं आया।
वह फिर भेड़िये के सिर पर आ बैठा, फिर वह उसकी पूँछ पर चला गया। इस तरह वह भेड़िये को तब तक नचाता रहा जब तक कि वह भेड़िया पूरी तरह से थक नहीं गया।
उसी समय भेड़िये को एक स्त्री आती दिखायी दी जिसके सिर पर खाने की एक टोकरी रखी थी। वह खाना वह अपने पति के लिये ले जा रही थी।
उसको देख कर चिड़े ने भेड़िये से कहा — “अगर तुम मुझे छोड़ दो तो मैं तुम्हारे लिये नूडिल्स और माँस का बहुत ही बढ़िया खाने का इन्तजाम कर सकता हूँ जो वह स्त्री ले कर आ रही है।
जैसे ही वह मुझे देखेगी वह मुझे पकड़ने की कोशिश करेगी। मैं उड़ जाऊँगा और एक शाख से दूसरी शाख पर फुदकता रहूँगा। वह अपनी टोकरी नीचे रख देगी और मेरे पीछे दौड़ेगी। तब तुम उसका सारा खाना ले लेना और खा लेना।”
और फिर ऐसा ही हुआ। वह स्त्री जब वहाँ आयी तो उसकी निगाह उस सुन्दर चिड़े पर पड़ी तो वह तुरन्त ही उसको पकड़ने के लिये उसके पीछे भागी।
चिड़ा वहाँ से उड़ कर थोड़ी दूर बैठ गया तो उसने अपनी खाने की टोकरी तो नीचे रख दी और फिर उस चिड़े के पीछे भागी।
बस भेड़िये को मौका मिल गया। वह भी तुरन्त ही उस टोकरी के पास गया और उसने उस टोकरी में से खाना खाना शुरू कर दिया।
भेड़िये को अपना खाना खाते देख कर वह स्त्री चिल्लायी — “अरे कोई मेरी सहायता करो। यह भेड़िया मेरा खाना खा रहा है।”
उसकी चिल्लाहट सुनते ही उसकी सहायता के लिये वहाँ बहुत सारे किसान अपने अपने डंडे और बड़े बड़े चाकू ले कर आ गये। वे सब उस भेड़िये पर टूट पड़े और उसे तुरन्त ही मार दिया।
उसके मरते ही उसके पेट में से क्रिस्टल मुर्गा, क्रिस्टल मुर्गी, काउन्टैस हंसिनी और ऐबैस बतख सब निकल पड़े। वे सब फिर से पीले चिड़े को साथ ले कर हँसते गाते बातें करते टौम थम्ब की शादी में चल दिये।
5
[1] Crystal Rooster (Story No 98) – a folktale from Italy from its Marche area.
Aadapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.
[2] Crystal Rooster, Crystal Hen, Countess Goose, Abbess Duck, Gold Finch Birdie. Let’s be off to Tom Thumb’s Wedding.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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