एक बार एक लड़के के दिमाग में आया कि वह कहीं बाहर जा कर चोरी करे। यह बात उसने अपनी माँ से कही तो उसने उसको बहुत डाँटा। वह बोली — “तुमको शरम न...
एक बार एक लड़के के दिमाग में आया कि वह कहीं बाहर जा कर चोरी करे। यह बात उसने अपनी माँ से कही तो उसने उसको बहुत डाँटा।
वह बोली — “तुमको शरम नहीं आती ऐसा कहते हुए। जाओ चर्च जाओ और वहाँ जा कर अपना यह पाप कनफैस करो और सुनो कि पादरी ने तुमसे क्या कहा।”
लड़का कनफैशन करने के लिये चर्च गया तो पादरी ने कहा — “चोरी करना पाप जरूर है पर सिवाय चोरों के यहाँ चोरी करने के।” उसकी समझ में आ गया।
वहाँ से वह लड़का जंगल चला गया। जंगल के पास एक मकान था। उसने उस मकान का दरवाजा खटखटाया तो उसमें अन्दर कुछ लोग थे।
उसने उनसे कहा कि वह कोई काम चाहता है। उन्होंने उसको अपने घर का काम करने के लिये घर में नौकर रख लिया। इत्तफाक से वे सब चोर थे।
चोरों ने उसको बताया कि “हम लोग चोर हैं और चोरी करते हैं। पर हम कोई पाप नहीं करते क्योंकि हम टैक्स लेने वालों के घर चोरी करते हैं और उनसे लिया हुआ पैसा गरीबों में बाँट देते हैं।”
एक दिन जब वे चोर एक टैक्स लेने वाले के घर चोरी करने गये हुए थे तो उस लड़के ने उन चोरों की घुड़साल से उनका सबसे अच्छा खच्चर निकाला, उस पर सोने के कुछ टुकड़े लादे और वहाँ से भाग लिया।
उसने वह सोना तो अपनी माँ को दे दिया और फिर काम ढूँढने शहर चला गया। उस शहर के राजा के पास 100 भेड़ें थीं पर उन भेड़ों की देखभाल करने के लिये कोई तैयार नहीं था। उस लड़के ने राजा से कहा — “मैं आपकी भेड़ों की देखभाल करूँगा।”
राजा बोला — “देखो हमारे पास 100 भेड़ें हैं। कल सुबह तुम इन सबको घास खिलाने के लिये मैदान ले जाओ। वहाँ एक नाला है। ध्यान रखना कि ये भेड़ें उस नाले के उस पार न जाने पायें क्योंकि उधर एक साँप रहता है। अगर वे उधर गयीं तो वह साँप उनको खा जायेगा।
अगर तुम बिना किसी भेड़ को खोये हुए वापस आ गये तो मैं तुमको इनाम दूँगा और अगर सारी भेड़ों को वापस ले कर नहीं आये तो मैं तुमको वहीं का वहीं निकाल दूँगा जब तक कि वह साँप तुमको ही न खा जाये।”
उस घास के मैदान तक पहुँचने के लिये उसको राजा के महल की खिड़कियों के पास से हो कर जाना पड़ता था। उस दिन उस महल की एक खिड़की पर राजा की बेटी खड़ी थी। उसने जब उस लड़के को भेड़ ले जाते देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी।
राजा की बेटी के हाथ में एक केक थी सो अपनी खिड़की से ही उसने वह केक उस लड़के की तरफ फेंक दी। उस लड़के ने वह केक लपक ली और यह सोच कर रख ली कि वह उस केक को मैदान में खायेगा।
जब वह मैदान में पहुँचा तो वहाँ उसको घास में पड़ा एक बड़ा सा सफेद पत्थर दिखायी दिया। उस पत्थर को देख कर उसने सोचा कि मैं इस पत्थर बैठ कर राजा की बेटी की दी हुई यह केक खाता हूँ पर उसे ध्यान से देखने पर पता चला कि वह पत्थर तो उस नाले के उस पार पड़ा हुआ था।
हालाँकि राजा ने उसे पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि वह उस नाले के उस पार न जाये पर फिर भी उस लड़के ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और वह नाले के उस पार कूद गया।
