प्राची // जून 2017 // कहानी // देवता // अरुण अर्णव खरे

SHARE:

तो रन सींग आज बहुत प्रसन्न था. उसके बेटे सूरज सींग को बारवीं पास करते ही बड़े साब ने वर्कचार्ज में बाबू बना दिया था. साथ ही यह भरोसा भी दिलाय...

तोरन सींग आज बहुत प्रसन्न था. उसके बेटे सूरज सींग को बारवीं पास करते ही बड़े साब ने वर्कचार्ज में बाबू बना दिया था. साथ ही यह भरोसा भी दिलाया था कि सूरज जैसे ही कंपूटर की परीक्षा पास कर लेगा उसे वह रेगुलर कर देंगे. इस खुशी को सब के साथ बांटने के लिए तोरन साब से तीन दिन की छुट्टी लेकर अपने गांव आया था. तोरन के खानदान में पहली बार कोई सरकारी बाबू बना था. उसके सारे सगे संबंधी या तो खेतिहर मजदूर थे या फिर उसकी तरह साब लोगों के बंगलों पर काम करते थे. उसकी पत्नी पूनिया तो जैसे अपने मोड़े की उपलब्धि पर बौरा गई थी. दिन में कितनी ही बार वह सूरज का माथा चूम चुकी थी. इसी खुशी में उसने बिरादरी वालों को ग्राम देवता के चबूतरे पर पूड़ी-रायता जींमने का न्योता तक दे डाला था.

बड़े साब ने बोला था सूरज को सोमवार को ही ड्यूटी जाइन कराने के लिए...अतएव तोरन सूरज को लेकर इतवार को ही गाँव से वापस आ गया. सूरज की पोस्टिंग साब ने अपने चहेते कार्यपालन यंतरी के दफ्तर में की थी. सूरज के कागज पत्तर पलटते हुए बड़े बाबू बिंदेसरी यादव ने पहले तोरन और फिर सूरज की ओर इतनी पैनी निगाहों से देखा कि दोनों ही सिहर गए. तोरन हाथ जोड़कर लगभग गिड़गिड़ाते स्वर में बोला- ‘‘कोनऊ कमी है का बाबू जी...बचवा है...आप समझा दो पूरी कर लावेगो...मैं तो कछू समझूँ न...दूसरी जमात तक ही पड़ो है हमने-’’

‘‘नहीं नहीं...कोई कमी नहीं है...सब कागज दुरुस्त हैं-’’ बिंदेसरी यादव बोले- ‘‘तुम्हें पता है कि लड़के के कितने नंबर हैं?’’

‘‘नाँय मालूम, मोए इत्तो पता है कि वाय फस्ट कलास आओ है और इंजीनरिंग को इम्तहान भी पास करो है. तबईं बड़े साब ने ईखों बाबू बना दओ-’’ कहते हुए तोरन की आँखें गर्व से दमकने लगीं.

‘‘तुम लड़के का कैरियर बरबाद कर रहे हो तोरन. तुम्हारा लड़का तो हीरा है हीरा... इसे क्यूँ बाबू बना रहे हो तुम बताओ सूरज...कौन सा इंजीनियरिंग का इम्तिहान पास किया है तुमने?’’ बिंदेसरी ने उत्सुक निगाहों से दोनों की ओर बारी-बारी से देखा.

‘‘जी, पी.ई.टी. पास किया है. एस.सी. की मेरिट लिस्ट में 233वां नंबर है. सब कहते हैं कि मनचाही ब्रांच मिल जाएगी, पर बहुत पैसा लगता है पढ़ाई में...बापू खर्च नहीं उठा पाएँगे. बड़े साब ने कहा कि तुम्हें पक्की नौकरी लगा देंगे. बहुत इंजीनियर बेरोजगार घूम रहे हैं.’’ सूरज ने बताया.

‘‘बड़े साब ने ऐसा कहा तुमसे?’’ बिंदेसरी ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘हओ-’’ जवाब तोरन ने दिया- ‘‘हम कहाँ से लाखों लाते फीस देवे खों...वो तो साब बड़े दयालु हैं हम गरीबन पर जो इत्ती किरपा करत हैं.’’

