9 ग्वालिन रानी [1] एक बार एक राजा और रानी थे जिनके कोई बच्चा नहीं था। एक बुढ़िया ने उनको बताया कि उनके या तो एक लड़का होगा जो घर छोड़ कर चला जा...
एक बार एक राजा और रानी थे जिनके कोई बच्चा नहीं था। एक बुढ़िया ने उनको बताया कि उनके या तो एक लड़का होगा जो घर छोड़ कर चला जायेगा और वे उसको कभी नहीं देख पायेंगे।
और या फिर वह एक बेटी ले लें जिसको वे 18 साल की उम्र तक रख पायेंगे – वह भी जब जबकि वे उस पर ठीक से नजर रख पाये तो वरना . . .।
राजा और रानी ने कहा कि वे बेटी से ही सन्तुष्ट थे।
समय आने पर उनके घर एक बेटी हुई। राजा ने उसके लिये जमीन के नीचे एक बहुत ही सुन्दर महल बनवाया और वह उसी में रहने, पलने और बढ़ने लगी। उस लड़की को इस बात का ज़रा भी पता नहीं था कि जमीन के ऊपर भी कुछ है।
जब वह 18 साल की होने को आयी तो उसने अपनी आया से प्रार्थना की कि वह उस महल का दरवाजा खोल दे। हालांकि आया ने उसको दरवाजा खोलने के लिये काफी मना किया पर वह उससे जिद करती रही तो आखिर आया ने उसके लिये महल का दरवाजा खोल दिया।
लड़की दरवाजे से बाहर निकली तो उसने अपने आपको एक बागीचे में पाया। सूरज देख कर उसको बहुत अच्छा लगा। उसने सूरज पहली बार देखा था। आसमान के बहुत सारे रंग पहली बार देखे थे। फूल और बड़े बड़े पंखों वाली चिड़ियें पहली बार देखी थीं कि वे कैसे नीचे उड़ उड़ कर आ रही थीं।
इतने में एक बड़े पंजे वाली चिड़िया आयी और उसको अपने पंजों में दबा कर उड़ा कर ले गयी। वह चिड़िया उड़ती गयी और उड़ती गयी और उड़ती गयी और जा कर खेत में बने एक मकान पर बैठ गयी।
उसने उस लड़की को उस घर की छत पर ले जा कर छोड़ दिया और उड़ गयी। उस समय दो किसान उस खेत में काम कर रहे थे – एक पिता और एक उसका बेटा,। उन्होंने देखा कि उनके मकान के ऊपर कोई चमकीली सी चीज़ बैठी है।
सो उन्होंने एक सीढ़ी उठायी और छत पर चढ़ गये। वहाँ पहुँच कर उन्होंने देखा कि वहाँ तो एक सुन्दर सी लड़की चमकीले हीरों का ताज पहने खड़ी है।
उस किसान का यही एक बेटा था जो उसके साथ काम कर रहा था और पांच बेटियाँ थीं। उसकी पांचों बेटियाँ ग्वालिनें थीं। उस किसान ने उस लड़की को अपनी उन पांचों बेटियों के साथ ही रख लिया और सब साथ साथ ही रहने लगे।
वह किसान हर महीने उस लड़की के ताज का एक हीरा बेच देता और उससे आये पैसों से परिवार का खर्च चलाता था।
जब लड़की के ताज के सब हीरे बिक गये तो लड़की किसान की पत्नी से बोली — “मैं आप लोगों से दूर नहीं रहना चाहती माँ। आप इस देश के राजा के पास जायें और उनसे कहें कि वह आपको कढ़ाई करने के लिये कुछ दे दें।”
सो किसान की पत्नी उस देश के राजा के पास गयी और कढ़ाई के लिये कुछ माँगा तो रानी बोली — “तुम अपनी ग्वालिन बेटियों से यह उम्मीद कैसे रखती हो कि वह कुछ कढ़ाई कर लेंगी?”
