एक बार एक नौजवान था जो अपनी ज़िन्दगी एक कैफ़े में बिलियर्ड के खिलाड़ियों को चुनौती देने में गुजारा करता था। एक दिन वह उस कैफ़े में एक विदेश...
एक बार एक नौजवान था जो अपनी ज़िन्दगी एक कैफ़े में बिलियर्ड के खिलाड़ियों को चुनौती देने में गुजारा करता था।
एक दिन वह उस कैफ़े में एक विदेशी भलेमानस से मिला तो वह उससे बोला — “बिलियर्ड खेलोगे?”
विदेशी बोला — “हाँ हाँ खेलेंगे।”
नौजवान बोला — “दाँव पर क्या लगाओगे?”
विदेशी ने कहा — “अगर तुम जीते तो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूँगा।”
सो दोनों ने बिलियर्ड खेलना शुरू किया और उस खेल में वह नौजवान जीत गया।
अजनबी बोला — “बहुत अच्छे। मैं “सुन” देश का राजा हूँ। अभी तो मैं जाता हूँ पर अपनी बेटी की शादी के बारे में मैं तुमको बहुत जल्दी ही लिखूँगा।” यह कह कर वह चला गया।
अब हर दिन वह नौजवान डाकिये की इन्तजार करता रहा कि वह “सुन” के राजा की चिठ्ठी ले कर आयेगा पर वह डाकिया तो आया ही नहीं। सो कुछ दिन तक तो उस नौजवान ने इन्तजार किया फिर वह उस राजा को खोजने के लिये खुद ही घर से निकल पड़ा।
हर रविवार को वह एक नये शहर में ठहरता और चर्च में से “मास” से बाहर निकलते लोगों का इन्तजार करता। फिर उनमें से निकलते बड़े बूढ़ों से पूछता कि क्या उनको मालूम था कि “सुन” का राजा कहाँ रहता था? क्या वे उसको जानते थे? पर किसी को उसके बारे में कुछ भी पता नहीं था।
एक बार एक बूढ़े ने जवाब दिया — “मुझे यकीन है कि वह है, पर वह कहाँ है यह मुझे नहीं पता है।”
वह नौजवान अगले हफ्ते फिर चलता रहा और अगले रविवार को फिर एक नये शहर में आया। वहाँ उसको एक और बूढ़ा मिला जिसने उसको बताया कि तुम फलाँ शहर चले जाओ शायद वह तुमको वहाँ मिल जाये।
सो अगले हफ्ते रविवार को वह उसी शहर में जा पहुँचा और “मास” से बाहर निकलते लोगों में से एक बूढ़े आदमी से पूछा कि सुन का राजा कहाँ रहता था।
वह बोला — “वह तो यहीं पास में ही रहता है। इस सड़क के आखीर में दाँये हाथ को तुमको उसका महल मिल जायेगा। तुम उस महल को नजर अन्दाज नहीं कर सकते क्योंकि उस महल का कोई दरवाजा नहीं है।”
“तो फिर लोग उसमें घुसते कैसे हैं?”
वह बूढ़ा बोला — “मुझे क्या मालूम? पर मेरी सलाह यह है कि तुम उसके पास लगे बागीचे में इन्तजार करना। वहाँ एक तालाब है जहाँ “सुन” के राजा की तीन बेटियाँ दोपहर को रोज उसमें तैरने आती हैं।”
यह सुन कर वह नौजवान वहाँ से चला गया और राजा के बागीचे में जा कर छिप गया। ठीक दोपहर को राजा की तीन बेटियाँ वहाँ आयीं। उन्होंने अपने कपड़े उतारे और तालाब में कूद गयीं और तैरने लगीं।
इस बीच वह नौजवान चोरी छिपे उनके कपड़ों तक पहुँच गया और उनमें से सबसे सुन्दर लड़की के कपड़े उठा कर वहाँ से फिर वहीं चला गया जहाँ वह पहले छिपा हुआ था।
जब वे लड़कियाँ तैर चुकीं तो उस तालाब से बाहर निकलीं और अपने अपने कपड़े पहनने लगीं। पर उनमें से उस सबसे सुन्दर लड़की को अपने कपड़े नहीं मिले। वे वहाँ से गायब थे।
उसकी दूसरी बहिनों ने कहा — “जल्दी करो, हमने तो अपने कपड़े पहन लिये तुम यहाँ क्यों रुकी खड़ी हो?”
