एक बार एक लड़की को बच्चे की आशा हुई तो उसकी पार्सले खाने की इच्छा हुई। उसके घर के बराबर में एक जादूगरनी रहती थी। इस जादूगरनी का पार्सले का ए...
एक बार एक लड़की को बच्चे की आशा हुई तो उसकी पार्सले खाने की इच्छा हुई। उसके घर के बराबर में एक जादूगरनी रहती थी। इस जादूगरनी का पार्सले का एक बहुत बड़ा बागीचा था और उस बागीचे का दरवाजा हमेशा खुला रहता था।
क्योंकि पार्सले वहाँ बहुत पैदा होता था सो उस बागीचे में कोई भी अन्दर आ सकता था और अपने आप पार्सले तोड़ कर ले जा सकता था।
सो वह लड़की भी उस जादूगरनी के बागीचे में पार्सले तोड़ने के लिये चली गयी। उसकी पार्सले खाने की इच्छा इतनी ज़्यादा थी कि वह उस जादूगरनी के बागीचे का करीब करीब आधा पार्सले खा गयी।
जब वह जादूगरनी वापस आयी तो उसने देखा कि उसके बागीचे से तो आधा पार्सले गायब हो चुका था। उसने सोचा कि वह अगले दिन अपने पार्सले के खेत पर नजर रखेगी कि उसका इतना सारा पार्सले कौन ले गया।
वह लड़की वहाँ बचा हुआ पार्सले खाने के लिये अगले दिन भी गयी। उसने मुश्किल से उस बागीचे के पार्सले का आखिरी पौधा खाया होगा कि वह जादूगरनी वहाँ आ गयी और बोली — “आहा, तो वह तुम हो जो मेरे बागीचे का सारा पार्सले खा गयीं।”
वह लड़की बेचारी डर गयी और गिड़गिड़ाती हुई बोली — “मेहरबानी करके मुझे जाने दो। मैं एक बच्चे की माँ बनने वाली हूँ। मेरी पार्सले खाने की इच्छा हुई तो मैं यहाँ आ गयी।”
जादूगरनी बोली — “ठीक है मैं तुमको जाने देती हूँ पर जो भी बच्चा तुमको होगा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, जब वह सात साल का हो जायेगा तब वह आधा मेरा होगा और आधा तुम्हारा।”
यह सुन कर वह लड़की बहुत डर गयी सो वह जल्दी से उसको हाँ करके वहाँ से चली आयी। समय आने पर उसके एक बेटा हुआ। बेटा अपने समय से बड़ा होने लगा।
जब उसका बेटा छह साल का हो गया तो एक दिन सड़क पर उसको वह जादूगरनी मिली। उस बच्चे को देख कर वह बोली — “अपनी माँ को याद दिलाना कि बस अब एक साल ही और बाकी है।”
बच्चा घर आया और अपनी माँ से बोला — “माँ आज मुझे अपनी पड़ोसन मिली थी। वह कह रही थी कि अपनी माँ को याद दिलाना कि बस अब एक साल ही और बाकी है।”
माँ बोली — “अगर अबकी बार वह तुमको फिर मिले और फिर यह कहे कि “बस अब एक साल ही और बाकी है।” तो तुम कहना कि “तुम पागल हो”।”
जब उस बच्चे के सात साल के होने में तीन महीने बाकी रह गये तो एक दिन उस पड़ोसन ने फिर उस बच्चे से कहा — “अपनी माँ से कहना कि बस अब केवल तीन महीने ही और बाकी रह गये हैं।”
बच्चे ने घर आ कर अपनी माँ को अपनी पड़ोसन के शब्द जैसे के तैसे दोहरा दिये। उसकी माँ ने फिर कहा कि “अगर अबकी बार वह तुमसे ऐसा वैसा कुछ कहे तो तुम उससे कहना कि “मैम तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या”।”
