आज की नारी पहले से अधिक जागरूक है... / सुनील जाधव

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मेरा होने वाला पति एक बहुत ही अच्छा इंसान होगा। लेकिन क्या वह शादी के बाद भी रोमांटिक रहेगा? क्या वह मुझे खुश रखेगा। मैं उससे चांद-तारे तोड...

मैती शर्मा की कलाकृति

मेरा होने वाला पति एक बहुत ही अच्छा इंसान होगा। लेकिन क्या वह शादी के बाद भी रोमांटिक रहेगा? क्या वह मुझे खुश रखेगा। मैं उससे चांद-तारे तोड़कर मेरे कदमों पर डालने की चाहत नहीं रखती। लेकिन क्या वो मेरी झोली में छोटी-छोटी खुशियां लाकर डाल सकता है? क्या वह मेरी उत्कंठाओं को शांत कर सकेगा? या वो मेरे सुखी संसार के सपने को छिन्न-विच्छिन्न कर देगा? क्या वह पहले से शादी कर चुका है? क्या वह मेरी बातों पर गौर करेगा और सारी जिंदगी मेरा ख्याल रखेगा ? या फिर किसी दिन यूं ही छोड़कर चला जाएगा ? … कमोबेश ये सारे ही सवाल एक नारी के मन में नाचते रहते हैं जब वह अपनी शादी के बारे में सोचती है। शादी जो कि एक स्त्री के लिए जीवन का अंतिम गंतव्य होती है। फिर उसके मन में ये बात भी आती है कि शादी तो वह लड्डू होता है कि जो खाये पछताए और जो न खाये वो भी पछताए। कभी-कभी उसके मन में ये आदर्श वाक्य भी उठता है कि पुरुषों को वास्ता मंगल से और महिलाओं का शुक्र से होता है। जब कोई पुरुष किसी महिला की बातें बिना नाराज हुए सुने तो समझ लीजिए कि वह उस महिला के लिए किसी उपहार से कम नहीं है। तो क्या मेरे सपनों का जीवन साथी बिल्कुल ऐसा मिल सकेगा? लड़कियां अक्सर ऐसा ही सोचा करती हैं। फिर उसके दिमाग में यह भी विचार कौंधता है कि इस पृथ्वी पर इन दो अनोखे प्राणियों के बीच के रहस्य हजारों सालों से एक अनसुलझे रहस्य बने हुए हैं। ऐसा कोई गणितीय नियम नहीं है जो पुरुषों और महिलाओं के बीच के संबंधों की समुचित व्याख्या कर सकें। हां, इस बात को जानकर अब वह चैन की सांस लेती है कि वह अब एक नए युग की नारी है। वह अब ढेर सारे पैसे कमा रही है। इस बात को जानकर वह अपने दिल को सांत्वना देती है कि वह पुरुषों की तुलना में खुद को आसानी से अभिव्यक्त कर सकती है। फिर चाहे ये बात कितनी ही छोटी क्यों न हो। अब वो दिल लद गए जब महिलाएं अपने जीवनसाथी से अपने शादी के समारोह पर ही मिल सकती थीं। आज की औरत हरगिज वह महिला नहीं है जो बिना कोई प्रश्न पूछे अपने पति या ससुराल वालों के आदेशों का पालन करें। देखा जाए तो अब वह अपने भावी पति के चुनाव को लेकर पहले से भी ज्यादा गंभीर, उत्साही और काफी जागरूक हो गई है। बदलते समय के साथ ही यह सकारात्मक संकेत आया है। जाने माने ज्योतिषीय पोर्टल GaneshaSpeaks.com द्वारा एकत्रित किये गये दिलचस्प आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि भी होती है।

