विज्ञान-कथा / सही समय - अभिषेक मिश्र, रत्ना रॉय

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वह एक उदास शाम थी। एरन नदी के किनारे डूबते सूरज को एकटक देखती जेनिफर जाने किन यादों में खोई थी। स्वीडन में पढ़ते यही उसकी पहली मुलाकात हुई थ...

वह एक उदास शाम थी। एरन नदी के किनारे डूबते सूरज को एकटक देखती जेनिफर जाने किन यादों में खोई थी। स्वीडन में पढ़ते यही उसकी पहली मुलाकात हुई थी नील से। दोनों दो अलग-अलग कॉलेज से आई टीम में शामिल थे जो यहाँ की जैव विविधता का अध्ययन करने आई थी। फील्ड वर्क के दौरान खाली समय में छात्र यहाँ-वहाँ भ्रमण, मनोरंजन आदि तो करते तो करते ही रहते थे, मगर सबसे स्मरणीय घटना थी- दोनों कॉलेज के मध्य वाद-विवाद प्रतियोगिता; जिसका प्रतिनिधित्व क्रमशः नील और खुद जेनिफर ही कर रहे थे। प्रतियोगिता का विषय था- ''जैव संरचना में परिवर्तन की आवश्यकता''। जहाँ जेनिफर इसे भविष्य में इंसानों की बढ़ती जनसंख्या और तदनुरूप बढ़ती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए खाद्य आदि क्षेत्र में बीजों की जैव संरचना में आंशिक परिवर्तन कर खाद्यान्न की उपज बढ़ाने जैसे सीमित रूप में करने की पक्षधर थी, वहीं नील मानव की ही जैव संरचना में परिवर्तन कर उसी के स्वरूप में मनोनुकूल संशोधन करने के पक्ष में था। पहली नजर में नील का विचार युवाओं में उत्तेजना और रोमांच जगाने में सक्षम तो था, मगर जेनिफर की नजर में यह न सिर्फ नैतिकता के बल्कि प्रकृति के स्वाभाविक नियमों से छेड़छाड़ था, जिसे वह उचित नहीं मानती थी। इसे उसने बाद में भी कई मुलाकातों के दौरान नील को समझाने की कोशिश की। उसकी राय में प्रकृति स्वयं ही अपनी रचनाओं के साथ यथोचित परिवर्तन करती आई हैं विशालकाय जीव-जन्तुओं के एकछत्र राज के दौर से आज सभी एक सामान्य आकार-प्रकार तक आ पहुँचे है। प्रकृति तब उपयुक्त समझोगी सृष्टि में आवश्यक परिवर्तन स्वयंमेव होंगे, किन्तु असमय उसमें छेड़छाड़ उचित नहीं है। नील उससे कई बातों में सहमत रहा करता था, किन्तु यह एक ऐसा विषय था जिसपर उसकी राय जेनिफर से अलग थी। वह मानव शरीर में जेनेटिक प्रक्रिया से ऐसे परिवर्तन लाना चाहता था, जिससे वो अपार शक्तिशाली, सभी बीमारियों से मुक्त और भूख-प्यास की समस्या से सदा के लिए निजात पा जाएँ।

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नील जानता था कि परम्परागत शोध संस्थान उसे ऐसे किसी प्रोजेक्ट पर काम करने की अनुमति तथा संसाधान नहीं देंगे। ऐसे में वह किसी बाह्य फाइनान्सर की तलाश में था, और आखिर जैक्सन के रूप में उसे वो सहारा मिल ही गया। जैक्सन जेनेटिक इंजीनियरिंग के किसी ऐसे ही प्रॉडक्ट की तलाश में था जिसके पेटेंट से वह न सिर्फ और भी अमीर बल्कि विश्व की चंद प्रभावशाली हस्तियों में शामिल हो जाए। उसकी इस परियोजना से कुछ और भी महत्वाकांक्षा थी, जिसे उसने अभी नील के सामने भी स्पष्ट नहीं किया था। अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने के जुनून में नील को भी शायद शेष किसी और चीज से कोई सरोकार था भी नहीं।