बच्चे ने माँ के शब्द उस पड़ोसन को बोल दिये तो पड़ोसन बोली — “देखते हैं किसका दिमाग खराब होता है।”
तीन महीने बाद बुढ़िया जादूगरनी उस बच्चे को सड़क पर से उठा कर ले गयी और अपने घर ले जा कर उसे एक मेज पर पीठ के बल लिटा दिया। फिर एक बड़ा सा चाकू उठाया और सिर से ले कर पैर तक उसको दो बराबर हिस्सों में बाँट दिया।
एक हिस्से से उसने कहा — “तुम घर जाओ।” और दूसरे हिस्से से कहा — “तुम मेरे पास रहो।” सो एक हिस्सा अपनी माँ के पास अपने घर चला गया और दूसरा हिस्सा उसके अपने पास रह गया।
एक हिस्सा जो घर चला गया था अपनी माँ से जा कर बोला — “देखा माँ? उस बुढ़िया ने मेरे साथ क्या किया और तुम कहती थी कि उसका दिमाग खराब हो गया है, वह पागल हो गयी है।”
उसकी माँ ने गुस्से में आ कर अपने हाथ पैर फेंके पर अब वह कर ही क्या सकती थी उसका बेटा तो आधा हो ही चुका था। अब यह आधा लड़का और बड़ा होने लगा पर उसको यही पता नहीं था कि वह आगे चल कर अपनी ज़िन्दगी में क्या करेगा।
आखिर उसने मछियारा बनने का निश्चय किया। एक दिन जब वह ईल मछली पकड़ रहा था तो उसने एक इतनी लम्बी ईल मछली पकड़ी जितना लम्बा वह खुद था।
जब उसने उसे बाहर खींचा तो वह ईल बोली — “तुम मुझे जाने दो और फिर तुम मुझे दोबारा पकड़ना।”
यह सुन कर उस लड़के ने उस मछली को फिर से पानी में फेंक दिया। उस मछली के कहे अनुसार उसने अपना मछली पकड़ने वाला जाल फिर से पानी में डाला और जब फिर से उसे खींचा तो अब की बार उस जाल में बहुत सारी ईल मछलियाँ थीं।
वह अपनी ईल मछलियों से भरी नाव ले कर किनारे आ गया और उस दिन उसने उनको बेच कर बहुत सारा पैसा कमाया।
अगले दिन जब वह मछली पकड़ने गया तो उसके जाल में वही बड़ी ईल मछली फिर से आ गयी। अब की बार उसने लड़के से कहा — “मुझे जाने दो और छोटी ईल की कसम खा कर जो कुछ भी तुम माँगोगे तुम्हारी वह इच्छा पूरी होगी।” सो उसने उस बड़ी ईल को फिर पानी में छोड़ दिया।
एक दिन जब वह मछली पकड़ने जा रहा था तो वह राजा के महल के पास से गुजरा। महल की खिड़की पर राजा की बेटी अपनी दासियों के साथ बैठी हुई थी।
उसने रास्ते पर जाता एक ऐसा आदमी देखा जो सिर से पैर तक आधा था – आधा शरीर, आधा सिर, एक बाँह, एक टाँग। वह ऐसे अजीब आदमी को देख कर हँस पड़ी।
उसकी हँसी की आवाज सुन कर लड़के ने ऊपर देखा और बोला — “तुम मेरे ऊपर हँस रही हो? छोटी ईल की कसम, राजा की बेटी के मुझसे एक बच्चा होगा।” यह कह कर वह आगे बढ़ गया।
कुछ समय बाद ही राजा की बेटी को बच्चे की आशा हुई तो राजकुमारी घबरायी।
उसके माता पिता को भी इस बात का पता चल गया तो उन्होंने अपनी बेटी से पूछा — “इसका क्या मतलब है?”
बेटी बोली — “पिता जी, मैं भी आप ही की तरह से इस बात से बिल्कुल अनजान हूँ। मुझे कुछ नहीं मालूम।”
माता पिता बोले — “हमारी यह समझ में नहीं आया कि हमारी तरह तुम इस बात से अनजान कैसे हो? इसका पिता कौन है?”
