एक बार जीसस और सेन्ट पीटर एक खेत में से हो कर जा रहे थे कि एक बड़ा खरगोश [1] सब्जियों के पौधों की एक कतार के पीछे से निकला और जीसस के पैरों ...
एक बार जीसस और सेन्ट पीटर एक खेत में से हो कर जा रहे थे कि एक बड़ा खरगोश[1] सब्जियों के पौधों की एक कतार के पीछे से निकला और जीसस के पैरों के पास आ कर गिर पड़ा।
जीसस बोले — “पीटर जल्दी जल्दी, अपना थैला खोलो और इस बड़े खरगोश को अपने थैले में डालो।”
पीटर ने उस बड़े खरगोश को उठाया और अपने थैले में डाल लिया और जीसस से कहा — “हमने बहुत दिनों से अच्छा खाना नहीं खाया है लौर्ड। इस बड़े खरगोश को तो आज हम भून कर खायेंगे।”
“ठीक है पीटर। ले चलो इसको। आज शाम को हम दोनों बहुत अच्छा खाना खायेंगे। और क्योंकि तुम खाना भी बहुत अच्छा बनाते हो इसलिये तुम इस बड़े खरगोश को हमारे लिये बहुत अच्छा ही बनाओगे।”
वहाँ से चलते चलते वे एक शहर में आये। वहाँ एक सराय का साइनबोर्ड देख कर वे उस सराय में अन्दर घुस गये।
“नमस्ते।”
“नमस्ते।”
जीसस सराय के मालिक से बोले — “हमारे लिये आधी बोतल शराब लाओ।”
फिर वह पीटर से बाले — “और पीटर जब तक यह सराय वाला हमारे लिये शराब ले कर आता है इस बीच तुम यह बड़ा खरगोश भून लाओ।”
सेन्ट पीटर तो मास्टर था। उसके पास एक चाकू था जिसको वह हमेशा अपने साथ रखता था। उसने वह चाकू निकाला और उसको एक पत्थर पर घिस कर तेज़ किया। फिर उसने बड़े खरगोश की खाल निकाली, उसे काटा और एक कढ़ाई में डाल दिया।
जैसे जैसे वह बड़ा खरगोश पकना शुरू हुआ तो उसके पकने की खुशबू से सेन्ट पीटर के मुँह में पानी आने लगा।
“ओह कितना बढ़िया और मोटा है यह बड़ा खरगोश। यह तो बहुत ही स्वादिष्ट होगा। कितनी अच्छी खुशबू आ रही है इसमें से। बस ज़रा सा इन्तजार और, फिर मैं इसको खा कर देखता हूँ।
यह लो इसका जिगर तो पक गया है। मैं इसको डबल रोटी के साथ खा कर देखता हूँ। मालिक को इसमें क्या फर्क नजर आयेगा।”
कह कर उसने अपना कांटा उस बड़े खरगोश के जिगर में घुसाया और उसे खा लिया। खा कर उसने जीसस को बुलाया — “मालिक, बड़ा खरगोश पक गया।”
“ओह, पक गया? तो उसको जल्दी यहाँ ले आओ अब इन्तजार किस बात का है। हम भी तो उसे खा कर देखें।”
एक हाथ से कढ़ाई पकड़े और दूसरे हाथ से अपनी मूँछों पर से चिकनाई साफ करते हुए पीटर जीसस के पास आया। उसने आधा बड़ा खरगोश जीसस की प्लेट में रख दिया और बाकी का आधा अपनी प्लेट में रख लिया।
दोनों ने वह खरगोश खाना शुरू किया तो जीसस ने अपनी प्लेट में चारों तरफ देखना शुरू किया। उनको लगा कि उसमें कोई चीज़ ऐसी है जो उसमें नहीं है।
फिर वह बोले — “पीटर, इसका जिगर कहाँ है?”
“हे भगवान, मुझे नहीं मालूम मालिक कि इसका जिगर कहाँ है। मैंने इस पर तो ध्यान ही नहीं दिया। पर वह तो मेरी प्लेट में भी नहीं है। हो सकता है मालिक कि इस बड़े खरगोश के जिगर ही न हो।”
जीसस फिर से अपना कांटा उठाते हुए मुस्कुरा कर बोले — “हो सकता है पीटर कि इसके जिगर ना ही हो। तुम शायद ठीक ही कह रहे हो।”
पर जीसस से यह सुनने के बाद पीटर के गले से फिर दूसरा कौर नीचे नहीं उतरा। यह देख कर जीसस ने पीटर से पूछा — “क्या बात है पीटर तुमको भूख नहीं है? तुम कुछ खा नहीं रहे। शायद तुम्हारे पेट पर जिगर बैठा हुआ है।”
“क्या? मेरे पेट के ऊपर जिगर बैठा हुआ है?”