फिर भी रानी ने चतुराई से कढ़ाई करने के लिये उसको एक कैनवैस[2] दे दिया। किसान की पत्नी उस कैनवैस को ले कर घर आ गयी और उस कैनवैस को उसने उस लड़की को दे दिया।
लड़की ने उस कैनवैस पर इतनी सुन्दर कढ़ाई की कि उसको देख कर तो रानी की बोलती ही बन्द हो गयी।
रानी ने किसान की पत्नी को दो सोने के सिक्के और एक साफ करने वाला कपड़ा[3] दिया जो उस लड़की को काढ़ना था। कुछ दिन बाद किसान की पत्नी कढ़ाई किये गये सफाई करने वाले कपड़े को ले कर रानी के पास गयी तो रानी ने देखा कि वह कपड़ा तो बहुत ही सुन्दर कढ़ा हुआ था।
इस बार रानी ने उसको तीन सोने के सिक्के दिये और काढ़ने के लिये एक पुरानी फटी हुई स्कर्ट दे दी। जब वह स्कर्ट रानी को वापस दी गयी तो वह तो शाम को पहने जाने वाली पोशाक का ही एक हिस्सा लग रही थी।[4]
अब की बार रानी से नहीं रहा गया। उसने उस किसान की पत्नी से पूछा — “तुम्हारी बेटी ने इतनी सुन्दर कढ़ाई करनी सीखी कहाँ?”
किसान की पत्नी ने जवाब दिया — “एक नन[5] ने उसे यह सब सिखाया था।”
रानी बोली — “हो सकता है पर फिर भी यह किसी देहातिन का काम नहीं है। खैर कोई बात नहीं। मैं चाहूँगी कि वह मेरे बेटे की शादी की सारी पोशाकों पर कढ़ाई करे।”
यह सुन कर कि एक ग्वालिन उसकी शादी की पोशाकें काढ़ रही थी राजकुमार ने उस ग्वालिन से मिलने और उसको कढ़ाई करते देखने की इच्छा प्रगट की।
वह एक शरारती नौजवान था सो उसकी यह इच्छा ज़ोर पकड़ गयी। एक दिन वह अचानक उसके घर पहुँच गया और उसने पीछे से जा कर उसको चूम लिया।
इस पर उस लड़की की कढ़ाई करने वाली सुई उस राजकुमार की छाती में चुभ गयी और दिल तक जा पहुँची जिससे वह मर गया।
यह देख कर लड़की तो सन्न रह गयी पर इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। उसको पकड़ कर राजा की अदालत में ले जाया गया। उस अदालत में राजा की चार लड़कियाँ जज के रूप में थीं।
राजा की सबसे बड़ी लड़की ने इस लड़की के लिये मौत की सजा सुनायी। दूसरी लड़की ने उसको ज़िन्दगी भर के लिये जेल में डालने की सजा दी। तीसरी लड़की ने उसको 20 साल जेल में रहने की सजा सुनायी।
पर चौथी लड़की जो राजा की सबसे छोटी लड़की थी और जो सबसे ज़्यादा दयालु थी समझ गयी कि यह मौत तो उसका भाई अपने लिये अपने आप ही ले कर आया था। उसको मारने में इस लड़की का कोई हाथ नहीं है।
उसने उस लड़की के लिये एक मीनार में 8 साल के लिये बन्द करने की सलाह दी। और साथ में उसने यह भी कहा कि राजकुमार का शरीर हमेशा उसके सामने रखा रहना चाहिये ताकि वह उसको देख देख कर पछताती रहे।
सबसे छोटी लड़की की बात मान ली गयी और उस ग्वालिन लड़की को एक मीनार में बन्द कर दिया गया। जब वह मीनार की तरफ ले जायी जा रही थी तो राजा की सबसे छोटी लड़की जिसने उसको यह सजा दी थी उसके कान में फुसफुसायी — “तुम डरना नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
राजा की बेटी अपनी बात की सच्ची थी। वह उस ग्वालिन कैदी को खाने के लिये रोज शाही रसोई के बढ़िया बढ़िया पकवान भेजती रही।
जब उस ग्वालिन को मीनार में कैद हुए तीन साल हो गये तो मीनार के पास एक दिन फिर से वही बड़े पंखों वाली चिड़िया प्रगट हुई जो उस लड़की को उसके जमीन के अन्दर वाले महल से उठा कर लायी थी। उसने मीनार की चोटी पर एक घोंसला बनाया और वहाँ 10 अंडे दिये। उन 10 अंडों में से 10 बच्चे निकले।