राजा की बेटी रुआँसी हो कर बोली — “पिता जी, मुझे सचमुच ही कुछ पता नहीं है। मैं इसके बारे में वाकई कुछ भी नहीं जानती।”
उसके माता पिता उससे कई बार पूछते रहे और यह भी कहते रहे कि वह उनको सच सच बता दे। उसकी अगर कोई भी गलती होगी तो वे उसको माफ कर देंगे पर वह अपनी इसी बात पर अड़ी रही कि उसको इस बारे में कुछ पता नहीं है और वह बेकुसूर है।
जब उस लड़की ने कुछ बता कर नहीं दिया तो उन्होंने उसको बुरा भला कहना शुरू किया और उसके साथ बुरा बरताव करना शुरू कर दिया।
समय आने पर उसके एक बेटा हुआ। बजाय खुश होने के उस लड़की के माता पिता खूब रोये क्योंकि उनके घर में एक बिना बाप का बेटा पैदा हुआ था।
इस बात की पहेली सुलझाने के लिये उन्होंने एक जादूगर को बुलवाया। जादूगर बोला — “एक साल तक इन्तजार करो जब तक यह एक साल का होता है तब शायद कुछ पता चले।”
एक साल के बाद जादूगर ने कहा — “तुमको इस बच्चे के जन्म पर एक शानदार दावत देनी चाहिये और उसमें सारे कुलीन लोगों को बुलाना चाहिये।
जब वे सब यहाँ आ जायें तो एक सोने का और एक चाँदी का सेब इस बच्चे के हाथ में देना चाहिये।
फिर यह बच्चा उन सेबों को ले कर सबके सामने जाये। यह बच्चा सोने का सेब अपने पिता को दे देगा और चाँदी का सेब अपने नाना को दे देगा।”
सो राजा ने अपने धेवते के लिये दो सेब बनवाये एक सोने का और एक चाँदी का। और फिर उसके जन्म की खुशी में एक बहुत बड़ी शानदार दावत का इन्तजाम किया।
इस दावत में बहुत सारे जाने माने लोगों को बुलाया गया। एक बड़े बन्द कमरे में दीवार के सहारे कुरसियाँ लगवायी गयीं। जब लोग वहाँ आना शुरू हुए तो उनको उन कुरसियों पर बिठाया गया।
जब सब लोग वहाँ आ गये तो बच्चे को उसकी आया के साथ वहाँ लाया गया और उसके हाथ में दो सेब, एक सोने का और एक चाँदी का, दे दिये गये।
बच्चे की आया बच्चे और सेबों को ले कर उस कमरे में चारों तरफ घूमने लगी। चारों तरफ घूम कर वह बच्चा राजा के दिये हुए सेबों के साथ वापस आ गया और उसने चाँदी का सेब ला कर राजा को दे दिया।
राजा बोला — “मैं इतना तो अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं तुम्हारा नाना हूँ पर मैं जानना चाहता हूँ कि तुम्हारा पिता कौन है।” बच्चे को उस कमरे में कई बार चक्कर लगवाया पर वह बिना किसी को सेब दिये हुए ही राजा के पास वापस आ गया।
वह जादूगर फिर से बुलवाया गया तो उसने कहा कि अबकी बार आप अपने शहर के सब गरीब आदमियों को बुलवाइये। सो राजा ने अब की बार अपने राज्य के सारे गरीब लोगों के लिये एक दावत का इन्तजाम किया और उसमें उन सबको बुलवाया।
जब उस आधे नौजवान ने यह सुना कि राजा के महल में सब गरीबों के लिये एक दावत हो रही है तो वह अपनी माँ से बोला — “माँ मेरी सबसे अच्छी वाली आधी कमीज, आधी पैन्ट, एक जूता, और मेरी आधी टोपी निकाल दो क्योंकि आज मैं राजा के महल में जा रहा हूँ। आज उन्होंने मुझे वहाँ खाने का न्यौता दिया है।”
