सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवर...
सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं.
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लोक कथाऐं किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाऐं हैं। आज से बहुत साल पहल़े करीब 100 साल पहल़े ये लोक कथाऐं केवल ज़बानी ही कही जाती थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।
आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाऐं अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहॅुचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाऐं हमने अंग्रेजी की किताबों स़े कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ स़े और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाऐं हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाऐं तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।
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इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाऐं हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाऐं यहॉ तो सरल भाषा में लिखी गयीं है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याऐं आयी है जिनमें से दो समस्याऐं मुख्य हैं।
एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल ह़ै चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।
ये सब कथाऐं "देश विदेश की लोक कथाऐं" नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाऐं आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।
सुषमा गुप्ता
मई 2016
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इथियोपिया की लोक कथार्ऐं1 व 2
संसार में सात महाद्वीप हैं र् एशिया़ अफ्रीका़ उत्तरी अमेरिका़ दक्षिणी अमेरिका़ अन्टार्कटिका़ यूरोप और आस्ट्रेलिया र् सबसे बड़े से सबसे छोटा क्रम से।
इस प्रकार अफ्रीका इस संसार का साइज़ और जनस्ंख्या दोनों में दूसरे नम्बर का महाद्वीप है। इस महाद्वीप में 54 देश हैं। इस महाद्वीप का अपना लिखा हुआ और इसके बारे में लिखा हुआ साहित्य और दूसरे महाद्वीपों की तुलना में बहुत कम मिलता है इसी वजह से हमने इस महाद्वीप की लोक कथाऐं हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने का विचार किया है। इस महाद्वीप से लगभग 400 से अधिक लोक कथाऐं इकठ्ठी की गयी हैं।
अफ्रीका के 54 देशों में से इथियोपिया़ नाइजीरिया़ घाना़ तन्ज़ानिया और दक्षिण अफ्रीका देशों की लोक कथाऐं काफी स्ंाख्या में मिल जाती है इसलिए उन देशों की लोक कथाऐं उन देशों के नाम से ही दी गयी हैं। अफ्रीका की शेष लोक कथाऐं चार भागों में बॉटी गयी हैं र् अफ्रीका की लोक कथाऐ़ं पूर्वी अफ्रीका की लोक कथाऐ़ं दक्षिणी अफ्रीका की लोक कथाऐं और पश्चिमी अफ्रीका की लोक कथाऐं। शेष देशों की लोक कथाऐं या तो अफ्रीका की लोक कथाओं में शामिल कर दी गयी हैं या फिर उन देशों के नाम से ही दी गयी ह़ैं जैसे नाइजीरिया की लोक कथाऐ़ं घाना की लोक कथाऐ़ं इथियोपिया की लोक कथाऐ़ं दक्षिण अफ्रीका की लोक कथाऐ़ं ज़ंज़ीबार की लोक कथाऐं।
खरगोश़ कछुए और अनन्सी मकड़े का अफ्रीका की लोक कथाओं में एक विशेष स्थान है सो उनकी लोक कथाऐं अलग से दी गयी हैं।
इस पुस्तक में अफ्रीका के इथियोपिया देश की लोक कथाऐं अपने हिन्दी भाषा जानने वालों के लिये हिन्दी में प्रस्तुत की जा रही हैं। इथियोपिया देश की दो खासियत हैं र् एक तो यह कि इस देश पर किसी पश्चिमी सत्ता ने कभी राज नहीं किया सिवाय इटली देश के जिसने वहॉ केवल पॉच साल राज किया। दूसरे पूरे अफ्रीका में यही एक देश है जिसकी अपनी लिपि है। अफ्रीका के बाकी सारे देश अपनी भाषा लिखने के लिए रोमन लिपि का इस्तेमाल करते हैं। इस देश को "लैंड औफ थरटीन मन्थ्स औफ सनशाइन" भी कहते हैं क्योंकि यहॉ के साल में 13 महीने होते ह़ैं 12 नहीं र् 3र्030 दिन के 12 महीने और र्56 दिन का 13वॉ महीना।
आशा है कि ये लोक कथाऐं इथियोपिया के जीवन की एक झलक प्रस्तुत करने में सहायक होंगी।
इथियोपिया की लोक कथाओं का संकलन 2 वाल्यूम में प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है जिन्हें आप निम्न कड़ी में जाकर क्रय कर सकते हैं -
https://www.prabhatbooks.com/ethiopia-ki-lok-kathayen-2-folk-tales-of-ethiopia.htm
तथा
https://www.prabhatbooks.com/ethiopia-ki-lok-kathayen-1-folk-tales-of-ethiopia.htm
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प्रस्तुत है इस संकलन की एक लोक कथा -
1 नौ हयीना और शेर
एक बार नौ हयीना और एक शेर शिकार करने के लिये निकले और दस गायें ले कर घर आये।
जब वे उनका बॅटवारा करने लगे तो शेर ने उन नौ हयीना से कहा - "हयीना भाई देख़ो हम दस लोग शिकार के लिये गये थे और वहॉ से दस गाय ले कर लौटे हैं इसलिये अब हम सब जब अलग अलग हों तो तभी भी हमको दस ही होना चाहिए। है न?
