हिंदी दिवस विशेष : कब समझेंगे हम - हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा // अनिल कुमार पाण्डेय

SHARE:

“हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा”... ये पंक्तियां प्रसिद्ध साहित्यकार अल्लामा इक़बाल की उर्दू में लिखी गई ख़्यातनाम गज़ल “सारे जहाँ ...


“हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा”... ये पंक्तियां प्रसिद्ध साहित्यकार अल्लामा इक़बाल की उर्दू में लिखी गई ख़्यातनाम गज़ल “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” की है जो आजादी के समर के दौरान लिखी गई थी। इक़बाल तत्कालीन भारत के लाहौर में रहते थे, पेशे से सरकारी कॉलेज में व्याख्याता थे। इक़बाल की मजहबी भाषा अरबी थी, हालांकि उर्दू भाषा फ़ारसी लिपि के साथ तब तक आकार ले चुकी थी। लाहौर तत्कालीन पंजाब प्रांत का हिस्सा था, जहां की मुख्य भाषा पंजाबी थी, लेकिन इक़बाल साहब ने हिन्दोस्तां की भाषा के लिए हिंदी की वकालत आखिर क्यों की ?....इसे समझने की जरूरत है। आज के दौर में तो बहुत ही जरूरी है। बात चाहे  देश के अत्याधुनिक शहर कह जाने वाले बंगलुरू की हो, जहां के मेट्रो स्टेशनों में कन्नड़, अंग्रेजी के बाद हिंदी की देवनागरी लिपि में लिखे स्टेशनों के नाम को ढक देने का प्रकरण हो या फिर केन्द्रीय सरकार के परिपत्र के जारी होते ही तमिलनाडु में बवाल हो जाने का हो, जिसमें हिंदी के उपयोग करने की बात कही गई थी। इन सभी प्रकरणों में एक साझी बात उभरकर सामने आती है कि हिंदी का विरोध सामाजिक-सांस्कृतिक कम राजनैतिक ज्यादा है। निश्चित तौर पर हिंदी देश की अघोषित राष्ट्र भाषा है। हालांकि भारत राष्ट्र कम, देश की शक्ल में ज्यादा नज़र आता है। बहुभाषी देश है। भाषाओं की अपनी विरासत है। किसी एक भाषा की छाती पर चढ़कर किसी भी भाषा को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

[ads-post]

राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर देश के ज्यादातर राज्यों  की स्थापना भाषाई आधार पर हुई है। निश्चित रूप से हर राज्य को अपने यहां प्रचलित बोलियों-भाषाओं की गौरवशाली विरासत को संरक्षित रखने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। हिंदी किसी भी भाषा की विरोधी नहीं है। लेकिन देश की भाषा के लिए हिंदी के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। आपको अमृतसर में मलयालम समझने वाले, रामेश्वरम में गुजराती वहीं गुजरात में तेलुगु समझने वालों को ढ़ूंढ़ने में मशक्कत करनी पड़ सकती है। आठवीं अनुसूची में शामिल हिंदी भाषा को छोड़कर सभी भाषाओं की स्थिति तकरीबन एक जैसी ही है लेकिन, हिंदी बोलने, समझने तथा लिखने में सक्षम लोग देश के किसी भी कोने में मिल जायेंगे। हिंदी भाषा तकरीबन कुछ हिंदी भाषी राज्यों के लोगों को छोड़कर देश के तकरीबन 20 राज्यों के लिए उनकी द्वितीयक भाषा है। हिंदी को यदि उसकी बोलियों से अलग कर दिया जाये तो कम ही होंगे जिनकी मातृभाषा हिंदी होगी। वहीं अगर इस बात की गणना की जाए कि देश में हिंदी कितने जानते या समझतें है तो, शायद ही देश की कोई भाषा हिंदी के आस-पास भी फटके; अंग्रेजी तो दूर-दूर नहीं। अब अगर किसी से पूछा जाए की देश की भाषा क्या होनी चाहिए तो इसके लिए अंतर्मन और अपने पुराने अनुभवों को टटोलना होगा। सभवत: उत्तर सभी का एक ही होगा। हिंदी हमेशा से ही राजनीति का शिकार होती रही है। वर्तमान में कई भाषा-बोलियों को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखने के लिए लोग हो-हल्ला मचा रहें हैं। ज्ञात हो कि क्षेत्रफल और जनसंख्या के मामले में विशाल होने के साथ ही देश में तकरीबन 1652 विकसित एवं समृद्ध बोलियाँ प्रचलित हैं। इन बोलियों को बोलने वाले हर व्यक्ति–समुदाय के जीवन में ये महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हर व्यक्ति अपनी बोली को भाषा के रूप में देखता है। उन्हें लगता है कि उनकी बोली में वे सारे गुण हैं जो किसी भी सबल भाषा में होने चाहिए। लेकिन देश का हर शख़्स जानता है कि देश की आत्मा हिंदी में बसती है। वर्तमान में भोजपुरी बुद्धिजीवी वर्ग भोजपुरी को इस सूची में शामिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। निश्चित तौर पर इसे उस सूची का हिस्सा बना देना चाहिए। वर्तमान में इस अनुसूची में 22 भाषाएं सम्मिलित हैं और हिंदी भी इसी अनुसूची का हिस्सा है।, हालांकि शुरूआत में केवल 14 भाषाएं इसमें शामिल की गई थीं। निश्चित रूप में देश में प्रचलित बोलियों और भाषाओं का संरक्षण होना चाहिए।  बोलियों-भाषाओं के संरक्षण से भला किसे तकलीफ होगी ? आज भी कई देशों की भाषाएं लिपि के नाम पर केवल चित्रमयी है, बावजूद इसके वे विश्व में अत्यंत ही सम्मानित भाषाएं मानी जाती हैं । वहीं 70 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी होने के बाद भी हिंदी भाषा को वह सम्मान प्राप्त नहीं है जिसकी वह हकदार है। हालांकि, वर्तमान में हिंदी फिल्मों तथा अप्रवासी भारतीयों ने हिंदी को विश्व के कोने –कोने में पहुंचा दिया है। भारत विश्व का सबसे बड़ा उभरता बाजार है। ऐसे में व्यापार से जुड़ी हर छोटी-मोटी कंपनियों में हिंदी के उपयोग जरूरी बन गया है। हालांकि हिंदीतर भाषाओं के माध्यम से भी वे अपनी पैठ भारतीय समाज में पुख्ता करना चाहते हैं। जिसमें शायद ही किसी को कोई गुरेज हो। हिंदी भाषा की पहचान आज वैश्विक हो चली है। आज स्थिति यह है की भारतीय हिंदी फिल्मों के दर्शक पूरे विश्व में मिल जायेंगे।