बिंदेसरी बाबू ने सारे कागज व्यवस्थित किए और सूरज को आफिस में ज्वाइन कराने की आवश्यक कार्यवाही पूर्ण की. बिंदेसरी ने एक बार पुनः सूरज को सोचने के लिए कहा था, पर कम पढ़ा-लिखा तोरन तो सूरज के बाबू बन जाने से ही सातवें आसमान पर जा बैठा था. वह तो बड़े साब की किरपा के तले स्वयं को दबा महसूस कर रहा था- उसे समझ में ही नहीं आया था कि बिंदेसरी बाबू बार-बार क्यूं पूछ रहा है. कहीं उसका कोई स्वारथ तो नहीं है?

बिंदेसरी बाबू ने सूरज को ज्वाइन करवा लिया था. तोरन सूरज को वहां छोड़कर चला गया. शाम को जब दोनों मिले तो तोरन के मन में बहुत से सवाल थे. उसे कोई परेशानी तो नहीं हुई. ईई साब से उसकी भेंट हुई कि नहीं- कुछ काम भी सीखा कि नहीं- बिंदेसरी बाबू ने कोई गड़बड़ तो नहीं की- आफिस के बाकी लोग कैसे लगे उसे-

‘‘बापू- बिंदेसरी बाबू जी ने फिर से मुझसे कहा था कि तुम्हारे जब इतने अच्छे नम्बर हैं तो तुम बाबूगिरि करके क्यूं अपना कैरियर खराब कर रहे हो- वह तो बड़े साब को भी इसका दोष दे रहे थे- कि उन्होंने जानबूझ कर मेरा कैरियर खराब किया है- वह कह रहे थे कि मुझे बैंक से लोन भी मिल जाता और कालेज की फीस भी माफ हो जाती-’’ सूरज जो पहले बड़ा खुश नजर आ रहा था, तोरन को कुछ उदास सा लगा.

तोरन को ध्यान आया जब उसने बड़े साब को सूरज के इंजीनरिंग में पास हो जाने की खबर सुनाई थी तो वह बहुत खुश नजर नहीं आए थे और जब उन्होंने सूरज को बाबू बनाने के लिए तोरन से कहा था तो नीला बिटिया भी बड़े साब पर नाराज हुई थी. उसे तो सूरज के बाबू बन जाने की इतनी खुशी थी कि उसे नीला की बात से दुख हुआ था. वह समझ नहीं पाया था कि नीला बिटिया क्यूं बड़े साब पर नाराज हो रही है.

‘‘तुम बिंदेसरी बाबू की बातन खों दिल पे न लो बिटुआ- हो सकत है बड़े साब ने कबहुं ऊंखों फटकारो हो जासे वो उनसे चिढ़त हो- हमने बड़े साब की बरसों सेवा करी तबहुं उन्होंने तुमाओ इतनो ध्यान रखो- हम गरीबन की आज सुनत कौन है- हमाई बिरादरी में आज तक कोनऊ बाबू नई बनो हतो- तुमने तो हमाओ नाम रोशन कर दओ- तुम अब मन लगा के काम करो- साब कछु दिन में तुमाओ परमोसन भी कर देहें-’’ तोरन ने सूरज को समझाते हुए कहा.

दो माह गुजर गए. सूरज ने आफिस का काम कुछ-कुछ सीख लिया था. सब उसके काम और लगन से खुश थे. तोरन और पूनिया की भी सारी बिरादरी में अपने बिटुआ की उपलब्धि के कारण इज्जत बढ़ गई थी. तोरन भी बड़े साब के इस उपकार के बदले दोहरे चाव से उनकी सेवा में लगा रहता था.

बड़े साब के इकलौते बेटे प्रियेश यानि कि चिंकू बाबा का पढ़ने में मन नहीं लगता था. बड़े साब इस कारण परेशान रहते थे. 12वीं में वह एक बार फेल हो चुका था और इसी साल उन्होंने उसका एडमीशन डोनेशन देकर किसी कालेज में कराया था. बिटिया नीला इस बात को लेकर बड़े साब से नाराज रहती थी और कभी-कभी उनसे सूरज का उदाहरण देते हुए उलझ जाती थी. नीला द्वारा सूरज का इस तरह पक्ष लेना तो तोरन को अच्छा लगता था पर बड़े साब से झगड़ा करना उसे नहीं सुहाता था. उसने एक दो बार अकेले में उसे समझाने की कोशिश भी की थी तो बिटिया ने ‘‘काका तुम नहीं समझोगे.’’ कहकर चुप करा दिया था.