“हाँ। पर मैं तुमको गलत बिल्कुल भी नहीं ठहरा रहा हूँ। खाओ खाओ। बड़ा खरगोश बहुत ही स्वादिष्ट बना है।”
“मालिक, बस मैं और नहीं खा सकता। मेरे यहाँ पर कुछ अटका हुआ है। मैं तो बस एक गिलास शराब ही पियूँगा।”
उस रात पीटर की आँख एक पल को भी नहीं झपकी। वह सारी रात जागता ही रहा। सुबह को जब उसकी ज़रा सी आँख लगी भी तो जीसस ने उसको जगा दिया।
“उठो पीटर उठो हमें चलना भी है।”
जीसस चाहते थे कि वे वहाँ से सुबह जल्दी ही चल सकें ताकि दूसरे शहर दोपहर से पहले ही पहुँच जायें। पीटर अभी भी उस बड़े खरगोश के जिगर के बारे में सोच रहा था। वह यह सोच कर डर रहा था कि मालिक को उसके बारे में पता चल गया था।
दोपहर को जब वे दूसरे शहर पहुँचे तो उन्होंने वहाँ आँखें झुकाये हुए दुखी चेहरे देखे। जैसी कि हर शहर की खासियत थी वहाँ उन्होंने कोई खुशी मनाता नहीं देखा।
सेन्ट पीटर आश्चर्य से बोला — “मालिक, यह सब यहाँ क्या हो रहा है? यहाँ कोई खुश दिखायी नहीं दे रहा।”
जीसस बोले — “किसी से पूछो पीटर कि यहाँ क्या हो रहा है। यहाँ के लोग दुखी से क्यों दिखायी दे रहे हैं।”
वहीं से एक सिपाही जा रहा था तो पीटर ने उसको रोक कर पूछा — “क्यों भाई क्या बात है यहाँ सब दुखी से क्यों दिखायी दे रहे है?”
सिपाही ने बताया कि यहाँ के राजा की बेटी की तबीयत इतनी खराब है कि सारे डाक्टरों ने उसके इलाज की सारी उम्मीदें छोड़ दी हैं। पर राजा ने सोने के क्राउन से भरा एक थैला उसको देने का वायदा किया है जो उसकी बेटी को ठीक कर देगा।
जीसस पीटर से बोले — “सुनो पीटर, मैं चाहता हूँ कि वह क्राउन का थैला तुम जीत लो। तुम अपना चाकू लो और राजा के महल चले जाओ। वहाँ जा कर राजा से कहो कि तुम एक बहुत ही बड़े और मशहूर डाक्टर हो।
और जब तुम राजा की बेटी का इलाज करने के लिये उसके साथ अकेले हो तो उसका सिर काट लो। उस सिर को तुम एक घंटे तक पानी में भिगो कर रखो। फिर उसको निकाल कर राजा की बेटी के सिर पर फिर से रख दो। इससे वह ठीक हो जायेगी।”
पीटर सीधा राजा के पास गया और उसने वैसा ही किया जैसा जीसस ने उससे करने के लिये कहा था।
उसने उससे जा कर कहा कि वह एक बहुत ही बड़ा और मशहूर डाक्टर है और उसकी बेटी का इलाज करने आया है। राजा उसको देख कर बहुत खुश हुआ।
राजा उसको अपनी बेटी के कमरे में ले गया तो उसने राजा से उसको उसकी बेटी के कमरे में अकेले छोड़ देने के लिये कहा। राजा उसको वहाँ अकेला छोड़ कर बाहर चला गया।
जैसे ही पीटर राजा की बेटी के साथ अकेला रह गया तो उसने अपना चाकू निकाला और राजा की बेटी का सिर काट लिया। इससे राजा की बेटी का बिस्तर खून से भर गया। उसने उसका सिर पानी की एक बालटी में डाल दिया और वहाँ एक घंटे तक इन्तजार करता रहा।
एक घंटे बाद दरवाजे पर ज़ोर ज़ोर से खटखटाने की आवाज आयी “दरवाजा खोलो।”
पीटर बोला — “ज़रा रुको एक मिनट।” उसने तुरन्त ही सिर पानी में से बाहर निकाला और लड़की के कन्धों पर रखा पर वहाँ तो कुछ भी नहीं हुआ। वह तो वहाँ चिपक ही नहीं रहा था।
इधर पीटर का डर हर पल बढ़ता जा रहा था, उधर दरवाजे पर खटखटाहट की आवाज बढ़ती जा रही थी।
राजा ने हुकुम दिया — “दरवाजा खोलो।”
“उफ़ अब मैं क्या करूँ? मैं क्या करूँ?”
