आखिर तुम क्यों तुम क्यों रूठे केदार / शालिनी मुखरैया

SHARE:

“अरे हरिया की मॉं क्या आज की तारीख में सुबह की चाय नसीब होगी कि नहीं” रामरतन का ऊँचा स्वर सुन कर सावित्री ने जल्दी से अपनी पूजा समेटी और रस...

“अरे हरिया की मॉं क्या आज की तारीख में सुबह की चाय नसीब होगी कि नहीं”

रामरतन का ऊँचा स्वर सुन कर सावित्री ने जल्दी से अपनी पूजा समेटी और रसोई की ओर भागीं। यह उन का रोज़ का नियम था । वे सुबह चार बजे ही उठ जातीं और जब तक अपने भोले बाबा को भोग न लगा लेतीं पानी का एक घूँट भी उनके गले से न उतरता ।

सालों हो गये थे उन्हें यह गुस्से से भरी आवाज सुनते हुये । मगर न वो बदलीं और न ही उनके पति । रामरतन भी जानते थे कि जब तक उनकी पत्नी भोले बाबा की पूजा पूरी नहीं कर लेंगी तब तक घर के किसी कार्य को हाथ भी नहीं लगायेंगी । उनकी सुलक्षणा पत्नी की भोले बाबा पर अगाध श्रद्धा थी ।यह भोले बाबा का ही प्रताप था जो आज उनका व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था । रामरतन स्वयं को बहुत भाग्यवान मानते जो ईश्वर ने ऐसी सुघड़ पत्नी दी थी जिसने जीवन के हर मोड़ पर उनका साथ निभाया था ।

“चाय लीजिये” सावित्री के स्वर ने उनके विचारों की श्रृंखला को विराम दिया ।

“कहॉं खोये हुये हैं आप” सुन कर रामरतन मुस्कुरा दिये । उनकी आंखों में अपनी पत्नी के प्रति अगाध प्रेम की झलक थी यह बात सावित्री भी अच्छे से समझती थीं ।

सुबह के वक्त यही कुछ पल होते थे जब दोनों आपस में घर के विषय में बातचीत कर पाते थे उस के बाद तो रामरतन अपनी दुकान निकल जाते और सावित्री अपने घर के कामों में व्यस्त हो जातीं।

“कल पड़ोस की पण्डिताइन अपनी सुमन के लिये रिश्ता बता रहीं थीं ।”सावित्री ने बात आगे बढ़ाते हुये कहा।

“मगर अभी तो वह बच्ची ही है।” रामरतन ने चौंकते हुये कहा

“कहॉं ? पूरे उन्नीस की तो हो गई है । अबसे लड़का ढूँढना शुरू करोगे तो तब जाकर दो चार बरस में ब्याह हो पायेगा ।”

……।2। ……

रामरतन सहज विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि उनकी फूल सी बच्ची जो उनके घर आंगन में चिड़िया की तरह फुदका करती आज ब्याहने लायक हो गयी है ।

अभी कुछ दिनों पहिले की ही तो बात है । सुमन की इंटर की परीक्षा होने वाली थी और उसके कालेज में कोई समारोह था । रामरतन तो व्यापार में इतने व्यस्त रहते थे कि बच्चे क्या कर रहे हैं किस कक्षा में पढ़ रहे हैं उन्हें इन सब का पता भी नहीं रहता था .इन सब का ध्यान भी सावित्री ही रखा करती थीं । शाम का अंधेरा बढ़ चुका था तभी दरवाजे पर एक गाड़ी आ कर रूकी । उसमें से दो स्त्रियॉं उतरीं और उनमें से एक ने उनके घर का दरवाज़ा खटखटाया । रामरतन कुछ देर पहिले ही अपनी दुकान बढ़ा कर आये थे और अपने वस्त्र बदल रहे थे । वे नवआगंतुकों की आहट पाकर सकपका गये और सावित्री से बोले

“देखो शायद तुम से कोई मिलने आया है ।”

सावित्री रसोई से निकल कर बाहर देखने गईं और हँसते हुये सुमन का हाथ पकड़ कर अंदर ले कर आयीं ।साड़ी पहन कर सुमन अपनी मॉं का ही प्रतिरूप लग रही थी। रामरतन की आंखों से आंसू छलक आये । उनकी फूल सी बिटिया कब बड़ी हो गई कब उसके डोली में बिठाने का वक्त नज़दीक आ गया उन्हें पता ही न चला ।

“अरे आप फिर से उसी बात को याद करने लगे ।” सावित्री ने छलक आईं आंखों को साड़ी के पल्लू से पोंछा । रामरतन भी भावुक हो उठे।

“और छोटा सोनू अपनी किताबें ले आया या नहीं ।” रामरतन ने बातचीत का विषय बदला

“सोनू गणित का ट्यूशन लगाना चाह रहा है जिससे छुट्टियों में उसके बोर्ड की परीक्षा की तैयारी हो जाये।”

