बदलते परिवेश में रक्षा बंधन // श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता

SHARE:

बदलते परिवेश में रक्षा बंधन श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता ( एम.ए. संस्‍कृत विशारद) रक्षा बन्‍धन एक धर्म निरपेक्ष त्यौहार है। भारतीय समाज का...

बदलते परिवेश में रक्षा बंधन

clip_image002

श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता

(एम.ए. संस्‍कृत विशारद)

रक्षा बन्‍धन एक धर्म निरपेक्ष त्यौहार है। भारतीय समाज का हर वर्ग इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाता है । भारत ही नहीं अपितु मॉरीशस, नेपाल, आदि देशों में यह पर्व मनाया जाता है। विदेशों में जहाँ भी भारतीय निवास करते हैं, वे अपने भाईयों-बहनों से संचार माध्‍यम से सम्‍पर्क कर इस पवित्र त्यौहार का भरपूर आनन्‍द लेते हैं ।

राखी का पर्व कब से प्रारम्‍भ हुआ इस विषय में कहा जाता है कि जब देव तथा दानवों का युद्ध हुआ तो इन्‍द्र घबराकर देवगुरू बृहस्‍पति के पास पहुँचे। इन्‍द्र की पत्‍नी इन्‍द्राणी ने जब यह समाचार सुना तो उन्होंने रेशमी धागों को मंत्र-शक्‍ति से अभिमंत्रित कर लिया तथा उन्‍हें इन्‍द्र के हाथ पर बाँध दिया। कहा जाता है कि इसी के प्रभाव से इन्‍द्र युद्ध में विजयी हुए।

स्‍कन्‍धपुराण तथा पद्‌मपुराण के अनुसार राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण कर स्‍वर्ग का राज्‍य प्राप्‍त करने का प्रयत्‍न किया देवता भयभीत होकर भगवान विष्‍णु के पास गये। विष्‍णु ने ब्राह्मण वेष धारण किया। वे राजा बलि के पास भिक्षा माँगने पहुँचे। शुक्राचार्य ने राजा बलि को तीन पग जमीन देने से मना कर दिया किन्‍तु बलि बचनबद्ध थे। उन्‍होंने तीन पग जमीन दे दी। एक पग में आकाश, दूसरे में पताल तथा तीसरे में धरती का दान हो गया। राजा बलि को स्‍वयं रसातल में जाना पड़ा। बलि का अभिमान चूर हो गया किन्‍तु बलि ने अपनी भक्ति की शक्ति से भगवान विष्‍णु से कहा कि आप हमेशा मेरे सम्‍मुख रहें। विष्‍णु वचनबद्ध हो गये। जब विष्‍णुजी वापस नहीं आये तो लक्ष्‍मीजी चिंतित हो उठी। वे राजा बलि के पास पहुँची। वहाँ उन्‍होंने श्री विष्‍णु को बलि के सम्‍मुख पाया। उन्होंने बलि को अपना भाई बनाकर उसे रक्षा सूत्र बाँधा और भाई से अपने पति भगवान विष्‍णु को ले आई। उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। इसके बाद भगवान्‌ विष्‍णु ने हयग्रीव का अवतार लिया। हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

[ads-post]

द्वापर युग में भगवान्‌ श्रीकृष्‍ण ने शिशुपाल के 100 अपराध पूर्ण होने पर उसका वध कर दिया। उन्‍होंने बाएँ हाथ की ऊँगली से सुदर्शन चक्र चलाकर शिशुपाल की गर्दन काट दी, किन्‍तु संयोगवश श्रीकृष्‍ण की ऊँगली से खून बहने लगा। जब द्रौपदी ने यह दृश्‍य देखा तो अपनी साड़ी से चिंदी फाड़कर श्रीकृष्‍ण की ऊँगली में बाँध दिया जिससे रक्‍त प्रवाह रूक गया। भगवान श्रीकृष्‍ण ने द्रौपदी को अपनी बहिन मानकर हमेशा उसका साथ दिया और भरी सभा में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तब श्रीहरि द्वारा द्रौपदी की रक्षा की।

