देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 18 पाँच रोग // सुषमा गुप्ता

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18 पाँच रोग [1] एक बार की बात है कि इटली के मैगली [2] नाम के गाँव में एक पति पत्नी रहते थे जिनके एक बेटा था। और उनका यह बेटा एक शैतान [3] ...

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18 पाँच रोग[1]

एक बार की बात है कि इटली के मैगली[2] नाम के गाँव में एक पति पत्नी रहते थे जिनके एक बेटा था। और उनका यह बेटा एक शैतान[3] जैसा था।

उसके दिमाग में हमेशा ही कुछ न कुछ चलता रहता या फिर वह कुछ न कुछ बेचता रहता। वह रात रात भर बाहर रहता था। इस वजह से उसके बूढ़े माता पिता उसकी तरफ से बहुत परेशान रहते थे।

एक शाम उसकी माँ ने उसके पिता से कहा — “यह लड़का तो लगता है कि हमारे लिये मौत बन कर आया है। चाहे हमें कितना भी दुख क्यों न उठाना पड़े पर हमें इसे घर से बाहर भेज देना चाहिये।”

अगले दिन पिता ने अपने बेटे को देने के लिये एक घोड़ा खरीदा और 100 डकैट[4] कहीं से उधार लिये। फिर जब उसका बेटा दोपहर को घर आया तो वह उससे बोला — “बेटा इस तरह से बहुत दिनों तक काम नहीं चल सकता। यह लो तुम 100 डकैट लो और यह घोड़ा लो और जा कर अपना कुछ कमाओ खाओ।”

बेटे ने पैसे लिये और घोड़ा लिया और बोला — “मैं नैपिल्स[5] जा रहा हूूँ पिता जी।” कह कर वह घोड़े पर सवार हुआ और नैपिल्स की तरफ चल दिया।

रास्ते में एक खेत के बीच में उसको एक आदमी दिखायी दिया जो अपने चारों हाथ पैरों पर चल रहा था। मैगली वाले नौजवान ने उसको पुकारा — “ओ सुन्दर नौजवान। तुम वहाँ क्या कर रहे हो? और तुम्हारा नाम क्या है?”

वह नौजवान बोला — “मेरा नाम बिजली है।”

“और तुम्हारा पारिवारिक नाम[6]?”

बिजली बोला — “धारा[7]।”

मैंगली वाले नौजवान ने पूछा — “ऐसा नाम क्यों?”

“क्योंकि खरगोशों का पीछा करना मेरी खासियत है।”

बस उसने अभी यह बोला ही था कि उसको एक खरगोश दिखायी दे गया। वह उस खरगोश के पीछे दौड़ पड़ा और उसको पकड़ लिया।

मैगली वाले नौजवान ने सोचा “यह विचार तो बुरा नहीं है।”

फिर वह उससे बोला — “मुझे एक विचार आया है। तुम मेरे साथ नैपिल्स चलो। मेरे पास 100 डकैट हैं।”

बिजली भीख माँगना नहीं चाहता था सो वह उसके साथ चलने के लिये राजी हो गया और वे दोनों नैपिल्स की तरफ चल दिये – एक घोड़े पर और एक पैदल।

जल्दी ही उनको एक और आदमी मिल गया। मैगली वाले नौजवान ने पूछा — “तुम्हारा नाम क्या है?”

वह नौजवान बोला — “अन्धा सीधा[8]।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “अरे भाई यह किस तरीके का नाम है?”

उसके मुँह से ये शब्द निकले भी नहीं थे कि उसको सामने से आता हुआ कौओं का एक झुंड दिखायी दे गया। उस झुंड के पीछे एक बाज़[9] था।

मैगली वाले नौजवान ने उससे कहा — “देखते हैं अब तुम क्या करते हो?”

वह आदमी बोला — “मैं अपने तीर को इस बाज़ की बाँयी आँख पर रख कर उसको नीचे गिरा दूँगा।”

यह कह कर उसने अपनी कमान खींची और उस बाज़ की बाँयी आँख में तीर मार कर उसको नीचे गिरा दिया।

मैगली वाला नौजवान बोला — “अब क्या कहते हो दोस्त, हमारे साथ चल रहे हो?”

