आशीष श्रीवास्तव की कविताएँ

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अभी तक आपने देशप्रेम, भ्रष्टाचार, श्रृंगार और वीर रस से ओतप्रोत कविताएं पढ़ी-सुनी होंगी, यहां आपको समाज और देश दुनिया की जागरूकता के लिए स...

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अभी तक आपने देशप्रेम, भ्रष्टाचार, श्रृंगार और वीर रस से ओतप्रोत कविताएं पढ़ी-सुनी होंगी, यहां आपको समाज और देश दुनिया की जागरूकता के लिए सेरेब्रल पाल्सी का दंश झेल रहे बच्चे की वेदना पर आधारित कविता प्रस्तुत की जा रही है। विश्वास है आप सभी का आशीर्वाद प्राप्त होगा :-
  
  
                   1
  
।।जीवन को वरदान बना दो।।

  
* मस्तिष्क पक्षाघात से जूझ रहा हूं
छोटा-सा सवाल पूछ रहा हूं ?
  
क्यों नहीं हो सकता मुझपे खर्च
वैज्ञानिक क्यों नहीं करते रिसर्च।
  
रोबोट में तो डाल रहे संवेदना
समझ नहीं रहा कोई मेरी वेदना।
  
क्यों रहूं मैं किसी पर निर्भर
मैं भी होना चाहता हूं आत्मनिर्भर।
  
अंतरिक्ष के रहस्य जानना चाहता हूं
मैं भी इंसान होना चाहता हूं ।
  
कई रोगों का तो मिटा दिया धब्बा
मैं थामे हूं अब भी दवाइयों का डब्बा।
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क्या कमाल नहीं, तुमने दिखला दिए
आविष्कारों से उजियारे ला दिए।
  
देखना बुझे न विश्वास के दीये
मैं भी खुशियां के जलाऊं दीये।
  
अरे क्यों आपस में लड़ते हो
किससे होड़ कर जलते हो।
लड़ना ही है तो निःशक्तता से लड़ो
सच्चे इंसान बन आगे बढ़ो।
  
बस एक ही सवाल मुझे है सालता
कब दूर होगी दुनिया से विकलांगता।
  
  
जीवन को वरदान बना दो
मुझको भी हंसना सिखा दो।
  
हे महान वैज्ञानिक! तुम सुन लो मेरी बात
इस धरा से समाप्त कर दो मस्तिष्क पक्षाघात*
  
उचित इलाज के अभाव में हो न किसी पे आघात
इस दुनिया से दूर भगा दो मस्तिष्क पक्षाघात*
  

मस्तिष्क पक्षाघात यानी सेरेब्रल पाल्सी 
  
                   * मस्तिष्क पक्षाघात यानी सेरेब्रल पाल्सी : ऐसे बच्चे जो जन्म के समय नहीं रोते या जिन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, वे बहुविकलांगता का शिकार होकर बाकी की जिंदगी रेंगते हुए अथवा दूसरे के सहारे जीने को विवश होते हैं। इन बच्चों की आयु कम होती है, लेकिन इनकी संख्या कहीं अधिक है।
  

  
                2
  
।। रख लो मेरी लाज।।
  
मैं मस्तिष्क पक्षाघात* से पीड़ित रख लो मेरी लाज
मुझको भी उपलब्ध करा दो सस्ता, सुंदर इलाज।
  
मैं भी बो सकूं खेतों में अनाज
उपलब्धियों पर अपनी कर सकूं नाज
ललकार सकूं आसमां में उड़ते बाज
स्वयं कर सकूं अपने सब कामकाज
  
मैं मस्तिष्क पक्षाघात*से पीड़ित रख लो मेरी लाज
मुझको भी उपलब्ध करा दो सस्ता, सुंदर इलाज।
  
चाहे तो क्या नहीं कर सकता परोपकारी समाज
ठान ले तो हर निःशक्त को सशक्त बना दे आज
मैं भी बजाना चाहता हूं प्रेम-शांति के साज
पाना चाहता हूं ऑस्कर, नोबल जैसे ताज
  
मैं मस्तिष्क पक्षाघात*से पीड़ित रख लो मेरी लाज
मुझको भी उपलब्ध करा दो सस्ता, सुंदर इलाज।
  
लाइलाज बीमारी कह कर गिराओ न मुझपर गाज
नए आविष्कारों से खोल दो बीमारियों के सारे राज।
ज्यादा कहने को नहीं हैं मेरे पास अल्फाज़
आप स्वयं ही लगा लें गंभीरता का अंदाज
और मिटा दें लाइलाज बीमारियों की खाज़
  
मैं मस्तिष्क पक्षाघात*से पीड़ित रख लो मेरी लाज
मुझको भी उपलब्ध करा दो सस्ता, सुंदर इलाज।
- आशीष श्रीवास्तव
    पटकथा लेखक, मध्यप्रदेश
    8871584907
   
लेखक परिचय
प्रस्तुत रचनाओं में दो रचनाएं स्पेल स्कूल में बच्चों की दयनीय स्थिति को देखकर द्रवित हुए मन के उद्गार हैं। दोनों ही रचनाएं मन की पीड़ा से स्वतः प्रस्फुटित हुईं हैं। मैं अधिक तो कुछ कर नहीं सकता, संभवतः शब्दों के माध्यम से ही किसी अच्छी दुनिया में ले जा सकूं। समाज को झकझोर सकूं अथवा सोचने पर विवश कर दूं बस यही चाहत!