रक्षा बंधन के विषय में यह कथा भी प्रचलित है-

एक बार श्रीगणेश और ऋद्धि-सिद्धि से उनके पुत्र शुभ-लाभ ने अपने लिये एक बहन के लिये इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी। श्रीगणेशजी तथा ऋद्धि-सिद्धि ने अपने तपोबल से माँ संतोषीमाता को आहूत कर उन्‍हें अपने पुत्रों के लिये बहिन के रूप में आने के लिये कहा। उन्‍होंने इसे स्‍वीकार किया और अपने भाईयों को रक्षा सूत्र बाँधा।

सिकंदर और राजा पुरू के विषय में भी एक कथा प्रचलित है। भारतवर्ष पर आक्रमण करने के पश्‍चात्‌ राजा पुरू की शक्ति से सिकन्‍दर घबरा गया। उनकी पत्‍नी भी बड़ी व्‍याकुल हो गई। उन्‍होंने पुरू के लिये एक रक्षा सूत्र भिजवाकर उसे अपना भाई स्‍वीकार किया जिससे युद्ध समाप्‍त हो गया।

clip_image004

चित्तौड़ पर बहादुरशाह ने आक्रमण किया। वहाँ की रानी कर्णावती थी ,वह विधवा थी । आक्रमण से वह घबरा गई। उसने हुमायूँ को राखी बाँधी थी। एैसे संकट के समय हुमायूँ ने अपनी बहिन कर्णावती की रक्षा की तथा युद्ध में सहायता की।

रवीन्‍द्रनाथ टैगोर अपने विश्‍वविद्यालय शांति निकेतन में विश्वबन्‍धुत्‍व की भावना को उजागर कर इस पर्व को मनाते थे।

clip_image006

भारत में आज भी अनेक विद्यालयों में छोटी-छोटी कन्‍याएं भैयाओं को राखी बाँधती है और अपने इस पावन सम्‍बन्‍ध को आजीवन निभाने के लिए बचनबद्ध रहती हैं। इसी परम्‍परा को आगे बढ़ाते हुए भारत के शासकीय तथा अशासकीय कार्यालयों में महिला कर्मचारी पुरूष कर्मचारियों की कलाई पर राखी बाँधे तो इससे हमारी भारतीय संस्‍कृति की रक्षा होगी और नैतिकता के स्‍तर में सुधार होगा।

सेना में कार्यरत देश के रक्षक जवान जो इस पवित्र पर्व पर भी अपने गृह नगर नहीं आ सकते हैं उनको समीपवर्ती इलाके की बहिने रक्षा सूत्र बाँधकर सफल तथा दीर्घायु होने की कामना करना चाहिए। यह महापर्व हम सबके लिये गौरव और स्‍वाभिमान का प्रतीक है।

इस त्यौहार का आध्‍यात्‍मिक मूल्‍य भी है इसमें कहीं न कहीं एक दूसरे की रक्षा के वचन के साथ ही नैतिक तथा सांस्‍कृतिक मूल्‍य भी दृष्‍टिगोचर होता है।

भाभी भी अपने भ्रातृ तुल्‍य देवर को राखी बाँधती है। यह रक्षा सूत्र उनमें सम्‍बन्‍धों की विशालता की परिचायक है। छोटे भाई की पत्‍नी भी अपने पति के बड़े भाई (जेठजी) को राखी बाँधकर इस संबंध को प्रगाढ़ बना सकती है।

रक्षा बंधन पर संस्‍कृत दिवस भारत में ही नहीं अपितु विश्‍व के कई संस्‍कृत संस्‍थानों में मनाया जाता है। इस दिन पंण्‍डित क्षमाराव का जन्‍म दिवस भी रहता है। गुरू पूर्णिमा से श्रावणी पूर्णिमा (रक्षा-बंधन) तक अमरनाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। शासन की ओर से पूर्ण सुरक्षा का प्रबन्‍ध किया जाता है। लंगर का आयोजन होता है। मेला भी लगता है अमरनाथ गुफा में शिवलिंग के दर्शन कर भक्त अपने जन्‍म को सफल मानते हैं। यह शिवलिंग बर्फ का होता है, यह इसी समय निर्मित होता है ।