“यकीनन मैं आप दोनों के साथ चल रहा हूँ।”

सो अब वे तीनों नैपिल्स की तरफ चल दिये। नौजवान अपने घोड़े पर और दोनों साथी उसके पीछे पीछे।

चलते चलते वे ब्रिन्दीसी[10] पहुँचे तो वहाँ के बन्दरगाह पर 100 नौकर[11] काम कर रहे थे पर उनमें से एक नौकर उनको कुछ खास दिखायी दे रहा था। उसने एक खच्चर से भी ज़्यादा का बोझ उठा रखा था और फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसको वह बोझ कुछ बोझ ही न लग रहा हो।

तीनों के मुँह से निकला “अरे उसको देखो ज़रा। वह कितनी आसानी से इतना सारा बोझ लिये जा रहा है। चलो चल कर उसका नाम पूछते हैं।”

उन्होंने उस आदमी से उसका नाम पूछा तो वह बोला — “मेरा नाम है मजबूत पीठ”[12]

ज़रा सोचो तो फिर क्या हुआ होगा? मैगली वाले नौजवान ने उससे भी कहा — “तुम हमारे साथ चलो न। मेरे पास 100 डकैट हैं जो हम सबके खाने के लिये काफी हैं। जब मेरे पैसे खत्म हो जायें तब तुम सब मुझे खाना खिला देना।”

इस बात से वहाँ जो मजदूर काम कर रहे थे वे बड़े दुखी हुए क्योंकि वह मजबूत पीठ उनका बहुत काम करता था। जब वह जाने लगा तो वे सब रो कर कहने लगे — “हम तुम्हें 4 पैन्स ज़्यादा मजदूरी देंगे अगर तुम हमारे पास रुक जाओ तो।”

पर वह मजबूत पीठ बोला — “आराम बड़ी चीज़ है, खाना पीना और घूमना। वाह क्या मजा है। मैं अब यहाँ नहीं रुक सकता मैं इन लोगों के साथ जा रहा हूँ।”

सो अब चारों अपनी यात्रा पर चल दिये। नौजवान अपने घोड़े पर और उसके तीन साथी उसके पीछे पीछे।

आगे जा कर वे एक सराय के पास रुके। वहाँ उन्होंने खूब खाना खाया और जितनी पी सकते थे उतनी शराब पी। खा पी कर वे सब वहाँ से फिर चल दिये।

वहाँ से वे अभी केवल 5–6 मील ही चले होंगे कि उनको एक और नौजवान दिखायी दिया जो धरती से कान लगा कर कुछ सुनने की कोशिश कर रहा था।

मैगली वाले नौजवान ने पूछा — “तुम यहाँ नीचे क्या कर रहे हो? और तुम्हारा नाम क्या है?”

उस नौजवान ने जवाब दिया — “मेरा नाम है “खरगोश के कान”[13]। मैं यहीं बैठे बैठे दुनिया की सारी बातें सुन सकता हूँ चाहे वह कोई भी क्यों न हो। राजा हो या मन्त्री, या फिर प्रेमी हो या कोई साधारण आदमी।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “देखते हैं कि तुम सच बोल रहे या नहीं। तुम अपने कान लगा कर सुनो कि मैगली में इस खम्भे के सामने वाले मकान में रहने वाले लोग क्या बात कर रहे हैं।”

वह बोला — “एक मिनट।”

उसने अपना कान जमीन पर लगाया और बोला — “वहाँ पर दो बूढ़े बुढ़िया आग के पास बैठे आपस में बात कर रहे हैं।

बुढ़िया बूढ़े से कह रही है — “भगवान का लाख लाख धन्यवाद है कि तुम्हारे ऊपर कर्जा तो हो गया पर यह भी अच्छा हुआ जो हमने उस शैतान को घर से बाहर निकाल दिया। अब कम से कम घर में शान्ति तो है।”

मैगली वाले नौजवान ने कहा — “मैं समझ सकता हूँ कि तुम झूठ नहीं बोल रहे हो। मेरे माता पिता के अलावा और कोई ऐसी बात कर ही नहीं सकता।”

सो उन्होंने उसको भी साथ लिया और आगे चल दिये। वे आगे चले तो उनको कई राज[14] काम करते दिखायी दिये। वे सब सुबह की धूप में पसीने से नहाये हुए थे।

“तुम लोग इस समय इतनी गरमी में कैसे काम कर रहे हो?”