तोरन सींग पिछले चौबीस सालों से बोधराम निरंजन के घर पर काम कर रहा था. उस समय से जब निरंजन नया नया सहायक यंत्री के पद पर भरती हुआ था. उसकी पहली पोस्टिंग बुंदेलखंड के इलाके में हुई थी जहाँ छुआ-छूत और ऊँच-नीच का भेद उस समय समाज में कुष्ठरोग सरीखा जमा बैठा था. इस कारण बोध कुमार के घर पर कोई भी कर्मचारी काम करने को तैयार नहीं था. उसके पहले पदस्थ रहे मनोरंजन शुक्ल के घर पर काम करने वाले छुटके रैकवार और हरिलाल साहू ने साफ-साफ मना कर दिया था- ‘‘साब हम घर पर काम नहीं करेंगे. हमारी बिरादरी में बात पता चल गई तो हम समाज से ही बाहर कर दिए जाएँगे. हमारे बाल-बच्चों के विवाह तक नहीं हो पाएँगे. और हमारा हुक्का-पानी, आपस में उठना-बैठना तक हराम हो जाएगा.’’

सुनकर बोधराम सन्न रह गया था. एक झटके में ही उसकी अफसरी धरातल पर आ गई थी. वह दोनों के खिलाफ अनुशासनहीनता का हंटर चलाना चाहता था लेकिन जिले के एक अनुसूचित जाति के बीडीओ के समझाने पर उसने अपना इरादा त्याग दिया था. घर के कामकाज के लिए उसने ननिहाल से दूर के एक रिश्तेदार तोरन को बुला लिया था और उसे घर पर ही सवर्ेंट क्वार्टर में रहने की जगह दे दी थी. तबसे निरंतर तोरन बोधराम के घर पर काम कर रहा था. बोधराम के कई ट्रांसफर हुए. शासन के नए बने प्रमोशन-नियमों के तहत जल्दी-जल्दी उसके तीन प्रमोशन भी हो गए और वह अपने साथ नियुक्त हुए अनेक अफसरों को पीछे छोड़ते हुए चीफ इंजीनियर बन गया. जल्दी-जल्दी बिना बारी के प्रमोशन पा जाने के बाद वह अहंकारी हो गया था और अपने साथी अफसरों तक से बदतमीजी करने लगा था. तोरन बोधराम के इस बदलते व्यवहार का साक्षी था. जिनसे कभी बोधराम सर कह कर बातें करता था. तोरन ने बोधराम को उनसे ही कई बार बुरा सलूक करते देखा था.

चीफ इंजीनियर बनने के बाद अपने पहले दतिया दौरे पर बोधराम ने छुटके और हरिलाल सहित वृंदावन पटेल उपयंत्री को भी निलंबित कर दिया था. वे दोनों वृंदावन की साइट पर ही कार्यरत थे तथा वृंदावन के कहने पर ही अफसरों के घरों में काम करते थे. अपनी पहली पोस्टिंग के समय से ही तीनों

बोधराम के निशाने पर थे. पर दो माह के अंदर ही तीनों की बहाली के आदेश बोधराम को निकालने पड़े थे. कर्मचारी नेता भक्त चरण ने धमकी दी थी यदि चौबीस घंटे के भीतर निलंबन वापिस नहीं लिया गया तो उसके बंगले के बाहर तम्बू लगाकर भूख हड़ताल की जावेगी.

नौवीं में पढ़ने वाली नीला को पिता का पक्षपाती व्यवहार पसंद नहीं आता था. भक्त चरण की धमकी के बाद जब

बोधराम को पीछे हटना पड़ा तो वह बहुत आहत था. नीला तीनों की बहाली से खुश थी. उसने बोधराम को थैंक्स बोला. बेटी के मुंह से ये सुनते ही वह बिफर गया. उसे लगा भक्त चरण के साथ ही उसकी बेटी भी उसकी मजबूरी का मजाक उड़ा रही है. वह बड़ी जोर से नीला पर चिल्लाया. बिचारी रोती हुई अपने कमरे में चली गई.