महाराष्‍ट्र में इस दिन को नारियल पूर्णिमा या श्रावणी पूर्णिमा कहते हैं। पवित्र नदी या समुद्र किनारे जाकर यज्ञोपवीत बदलकर नवीन यज्ञोपवीत धारण करते है। वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा ही यह कार्य सम्‍पन्न कराया जाता है । फलस्‍वरूप उन्‍हें उचित दक्षिणा दी जाती है।

राजस्‍थान में इसे राम राखी कहा जाता है। भाभियों को चूड़ाराखी बाँधी जाती है। जोधपुर में राखी के दिन गणपति, दुर्गा तथा अरून्‍धती का पूजन किया जाता है। तर्पण कर पितृऋण से मुक्‍त होते है राखी का पूजन कच्‍चे दूध से करते है।

केरल, उड़ीसा, तमिलनाडू तथा दक्षिण भारत में नदी किनारे यज्ञोपवीत बदलते हैं इस दिन वेद अध्‍ययन प्रारम्‍भ किया जाता है। ब्रज में हरियाली तीज से श्रावणी पूर्णिमा तक ठाकुर जी को झूले में बिठाया जाता है और उनका प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है ।

उत्‍तर प्रदेश में आज के दिन बहिन भाई की कलाई पर मंगल कामना करते हुए राखी बांधती है ।

बुन्‍देलखण्‍ड में पूर्णिमा से पूर्व नवमी को गेहूँ जौ को सकोरे में बोया जाता है। उनकी संध्‍याकाल में आरती पूजन किया जाता है इसे कजरी कहते है ।

मालवा प्रान्‍त में इसे एक धार्मिक स्‍वरूप प्राप्‍त है। प्रातःकाल नदी किनारे जाकर पण्‍डित के मार्गदर्शन में यज्ञोपवीत को धारण किया जाता है । गौमूत्र, गाय का गोबर, घी शहद आदि का उपयोग किया जाता है । रक्षा बन्‍धन के पूर्व भाई अपनी बहिनों को सम्‍मान निमंत्रित करता है कई घरों में बहिन को बीरपस (औपचारिक निमंत्रण) दिया जाता है जिसका अर्थ राखी का निमंत्रण ही है। जिस वर्ष भाई के परिवार में आकस्‍मिक किसी सदस्‍य की मृत्‍यु हो जाती है तो बिना निमंत्रण के बहिन राखी बांधने जाती है। कई घरों में दीवार पर या कागज पर श्रवण कुमार का चित्र गेरू से बनाकर उसका पूजन किया जाता है फिर राखी बाँधी जाती है । देवगुरू बृहस्‍पति ने इन्‍द्र को यह मंत्र दिया था जिसे राखी बाँधते समय बोला जाता है -

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्‍द्रः महासुरः ।

तेन त्‍वां प्रतिबध्‍नामि रक्षो मा चल मा चल ॥

अर्थात जिस रक्षा सूत्र से महा बलशाली दानवेन्‍द्र राजा बलि को बाँधा गया था उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी) तुम अडिंग रहना अपने संकल्‍प से कभी विचलित न होना।

बाजार में विभिन्‍न आकार - प्रकार डिजाईन के रंग-बिरंगे रक्षा सूत्र उपलब्‍ध हैं। वर्तमान में चाईनीज राखियों की भरमार है । ये राखियाँ स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्‍टि से हानिकारक हैं। मेरे विचार से बहिनों को चाहिये कि वे बाजार से राखी बनाने की सामग्री लाकर स्‍वयं के हाथों से बनी आकर्षक, सुन्‍दर राखी बनाकर अपने परिवार में उनका प्रयोग करें। इससे उनकी रचनात्‍मकता को उजागर होने का अवसर प्राप्‍त होगा और परिवार के बालक भी तथा अन्‍य सदस्‍य भी कुछ नया सीखने का प्रयत्‍न करेंगे। ये मनोयोग से बनाई गई राखियाँ हमारी सांस्‍कृतिक धरोहर को सहेजते हुए भाभी-भाईयों की कलाईयों की श्रीवृद्धि करेगी।