माँ ने वैसा ही किया और वह अपने सबसे अच्छे कपड़े पहन कर राजा के महल की तरफ चल दिया। कमरा खचाखच भरा था – मछियारे, भिखारी सब तरह के गरीब वहाँ जमा थे। वे सब बैन्चों पर बैठे थे। राजा ने उनके लिये भी बैन्चें दीवार के सहारे सहारे ही लगवा रखी थीं।
जब सब लोग आ गये तो बच्चे की आया बच्चे को ले कर वहाँ आयी। राजा ने बच्चे के हाथ में सोने का सेब दे कर आया को उसको कमरे में चारों तरफ घुमाने के लिये कहा।
आया बच्चे को ले कर चल दी। घुमाते घुमाते वह उस बच्चे से कहती जाती थी — “बेटे, यह सेब अपने पिता को दे दो।”
जैसे ही वह बच्चा उस आधे आदमी के पास पहुँचा तो वह चिल्लाया — “पिता जी यह सेब लीजिये।”
सारे गरीब आदमी यह सुन कर ज़ोर से हँस पड़े — “हा हा हा हा। ज़रा देखो तो राजा की बेटी पड़ी भी तो किसके प्रेम में पड़ी।”
केवल एक राजा ही था जो उस समय पूरे तरीके से शान्त था। वह बोला — “अगर ऐसा है तो यही मेरी बेटी का पति होगा।” और उसने अपनी बेटी की शादी उस आधे नौजवान के साथ कर दी।
नये शादीशुदा पति पत्नी चर्च से निकले तो उन्होंने सोचा कि उनको वहाँ से ले जाने के लिये कोई बग्घी उनका इन्तजार कर रही होगी पर वहाँ कोई बग्घी तो नहीं, हाँ एक बड़ा सा खाली बैरल रखा था।
राजा ने उस बैरल में उस आधे नौजवान, उसकी पत्नी और उनके बच्चे को रख कर उस बैरल को बन्द कर दिया और उसे समुद्र में फेंक दिया।
समुद्र में उस समय तूफान आया हुआ था सो वह बैरल लहरों के ऊपर खूब ऊपर नीचे उछल रहा था। कुछ ही पलों में वह आँखों से ओझल हो गया। राजा के महल के हर आदमी ने सोचा कि वह बैरल तो अब हमेशा के लिये समुद्र में चला गया।
पर वह बैरल डूबा नहीं था। वह बाहर की तरफ तैरने लगा। आधे नौजवान ने महसूस किया कि राजा की बेटी बहुत डरी हुई थी सो उसने उससे कहा — “प्रिये, क्या तुम चाहती हो कि मैं यह बैरल समुद्र के किनारे ले चलूँ?”
राजा की बेटी डर से सहमी सी बोली — “हाँ, अगर तुम इस को वहाँ ले जा सकते हो तो।” पर उसके कहने से पहले ही यह हो गया।
“छोटी ईल की कसम, ओ बैरल, समुद्र के किनारे चलो।” और वह बैरल समुद्र के किनारे आ कर लग गया। उस आधे नौजवान ने उस बैरल का तला तोड़ा और वे तीनों उसमें से बाहर निकल आये।
यह खाना खाने का समय था सो वह आधा नौजवान बोला — “छोटी ईल की कसम, हमको खाना चाहिये।” बस तुरन्त ही वहाँ एक मेज लग गयी जिस पर बहुत सारा खाना लगा था।
जब वे पेट भर कर खाना खा चुके तो उस आधे नौजवान ने अपनी पत्नी से पूछा — “क्या तुम मुझसे खुश हो?”
राजा की बेटी बोली — “तुम मुझे तब और ज़्यादा अच्छे लगते जब तुम पूरे होते।”
इस पर उसने अपने आपसे कहा — “छोटी ईल की कसम, क्या मैं पूरा और एक सुन्दर नौजवान बन सकता हूँ?” तुरन्त ही वह आधा नौजवान एक सुन्दर और पूरा नौजवान बन गया और एक कुलीन आदमी की तरह दिखायी देने लगा।
उसने राजा की बेटी से फिर पूछा — “अब तो तुम खुश हो न?”