जैक्सन के सहयोग से उसने एक निर्जन टापू पर अपनी प्रयोगशाला स्थापित कर शोध कार्य प्रारंभ कर दिया था। जाने से पहले वो आखरी बार जेनिफर से मिला था, जो अब स्वीडन की ही एक प्रमुख प्रयोगशाला में वैज्ञानिक बन चुकी थी और बीजों के जेनेटिक गुणों में परिवर्तन द्वारा उनकी उपज बढ़ाने के क्षेत्र में अनुसंधान कर रही थी। जेनिफर जानती थी अब यहाँ से नील को लौटा पाना मुश्किल है, इसलिए उसने बस उसे अपनी शुभकामनाएँ ही दीं। इसके बाद से दोनों में कोई संपर्क न हो पाया था। जेनिफर इन्हीं यादों में खोई उसके शोध में प्रगति पर विचार कर रही थी। सूरज डूब चुका थ, तारे झिलमिलाने लगे थे, वो भी अपने कमरे में लौट आई। लौटते ही जिस चीज ने उसे चौंका दिया वो था नील के द्वारा भेजा पत्र। उसने एक साँस में ही पूरा पत्र पढ़ डाला-

''प्रिय जेनिफर,

मैं वर्तमान में जहाँ हूँ वहाँ से तुमसे संपर्क का अब और कोई भी साधन नहीं हे। एक सहयोगी जिसे किसी तरह मैंने यहाँ से निकल जाने को विवश किया था- उसी के माध्यम से तुम तक यह पत्र पोस्ट करवा रहा हूँ। तुम मेरे शोध कार्य के विषय में अवगत हो। यह कार्य अपनी परिणति की अंतिम अवस्था पर ही था। मैंने इस दिशा में निर्मित वैक्सीन का परीक्षण चूहों और खरगोशों पर किया जा काफी हद तक सफल रहे। किन्तु इंसानों पर परीक्षण के बिना यह प्रयोग अधूरा था। तुम्हें शायद यह पता न हो कि मैं खुद भी कैंसर से ग्रसित था, इसलिए मैंने इसका प्रयोग स्वयं पर ही करने का निर्णय लिया। तुम तो जानती ही हो कि पशुओं और मनुष्यों के डीएनए में कुछ प्रतिशत का ही अन्तर होता है। शायद यही अन्तर इस दवा के मानव शरीर पर विपरीत दुष्परिणाम का कारण बन गया। मेरे शरीर की दुर्दशा का अनुभव तुम खुद देख कर ही कर सकोगी। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम एक बार यहाँ आ जाओ तो मैं न सिर्फ तुमसे आखरी बार मिल लूँ बल्कि इस

शोध का फॉर्मूला भी तुम्हारे सुरक्षित हाथों में सौंप दूँ। क्योंकि मुझे डर है कि जैक्सन इस खोज के दुष्परिणाम का भी लाभ उठाना चाहता है। वह इस वैक्सीन का गलत प्रयोग कर न सिर्फ एक दानवाकर सेना खड़ी कर लेगा बल्कि इसके दुष्परिणामों का भय दिखा वैश्विक जगत को ब्लैकमेल भी कर सकता है। जल्द आ जाओ।

तुम्हारी प्रतीक्षा में......