राजा के लोगों ने दरवाजा तोड़ दिया और राजा कमरे के अन्दर आया। बिस्तर पर इतना सारा खून देख कर तो वह चिल्ला पड़ा — “ओ बेरहम, यह तूने क्या किया? तूने मेरी बेटी का खून कर दिया? तुझको तो मैं फॉसी की सजा दे दूँगा।”
फिर वह अपने चौकीदारों से बोला — “इसके हाथ पैर बाँध लो और इसको घसीटते हुए फाँसी के तख्ते तक ले जाओ।”
पीटर राजा से दया की भीख माँगते हुए बोला — “जहाँपनाह, मुझ पर दया करें। मुझे माफ करें।”
“ले जाओ इसको और इसी पल इसको मेरी आँखों के सामने से दूर कर दो।”
राजा के सिपाही तुरन्त ही राजा का हुकुम बजा लाये। उन्होंने पीटर के हाथ पैर बांधे और उसको सड़क पर घसीटते हुए फाँसी के तख्ते की तरफ ले चले।
जब पीटर को सड़क पर घसीटा जा रहा था तो पीटर ने सोचा कि मालिक ही उसको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकते हैं। बस उसने यह सोचा कि तभी भीड़ में से एक आदमी निकल कर आया। ज़रा सोचो कि वह कौन हो सकता था? वह थे मालिक जीसस।
जीसस को देखते ही पीटर चिल्लाया — “मालिक, मेरी सहायता करो। मुझे बचाओ।”
जीसस ने सिपाहियों से पूछा — “तुम लोग इसको कहाँ ले जा रहे हो?”
“फॉसी के तख्ते पर।”
“क्या किया है इसने?”
“क्या किया है इसने? अरे इसी से पूछो कि क्या किया है इसने। इसने राजा की बेटी की हत्या की है और क्या किया है इसने।”
“ऐसा नहीं है। इसने राजा की बेटी की हत्या नहीं की। इसको जाने दो। बल्कि इसको तो राजा के पास उसका सोने के क्राउन का थैला लेने के लिये ले जाओ। राजा की बेटी मरी नहीं है वह तो ज़िन्दा है और तन्दुरुस्त है। इसी ने तो ठीक किया है उसे।”
यह सुन कर सिपाही तो बहुत आश्चर्य में पड़ गये और तुरन्त ही राजा के पास भागे गये। वहाँ जा कर देखा तो राजकुमारी तो अपने महल के छज्जे पर ठीक ठाक खड़ी थी।
पीटर को देखते ही राजा उसके पास दौड़ा आया और सोने के काउन का थैला उसको दे दिया। पीटर हालॉकि उस समय काफी बूढ़ा था पर फिर भी उसने आपमें इतनी ताकत महसूस की कि उसने उस सिक्के के थैले को ऐसे उठा लिया जैसे कि वह कोई पंख हो।
उस थैले को उसने अपने कन्धे पर डाला और उधर की तरफ चल दिया जहाँ जीसस उसका इन्तजार कर रहे थे।
“अब तुमने देखा पीटर?”
“अब आप मुझसे कहने वाले हैं कि मैं कितना बेकार का आदमी हूँ।”
“यह पैसा मुझे दे दो और फिर हम इसको और बार की तरह बॉट लेंगे।”
पीटर ने वह थैला नीचे रख दिया और जीसस ने उसके ढेर बनाने शुरू कर दिये।
“ये पांच सिक्के मेरे लिये और ये पांच सिक्के तुम्हारे लिये और ये पांच सिक्के उस दूसरे के लिये . . .।” और वह इसी तरह से सिक्के बांटते रहे।
पीटर ने कुछ देर तक तो यह बंटवारा देखा फिर जब यह सब कुछ उसकी समझ में नहीं आया तो उससे रहा नहीं गया तो उसने जीसस से पूछ ही लिया — “मालिक हम तो यहाँ दो ही हैं तो फिर आप यहाँ ये तीन ढेर क्यों बना रहे हैं?”
“क्या पीटर तुम इतनी जल्दी भूल गये? यह एक ढेर मेरे लिये है, यह एक ढेर तुम्हारे लिये है और यह तीसरा ढेर उस तीसरे के लिये है।”
“और यह तीसरा कौन है?”
“जिसने बड़े खरगोश का जिगर खाया।”
पीटर जल्दी से बोला — “लेकिन मालिक वह तो मैंने खाया था।”
जीसस बोले — “तो आखिर मैंने तुमको पकड़ ही लिया। पीटर, तुमने गलती की। जो डर मैंने तुम्हारे दिल में पैदा किया वही तुम्हारी सजा है। मैं अभी तो तुमको माफ करता हूँ पर आगे ऐसा नहीं करना।”
पीटर ने वायदा किया कि वह ऐसा अब फिर कभी नहीं करेगा।
[1] Translated for the word “Hare”. Hare is a rabbit-like animal but is much bigger than a rabbit. See his picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
मनोरंक्ज्क कहानिया हमरे जीवन में नै सोच लेके आती है , लेकिन कुछ कहानिया पूरा इतिहास बदलने की ताकत रखाती है .....आगे भी इसी तरह की कहानिया देने का प्रयास करते र्काहे ....
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