उसके पीछे पीछे उसकी भेड़ें भी नाले के उस पार चली गयीं। उधर की तरफ की घास बड़ी थी सो भेड़ें आराम से उस घास को चरने लगीं।
लड़का उस सफेद पत्थर पर बैठ गया और अपना केक खाने लगा। अचानक उसका वह पत्थर इतनी ज़ोर से हिला कि उसको लगा जैसे सारी दुनियाँ हिल गयी हो। लड़के ने चारों तरफ देखा पर जब उसको कहीं कोई दिखायी नहीं दिया तो वह फिर अपना केक खाने लगा।
कुछ पल बाद उसको एक बार फिर से धक्का लगा जो पहले वाले धक्के से कहीं ज़्यादा जोर का था पर उस लड़के ने इस धक्के पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। कुछ पल बाद उसको तीसरा धक्का लगा तो उसने देखा कि एक तीन सिर वाला साँप उस पत्थर के नीचे से निकल रहा था।
उसने अपने तीनों मुँहों से लड़के की तरफ देखा तो लड़के ने देखा कि उसके तीनों मुँहों में एक एक गुलाब था। ऐसा लग रहा था जैसे वह साँप वे गुलाब उस लड़के को दे रहा हो।
वह लड़का उन गुलाबों को लेने ही वाला था कि उस साँप ने अपने तीनों मुँहों से उसके ऊपर इतनी ज़ोर से फुंकार मारी जैसे वह उसको तीन कौर में ही खा जायेगा।
पर वह छोटा सा लड़का उससे ज़्यादा तेज़ था। उसने अपना डंडा अपने सिर के ऊपर उठाया और जल्दी जल्दी उसके तीनों सिरों पर मार दिया। डंडे की मार से वह साँप नीचे गिर पड़ा तो उस लड़के ने उसके तीनों सिर काट लिये।
उसके दो सिर तो उसने अपनी शिकारी वाली जैकेट की जेब में रख लिये और तीसरे सिर को उसने यह देखने के लिये कि इसके अन्दर क्या है कुचल कर तोड़ डाला। उस सिर के अन्दर उसको एक क्रिस्टल की चाभी मिली।
उस लड़के ने वह चाभी तो निकाल ली और फिर उस सफेद पत्थर को वहाँ से हटाया तो वहाँ उसको एक चोर दरवाजा मिला जिसमें एक ताला लगा हुआ था।
उसने वह क्रिस्टल की चाभी उस दरवाजे को खोलने के लिये इस्तेमाल की तो वह दरवाजा उस चाभी से खुल गया।
ताला खोल कर वह अन्दर गया तो वहाँ तो एक बड़ा शानदार महल था जो खालिस क्रिस्टल का बना हुआ था। उस क्रिस्टल के महल के दरवाजे से बहुत सारे क्रिस्टल के नौकर निकल पड़े और बोले — “आपका स्वागत है मालिक। आपको क्या चाहिये।”
लड़का बोला — “मुझे अपना सारा खजाना देखना है।”
वे लोग उसको क्रिस्टल की सीढ़ियों से ऊपर ले गये। वहाँ उन्होंने उसको क्रिस्टल की बनी घुड़सालें दिखायीं जिनमें क्रिस्टल के घोड़े थे, क्रिस्टल के हथियार थे और क्रिस्टल के ही जिरहबख्तर थे।
फिर उन्होंने उसको क्रिस्टल के बागीचे दिखाये जिनके रास्तों पर क्रिस्टल के पेड़ लगे थे और जिन पर क्रिस्टल की चिड़ियें गा रही थीं। वह क्यारियों से हो कर गुजरा तो उसने देखा कि वहाँ तो क्रिस्टल के ही फूल भी खिले हुए थे।
वहाँ क्रिस्टल के तालाब थे जिनके चारों तरफ क्रिस्टल के फूलों के पौधे लगे हुए थे। लड़के ने उन क्रिस्टल के फूलों में से एक छोटा सा फूलों का गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।
उस शाम जब वह भेड़ें चरा कर घर वापस लौटा तो उसने देखा कि राजा की बेटी तो तभी भी उसी खिड़की पर खड़ी बाहर की तरफ देख रही थी।
उसके टोप में लगा वह फूल देख कर वह बोली — “क्या मैं तुम्हारे टोप का यह फूलों का गुच्छा ले सकती हूँ?”