वह कैदी ग्वालिन उस चिड़िया से रोज कहती — “चिड़िया ओ चिड़िया, जैसे तुम मुझे मेरे घर से बाहर निकाल कर लायी थीं उसी तरह तुम मुझे यहाँ से भी बाहर निकालो।”
मीनार के पास ही एक और महल था जिसमें राजा की तीनों बड़ी वाली लड़कियाँ रहती थीं। एक दिन जब वे खिड़की पर खड़ी थीं तो उन्होंने उस ग्वालिन के शब्द सुन लिये और राजा को जा कर उनको बता दिया।
राजा ने हुकुम दिया कि उस चिड़िया और उसके बच्चों को उस मीनार से नीचे फेंक दिया जाये ताकि वे सब जमीन पर गिरते ही मर जायें।
चौकीदारों ने उस चिड़िया का घोंसला उसके बच्चों के साथ साथ उस मीनार से नीचे फेंक दिया। नीचे गिरते ही उस चिड़िया के सारे बच्चे मर गये।
उसी शाम उस ग्वालिन ने उस बड़ी चिड़िया को अपने मरे हुए बच्चों के ऊपर उड़ते हुए देखा। उसकी चोंच मे एक खास किस्म की घास का गुच्छा था। उसने उस घास के गुच्छे को उन मरे हुए बच्चों के ऊपर फेरा और उसके सब बच्चे ज़िन्दा हो गये।
यह देख कर ग्वालिन को बड़ा आश्चर्य हुआ और वह उस चिड़िया से बोली — “मुझे भी थोड़ी सी यह जादू की घास ला दो न।”
यह सुन कर वह चिड़िया वहाँ से उड़ गयी और अपने पंखों में वैसी ही थोड़ी सी घास ले कर वापस आ गयी। उस लड़की ने वह घास उससे ले ली और राजकुमार के शरीर को उस घास से सहलाया। धीरे धीरे राजकुमार उठ बैठा और ज़िन्दा हो गया।
यह कहना मुश्किल है कि उन दोनों में से कौन ज़्यादा खुश था, ग्वालिन या राजकुमार। पर ग्वालिन ने उसको गले से लगा लिया और वे काफी देर तक एक दूसरे से हँस हँस कर बातें करते रहे।
हालांकि उन्होंने यह खुशी की खबर किसी को नहीं बतायी पर फिर भी राजा की सबसे छोटी बेटी को यह पता चल गया कि उसका भाई ज़िन्दा हो गया है और उसने उस दिन वहाँ बहुत सारे स्वादिष्ट खाने भिजवाये और फिर वह वहाँ रोज रोज वैसे ही खाने भेजती रही।
उसके भाई ने अपनी बहिन को एक गिटार भी भिजवाने के लिये कहा तो उसने उसको एक गिटार भी भिजवा दिया।
अब क्या था ग्वालिन और राजकुमार उस मीनार के ऊपरी हिस्से में गा बजा कर अपने दिन गुजारने लगे। पास वाले महल में से जिसमें वे तीन लड़कियाँ रहती थीं उस मीनार से गाने और गिटार बजाने की आवाज सुनी तो उन्होंने सोचा कि वे वहाँ जा कर देखें कि वहाँ क्या हो रहा है।
पर जब वे तीनों लड़कियाँ वहां पहुँची तो देखा कि राजकुमार अपने ताबूत में पहले की तरह से लेटा हुआ था और वह लड़की भी दुखी सी बैठी थी सो वे तीनों बहिनें बेवकूफों की तरह से अपना सा मुँह ले कर वहाँ से वापस लौट आयीं। पर उस रात उन्होंने मीनार से आती गाने बजाने की आवाज फिर से सुनी।
वे अपने पिता राजा के पीछे पड़ी रहीं कि उस मीनार में कुछ गड़बड़ हो रही थी इसलिये उस लड़की को किसी दूसरी जगह भिजवा दिया जाये। और उस ग्वालिन को उन्होंने एक दूसरी जेल में भिजवा ही दिया।
जब चौकीदार उसको लेने के लिये वहाँ गये तो उन्होंने देखा कि वह लड़की तो राजकुमार की बांहों में बांहें डाल कर बैठी हुई है। यह बात चौकीदारों ने जा कर राजा से कही तो राजा, रानी और उनकी चारों बेटियाँ वहाँ राजकुमार को ज़िन्दा देखने के लिये आये।
उन्होंने देखा कि राजकुमार तो सचमुच ज़िन्दा था और तन्दुरुस्त था। यह देख कर तो सारे शाही परिवार की बोलती बन्द हो गयी। राजकुमार बोला — “पिता जी, माँ, बहिनों, मैं आप सबको अपनी पत्नी से मिलाना चाहता हूँ।”
उसकी सबसे छोटी बहिन ने ताली बजायी पर उसकी दूसरी तीनों बहिनों को एक ग्वालिन को अपनी भाभी बनाने का विचार कुछ जमा नहीं।