“हम कैसे काम कर रहे हैं? हमारे पास एक आदमी है जो हम को ठंडक देता रहता है।”

उन सबने देखा कि एक नौजवान अपनी साँस से सबकी हवा करके उन लोगों को ठंडक पहुँचा रहा था – फ़ फ़ फ़।

उन्होंने उससे पूछा — “तुम्हारा नाम क्या है?”

वह बोला — “मेरा नाम पफ़रैलो[15] है और मैं सारी हवाओं की नकल कर सकता हूँ – फ़ू ऊ ऊ ऊ यह उत्तरी हवा है। पू ऊ ऊ ऊ यह दक्षिण पश्चिमी हवा है। फ़ फ़ फ़ फ़ यह पूर्वी हवा है।” और फिर उसने अपनी पूरी ताकत से उन सबको कई हवाओं की नकल करके दिखायी।”

फिर बोला — “अगर आप चाहें तो मैं हरीकेन[16] भी पैदा कर सकता हूँ।” कह कर उसने अपनी साँस फेंकी और पेड़ टूट टूट कर जमीन पर गिरने लगे जैसे देवताओं को बहुत गुस्सा आ गया हो।

उन चारोेंं ने कहा — “बस करो बस करो। हमारी समझ में आ गया कि तुम क्या कर सकते हो।”

मैगली वाले नौजवान ने कहा — “दोस्त मेरे पास 100 डकैट हैं। क्या तुम मेरे साथ आना पसन्द करोगे?”

पफ़रैलो बोला — “हाँ हाँ चलो चलते हैं।” और वह भी उन सबके साथ चल दिया।

अब उनका एक अच्छा खासा झुंड बन गया था और वे सब एक दूसरे को कहानियाँ सुनाते चले जा रहे थे।

अब वे नैपिल्स आ गये थे। वहाँ आ कर उन्होंने पहला काम तो यह किया कि उन सबने खूब खाया और खूब पिया। फिर वे एक नाई के पास गये और वहाँ जा कर अपने बाल कटाये और हजामत बनवायी। उसके बाद अच्छे से कपड़े खरीदे और उनको पहन कर तैयार हो कर घूमने निकले।

तीन दिनों के अन्दर अन्दर ही मैगली वाले नौजवान के 100 डकैट खत्म होने को आ गये तो उसने अपने साथ आये लोगों से कहा — “मुझे नैपिल्स की हवा नहीं भा रही है। चलो यहाँ से पेरिस[17] चलते हैं। वह जगह ज़्यादा अच्छी है।”

काफी दूर चलने के बाद वे सब पैरिस आ गये। वहाँ के शहर के दरवाजे पर लिखा था — “जो भी आदमी राजा की बेटी को पैदल की दौड़ में हरायेगा वही उसका पति होगा पर जो कोई उससे हार जायेगा वह मारा जायेगा।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “बिजली, यहाँ अब तुम्हारा काम है।”

सो मैगली वाला नौजवान शाही महल तक आया और वहाँ के चौकीदार से बोला — “जनाब मैं अपनी खुशी के लिये ज़रा इधर उधर घूम रहा था कि आज सुबह मैं आपके शहर में घुसा तो आपके शहर के दरवाजे पर राजा की बेटी की यह चुनौती लिखी देखी तो मैं यहाँ अपनी किस्मत आजमाने चला आया।”

चौकीदार बोला — “बेटे, यह मेरे और तुम्हारे बीच की बात है किसी से कहना नहीं। यह राजकुमारी एक पागल लड़की है। वह शादी करना ही नहीं चाहती इसलिये हर समय वह ऐसी चालें सोचती रहती है जिससे कि वह शादी न कर सके और सारे लोग मरते चले जायें। मुझे बहुत दुख होगा अगर तुम भी उन मरने वालों में शामिल हो गये तो।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “यह सब बेकार की बात है। तुम जाओ और उसको बोलो कि वह कोई भी दिन निश्चित कर ले और मुझे बता दे। मेरे लिये कोई भी दिन ठीक है।”