तुम लोग नौ हो तो अगर तुम एक गाय ले लोगे तो तुम लोग दस हो जाओगे और मैं क्योंकि अकेला हॅू इसलिये दस होने के लिए मुझे नौ गाय चाहिये सो अगर मैं नौ गाय ले लॅूगा तो हम दोनों दस दस हो जायेंगे।"
अब हयीना और शेर का क्या मुकाबला। बेचारे हयीना यह जानते हुए भी कि यह बॅटवारा गलत है चुपचाप शेर की बात मान गये और उसको यह जताते हुए कि यही बॅटवारा ठीक है वे बेचारे एक गाय ले कर चले आये।
जब बेटे हयीना घर लौटे तो उनके पिता ने अपने उन नौ हयीना बेटों से पूछा - "अरे तुम क्या केवल एक ही गाय ले कर आये हो? यह एक गाय तुम कैसे लाये?"
हयीना बोले - "हम सब आज शेर भाई के साथ मिल कर शिकार करने गये थे। हम सबने मिल कर वहॉ दस गायें पकड़ीं और उनको ले आये।
जब हम उनको ला रहे थे तो शेर भाई बोले "तुम नौ भाई एक गाय ले लो और मैं अकेला नौ गायें ले लॅू तो हम दोनों की गिनती दस दस हो जायेगी। उन्होंने हमसे जैसा कहा हमने वैसा ही किया और इस तरह हम यह एक गाय ले कर आ गये।"
यह सुन कर उनके पिता ने कहा - "उस शेर ने तो तुमको बेवकूफ बनाया है मेरे बच्च़ों चलो तुम मुझे उस शेर के पास ले चलो जिसने तुम्हारे साथ ऐसा किया है। मैं उसे देखता हॅू। मेरा घोड़ा तैयार करो।"
नौ हयीना बेटों ने मिल कर अपने पिता के लिये घोड़ा तैयार किया और पिता हयीना उस शानदार घोड़े पर सवार हो कर अपने बच्चों के साथ उस शेर के पास चल दिये।
जब वे सब शेर की मॉद के पास पहॅुचे तो पिता हयीना ने कहा - "वह शेर कहॉ है जिसने तुम्हें बेवकूफ बनाया है? वह इस पहाड़ के किस तरफ रहता है?"
बच्चों ने कहा - "पिताज़ी वह जो पहाड़ आपको दिखायी दे रहा है वही तो शेर है।"
पिता फिर बोला - "तो उस पहाड़ के बराबर में वह लाल लाल आग क्या है?"
इस पर बच्चे बोले - "वे तो शेर की ऑखें हैं पिता जी।"
वे थोड़ा और आगे बढ़े तो पिता हयीना ने कहा - "शेर ज़ी नमस्कार।"
शेर ने जवाब दिया - "नमस्कार। कहिये मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हॅू?"
पिता हयीना बोला - "मैं इसलिए आया हॅू सरकार ताकि आपको वह गाय भी दे दॅू जो आपने मेरे बच्चों को दी थी और साथ में अपना यह घोड़ा भी।"
बड़ी मुश्किल से वह इतना ही कह सका और शेर की दी हुई गाय और अपना घोड़ा दोनों ही वहीं छोड़ कर वहॉ से भाग लिया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने से ज़्यादा ताकतवर आदमी के साथ बहस करने से कोई फायदा नहीं।
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सुषमा गुप्ता का जन्म सन् 1943 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र और अर्थशास्त्र में एम.ए. किया और मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड. किया। सन् 1976 में ये नाइजीरिया चली गईं। वहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इबादान से लाइबे्ररी साइंस में एम.एल.एस. किया और एक थियोलॉजिकल कॉलेज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहाँ से फिर वे इथियोपिया चली गईं और एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ इथियोपियन स्टडीज की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात् उन्हें दक्षिणी अफ्रीका के एक देश, लिसोठो के विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज में एक साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से सन् 1993 में ये अमेरिका आ गईं, जहाँ उन्होंने फिर से मास्टर ऑफ लाइब्रेरी ऐंड इनफॉर्मेशन साइंस किया। फिर 4 साल ऑटोमोटिव इंडस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली और अपनी एक वेबसाइट बनाई—222. sushmajee.com। तब से ये उसी पर काम कर रही हैं।
लोककथाओं में विशेष अभिरुचि होने के कारण अधिक समय इन्हीं के संकलन-प्रकाशन पर व्यतीत।अन्य विवरण के लिए निम्न कड़ियों पर जाएँ -
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