मथुरा में हिन्दी सजल सर्जना समिति के तत्वावधान में प्रथम हिन्दी सजल महोत्सव-2017 का भव्य आयोजन स्थानीय होटल माधव-मुस्कान में सम्पन्...
मथुरा में हिन्दी सजल सर्जना समिति के तत्वावधान में प्रथम हिन्दी सजल महोत्सव-2017 का भव्य आयोजन स्थानीय होटल माधव-मुस्कान में सम्पन्न हुआ। इसमें देशभर के साहित्यकारों, हिन्दी के प्रोफेसरों, सुप्रसिद्व कवियों और साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। उर्दू के समकक्ष हिन्दी काव्य की नई विधा ‘सजल’ को अपने व्याकरण और मानकों के साथ हिन्दी के विद्वानों ने खचाखच भरे सभागार में करतल ध्वनि से मान्यता प्रदान की।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि पद्मभूषण श्री गोपालदास नीरज एवं अध्यक्ष हरिबंश चतुर्वेदी (निदेशक, बिमटैक, दिल्ली) ने माँ सरस्वती के समकक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विशिष्टि अतिथि के0एम0 हिन्दी संस्थान के निदेशक डॉ0 प्रदीप श्रीधर, विशिष्ट अतिथि डॉ0 चन्द्रभाल सुकुमार (पूर्व जिला जज) ने भी माँ शारदे को माल्यार्पण किया। तत्पश्चात दिल्ली से पधारी कवयित्री डॉ0 शुभदा बाजपेयी ने सरस्वती वन्दना पढ़ी एवं प्रसाद वितरण किया गया।
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मंचासीन अतिथियों को माला पहनाकर, शॉल उढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया । समितिे के सचिव सन्तोष कुमार सिंह ने श्री नीरज को माला पहनाकर व शॉल उढ़ाकर तथा समिति के अध्यक्ष डॉ0 अनिल गहलौत ने उन्हें स्मृति चिन्ह तथा ‘सजल ऋषि’ की सम्मानोपाधि प्रदान कर विभूषित किया। श्री हरिबंश चतुर्वेदी का सम्मान डॉ0 अशोक बंसल तथा डॉ0 रामसनेहीलाल शर्मा यायावर जी ने तथा डॉ0 चन्द्रभाल सुकुमार जी का सम्मान डॉ0 राकेश सक्सेना (एटा) तथा डॉ0 दिनेश पाठक शशि ने शॉल उढ़ाकर तथा स्मुति चिन्ह देकर किया। इसके साथ ही ‘शील साहित्य मंडल, जाँजगीर (छत्तीसगढ़) की ओर से विजय राठौर ने, तथा हरिबंश चतुर्वेदी जी ने स्वयं अपनी ओर से शॉल उढ़ाकर तथा स्मुति चिन्ह देकर पदमभूषण श्री नीरज का सम्मान किया।
अपने उद्बोधन में श्री गोपालदास नीरज जी ने कहा, हिन्दी में बहुत गजलें लिखी जा रही हैं। मैंने भी लिखीं थीं। परन्तु मुझे लगा कि यह हिन्दी के साथ न्याय नहीं है। अतः मैंने इसे एक नाम ‘गीतिका’ दिया। इसका कोई मानक निर्धारित न होने कारण सर्वमान्य न हो सकी। आज मथुरा से डॉ0 अनिल गहलौत ने ‘हिन्दी सजल’ का शुभारम्भ किया है। इसका मानक और व्याकरण भी तय किया गया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह विधा सर्वमान्य होगी और काव्य जगत में अपना ऊँचा स्थान बनाएगी। सजल विधा को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।
इसके बाद सजल विधा के प्रवर्तक डॉ0 अनिल गहलौत ने ‘सजल’ की अवधारणा और उसके मानकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिन्दी में गजल के कारण हिन्दी वाले उर्दू भाषी होते चले गए। अनेक कवियों ने उर्दू के उपनाम धारण कर लिए। अनेक हिन्दी गजल संग्रह प्रकाशित हुए परन्तु उर्दू शाइरों ने उन्हें गजल नहीं माना। यह ठीक भी है। जब गजल के व्याकरण को आप जानते ही नहीं तो आपकी गजल कैसे सही हो सकती है। अतः हिन्दी कवि गजलकार या शाइर नहीं बन सके। ‘सजल’ विधा इस मानसिकता से हमें उबारेगी और इसके माध्यम से हम हिन्दी की सच्ची सेवा भी कर सकेंगे। इसका सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।
इस महोत्सव में कई सजल संग्रहों का लोकार्पण पदमभूषण श्री गोपालदास नीरज एवं अन्य अतिथियों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। सबसे पहले ‘‘सजल सप्तक -1’’ का लोकार्पण हुआ। इसमें सात सजलकारों की ग्यारह-ग्यारह सजलें संग्रहीत हैं। इनके नाम हैं - डॉ0 अनिल गहलौत (मथुरा), डॉ0 रामसनेहीलाल यायावर (फिरोजाबाद), डॉ0 राकेश सक्सेना (एटा), विजय राठौर (जाँजगीर, छत्तीसगढ़), विजय बागरी ‘विजय’ (कटनी, म.प्र0) तथा रेखा लोढ़ा स्मित (भीलबाड़ा राजस्थान)।