चौकीदार बेचारा क्या करता। उसकी सलाह बेकार गयी। मजबूरन वह अन्दर गया और राजा की बेटी से बात करके उसने मैगली वाला नौजवान को बताया कि रविवार का दिन ठीक रहेगा।

मैगली वाला नौजवान यह सब बताने के लिये अपने साथी के पास चला गया। तय किया हुआ दिन भी आ पहुँचा। उन लोगों ने एक सराय में जा कर बहुत बढ़िया खाना खाया और फिर प्लान बनाया कि आगे क्या करना है।

बिजली बोला — “तुम्हें मालूम है न कि तुम्हें क्या करना है। तुमको मुझे शनिवार की शाम को उसके पास एक नोट ले कर भेजना है कि तुमको बुखार आ गया है और तुम भाग नहीं सकते इसलिये अपने बदले में तुम मुझको भेज रहे हो।

अगर मैं जीत जाता हूँ तो वह तुमसे शादी कर लेगी और अगर मैं हार गया तो फिर मरने के लिये तुम जाओगे।”

और यही उन लोगों ने किया भी। मैगली वाले नौजवान ने शनिवार की शाम को राजकुमारी के पास यह चिठ्ठी भेज दी कि उसको बुखार आ गया है सो अपनी जगह वह एक दूसरे आदमी को दौड़ने के लिये भेज रहा है।

रविवार की सुबह सड़क के दोनों तरफ लोगों की कतार लगी हुई थी और सड़क तेज़ भागने के लिये शीशे की तरह से चमक रही थी।

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जब दौड़ का समय आया तो राजा की बेटी बैलैरीना[18] की पोशाक पहन कर आयी और बिजली के साथ आ कर खड़ी हो गयी। हर आदमी आँखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था।

बिगुल बजा और राजकुमारी खरगोश की तरह से वहाँ से भाग चली। पर बस चार कूद के बाद ही बिजली ने राजकुमारी को 100 फीट पीछे छोड़ दिया।

खूब तालियाँ पिटीं। लोग ज़ोर ज़ोर से चिल्लाये — “ओ इटली के नौजवान, तुम्हारी जय हो। आखिर तुमको अपना साथी मिल ही गया, ओ पागल लड़की। यह आदमी इसको जरूर दबा कर रखेगा।”

अपनी हार देख कर राजकुमारी दुखी हो कर घर चली गयी।

घर पहुँची तो उसका पिता बोला — “इस तरह का मुकाबला रखने का तुम्हारा ही विचार था और अब गुस्सा होने की भी तुम्हारी ही बारी है। जो भी तुमको अच्छा लगे।”

अब हम राजा की बेटी को तो महल में ही छोड़ते हैं और बिजली के पास चलते हैं। दौड़ में जीत कर वह सराय में वापस आ गया और अपने साथियों के साथ जीत की खुशी की दावत खाने बैठ गया।

दावत खाते खाते “खरगोश का कान” बोला — “श श श।” और अपना कान जमीन से लगा दिया जैसा कि वह हमेशा किया करता था।

कुछ सुन कर बोला — “हम लोग बड़ी मुसीबत में हैं। राजकुमारी कह रही है कि वह तुमको किसी भी कीमत पर अपना पति मानने के लिये तैयार नहीं है। वह कहती है कि ऐसी दौड़ का कोई मानी नहीं होता जिसमें उसके होने वाले पति की बजाय कोई और दौड़े।

वह अब किसी जादूगरनी से इस बारे में बात कर रही है कि तुमको कैसे हराया जाये। वह जादूगरनी उसको बता रही है कि वह एक कीमती पत्थर यानी किसी रत्न पर जादू करेगी और उसको एक अँगूठी में लगवा कर वह अँगूठी वह तुमको पहनवा देगी ताकि तुम हार जाओ।