जब वे उसको बिल्कुल ही नहीं सह सकीं तो उन्होंने उसकी हँसी उड़ानी शुरू कर दी और उसका अपमान करना शुरू कर दिया।
राजा ने अपने बेटे की शादी उस ग्वालिन के साथ तय कर दी और शादी का दिन पास आने लगा। शादी से पहले दुलहिन ने राजकुमार की बहिनों से कहा — “अब मुझे घर जाना चाहिये और अपने माता पिता से मिलना चाहिये। मुझे बताओ कि मैं तुम लोगों के लिये वहाँ से क्या क्या भेंट ले कर आऊँ।”
सबसे बड़ी लड़की ने कहा — “एक बोतल दूध।”
दूसरी लड़की बोली — “थोड़ी सी रिकोटा चीज़[6]।”
तीसरी लड़की बोली — “मुझे तो एक टोकरी लहसुन चाहिये।”
यह सुन कर वह ग्वालिन अपने घर चली गयी पर वह खेत पर नहीं गयी। अब की बार वह अपने असली माता पिता के पास गयी जिन्होंने उसको ज़मीन के नीचे उसके लिये महल बनवा कर उसमें उसको 18 साल तक कैद रखा था।
एक हफ्ते बाद वह एक बहुत सुन्दर गाड़ी में जिसको सफेद घोड़े खींच रहे थे दुलहे के घर लौटी। उसको इतनी बढ़िया शाही गाड़ी में बैठा देख कर उसकी तीनों बड़ी ननदों के मुँह से एक साथ ही निकला — “अरे यह ग्वालिन एक शाही गाड़ी में?”
वह ग्वालिन गाड़ी में से उनकी भेंटें ले कर बाहर निकली। उसने अपनी सबसे बड़ी ननद को एक बोतल दूध दिया। यह दूध एक चांदी की बोतल में था और यह बोतल एक सुनहरे कपड़े में लिपटी हुई थी।
दूसरी ननद को उसने रिकोटा चीज़ दी। वह सोने के डिब्बे में रखी थी और तीसरी ननद को उसने एक टोकरी लहसुन दी। उस लहसुन की कलियाँ हीरे की और पत्ते पन्ने के थे।
उसकी सबसे छोटी ननद ने पूछा — “और तुम मेरे लिये क्या ले कर आयीं भाभी जिसने हमेशा तुम्हें इतना प्यार किया?”
ग्वालिन ने गाड़ी का दरवाजा खोला और उसमें से उसने एक बहुत ही सुन्दर नौजवान को बाहर निकाला। उसको उसने अपनी सबसे छोटी ननद के हवाले करते हुए उससे कहा — “यह मेरा छोटा भाई है जो मेरे वहाँ से आने के बाद पैदा हुआ था। इसे मैं तुम्हें सौंपती हूँ।”
ग्वालिन की शादी उस राजकुमार से हो गयी और राजकुमार की बहिन की शादी उसके बाद ग्वालिन के भाई से हो गयी। सब लोग खुशी-खुशी रहने लगे।
[1] The Milkmaid Queen (Story No 81) – a folktale from Legborn area, Italy, Europe.
Adapted from the book: “Italian Folktales” by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.
[2] Translated for the word “Canvas” – canvas is a type of thick coarse cloth
[3] Translated for the word “Dusting cloth”
[4] It was looking so nice that it looked like a part of the eveniong dress. Evening dress is supposed to be a good dress in western world.
[5] A nun is a member of a religious community of women, living under vows of poverty, chastity, and obedience. She may have decided to dedicate her life to serving all other living beings, or she might be an ascetic who voluntarily chose to leave mainstream society and live her life in prayer and contemplation in a monastery or convent. The term "nun" or “Sister” is applicable to both Eastern and Western Catholics, Orthodox Christians, Anglicans, Lutherans, Jains, Buddhists, Taoists, Hindus and some other religious traditions. See a picture of nun above.
[6] It is kind of processed Paneer.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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