तीसरी लड़की ने कुछ परेशान होते हुए कहा — “मेरे कपड़े नहीं मिल रहे हैं। ज़रा मेरा इन्तजार करो।”
“ठीक से देखो हमको जाना भी है।” यह कह कर वे उसको वहीं छोड़ कर चली गयीं।
उस लड़की ने रोना शुरू कर दिया तो वह नौजवान अपने छिपने की जगह से बाहर निकल कर बोला — “अगर तुम मुझे अपने पिता के पास ले चलो तो मैं तुम्हारे कपड़े वापस कर दूँगा। तुम्हारे कपड़े मेरे पास हैं।”
“पर तुम हो कौन?”
वह नौजवान बोला — “एक बार मैंने “सुन” के राजा को बिलियर्ड में हराया था सो उसकी शर्त के अनुसार अब मुझे उसकी बेटी से शादी करनी है।”
दोनों जवान बच्चों ने एक दूसरे की तरफ देखा तो दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया।
लड़की बोली — “मैं तुमको अपने पिता के पास इस शर्त पर ले चलती हूँ कि फिर तुम मुझसे ही शादी करोगे। मेरे पिता तुम्हारी आँखों पर पट्टी बाँधेंगे और हम तीनों में से एक को चुनने को कहेंगे। उस समय तुम हम तीनों बहिनों के हाथ छू कर मुझे चुन सकते हो। ध्यान रखना मेरी एक उँगली कटी हुई है।”
“मंजूर है।” उस नौजवान ने उसके कपड़े वापस कर दिये और वह लड़की उस नौजवान को अपने पिता के पास ले गयी।
वहाँ जा कर वह नौजवान बोला — “मैं आपकी बेटी से शादी करने आया हूँ।”
राजा बोला — “ठीक है तुम कल उससे शादी करोगे। मेरे तीन बेटियाँ हैं। इस बीच तुम मेरी तीन बेटियों में से किसी एक बेटी को चुन लो कि तुम किससे शादी करोगे। तुम्हारी शादी कल उसी से हो जायेगी।” यह कह कर राजा ने उस नौजवान की आँखों पर पट्टी बँधवा दी।
पहली लड़की अन्दर आयी तो उसने उसके हाथ छुए और बोला “यह मेरे लिये नहीं है”।
राजा ने फिर दूसरी लड़की को बुलवाया। उसने उसके भी हाथ छुए तो बोला “यह भी मेरे लिये नहीं है”।
राजा ने फिर अपनी तीसरी बेटी को बुलाया। उसने यह पक्का करने के लिये कि यह वाकई वही लड़की है या नहीं जिसके हाथ की एक उँगली गायब थी उसके भी हाथ छुए।
यह लड़की वही थी जिसके हाथ की एक उँगली गायब थी। उसने उस लड़की से शादी के लिये हाँ कर दी।
अगले दिन उन दोनों की शादी हो गयी और दोनों पति पत्नी महल से अपने कमरे में चले गये।
आधी रात को पत्नी ने कहा — “मैं अब तुमसे और ज़्यादा नहीं छिपा सकती। मेरे पिता तुमको मारने का प्लान बना रहे हैं।”
वह नौजवान बोला — “तो फिर चलो यहाँ से भाग चलते हैं।” सो वे लोग सवेरे तड़के ही उठे, राजा की घुड़साल से उन्होंने दो सबसे अच्छे घोड़े उठाये और उन पर बैठ कर भाग लिये।
राजा जब सवेरे उठा तो वह अपनी बेटी के कमरे में गया तो पाया कि वहाँ से तो उसकी बेटी और वह नौजवान दोनों ही गायब हैं।
यह देख कर वह अपनी घुड़साल की तरफ दौड़ा गया तो देखा कि उसके दो सबसे अच्छे घोड़े भी वहाँ से गायब हैं। उसने अपनी कुछ अच्छी घुड़सवार सेना ली और उस सेना को अपनी बेटी और दामाद को लाने के लिये भेज दिया।
जब वह नौजवान और राजा की बेटी जा रहे थे तो उन्होंने अपने पीछे घोड़ों की टापों की आवाज सुनी। उन्होंने इधर उधर देखा तो देखा कि सिपाहियों की एक टुकड़ी उनकी तरफ बढ़ी चली आ रही थी।
राजा की बेटी ने अपने सिर से एक कंघी निकाली और अपने पीछे जमीन पर फेंक दी। कंघी के जमीन पर गिरते ही वहाँ एक जंगल पैदा हो गया। वहाँ एक आदमी और एक स्त्री उस जंगल के पेड़ उखाड़ने में लगे हुए थे।
सिपाहियों ने उनसे पूछा — “क्या तुमने यहाँ “सुन” के राजा की बेटी को उसके पति के साथ जाते देखा है?”