राजकुमारी दौड़ से पहले वह अँगूठी तुमको देगी और एक बार तुमने उसको पहन लिया तो तुम उसको अपनी उँगली से निकाल भी नहीं पाओगे और उसकी वजह से तुम्हारी टाँगें भी भागने से मना कर देंगी।”

“अन्धा सीधा” बोला — “अब काम करने की बारी मेरी है। दौड़ शुरू होने से पहले जब तुम अँगूठी पहनने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाओगे तब मैं एक तीर अँगूठी की तरफ फेंकूँगा इससे वह कीमती पत्थर अँगूठी में से निकल कर दूर जा पड़ेगा तब हम देखेंगे कि हमारी राजकुमारी जी क्या करती हैं।”

यह सुन कर सब चिल्लाये — “बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया।” और इस बारे में उन सबकी चिन्ता खत्म हो गयी।

अगली सुबह मैगली वाले नौजवान के पास राजकुमारी का एक सन्देश आया जिसमें उसको उसके दोस्त के दौड़ने की कला पर बधाई दी गयी थी।

इसके साथ ही उसमें यह भी कहा गया था कि अगर उसको कोई ऐतराज न हो तो अगले रविवार को वह फिर से दौड़ में हिस्सा ले। मैगली वाले नौजवान को भला क्या ऐतराज हो सकता था सो उसने अगले रविवार की दौड़ के लिये हाँ कर दी।

अगले रविवार को सड़क पर और भी ज़्यादा भीड़ थी। निश्चित समय पर राजकुमारी अपनी नंगी टाँगों के साथ आयी जैसे कलाबाजी करने वालों की या नट लोगों की होती हैं।

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वह बिजली की तरफ बढ़ी और उसको अँगूठी दी और बोली — “ओ नौजवान, क्योंकि तुम ही एक अकेले ऐसे आदमी हो जिसने दौड़ में मुझे हराया था इसलिये मैं यह अंगूठी तुम्हारे दोस्त की दुलहिन के नाते तुमको देती हूँ।”

यह कह कर उसने वह अँगूठी बिजली को पहना दी।

अँगूठी पहनते ही बिजली की टाँगें काँपने लगीं और वह बैठने लगा। अन्धा सीधा जो उसकी तरफ देख रहा था चिल्लाया “अपना हाथ आगे कर।”

धीरे धीरे बड़ी मुश्किल से उसने अपना हाथ आगे किया और उसी पल दौड़ शुरू होने का बिगुल बजा तो राजकुमारी ने तो भागना शुरू कर दिया।

अन्धे सीधे ने अपनी कमान खींची, तीर चलाया और अँगूठी बिजली की उँगली से निकल कर दूर जा गिरी और बिजली फिर से चार कूद में ही राजकुमारी के पास पहुँच गया। पाँचवीं कूद में उससे आगे निकल गया और राजकुमारी फिर से हार गयी।

पर असली तमाशा तो लोगों में था। लोग बहुत खुश थे। वे अपने अपने टोप हवा में उछाल रहे थे। राजकुमारी की हार देख कर सब बहुत खुश थे। उन्होंने बिजली को ऊपर उठा लिया और सारे शहर में अपने कंधे पर उठाये घूमे।

जब ये पाँचों रोग अकेले थे तो वे एक दूसरे को गले लगा रहे थे। एक दूसरे को शाबाशी दे रहे थे।

मैगली वाले नौजवान ने कहा — “अब हम अमीर हो गये हैं। कल को मैं राजा बन जाऊँगा और मैं चाहूँगा कि हर आदमी मेरे शाही महल के बाहर रहे। बताओ कि तुम लोग क्या बनना चाहते हो?”