पूरा नाम : आशीष सहाय श्रीवास्तव
पिता श्री : श्री रघुवीर सहॉय श्रीवास्तव
माता श्री : श्रीमती राधा श्रीवास्तव
शिक्षा : बी.एससी, एम.ए. जनसम्पर्क स्नातक (प्रवीण्य सूची में)

ईमेल : ashish35.srivastava@yahoo.in
लेखन कार्य : राष्ट्रीय और प्रादेशिक दैनिक, साप्ताहिक मासिक समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में लेखन कार्य, आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं न्यूज चैनल में विशेष कार्यक्रम, जेल बंदियों के सुधार, पार्क विकास, पर्यटन प्रोत्साहन, स्वरोजगार और प्रेरक सेवा कार्यां पर आधारित सामाजिक वृत्तचित्र निर्माण, गीत, कविता, स्लोगन स्वयंसेवी संगठनों के समसामयिक विशेषांक में लेखन, प्रकाशन कार्य।
शताब्दियों की यात्रा, श्री राम महिमा, स्वरोजगार से सफलता, उद्यमिता, खेत और बाजार, साइंस टेक एन्टरप्रेन्योर, कुरूक्षेत्र, समाज कल्याण, अहा जिंदगी, मधुरिमा में लेखन/प्रकाशन कार्य
स्क्रीनप्ले लेखन : ‘‘आधी रात की कहानी’’, ‘‘प्यार में कभी-कभी’’ और ‘‘हम रहे न हम’’ पर फिल्म निर्माण प्रस्तावित।
स्टोरी आइडिया लेखन : रानी कमलापति, लाइफ ओके टीवी चैनल के सावधान इंडिया के लिए लेखन कार्य।
प्रकाशन की प्रतीक्षा में पुस्तकें : विविधा, मन का मान














COMMENTS

BLOGGER: 20
  1. dhanyawad.....ek gambheer mudda udhya he....likhne wale aur prkashit karne wale dono ko sadhuwad

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी4:42 pm

    GOOD......SCIENTIST CHALLENGE IN POEM........NICE

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे क्यों आपस में लड़ते हो
    किससे होड़ कर जलते हो।
    लड़ना ही है तो निःशक्तता से लड़ो
    सच्चे इंसान बन आगे बढ़ो।

    itni tarkki fir bhi bachho ke drvit kar dene wale halat per kalam chalna nischit hi sarahniye hei

    जवाब देंहटाएं
  4. चाहे तो क्या नहीं कर सकता परोपकारी समाज
    ठान ले तो हर निःशक्त को सशक्त बना दे आज
    मैं भी बजाना चाहता हूं प्रेम-शांति के साज
    पाना चाहता हूं ऑस्कर, नोबल जैसे ताज

    jeewan ki is bhag-doud mei kisi ko kisi ko dene ke liye samay nahi hei....lekin upar likhi dono kawitayein aapse samay nahi nazarein mang rahi hei....ho sakta hei kavita me chhipi wedna ko aap mahsoos na kar sakein lekin aaj bhi aisa dard sahane walo ki sankhya kafi badi hei....jarurat hei aise logo ko sambedna ki.....

    जवाब देंहटाएं
  5. चाहे तो क्या नहीं कर सकता परोपकारी समाज
    ठान ले तो हर निःशक्त को सशक्त बना दे आज
    मैं भी बजाना चाहता हूं प्रेम-शांति के साज
    पाना चाहता हूं ऑस्कर, नोबल जैसे ताज

    jeewan ki is bhag-doud mei kisi ko kisi ko dene ke liye samay nahi hei....lekin upar likhi dono kawitayein aapse samay nahi nazarein mang rahi hei....ho sakta hei kavita me chhipi wedna ko aap mahsoos na kar sakein lekin aaj bhi aisa dard sahane walo ki sankhya kafi badi hei....jarurat hei aise logo ko sambedna ki.....