“मैं तब ज़्यादा खुश होती जब तुम एक बढ़िया महल में रह रहे होते। बजाय इसके कि हम समुद्र के इस उजाड़ किनारे पर खड़े हुए हैं।”
उस नौजवान ने फिर कहा — “छोटी ईल की कसम, क्या हम एक बढ़िया महल में रह सकते हैं जिसमें दो सेब के पेड़ लगे हों। एक सेब के पेड़ पर सोने के सेब लगे हों और दूसरे पेड़ पर चाँदी के सेब लगे हों। हमारे पास बहुत सारे दास दासियाँ हों, रसोइये हों और वह सब कुछ हो जो एक महल में होना चाहिये।”
तुरन्त ही वहाँ सब कुछ आ गया – महल, सेब के पेड़, रसोइये, दास, दासियाँ, आदि आदि।
कुछ दिन बाद उस आधे नौजवान ने जो अब आधा नहीं रह गया था बल्कि एक सुन्दर और पूरा नौजवान बन गया था सब राजाओं और कुलीन लोगों को एक दावत का न्यौता भेजा। इसमें उसकी पत्नी के पिता भी शामिल थे।
जब सब लोग उसके घर आये तो उस नौजवान ने उन सबका अपने दरवाजे पर स्वागत किया और कहा — “मैं आप सबको चेतावनी देता हूँ कि कोई भी इन सोने और चाँदी के सेबों को न छुए। अगर आप लोग इनको छुएँगे भी तो फिर भगवान ही आप की रक्षा करे।”
वे सब बैठ गये और खाने पीने लगे। आधे नौजवान ने चुपके से कहा — “छोटी ईल की कसम, एक सोने का और एक चाँदी का सेब मेरे ससुर जी की जेब में चला जाये।”
ऐसा ही हुआ। एक सोने का और एक चाँदी का सेब उस नौजवान के ससुर की जेब में चला गया।
जब सबने खाना खा लिया तो वह अपने सब मेहमानों को अपने बागीचे में घुमाने के लिये ले गया तो वहाँ पाया कि उसके दो सेब गायब हैं। उस नौजवान ने पूछा — “अरे मेरे दो सेब गायब हैं एक सोने का और एक चाँदी का। किसने लिये हैं मेरे सेब?”
सब बोले “मैंने नहीं लिये”, “मैंने नहीं लिये”।
सबकी तलाशी ली गयी पर किसी के पास भी वे सेब नहीं निकले। आधा नौजवान बोला — “मैंने आप सबको पहले ही कहा था कि इन सेबों को छूना नहीं पर अब मैं सब राजाओं की तलाशी लेने के लिये मजबूर हूँ।”
सो वह भीड़ में खड़े हर राजा रानी की तलाशी लेता चल दिया। आखीर में वह अपनी पत्नी के पिता के पास आया और उनकी दोनों जेबों में उसने दो सेब पाये।
वह बोला — “किसी और की तो सेबों को छूने की हिम्मत भी नहीं हुई और आपने दो सेब चुरा लिये? आपको मुझे इन दोनों सेबों का हिसाब देना पड़ेगा।”
राजा ने उसको समझाने की कोशिश करते हुए कहा — “पर मैं इन सेबों के बारे में कुछ भी नहीं जानता। मैंने इनको नहीं चुराया। मैंने तो इनको छुआ भी नहीं। मैं कसम खाता हूँ।”
आधा नौजवान बोला — “पर सारे सबूत तो आपके खिलाफ हैं फिर भी आप कह रहे हैं कि आप बेकुसूर हैं?”
“हाँ मैं यह इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि मैं बेकुसूर हूँ।”
“ठीक। जैसे आप बेकुसूर हैं वैसे ही आपकी बेटी भी तो बेकुसूर हो सकती थी। पर जो बरताव आपने उसके साथ किया अगर वैसा ही बरताव मैं आपके साथ करूँ तो शायद इसमें कोई अन्याय नहीं होगा।”
उसी समय उसकी पत्नी भी आ गयी और बोली — “अब ऐसा कुछ मत कहना या करना कि मेरे पिता को मेरी वजह से कुछ सहना पड़े। वह अगर मेरे लिये बेरहम थे भी फिर भी वह मेरे पिता हैं और मैं तुमसे उनके ऊपर दया करने की भीख माँगती हूँ।”
आधे नौजवान ने दया करके राजा को माफ कर दिया।
राजा अपनी बेटी को ज़िन्दा देख कर बहुत खुश था जिसको उसने मरा समझ लिया था और साथ में यह जान कर भी बहुत खुश था कि वह बेकुसूर थी।
राजा उन तीनों को फिर अपने घर ले गया। वहाँ वे सब खुशी-खुशी रहने लगे। जब तक वे जिये तब तक सब आपस में हिल मिल कर रहे।
------------
सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया व इटली की बहुत सी अन्य लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
COMMENTS