“उससे कह दो कि अपने दोस्तों के साथ जाकर बात कर आये अपना नाम लिखा आये। पैसे की चिंता मत करना ईश्वर सब अच्छा ही करेगा।”

“अच्छा अब दुकान को देर हो रही है तुम जल्दी से मेरा नाश्ता लगा दो ।खाना दुकान पर ही भेज देना ।”

……।3। ……

“जी अच्छा” सावित्री भी कह कर उठ लीं और रामरतन स्नान के लिये चल दिये ।

शाम को जब रामरतन घर आये तो सावित्री के पास बहुत सारी बातें कहने को थीं ।

वह तो बस उनके आने का इंतज़ार कर रहीं थी ।थाली परोसते हुये सावित्री बोलीं …

“आपने पंडिताइन के उस प्रस्ताव पर कुछ विचार किया”

“अच्छा उनसे उस लड़के के घर परिवार के बारे में पता करो ।बात कुछ जंचेगी तो बात आगे बढायेंगे ” यह सुन सावित्री मन ही मन खुश हो गईं ।

“मेरे मन में एक और बात आपसे कहने को है ” सावित्री ने सकुचाते हुये कहा ।

“बोलो क्या कहना चाहती हो” रामरतन ने कहा

“हमारे पड़ोस में जो ट्रांसपोर्ट वाले चाचाजी हैं वो चारधाम की यात्रा के लिये पूरी बस ले जा रहे हैं। मेरी बड़ी इच्छा है कि हम सब एक साथ दर्शन को चलें”

रामरतन दुकान की व्यस्तता के कारण कभी अपने बीवी बच्चों को कहीं घुमाने नहीं ले जा पाते थे और सावित्री ने कभी इस बात के लिये कभी कोई शिकायत नहीं की । न जाने उनके मन में क्या विचार आया

“चलो मैं केशव से बात करता हूँ पीछे से दुकान वह संभाल लेगा”

सावित्री बड़े ही प्रसन्नचित्त स्वर में बोलीं ”मैं कल ही उनसे बात कर सारी व्यवस्था कर लेती हूँ” । सावित्री पूरे उत्साह एवं मनोयोग से यात्रा की तैयारी में जुट गईं ।विवाह के इतने वर्षों में पहली बार कभी किसी यात्रा पर जाने का विचार बना था ।संयुक्त परिवार में साथ रहते हुये कभी बाहर जाने का विचार मन में आया भी तो घर की जिम्मेदारियों ने बंधन डाल दिया ।अब तो बच्चे भी बड़े हो गये थे और पहिले वाला संयुक्त परिवार भी नहीं रहा था। बच्चों को जब पता चला तो वे भी उत्साहित थे ।

……।4। ……

मगर नियति के गर्भ में क्या छुपा हुआ था यह किसी को क्या पता था। गंगोत्री यमुनोत्री एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने के बाद उनकी बस गौरीकुंड पहुंच गई ।हल्की हल्की बरसात शुरू हो चुकी थी ।पहाड़ों पर ऐसी बरसात आम बात है ।एक दिन विश्राम करने के बाद सोमवार की सुबह केदारनाथ की ओर प्रस्थान किया ।रास्ते के मनोहारी दृश्य सभी को प्रफुल्लित कर रहे थे । केदारनाथ के मंदिर का विहंगम दृश्य तो विस्मृत कर देने वाला था। पूरी हिमालय श्रृंखला मानो अपनी बाहें फैलाये स्वागत को तत्पर थी ।सावित्री तो भोले बाबा की परम् भक्त थीं भावातिरेक में उनकी आंखों से अश्रु की धारा बह निकले। अपनी पहली ही यात्रा में उन्हें अपने आराध्य के दर्शन होंगे इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।

सायं मंदिर में उन्होंने केदारनाथ के विशेष दर्शन किये। बारिश निरंतर जारी थी और मार्ग में सुविधाएं अपेक्षाकृत कम थीं इसलिये सुबह के दर्शन के बाद वापसी का मन बनाया। आरती के उपरांत रामरतन अपने परिवार सहित अलीगढ़ वालों की तिवारी जी की धर्मशाला में विश्राम हेतु लौट गये। आने वाली सुबह कितनी भयानक और निष्ठुर होगी इसका असंख्य लोगों में से किसी को भी अनुमान न था । मृत्यु ही एक ऐसा सच है जिससे संसार का हर प्राणी अंजान रहता है ।

हमेशा की तरह सावित्री सुबह अपने आराध्य के दर्शन के लिये तैयार हो गईं । उनकी वर्षों की मनोकामना इस बार ईश्वर ने पूरी की थी। रामरतन अपने परिवार सहित मंदिर के गर्भगृह में आरती में उपस्थित थे और अपने परिवार की मंगलकामना हेतु भोले बाबा से आशीर्वाद मांग रहे थे । अचानक ही भयानक विस्फोट हुआ और भयावह रौद्र रूप धारण कर अलकनंदा सब कुछ बहा ले जाने को तत्पर हो उठी। चारों ओर अथाह जल राशि ही नज़र आ रही थी हर चीज जल की प्रचण्ड धारा में समाहित हो रही थी ।रामरतन जब तक कुछ समझ पाते संभल पाते चारों ओर हाहाकार मच गया । उन्होंने अपने पुत्र का हाथ थामा मगर जल का वेग इतना प्रचण्ड था कि वे कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं थे । सावित्री और सुमन को उन्होंने जलराशि के साथ बह कर जाते देखा। आसपास चीखपुकार मची हुई थी ।शंकर का प्रलयंकारी महाविनाशकारी रौद्र रूप सामने था मानो उनका तीसरा नेत्र खुल गया हो ।