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GaneshaSpeaks.com के अनुसार, महिलाएं अब अपने वैवाहिक भविष्य को लेकर पहले से अधिक जागरूक और उत्सुक रहती हैं। इलेक्ट्रानिक रूप से संग्रहित किए गए डेटा इस बात की पुष्टि करते हैं कि महिलाएं डाइवोर्स, एक्सट्रामैरिटल अफेयर्स और अपने पार्टनर के द्वारा धोखे दिए जाने को लेकर पहले से अधिक चिंतित रहती हैं। इसके अनुसार, 65 प्रतिशत महिलाएं अपने भविष्य की संभावनाओं को लेकर काफी उत्सुक दिखाई पड़ी। ये बात भी सामने आयी कि महिलाएं अपने विवाह को बनाए रखने के लिए जी तोड़ प्रयास करती हैं। हालांकि, पुरुष भविष्य के प्रति उतने संजीदा नहीं दिखाई पड़े। केवल 35 प्रतिशत पुरुषों ने अपनी भावी पत्नी के बारे में पूछताछ की। लेकिन एक अच्छी व दिलचस्प बात यह है कि रिलेशनशिप को लेकर पूछे जाने क्वेरीज में काफी इजाफा हुआ है। जीवन के हर क्षेत्रों में प्रोफेशनलिज्म बढ़ने का असर वैवाहिक संबंधों पर भी पड़ा है। इसका मतलब यह हुआ कि फ्यूचर रिलेशनशिप के मामले में महिलाएं अब अधिक अलर्ट हो गयी हैं।

एक ही साल में कॉल संख्या में हुई 45 प्रतिशत की वृद्धि आंकड़ों की दृष्टि से अत्यंत ही रोचक कही जाएगी। साल 2015 में तलाक की मांग 23,462 थी, जो साल 2016 में बढ़ते हुए 34,020 तक पहुंच गयी। जहां सभी शहरों में तलाक के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है तो इसे देखते हुए संभावित तलाक के मामलों को लेकर हुई कॉल वृद्धि समाज के लिए एक खतरे का संकेत भी कही जाएंगी। अच्छी खबर यह है कि इन कॉलों में महिलाएं पुरुषों को भी पीछे छोड़ रही हैं। इसका तो यही मतलब निकलता है कि भारतीय नारी की विचारधारा अब पति-परमेश्वर वाली नहीं रही। वह आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व स्वतंत्र है। उसकी इस आर्थिक ताकत ने उसकी मानसिक ताकत को भी सशक्त बनाया है। भविष्य की उसे चिंता है। पार्टनर की धोखाधड़ी (2016 में 31, 9 20) और अतिरिक्त वैवाहिक मामलों (26,460) को लेकर किये जाने वाली कॉलों में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। यह एक बहुत ही सकारात्मक तरीके से समाज की वास्तविकता को दर्शाता है।

यदि देखा जाए तो यह एक सच्ची कहानी है जो बदलते समाज का दर्पण है। इससे भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है ये बातें स्पष्ट हो जाती है। सोशलिस्ट लोगों का कहना है कि वैवाहिक संस्थान इतने अधिक कमजोर पड़ रहे हैं कि ये एक दिन समाज से ही मिट सकते हैं। पर दूसरी ओर, ये डेटा बड़ी ही अजीब-सी वास्तविकता को हमारे सामने पेश करते हैं। इसके अनुसार, भारतीय विवाह प्रणाली पहले से अधिक मजबूत हो जाएगी। क्या ही अच्छा हो यदि किसी महिला को पहले से ही उसके डाइवोर्स से जुड़े जवाबों का माकूल जवाब मिल जाए ! वाजिब है कि वह पहले से ही इस रिलेशनशिप से बचना पसंद करेगी। फिर न तो परस्पर टकराव होगा और न ही रिलेशनशिप के टूटने की नौबत आएगी। इस प्रकार से पति-पत्नी दोनों के ही रिलेशनशिप को लेकर पहले से ज्यादा संजीदा व जागरूक रहने की वजह से रिश्तों में मधुरता और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।

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Warm Regards,

Sunil Jadhav
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रचनाकार: आज की नारी पहले से अधिक जागरूक है... / सुनील जाधव
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