नील

पत्र पढ़ते ही जेनिफर उद्विग्न हो उठी और यथाशीघ्र दिये पते पर जाने की तैयारी करने लगी। अगली सुबह वह सफर में थी। तीन दिन का समुद्री सफर तय कर वह उस द्वीप पर जा पहुँची। उसकी नजरें नील को ढूंढ रही थीं। मगर वहाँ नील था कहाँ। उसने आवाज दी, तो एक पर्दे के पीछे से सरसराहट महसूस हुई और वहाँ से जो आकृति निकली वह किसी भी सूरत में नील की तो नहीं लगती थी। हरा शरीर, लाल आँखें, लम्बाई आम इंसानों से दो से ढाई गुनी, मांसपेशियां उभर कर बाहर आती हुईं। वह एक बारगी डर ही गई, मगर नील की उसी धीर-गंभीर आवाज ने उसे संभाल लिया। नील ने कहा- ''जेनिफर, तुम सही थी। प्रकृति से छेड़छाड़ की कोशिश कहीं से भी उचित नहीं। मेरा हश्र तुम्हारे सामने है। न सिर्फ मैं अपना अस्तित्व खोने की ओर हूँ बल्कि यह रिसर्च यदि किन्हीं गलत हाथों में पड़ गई तो जाने और क्या भयावह परिस्थिति हो! मेरी जान खतरे में है। मुझसे वैक्सीन का फार्मूला छीनने जैक्सन और उसके माफिया मित्र पहुँचते ही होंगे। तुम उनके आने से पहले उन्हें ले यहाँ से वापस लौट जाओ।'' यह कहते हुये नील दूसरे कमरे की एक गोपनीय दराज से उन्हें निकालने चला गया। जेनिफर प्रकृति और विज्ञान से खिलवाड़ के इस दुष्परिणाम को देख स्तब्ध और दुःखी थी। तभी उसे बाहर से हेलिकॉप्टर के आने और गोलियों के चलने की आवाज सुनाई दी।

नील भागता हुआ उसके पास आया और उसे एक सीडी पकड़ा, अपनी मजबूत बाहों में थामे बाहर की ओर भागते हुये चिल्लाया - ''तुम जल्दी वोट से निकलो, मैं इन्हें रोकने की कोशिश करता हूँ। मैं अब शायद बच न पाउं, इसलिए लौट कर वापस न आना।'' जेनिफर भौंचक-अवाक थी और बस नील की दी सीडी को मजबूती से पकड़ी हुई थी। बोट के करीब पहुँच उसने जैसे ही जेनिफर को उतारा, वो तेजी से बोट की ओर भागी। सामने से एक हेलिकॉप्व्टर तेजी से उनकी ओर ही आ रहा था। जेनिफर अचंभित रह गई जब उसने नील को एक छलांग में हेलिकॉप्टर की ऊँचाई पर पहुँच उस पर वार करते देखा। हेलिकॉप्टर तेजी से नीचे की ओर आ रहा था। बोट समुद्र में आगे बढ़ी जा रही थी। उसने देखा दूसरा हेलिकॉप्टर तेजी से उसी की ओर आ रहा था। नील ने उसका पीछा किया हाथों से ही उसके डैनों को पकड़ने की कोशिश की। जैक्सन ने अंदर से उसकी ओर हथगोला फेंका, जिसे लिए हुये ही नील हेलिकॉप्टर से जोर से लिपट गया। और फिर एक जोरदार धमाके के साथ सब कुछ खत्म हो गया। जेनिफर उन्हें के सामने समुद्र में समाती देख रही थी। द्वीप फिर से सुनसान हो चुका था। वातावरण में सिर्फ जेनिफर की बोट और उसकी सिसकियों की आवाज थी। नम आँखों से अदृश्य में नील को तलाशती जेनिफर ने अपनी कसी उंगलियां ढीली छोड़ दीं। उठती-गिरती लहरों के साथ सीडी समुद्र के नीले पानी में बही जा रही थी। शायद उसके मुख्य भूमि पर पहुँचने का सही समय अभी नहीं आया था। जेनिफर क्षितिज की ओर खामोशी से देख रही थी, जहाँ दूर कहीं सूरज डूब रहा था।

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ईमेल : abhi.dhr@gmail.com

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रचनाकार: विज्ञान-कथा / सही समय - अभिषेक मिश्र, रत्ना रॉय
विज्ञान-कथा / सही समय - अभिषेक मिश्र, रत्ना रॉय
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रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_968.html
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