लड़का बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। ये क्रिस्टल के फूल हैं जो मेरे क्रिस्टल के किले के क्रिस्टल के बागीचे के हैं।” ऐसा कह कर उसने फूलों का वह गुच्छा अपने टोप में से निकाल कर राजा की बेटी की तरफ फेंक दिया। राजा की बेटी ने भी उसको लपक कर पकड़ लिया।
राजा उसको अपनी सारी भेड़ों के साथ वापस आया देख कर बहुत खुश हुआ।
अगले दिन वह फिर राजा की भेड़ें चराने गया। जब वह अगले दिन उस पत्थर के पास पहुँचा तो वहाँ जा कर उसने साँप का दूसरा सिर निकाल कर उसको कुचल दिया। अब की बार उसमें से उसको एक चाँदी की चाभी मिली।
साँप के सिर में से चाँदी की चाभी निकाल कर उसने वह सफेद पत्थर फिर से हटाया और अब की बार उसने वह दरवाजा चाँदी की चाभी से खोला तो वह एक ठोस चाँदी के महल में पहुँच गया। उस महल के दरवाजे से चाँदी के नौकर निकले और उन्होंने उससे कहा — “हुकुम सरकार।”
उसने उनसे भी वही कहा जो उसने क्रिस्टल के किले के नौकरों से कहा था — “हमें हमारा खजाना दिखाओ।”
वे चाँदी के नौकर उसको चाँदी का खजाना दिखाने के लिये ले गये। चाँदी का रसोईघर जहाँ चाँदी के मुर्गे भूने जा रहे थे। चाँदी के बागीचे जहाँ चाँदी के मोर अपने पंख फैलाये खड़े थे। वहाँ से भी उसने चाँदी के फूलों का एक गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।
उस रात जब वह अपनी भेड़ें ले कर राजा के घर पहुँचा तो उसने देखा कि राजा की बेटी तो अभी भी खिड़की में बैठी बाहर देख रही थी।
जब उसने इस लड़के को आते देखा तो उसको उसके टोप में लगा चाँदी के फूलों का गुच्छा बहुत अच्छा लगा। उसने उससे फिर कहा कि क्या वह उसके टोप में लगे फूलों का गुच्छा ले सकती है?
“हाँ हाँ क्यों नहीं। ये मेरे चाँदी के महल के चाँदी के बागीचे के चाँदी के फूल हैं।” और यह कह कर उसने वह चाँदी के फूलों का गुच्छा उसकी तरफ उछाल दिया। राजा की बेटी ने वह चाँदी के फूलों का गुच्छा भी लपक कर पकड़ लिया।
तीसरे दिन वह फिर राजा की भेड़ें चराने गया। जब वह लड़का उस सफेद पत्थर के पास पहुँचा तो अब की बार उसने साँप का वह बचा हुआ तीसरा सिर भी तोड़ दिया। अब की बार उसके सिर में से उसको सोने की चाभी मिली।
साँप के सिर से सोने की चाभी निकालने के बाद उसने फिर से वह पत्थर उठाया और उसके चोर दरवाजे को सोने की चाभी से खोला।
दरवाजा खुल गया और इस बार वह एक ठोस सोने के महल में घुसा जहाँ सोने के नौकर थे। वे सिर के बालों से ले कर अपने जूतों तक पूरे सोने के बने हुए थे।
उन्होंने भी उसके पास आ कर पूछा — “मालिक, हम आपके लिये क्या करें?”