प्रमाणित तथ्य है कि विश्व में वही देश विकसित है जिसने अपनी भाषा को सहेजा है, संवारा है तथा उसे अपनाया है। रूस, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं लेकिन शायद ही आपने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे तथा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपनी देश की राष्ट्रीय भाषा से इतर अन्य भाषा में सार्वजनिक रूप से बोलते हुए सुना हो। शायद नहीं ? इजरायल को कौन भूल सकता है। क्षेत्रफल में हरियाणा जितना इजरायल है पर मजाल है कि कोई दुश्मन देश उसकी तरफ आंखे तरेरे। इजरायल के निर्माण के जितना योगदान यहूदी मजहब का है संभवत: उतना ही उनकी अपनी हिब्रू भाषा का । हिब्रू एक विलुप्तप्राय भाषा थी जिसे, आज लोग दुनिया की पुरानी जीवित भाषाओं में से एक मानते हैं। इजरायल एक मृतप्राय भाषा को जीवित कर देता है तो क्या हम हिंदी जैसी वैज्ञानिक भाषा को जीवंत नहीं रख रखते ? बात समझ में आती है कि भारत की परिस्थितियां इन देशों से अलग है। भारत बहुभाषीय देश है। भारत में समृद्ध भाषाओं की एक लंबी सूची है। देश की मुख्य भाषाएं किसी भी अन्य देशज भाषा से कमतर नहीं है। देश में कई भाषाएं को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया गया है। इनका साहित्य पुरातन एवम् वैभवशाली है। बावजूद इसके इनका क्षेत्र सीमित है। अंचल विशेष में बोली, लिखी तथा पढ़ी जाती हैं। जबकि हिंदी का विस्तार राज्यों की सीमाओं से परे अंतर्राज्यीय से होते हुए अंतर्राष्ट्रीय हो चली  है।