एक बोला — “मुझे तो शाही महल का रखवाला[19] बनना है।”

दूसरा बोला — “मुझे मिनिस्टर बनना है।”

तीसरा बोला — “और मैं तो जनरल बनूँगा।”

पर “खरगोश का कान” बोला कि वे लोग थोड़ा चुप हो जायें क्योंकि वह कुछ सुन रहा था।

जमीन पर कान लगा कर सुनने की कोशिश करते हुए वह बोला — “अभी एक सन्देश आने वाला है। वे लोग महल में बात कर रहे हैं कि वे लोग मैगली वाले नौजवान को बहुत सारा पैसा केवल इसलिये देने वाले हैं ताकि वह राजकुमारी से शादी न करे।”

“मजबूत पीठ” बोला — “अब काम करने की मेरी बारी है। मैं उनको उनका सब कुछ देने पर मजबूर कर दूँगा।”

अगली सुबह मैगली वाला नौजवान तैयार हुआ और महल गया। राज सिंहासन के कमरे के बाहर वह एक सलाहकार से मिला और उससे महल में जाने की इजाज़त माँगी।

तो वह सलाहकार बोला — “बेटे, क्या तुम अपने से किसी बड़े की सलाह मानना पसन्द करोगे? अगर तुम उस पागल लड़की से शादी करोगे तो तुम एक शैतान को अपने घर ले जाने के अलावा और कुछ नहीं करोगे।

इससे तो अच्छा यह है कि उस पागल लड़की की बजाय तुम उनसे कुछ अच्छा खासा पैसा माँग लो और शान्ति से अपने घर जाओ।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “आपकी सलाह के लिये बहुत बहुत धन्यवाद पर मुझे इस तरह पैसा लेना पसन्द नहीं है। पर आप की सलाह के अनुसार फिर भी हम ऐसा करते हैं कि मैं अपने एक दोस्त को आपके पास भेजता हूँ।

आप उसको अपने साथ ले जाइये और उसकी पीठ पर जितना वह उठा सकता है पैसा लाद कर भेज दीजिये।”

सो वह मजबूत पीठ वहाँ आ गया। उसकी पीठ पर 100–100 पौंड के बोझा उठाने वाले 50 थैले रखे हुए थे।

वह आ कर बोला — “मेरे दोस्त ने मुझे आपके पास इसलिये भेजा है ताकि आप मेरी पीठ पर सामान लाद दें।”

दरबार में बैठा हर आदमी एक दूसरे की तरफ देखने लगा कि कहीं यह आदमी पागल तो नहीं हो गया है।

मजबूत पीठ बोला — “नहीं नहीं मैं पागल नहीं हूँ मैं सच कह रहा हूँ। जल्दी करो मुझे और काम भी हैं।”

सो वे शाही खजाने में घुसे और एक थैला भरना शुरू किया तो 20 आदमी उसको उठाने के लिये लगे। अन्त में जब उन्होंने उसको उठा कर मजबूत पीठ की पीठ पर रखा और पूछा “इतना काफी है?”

वह बोला — “यह क्या तुम मजाक कर रहे हो? मेरे लिये तो यह एक छोटे से तिनके के बराबर है।”

सो वे थैले भरते चले गये और सोने के ढेर के ढेर खाली होते चले गये। फिर उन्होंने चाँदी के ढेर थैलों में भरना शुरू किया तो उनकी चाँदी भी खाली होती चली गयी।

फिर उन्होंने ताँबा लिया तो वह भी खत्म हो गया। इन सबके बाद उन्होंने मोमबत्तियाँ, प्लेटें, प्यालियाँ भर कर उसकी पीठ पर लादे पर उसकी मजबूत पीठ फिर भी नही झुकी।

इसके बाद उन्होंने पूछा — “अब तुमको कैसा लग रहा है?”

मजबूत पीठ कुछ नाराज सा हो कर बोला — “क्या मैं इस बात की शर्त लगा लूँ कि मैं तुम्हारा महल भी उठा कर ले जा सकता हूँ?”

उसके साथियों ने जब उसको आते देखा तो उनको लगा कि उनके सामने तो एक पहाड़ चला आ रहा है, और वह भी अपने आप दो छोटे छोटे पैरों पर। उसको साथ ले कर वे आगे बढ़े।

वे वहाँ से अभी केवल 5–6 मील ही गये होंगे कि “खरगोश के कान” ने सुना — “दोस्तों, अभी हमारी मुसीबतें खत्म नहीं हुईं हैं। महल में लोग सलाह मशवरा कर रहे हैं। क्या तुम लोग सोच सकते हो कि वे लोग क्या कह रहे होंगे?