उसने उनको भी वही जवाब दिया —“हमको हमारा खजाना दिखाओ।”
सो वे उसको वह सोने का महल दिखाने ले गये। वहाँ सोने के पलंग थे जिन पर सोने के बिस्तर लगे हुए थे। उन पर सोने की चादरें बिछी हुई थीं और सोने के ही तकिये थे। उन कमरों की सोने की ही छतें थीं।
उस सोने के महल के सोने के बागीचे में सैंकड़ों सोने की चिड़ियें चहचहा रही थीं। वहाँ सोने के फव्वारे लगे थे जिनमें से सोने का पानी निकल निकल कर इधर उधर बिखर रहा था।
उसने उस सोने के बागीचे की एक क्यारी से सोने के फूलों का एक छोटा सा गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।
उस रात जब वह अपनी भेड़ें ले कर राजा के घर पहुँचा तो वह राजकुमारी रोज की तरह अभी भी उसी खिड़की में बैठी हुई थी। उस लड़के को आता देख कर वह फिर बोली कि क्या मैं तुम्हारे टोप में लगे ये फूल ले सकती हूँ?
“हाँ हाँ क्यों नहीं। ये मेरे सोने के महल के सोने के बागीचे के सोने के फूल हैं।” और यह कह कर उसने वह सोने के फूलों का गुच्छा उसकी तरफ उछाल दिया। राजा की बेटी ने वह गुच्छा भी लपक कर पकड़ लिया।
एक दिन राजा ने एक टूर्नामैन्ट का इन्तजाम किया और घोषणा की कि यह टूर्नामैन्ट तीन दिन तक चलेगा और जो कोई उन तीनों टूर्नामैन्ट्स में जीतेगा वह अपनी बेटी की शादी उसी से कर देगा।
यह सुन कर वह लड़का अपने क्रिस्टल के महल में आया और क्रिस्टल का एक घोड़ा निकाला जिसकी लगाम और जीन सब क्रिस्टल की थी। उसने फिर अपना क्रिस्टल का जिरहबख्तर पहना और अपने क्रिस्टल के घोड़े पर सवार हो कर टूर्नामैन्ट में हिस्सा लेने चल दिया। उसके हाथ में क्रिस्टल का एक भाला भी था।
उस पहले दिन के टूर्नामैन्ट में उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और अपने आपको दिखाये बिना ही वहाँ से वापस चला आया।
अगले दिन वह चाँदी के घोड़े पर सवार हो कर टूर्नामैन्ट में हिस्सा लेने के लिये लौटा। उस दिन वह चाँदी के घोड़े पर सवार था जिसकी चाँदी की लगाम थी, चाँदी की जीन थी और उसके पास चाँदी का भाला और चाँदी की ढाल थी। वह चाँदी का जिरहबख्तर पहने था।
इस बार भी उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और पहले की तरह से अपने आपको बिना दिखाये ही चला आया।
तीसरे दिन वह सोने के घोड़े पर सवार हो कर आया। उस दिन वह सोने के घोड़े पर सवार था। उसके सोने के घोड़े की सोने की लगाम थी और सोने की ही जीन थी। उसके पास सोने का भाला था और वह सोने का जिरहबख्तर पहने था। उसके पास सोने की एक ढाल भी थी।
इस बार भी उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और पहले की तरह से अपने आपको बिना दिखाये बिना ही जाने लगा तो वह राजकुमारी बोल पड़ी — “मैं जानती हूँ तुम कौन हो। तुम वही आदमी हो जिसने मुझे अपने क्रिस्टल के महल से क्रिस्टल के फूल, चाँदी के महल से चाँदी के फूल और सोने को महल से सोने के फूल ला कर दिये थे।”
तब उसको अपने आपको दिखाना ही पड़ा तो राजा तो उसको देखते ही हक्का बक्का रह गया। यह तो उसका अपना ही भेड़ चराने वाला था।
पर अपनी घोषणा के अनुसार उसने अपनी बेटी की शादी उस चरवाहे से कर दी और उसे राजा बना दिया।
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया की 45 लोककथाओंको आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)
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