उन आदमी और स्त्री ने जवाब दिया — “हम तो यहाँ के ये पेड़ उखाड़ रहे हैं जब रात हो जायेगी तब चले जायेंगे।”
सिपाहियों ने अब की बार कुछ ऊँची आवाज में पूछा — “हमने तुमसे पूछा कि क्या तुम लोगों ने यहाँ “सुन” के राजा की बेटी को उसके पति के साथ जाते देखा है?”
वे आदमी और स्त्री बोले — “हाँ हाँ जब हमारी गाड़ी भर जायेगी तब हम यहाँ से चले जायेंगे। सुना नहीं तुमने?” नाउम्मीद से हो कर वे सिपाही राजा के पास लौट आये।
राजा ने पूछा — “क्या तुमको वे दोनों मिले?”
सिपाही बोले — “हम बस उनको पकड़ने ही वाले थे कि हमारे और उनके बीच में एक जंगल आ खड़ा हुआ और हम एक आदमी और एक स्त्री के सामने खड़े थे जिन्होंने हमें केवल बेवकूफी के जवाब दिये।”
राजा बोला — “तो तुमको उन्हीं को पकड़ लेना चाहिये था। वे ही मेरी बेटी और उसका पति थे।”
सो वे फिर चल दिये। अब की बार भी सिपाहियों ने बस उनको पकड़ ही लिया था कि “सुन” के राजा की बेटी ने फिर से अपने सिर से एक कंघी निकाल कर अपने पीछे फेंक दी।
कंघी के वहाँ गिरते ही वहाँ एक बागीचा बन गया और उस बागीचे में एक आदमी और एक स्त्री चिकोरी और मूली इकठ्ठी कर रहे थे।
सिपाहियों ने उनसे पूछा — “क्या तुमने यहाँ “सुन” के राजा की बेटी को उसके पति के साथ जाते देखा है?”
वह स्त्री बोली — “ये मूलियाँ 10 सैन्ट का एक गुच्छा है और यह चिकोरी 5 सैन्ट की एक है।”
सिपाहियों ने अपना सवाल फिर से दोहराया पर वे आदमी और स्त्री केवल चिकोरी और मूली के बारे में ही बातें करते रहे। झक मार कर वे लोग फिर वापस घर चले गये।
राजा बोला — “तुमको उनको पकड़ लेना चाहिये था क्योंकि वे ही मेरी बेटी और दामाद थे।”
सो वे सिपाही बेचारे एक बार फिर उनके पीछे भागे। उन्होंने उनको फिर से पकड़ लिया होता पर “सुन” के राजा की बेटी ने एक बार फिर अपने सिर से एक कंघी निकाली और अपने पीछे फेंक दी।
अब की बार वह कंघी जहाँ गिरी वहाँ एक चर्च खड़ा हो गया। सिपाहियों ने उस चर्च के सामने एक आदमी और एक स्त्री को खड़ा पाया तो उन्होंने उनसे फिर पूछा — “क्या तुमने यहाँ “सुन” के राजा की बेटी को उसके पति के साथ जाते देखा है?”
दोनों ने जवाब दिया — “हम लोग अब दूसरी घंटी बजा रहे हैं। जब हम तीसरी घंटी बजायेंगे तब सब लोग “मास” के लिये यहाँ आयेंगे।”
इस बार भी वे सिपाही उनसे यह न कहलवा सके कि वे ही “सुन” के राजा के बेटी और दामाद थे सो वे फिर झक मार कर वापस आ गये।
राजा फिर चिल्लाया — “वे ही मुजरिम थे तुम्हें उनको पकड़ लेना चाहिये था।”
पर फिर उसने खुद ने भी उनको ढूँढने की कोशिश छोड़ दी और वे नौजवान और “सुन” के राजा की बेटी दोनों वहाँ से चुपचाप निकल गये।
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया व इटली की बहुत सी अन्य लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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