वे कह रहे हैं — “मैजेस्टी, क्या यह मुमकिन है कि चार बेकार के लोग हमारा सब कुछ ले कर चले जायें? हमारे पास तो अब डबल रोटी खरीदने तक के लिये भी पैसे नहीं है। वे हमारा सब कुछ ले गये हैं।”

राजा बोला — “जल्दी करो, हमको अपने कुछ सिपाही भेजने चाहिये जो उनके टुकड़े टुकड़े कर के उड़ा दें नहीं तो हमको आज शाम का खाना भी नहीं मिलेगा।”

मैगली वाला नौजवान बोला — “अगर ऐसा है तो हमारा काम तो खत्म हो गया। हमने सब मुश्किलें पार कर लीं पर अब हम क्या करें?”

पफ़रैला बोला — “तुम बेवकूफ हो। तुम मुझको तो भूल ही गये कि मैं तो तूफान भी ला सकता हूँ और उस तूफान से हर एक को नीचे गिरा सकता हूँ। तुम लोग चलो और फिर देखो कि मैं क्या कर सकता हूँ।”

उधर राजा ने अपने सिपाही भेजे तो उनके घोड़ों की टापों की आवाजें सुनायी पड़ने लगीं। जैसे ही वे पास आ गये पफ़रैला ने अपनी साँस छोड़ना शुरू किया – फ़ फ़ फ़। फिर और तेज फ़ फ़ फ़। इससे धूल के बादल उठे और उसकी वजह से उन सिपाहियों को दिखायी देना बन्द हो गया।

और फिर उसने अपनी पूरी ताकत से अपनी साँस फेंक दी – फ़ फ़ फ़ फ़ फ़। इससे सारे सिपाही अपने अपने घोड़ों से गिर पड़े, पेड़ जड़ से उखड़ कर गिर पड़े, दीवारें गिर पड़ीं और उन सिपाहियों की बन्दूकें हवा में उड़ गयीं।

जब पफ़रैला को निश्चय हो गया कि उसने राजा के सारे सिपाहियों को तहस नहस कर दिया तो वह अपने साथियों के साथ जा कर मिल गया और बोला — “फ्रांस के राजा को इस सबकी उम्मीद नहीं होगी। अब वह इन सब घटनाओं को ज़िन्दगी भर याद रखेगा और अपने बेटों को बतायेगा।”

फिर वे सब मैगली वाले नौजवान के पास आये। सारे पैसों को आपस में बाँटा। सबको 4–4 मिलियन डकैट मिले।

इसके बाद जब भी वे एक साथ होते वे हमेशा कहते फ्रांस के राजा को क्या नीचा दिखाया और उसकी पागल लड़की को भी।

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36 पुस्तकें www.Scribd.com/Sushma_gupta_1 पर उपलब्ध हैं।

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2 नाइजीरिया की लोक कथाएं–2

3 इथियोपिया की लोक कथाएं–1

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2 इथियोपिया की लोक कथाएं–1 — प्रभात प्रकाशन