इसके बाद जाँजगीर छत्तीसगढ़ के विजय राठौर के सजल संग्रह ‘चाँद पर घर बनाके देखेंगे’ का, फिर वाराणसी के डॉ0 चन्द्रभाल सुकुमार के सजल संग्रह ‘एक सूर्य कल भी’ तथा फिरोजाबाद के डॉ0 रामसनेहीलाल शर्मा यायावर के सजल संग्रह ‘ तृषा का आचमन’ का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। इसी ्क्रम में विजय राठौर द्वारा लिखित पुस्तक ‘काव्य-कुंजिका’ का लोकार्पण भी गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।
इस नई काव्य विधा ‘सजल’ के उन्नयन एवं विकास के लिए जो रचनाकार तन-मन-धन से प्रयास कर रहे हैं उन्हें हिन्दी सजल सर्जना समिति, मथुरा द्वारा विभिन्न सम्मानोपाधियों से विभूषित किया गया। उनके नाम हैं -
सजल-रत्न सम्मान - डॉ0 चन्द्रभाल सुकुमार, वाराणसी, डॉ0 रामसनेहीलाल यायावर, फिरोजाबाद एवं विजय राठौर, जाँजगीर, छत्तीसगढ़।
सजल-गौरव सम्मान - डॉ0 अनिल गहलौत, डॉ0 रामसनेहीलाल यायावर, डॉ0 राकेश सक्सेना, एटा, इं0 सन्तोष कुमार सिंह, मथुरा, विजय राठौर, विजय बागरी ‘विजय’ तथा रेखा लोढ़ा स्मित’।
सजल-पटल रत्न सम्मान - डॉ0 बी0के0 सिंह, मैनपुरी तथा श्री रमेशचन्द्र भाटिया, मथुरा।
सजल-पटलश्री सम्मान --डॉ0 रामसनेहीलाल शर्मा यायावर, डॉ0 राकेश सक्सेना, एटा, इं0 सन्तोष कुमार सिंह, मथुरा, विजय राठौर, विजय बागरी ‘विजय’म0प्र0, डॉ0 नर्वदेश्वर राय, वाराणसी, डॉ0 मोर मुकुट शर्मा, अलीगढ़, एडवोकेट हरवेन्द्र सिंह गौर, फर्रुखाबाद, श्रीमती आराधना श्रीवास्तव, लखनऊ, डॉ0 रामनिवास शर्मा अधीर, मथुरा, मदनमोहन शर्मा अरविंद, मथुरा तथा मीना शर्मा ‘मीन’, म0प्र0।
विशेष घोषणा - इस अवसर पर यह घोषणा की गई कि अगले सजल महोत्सव से अपने माता-पिता की स्मृति में दो पुरस्कार सजल संग्रहों की श्रेष्ठ कृतियों पर डॉ0 अनिल गहलौत प्रदान किया करेंगे। दोनों पुरस्कारों में सम्मान पत्र के साथ पाँच हजार एक सौ रुपए प्रदान किए जाएँगे।
भोजनावकाश के पश्चात दोपहर दो बजे से काव्य पाठ आरम्भ हुआ। मंचासीन अतिथियों के नाम इस प्रकार हैं - श्री सुरेशसिंह यादव (पूर्व न्यायाधीश), विजय राठौर, विजय बागरी विजय , रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ तथा रामवीर सिंह (सेवानिवृत ए0डी0एम) बदायूँ। दोनों सत्रों का सफल संचालन डॉ0 रमाशंकर पाण्डेय ने सँभाला।
सबसे पहले सभी कवियों का राधा-कृष्ण की छवियाँ देकर तथा पटुका उढ़ाकर स्वागत किया गया। कविता पाठ करने वाले कवियों के नाम इस प्रकार हैं - डॉ0 शेषपाल सिंह शेष,आगरा, सुरेश यादव आगरा, रवीन्द्र वर्मा आगरा, नीरज शास्त्री मथुरा, अटलराम चतुर्वेदी, अनिल कुमार मिश्र, उमरिया म0प्र0, राजकुमार महोबिया उमरिया म0प्र0, के0 उमराव विवेकनिधि, मदनमोहन शर्मा, योगेश पंकज, हरिदत्त चतुर्वेदी, विमल उपाघ्याय सिकन्दराराऊ, देवीप्रसाद गौड़, जीतेशराज नक्श पीलीभीत, डॉ0 शुभदा बाजपेयी,दिल्ली, रेखा लोढ़ा, विजय बागरी, सुधा अरोरा, अशोक अज्ञ, चन्द्रभाल सुकुमार, महेन्द्र सक्सेना हुमा, डॉ0 सुषमासिंह आगरा, डॉ0 रेखा गुप्ता, फरह, डॉ0 नीतू गोस्वामी, अजय जादौन अर्पण खैर, डॉ0 रमाशंकर पाण्डेय, डॉ0 अनिल गहलौत, इं0 सन्तोष कुमार सिंह, महेश शर्मा, रायपुर छत्तीसगढ़, निशेष जार मथुरा, अनुपम श्रीवास्तव, आगरा, केशवप्रसाद शर्मा, सुषमा अग्रवाल फरह, रामपाल पथिक, कासगंज, बलवीरसिंह पौरुष, सिंकन्दराराऊ, गयाप्रसाद मौर्य आगरा, राकेश चक्र, मुरादाबाद,अंकित राठौर, दिनेश चतुर्वेदी जाँजगीर, प्रमोद लवानिया, राकेश सक्सेना एटा, रामसनेहीलाल यायावर तथा शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ। पुस्तक प्रकाशक गोविन्द पचौरी, उपेन्द्र त्रिपाठी गरलकंठ, देवेन्द्र कुमार सिंह, जितेन्द्र सेंगर, नीटू शर्मा, अखबारों और न्यूज चैनलों के पत्रकार और अनेकों साहित्यप्रेमी श्रोता सभागार में उपस्थित थे। अन्त में सर्जना समिति के कोषाध्यक्ष डॉ0 दिनेश पाठक शशि ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रस्तुति -
इं0 सन्तोष कुमार सिंह
सचिव, सजल सर्जना समिति, मथुरा (रजि0)
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