ऐसे पुनीत पर्व पर हमारे शहर के वृद्धाश्रम के वृद्धजन, कारागृह के कारावासियों, दिव्‍यांगों, अनाथालयों, के बालकों विभिन्‍न चिकित्‍सालयों में भर्तीर् रोगियों को जाकर रक्षाबन्‍धन मनाना चाहिये। नारी निकेतन की बालिकाओं के प्रति अपनी सद्‌भावना रखनी चाहिये तथा रक्षा बन्‍धन के इस पर्व पर उनके प्रति उदार दृष्‍टिकोण रखते हुऐ शुभकामना प्रगट करना हम देशवासियों का परम कर्तव्‍य है।

बालिकाओं को चाहिये कि इस दिन सर्वप्रथम भगवान गोपाल कृष्‍ण को राखी बांधे। श्रीहनुमान्‌जी को राखी बाँधे फिर घर के सदस्‍यों को राखी बाँधे। घर, कलम, दवात, वाहन, आदि को भी राखी बाँधे। यह पर्व श्रवण पूर्णिमा से जन्‍माष्‍टमी तक मनाया जाता है कई घरों में ऋषि पचंमी के दिन भी राखी बाँधते है ।

आधुनिक काल में परिवार का आकार सीमित हो गया है । परिवारजनों की मानसिकता संकुचित हो गई है। परिवार का अर्थ माता-पिता और उनके एक या दो बच्‍चों तक ही सीमित रह गया है काका, ताऊ, मामा, बुआ, मौसी, आदि के सम्‍बन्‍धों में दूरियाँ बढ़ती जा रही है। जहाँ दो बहने एक दूसरे की रक्षा का वचन ले सकती हैं दो भाई भी आपस में राखी बाँधकर संकट की घड़ी में साथ निभा सकते हैं ।

प्रकृति का सान्निध्‍य भी हमारे जीवन में बहुत महत्‍वपूर्ण है। इनकी रक्षा भी हमारी भावी पीढ़ी के लिये अति आवश्‍यक है। वर्तमान को सहेजकर ही हम भविष्‍य को सुनहरा बना सकते हैं। वृक्ष हमारे जीवनदाता है उनकी रक्षा करना हमार कर्तव्‍य है। प्रत्‍येक बालक-बालिका को चाहिये कि रक्षा बन्‍धन के दिन एक पौंधे को राखी बांधे और अपने इस रक्षा बन्‍धन को पौधे के पूर्ण विकसित होने तक, उसके पेड़ बनने तक निभाये। यह प्रकृति के प्रति एक बड़ी कर्तव्‍य निष्‍ठा होगी।

‘‘तरूवर फल नहीं खात है सरवर पियत न पान ’’ पेड़ स्‍वयं फल नहीं खाता है वह सब को देता ही है तालाब स्‍वयं पानी पीता नहीं है सबकी प्‍यास बुझाता है अर्थात देने में जो सुख है वह लेने में नहीं है ।

यह रक्षा बन्‍धन है। दोनो हाथों से दूसरों को दो और एक हाथ से लो। यही जीवन का श्रेष्‍ठतम ध्‍येय होना चाहिये।

-----------


श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता

एम.ए. संस्‍कृत विशारद

Sr. MIG-103ए व्‍यास नगर, ऋषिनगर विस्‍तार

उज्‍जैन (म.प्र.)456010

Ph.:0734-2510708, Mob:9406660280

Email:drnarendrakmehta@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बदलते परिवेश में रक्षा बंधन // श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता
बदलते परिवेश में रक्षा बंधन // श्रीमती शारदा नरेन्‍द्र मेहता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ45voxRIo6joRYsNxmddryu8ulgjB0solz150qJ4LHk7TuVKDWsSY37HsL2BMac9m6U-9GehIoCwe889kkOjrz5Z7EVP-iquPS1SyKDFw0Gdn7AgXAthRxdFC1TT_y-qY427b/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ45voxRIo6joRYsNxmddryu8ulgjB0solz150qJ4LHk7TuVKDWsSY37HsL2BMac9m6U-9GehIoCwe889kkOjrz5Z7EVP-iquPS1SyKDFw0Gdn7AgXAthRxdFC1TT_y-qY427b/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/07/blog-post_23.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/07/blog-post_23.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content