सब जानते हैं कि हिंदी के बिना देश का उत्थान संभव नहीं है। समझ से परे है कि सहिष्णुता जिस देश के अंत: करण में बसती हो, वहां के अहिंदी भाषियों में हिंदी के प्रति इतनी असहिष्णुता क्यों है? तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के लोगों को देवनागरी लिपि में लिखा ‘तमिलनाडु’ और ‘पश्चिम बंगाल’ भी गुस्से के भाव से भर देता है। वैसे हिंदी भाषियों ने हिंदी की कम दुर्गति नहीं की है। हिंदी भाषी व्यक्ति जानबूझकर अंग्रेजी का चोला ओढ़ता है ताकि समाज उसे विद्वान समझे। यहां पर अंग्रेजी को उसकी विरोधी भाषा की दृष्टि से देखने की जरूरत नहीं है। लेकिन समाज में कई ऐसे हैं जो हिंदी आते हुए भी हिन्दी भाषी व्यक्ति से जान-बूझकर अंग्रेजी में बात करते हैं।अब इसे क्या कहें..आप ही तय कर लें। आज हिंदी के प्रति लोगों में सोच बदलने की जरूरत है। राजभाषा नियम-1976 के अनुसार सूचना बोर्ड में त्रिभाषा का सिद्धांत बेहतर है, जिसमें हिंदी के साथ ही सहायक राजभाषा अंग्रेजी सहित स्थानीय भाषा को न केवल  स्थान मिलता है बल्कि दोनों भाषाओं से उपर उसे तरज़ीह मिलती है। मैनें कितने ही स्टेशन देखें है जहां उर्दू में  स्टेशन का नाम लिखा होता है। दो चार के अलावा शायद ही कोई वहां हो जो इसे लिखना और लिखे हुए को पढ़ना जानता हो पर, इसे शायद ही किसी ने  पोता हो। भ्रम है  कि हिंदी या किसी हिंदीतर भाषा का आपस में संघर्ष है। जबकि ऐसा नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंदी का साहित्य हिंदीतर भाषाओं के साहित्य जितना ही समृद्घ है। लेकिन हिंदी देश की प्रतिनिधि भाषा होने के साथ ही अत्यंत सबल और वैज्ञानिक भाषा भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो शायद गुजराती भाषी महात्मा गांधी तथा तमिल भाषी सी. राजगोपालाचारी तथा सीमांत गांधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खाँ हिंदी को देश की भाषा बनाने की वकालत नहीं करते। बावजूद इसके आज भी हिंदी को लेकर राष्ट्रव्यापी स्वीकार्यता नहीं बन पायी है। वर्तमान में हिंदी के विस्तार, बाजार में धमक और भाषाई सबलता के आधार पर हिंदी देश की अघोषित रूप से देश की भाषा है। लेकिन देश में हिंदी को लेकर इतना राजनीतिक कुचक्र फैला है जिसे आधार बनाकर लोग सच को भी झूठा साबित करने में तुले हुए हैं।

सही मायनों में हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं या फिर अंग्रेजी से किसी तरह की कोई चुनौती नहीं है, सभी भाषाओं की अपनी महत्ता है। हिंदी के सबसे बड़े दुश्मन कोई विदेशी नहीं बल्कि अंग्रेजी मानसिकता वाले भारतीय ही हैं। कहा जाता है कि दुनिया को ठीक तरह से जानने तथा लोगों से संबंध बनाने के लिए रशियन, चाइनीज, जापानी, स्पेनिश, जर्मन, अंग्रेजी, अरबी, फ्रांसीसी, हिंदी जैसी भाषाओं की जानकारी होना आवश्यक है। वहीं भारत को जानना हो तो हिंदी भाषा ही पर्याप्त है। इक़बाल साहब को 1905 में ये बात समझ आ गई थी, तब से लेकर अब तक न जाने कितना पानी गंगा में बह गया, पूरी शताब्दी गुज़र गई लेकिन हम नहीं समझे। ईश्वर जाने इस देश और इसके लोगों को यह बात समझने में ना जाने कितना वक्त और लगेगा।

                             अनिल कुमार पाण्डेय

ई मेल – mcrpsvvanil@gmail.com

(लेखक कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबद्ध राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पंचकूला में पत्रकारिता एव् जनसंचार विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हिंदी दिवस विशेष : कब समझेंगे हम - हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा // अनिल कुमार पाण्डेय
हिंदी दिवस विशेष : कब समझेंगे हम - हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा // अनिल कुमार पाण्डेय
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNUPCEvXFkyWWXTwUJQxeXvtW2B51f6VHvo2MscppxO_sjns5b9-VOw8E46SKiz52212c2TWqb1HTFZBHG2iWq6Hbkp54dGqSxxP5vd8DRYiQGGCbf60UX4K8VvWHUrW8VC85h/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNUPCEvXFkyWWXTwUJQxeXvtW2B51f6VHvo2MscppxO_sjns5b9-VOw8E46SKiz52212c2TWqb1HTFZBHG2iWq6Hbkp54dGqSxxP5vd8DRYiQGGCbf60UX4K8VvWHUrW8VC85h/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/09/blog-post_95.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/09/blog-post_95.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content