बोधराम की पत्नी शामली ने उसे शांत करने की कोशिश की. बोधराम को भी लगा कि उसने अकारण ही नीला को इतनी जोर से डांट दिया है. उसने शामली से कहा- ‘‘तुम ही बताओ मैं क्या करूं? नीला हर बात में विरोध करती है. वह तो आरक्षण तक की विरोधी है. यदि यह वैशाखी न होती तो शायद मैं भी इंजीनियर न बन पाता. चिंकू के रंग-ढंग तुम देख ही रही हो. बिना आरक्षण के वह कुछ बन कर दिखा सकता है क्या? आरक्षण के बावजूद भी उसे ढंग की नौकरी मिलेगी मुझे संदेह है.’’

‘‘समय के साथ नीला भी सब समझ जाएगी. इस उमर में बच्चे ऊंच-नीच नहीं समझते. उसे भी क्लास में कौन एस सी का मानता है. उसकी पहचान तो एक बड़े अफसर की बेटी की है. ऊंची जाति के गरीब बच्चों को देखती है तो व्यथित हो जाती है. उसने आप सरीखे गरीबी के दिन ही कहां देखे हैं. आप उससे प्यार से बात किया कीजिये.’’ शामली ने सलीके से अपनी बात बोधराम के सामने रखी.

‘‘तुम ठीक कहती हो शामली!’’ बोधराम ने कहा- ‘‘लेकिन नीला हर बात में हमारा विरोध करती है.’’

‘‘सूरज के प्रति आपके रुख ने उसे आहत किया था. उसे लगने लगा है कि आप स्वार्थी हैं. आप किसी का हित नहीं कर सकते. मुझे भी लगता है कि सूरज के लिए आपने सही निर्णय नहीं लिया था. तोरन समझता है कि सूरज को बाबू बना कर आपने उस पर बहुत बड़ा अहसान किया है. वह तो आपको देवता समझता है.’’ शामली का स्वर बहुत संयत था. वह नीला का पक्ष बोधराम को समझाने का प्रयास कर रही थी. साथ ही उसे यह भी ध्यान रखना पड़ रहा था कि बोधराम उसकी बातों से आहत महसूस न करे.

‘‘शामली तुम भी मुझे गलत समझती हो...पर मैंने जो भी किया अपने बच्चों के भविष्य के लिए किया.’’ बोधराम के स्वर में कातरता थी. ‘‘तुम्हें याद है न, ...दतिया में कोई भी हमारे घर पर काम करने को तैयार नहीं था. मैं तोरन को नहीं लाया होता तो खाना बनाने से लेकर चौका-बर्तन भी तुम्हें ही करना पड़ता. यदि तोरन जैसे लोगों के बच्चे भी अफसर बन जाएंगे तो फिर हमारे चिंकू का क्या होगा. अफसर का बेटा होकर क्या बाबू बनकर धक्के खाने के लिए छोड़ दूं उसे. किसी तरह चिंकू अफसर बन भी गया तो कौन मिलेगा उसके घर पर काम करने के लिए....मैंने सूरज को लेकर जो भी किया बहुत सोच समझ कर किया. वह बाबू बनकर खुश है...और तोरन भी.’’

शामली को कुछ भी नहीं सूझा कि क्या बोले. बाहर उसे कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी तो वह बाहर निकली. हवा के झोंके से राधाकृष्ण की मूर्ति गिरकर टूट गई थी. तोरन टुकड़ों को समेटते हुए अपनी झोली में रख रहा था.

---

सम्पर्कः डी-1/35 दानिश नगर,

होशंगाबाद रोड, भोपाल (म.प्र.)-462026

मो : 9893007744

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची // जून 2017 // कहानी // देवता // अरुण अर्णव खरे
प्राची // जून 2017 // कहानी // देवता // अरुण अर्णव खरे
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPmlvykS9GfskUjWbVww1-uz4FXOl9Y0ixKch25lC58gy5yja0A7ZnF5Zmy9LHkW49zQg33oKPhjW0Rl-CbkamFu962i0xUPMwia6HRD3Xqp2q-iHJMn_ur0EaA8XS1hYhRyoo/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPmlvykS9GfskUjWbVww1-uz4FXOl9Y0ixKch25lC58gy5yja0A7ZnF5Zmy9LHkW49zQg33oKPhjW0Rl-CbkamFu962i0xUPMwia6HRD3Xqp2q-iHJMn_ur0EaA8XS1hYhRyoo/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/07/2017_76.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/07/2017_76.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content