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1 इथियोपिया की लोक कथाएं–1

http://www.rachanakar.org/2017/08/1-27.html

2 इथियोपिया की लोक कथाएं–2

http://www.rachanakar.org/2017/08/2-1.html

3 रैवन की लोक कथाएं–1

http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1.html

4 रैवन की लोक कथाएं–2

http://www.rachanakar.org/2017/09/2-1.html

5 रैवन की लोक कथाएं–3

http://www.rachanakar.org/2017/09/3-1-1.html

6 इटली की लोक कथाएं–1

http://www.rachanakar.org/2017/09/1-1_30.html

7 इटली की लोक कथाएं–2

http://www.rachanakar.org/2017/10/2-1.html

8 इटली की लोक कथाएं—3

http://www.rachanakar.org/2017/10/3-1.html

नीचे लिखी पुस्तकें जुगरनौट डाट इन पर उपलब्ध हैं

1 सोने की लीद करने वाला घोड़ा और अन्य अफ्रीकी लोक कथाएं

https://www.juggernaut.in/books/8f02d00bf78a4a1dac9663c2a9449940

2 असन्तुष्ट लड़की और अन्य अमेरिकी लोक कथाएं

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Updated on Sep 27, 2017

लेखिका के बारे में

clip_image010सुषमा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में सन् 1943 में हुआ था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र और अर्थ शास्त्र में ऐम ए किया और फिर मेरठ विश्वविद्यालय से बी ऐड किया। 1976 में ये नाइजीरिया चली गयीं। वहाँ इन्होंने यूनिवर्सिटी औफ़ इबादान से लाइबे्ररी साइन्स में ऐम ऐल ऐस किया और एक थियोलोजीकल कौलिज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।

वहाँ से फिर ये इथियोपिया चली गयीं और वहाँ एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी के इन्स्टीट्यूट औफ़ इथियोपियन स्टडीज़ की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात इनको दक्षिणी अफ्रीका के एक देश. लिसोठो के विश्वविद्यालय में इन्स्टीट्यूट औफ़ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज़ में 1 साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से 1993 में ये यू ऐस ए आ गयीं जहाँ इन्होंने फिर से मास्टर औफ़ लाइब्रेरी एंड इनफौर्मेशन साइन्स किया। फिर 4 साल ओटोमोटिव इन्डस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।

1998 में इन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और अपनी एक वेब साइट बनायी – www.sushmajee.com। तब से ये उसी वेब साइट पर काम कर रहीं हैं। उस वेब साइट में हिन्दू धर्म के साथ साथ बच्चों के लिये भी काफी सामग्री है।

भिन्न भिन्न देशों में रहने से इनको अपने कार्यकाल में वहाँ की बहुत सारी लोक कथाओं को जानने का अवसर मिला – कुछ पढ़ने से, कुछ लोगों से सुनने से और कुछ ऐसे साधनों से जो केवल इन्हीं को उपलब्ध थे। उन सबको देख कर इनको ऐसा लगा कि ये लोक कथाएं हिन्दी जानने वाले बच्चों और हिन्दी में रिसर्च करने वालों को तो कभी उपलब्ध ही नहीं हो पायेंगी – हिन्दी की तो बात ही अलग है अंग्रेजी में भी नहीं मिल पायेंगीं।

इसलिये इन्होंने न्यूनतम हिन्दी पढ़ने वालों को ध्यान में रखते हुए उन लोक कथाओं को हिन्दी में लिखना प्रारम्भ किया। इन लोक कथाओं में अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के देशों की लोक कथाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों की भी कुछ लोक कथाएं सम्मिलित कर ली गयी हैं।

अभी तक 1200 से अधिक लोक कथाएं हिन्दी में लिखी जा चुकी है। इनको “देश विदेश की लोक कथाएं” क्रम में प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है। आशा है कि इस प्रकाशन के माध्यम से हम इन लोक कथाओं को जन जन तक पहुँचा सकेंगे।

विंडसर, कैनेडा

मई 2016


[1] The Five Scapegraces (Story No 126) – a folktale from Italy from its Terra d’Otranto area.

Adapted from the book : “Italian Folktales” by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.

[2] Maglie – a town in Italy

[3] Translated for he word “Devil”

[4] Ducat was the then currency in Italy

[5] Naples is big historical city and sea port of Italy just south to Rome, Italy’s capital, on its West coast

[6] Surname or Family name

[7] Streak – a thin long strip of water or anything else

[8] Blind Straight

[9] Translated for the word “Falcon” – see its picture above

[10] Brindisi – a place in Southern Italy

[11] Translated for the word “Stevedores”

[12] Strongback

[13] Translated for the words “Rabbit-ears”

[14] Translated for the word “Mason” – who build buildings

[15] Puffrello

[16] Hurricane – a kind of wind storm

[17] Paris is the capital of France country

[18] Ballerina – is a type of dance and a special costume is worn while dancing. See its picture above.

[19] Translated for the word “Chamberlain”. Chamberlain takes of the palace.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(समाप्त)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 18 पाँच रोग // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 18 पाँच रोग // सुषमा गुप्ता
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