……।5। ……

रामरतन बड़ी कठिनाई से अपने पुत्र का हाथ थामने की कोशिश कर रहे थे मगर उनके घर के चिराग ने उनकी आंखों को सामने दम तोड़ दिया। उनकी स्थिति पागलों के समान हो गई थी ।रामरतन ने किसी से सहायता की आशा में इधर उधर निगाह दौड़ायी मगर सब व्यर्थ था। किसको ढूंढे किसको बचायें हर व्यक्ति अपने परिचितों को बचाने हेतु प्रयासरत था ।रामरतन ने

बड़े भारी मन से अपने कलेजे के टुकडे. को भारी पत्थर के नीचे रख दिया कि कहीं जल की धारा उनके पुत्र को न बहा कर ले जाये। ऐसा करते में उनका हृदय फटा जा रहा था. उनके शरीर से मानो किसी ने पूरा रक्त निचोड़ लिया हो हर तरफ मृत्यु का ताण्डव था ।रामरतन ने स्वयं किसी पेड़ की शाखा से लटक कर अपनी जान बचायी ।उनकी पत्नी और बेटी का भी कहीं कोई पता नहीं था। जब जलप्रलय का ज्वार थमा तो सब ओर विनाशलीला के निशान थे। जो स्थान दो दिन पूर्व रात्रि में चहल-पहल से गूँज रहा था वहां मृत्यु का भयानक अट्टहास रह-रह कर सुनायी दे रहा था ।रामरतन यह समझ नहीं पा रहे थे कि ईश्वर ने उन्हें यह दिन देखने के लिये क्यों जीवित रखा। प्रकृति का कहर थमने पर सेना के जवानों ने उन्हें बचाया ।वह राहत कैम्पों में अपनी पत्नी और बेटी को इस उम्मीद पर तलाशते कि शायद वे जीवित हों मगर उनका कहीं पता न चला । उनके सारे प्रयास विफल हो गये परंतु कोई सूचना न मिली।

प्रकृति से मानव के खिलवाड़ का इतना भयानक परिणाम भी हो सकता है यह किसी की भी कल्पना से परे था। क्यों शांत हिमालय रौद्र रूप धारण कर बैठा इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं था। वर्षों से हिमालय का दोहन अपने स्वार्थ के लिये मनुष्य करता आ रहा है कभी तो उसका प्रत्यु्त्तर हिमालय देता ही। मगर किया किसने और भोगा किसने इस प्रश्न का उत्तर किसके पास है।

अपना सब कुछ लुटा कर रामरतन अपने शहर लौट आये। उनके परिवार की पहली यात्रा ही उनके जीवन की अंतिम यात्रा बन गई। उन्हें तो अपने परिवार के दाहसंस्कार करने का अधिकार भी ईश्वर ने नहीं दिया। जिसने भी इस घटना को सुना वह सुन कर दौड़ा चला आया। मगर रामरतन को ढाढ़स देने का किसी में सामर्थ्य नहीं था।

……।6। ……

जिस ईश्वर की पूजा के बिना उनके घर में अन्न जल भी ग्रहण नहीं होता था वह इतना निष्ठुर और निर्मोही कैसे हो गया था। आखिर किस कर्म की उन्हें इतनी बड़ी सज़ा मिली जिसकी कीमत उनके पूरे परिवार को चुकानी पड़ी। रामरतन की आस्था एवं विश्वास संपूर्ण रूप से डगमगा गया था। उनके मन में बस एक ही प्रश्न था…………

आखिर तुम क्यों रूठे केदार....

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आखिर तुम क्यों तुम क्यों रूठे केदार / शालिनी मुखरैया
आखिर तुम क्यों तुम क्यों रूठे केदार / शालिनी मुखरैया
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNGQNIMc3pss564YI5RfaO4tSWNpgWqa6oAXMF6_fPNya0IdLW4NPP1E94URZHg6yyxS9lbe1mHmKPf2CeIj7xivc09K4YVQKS4itk3TqUjSEY8C8bGbo3ejfnYeejOXtkId-W/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNGQNIMc3pss564YI5RfaO4tSWNpgWqa6oAXMF6_fPNya0IdLW4NPP1E94URZHg6yyxS9lbe1mHmKPf2CeIj7xivc09K4YVQKS4itk3TqUjSEY8C8bGbo3ejfnYeejOXtkId-W/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_26.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_26.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content