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  6. बस एक ही सवाल मुझे है सालता
    कब दूर होगी दुनिया से विकलांगता।

    ................सार्थक अभियान के साथ जुड़ता जन-जन

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  7. लोगों के सोच में आया सकारात्मक बदलाव................आज का सपना कल की हकीकत

    prerak karya

    जवाब देंहटाएं
  8. लोगों के सोच में आया सकारात्मक बदलाव................आज का सपना कल की हकीकत

    prerak karya

    जवाब देंहटाएं
  9. मिले बेहतर अवसर

    नव स्वास्थ्य की भोर

    जवाब देंहटाएं
  10. Ad. krishan sahay8:26 pm

    एक बार अवश्य पढि़ए.... और सबको पढ़ाइए....कुछ नहीं तो एक मित्रों को कम से कम एक लाइक के लिए प्रेरित कीजिए।

    जवाब देंहटाएं
  11. Ad. krishan sahay8:26 pm

    हे महान वैज्ञानिक! तुम सुन लो मेरी बात
    इस धरा से समाप्त कर दो मस्तिष्क पक्षाघात*

    BAHUT ACHHE

    जवाब देंहटाएं
  12. V.P. SINGH8:54 pm

    लिखने वाले ने लिख दी पीड़ा....प्रकाशक ने कर दी प्रकाशित....अब आगे का काम हम सबका है....

    जवाब देंहटाएं
  13. बेनामी8:58 pm

    सराहनीय प्रशंसनीय

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  14. Aur bade manch per le jaiye.....badhai

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  15. इसे तो हर भाषा में अनुवाद करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहिए कम से कम किसी ने तो इन विकलांगजनों की समस्या को इतने रोचक तरीके से उठाया......

    उचित इलाज के अभाव में हो न किसी पे आघात
    इस दुनिया से दूर भगा दो मस्तिष्क पक्षाघात*

    जवाब देंहटाएं
  16. सचमुच आशीष जी आपने हृदय को छूने वाली रचना लिख दिल को झकझोर दिया है जो छुपा हुआ कड़वा सच आज तक किसी अंधेरे में रोशनी की तलाश कर रहा था उस सच को आप पृथ्वी पर सूर्य के समान रचना गढ़ सामने लेकर आए हैं यह सचमुच एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब पृथ्वी पर रहने वाले सभी वैज्ञानिकों को आने वाले समय में देना पड़ेगा क्योंकि यह वह समस्या है जिस पर लोग बात करने से भी बचते हैं और जिनके घर में यह समस्या उत्पन्न होती है वह अपने उस बच्चे को भी दुनिया की नजरों से बचाकर रखना चाहते हैं आशा करता हूं कि आप की रचना पढ़ने के बाद दुनिया के जो भी लोग आपकी इस रचना को पड़ेंगे शायद उनकी मानसिकता में बदलाव आएगा और आपका प्रयास सार्थक होगा !

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  17. बच्चे किसी भी देश और समाज की पहचान होते हैं बच्चों के स्वास्थ्य से देश और समाज की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। जैसे पोलियो चेचक जैसी लाइलाज समझी जाने वाली बीमारियों को जड़ से समाप्त करने में हम सफल हुए हैं वैसे ही सेरेब्रल पाल्सी का भी इलाज ढूंढने में हम सफल होंगे यही परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है। भगवान सभी को निरोगी काया और सुखी जीवन प्रदान करे यही कामना है। आपने जन्मजात रोगों पर कलम चलाकर लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। ऐसे सब्जेक्ट पर पहली बार पढ़ा तो लगा कोई है जो समस्या को अपने ही नये अंदाज में उठाने और लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है। हम सब रचनाकार आपके इस संघर्ष में आपके साथ हैं। रचनाकार की समूची टीम को शुभकामनाएं !!!

    जवाब देंहटाएं
  18. Manish Pateria11:14 pm

    आपकी लिखी कविता हर उस घर का दर्द है जहां स्पेशल बच्चों को ईश्वर द्वारा दी गई जिम्मेदारी से पाला-पोसा और संभाला जा रहा है। ये कविता प्रेरणादायी है और इसे प्रत्येक स्पेशल स्कूल में फ्लेक्स पर लगाकर सजाया जाना चाहिए। यू ंतो मेरे द्वारा अब तक कई कविताएं पढ़ी गईं परंतु सेरेब्रल पाल्सी का दंश झेल रहे स्पेशल बच्चों की पीड़ा को दर्शाती आपकी कविता इस दौर के समाज से कई प्रश्न पूछती नजर आती है। आपका प्रयास सफल हो. यही कामना।

    जवाब देंहटाएं
  19. भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आपने जिस मनोभाव और उत्कृष्ट चिंतन मनन के साथ ये कविता लिखी है उसी गंभीरता से देव भूमि भारतभूमि और दुनिया से विकलांगता दूर हो जाए,,,,,तथास्तु
    दुनिया का ध्यानाकर्षित करने का आपका प्रयास अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र 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रचनाकार: आशीष श्रीवास्तव की कविताएँ
आशीष श्रीवास्तव की कविताएँ
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